जीआईजेएन की अगले वैश्विक सम्मेलन की तारीख़ के साथ वेबसाइट लॉन्च
ग्लोबल इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म कांफ्रेंस यानि GIJC25 (जीआईजेसी25) शुक्रवार, 21 नवंबर से सोमवार, 24 नवंबर, 2025 तक मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में आयोजित किया जाएगा।
ग्लोबल इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म कांफ्रेंस यानि GIJC25 (जीआईजेसी25) शुक्रवार, 21 नवंबर से सोमवार, 24 नवंबर, 2025 तक मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में आयोजित किया जाएगा।
एक बड़े भाषा मॉडल के रूप में चैटजीपीटी किसी विषय पर जवाब देने के लिए वेब पेज इंडेक्सिंग के बजाय प्रशिक्षण डेटा के विशाल भंडार का उपयोग करता है। इसलिए सामान्य प्रश्नों के लिए गूगल जैसे सर्च इंजन अब भी अधिक सटीक, व्यापक और अद्यतन हैं।
ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म नेटवर्क के पिछले वैश्विक खोजी पत्रकारिता सम्मेलन ब्राजील, डेनमार्क, जर्मनी, नॉर्वे, दक्षिण अफ्रीका और यूक्रेन सहित 10 देशों में आयोजित किए गए हैं। यह सम्मेलन हर दो साल में आयोजित किए जाते हैं। हाल ही में जीआईजेसी, स्वीडन में आयोजित किया गया था जहां 2,100 से अधिक प्रतिभागियों की रिकॉर्ड संख्या उपस्थित हुई थी। 130 से अधिक देशों के पत्रकार चार दिनों तक वहाँ इकट्ठे होकर आपस में मिले-जुले।
लोकतंत्र के मूल्यों को बनाए रखने के लिए तथ्यों के आधार पर मतदाताओं को निर्णय लेने का अवसर मिलना आवश्यक है। इसके लिए ‘शक्ति‘ – इंडिया इलेक्शन फैक्ट चेकिंग कलेक्टिव का निर्माण किया गया। इस प्रोजेक्ट में गूगल न्यूज इनीशिएटिव की मदद मिली। इस पहल का नेतृत्व डेटालीड्स ने किया। इसके साझेदारों में मिस-इनफॉर्मेशन कॉम्बैट एलायंस (एमसीए), बूम, द क्विंट, विश्वास न्यूज, फैक्टली, न्यूजचेकर तथा अन्य प्रमुख फैक्ट चेकिंग (तथ्य-जांच) संगठन शामिल थे। इंडिया टुडे और प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) जैसे मीडिया संस्थानों ने भी इसमें भागीदारी निभाई।
सहयोगियों ने मध्य पूर्व के एक राजा की विदेशी संपत्तियों की खोज की थी। पता चला कि यूके और यूएस में उस राजा के 14 आलीशान भवन थे। ऐसा गुप्त रूप से टैक्स-हेवन में फ्रंट कंपनियों के नेटवर्क के माध्यम से किया गया था। इस बात की नाटकीय पुष्टि तब हुई, जब एजेंटों द्वारा पंजीकरण दस्तावेजों में गुप्त ग्राहक के घर का पता ‘शाही महल‘ के रूप में दर्ज कराने की जानकारी मिली
वर्ष 1992 से अब तक दो हजार से भी अधिक पत्रकार मारे जा चुके हैं। हजारों पत्रकारों को हमले, धमकी, जेल और उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा है। इसलिए आपातकालीन स्थितियों में मदद संबंधी पूरी जानकारी पत्रकारों के पास होनी चाहिए। जीआईजेएन की इस मार्गदर्शिका में ऐसे दर्जनों संगठनों की जानकारी दी गई है।
एडवांस्ड स्पीच डीपफेक के द्वारा बिल्कुल असली लगने वाले नकली ऑडियो बनाए जा सकते हैं। उसकी सच्चाई को उस व्यक्ति के नजदीकी दोस्त भी नहीं पहचान सकेंगे। ऐसे ऑडियो क्लिप की जांच के लिए विशेषज्ञ और नए उपकरणों की आवश्यकता होती है। अक्सर पत्रकार किसी नेता के बारे में अपने ज्ञान, रिकॉर्डिंग की खराब गुणवत्ता, संदर्भ या सामान्य सामान्य ज्ञान के आधार पर किसी ऑडियो क्लिप में किए गए फर्जीवाड़े को तुरंत पहचान लेते हैं।
आम तौर पर अधिकांश प्राइवेसी पॉलिसी में एक पूर्व-अनुमानित संरचना का पालन किया जाता है। इसलिए आप उनकी तह तक जाने की कला सीख सकते हैं। उसके मुख्य हिस्सों का पता लगा सकते हैं। लंबा दस्तावेज होने के बावजूद केवल महत्वपूर्ण जानकारी को निकालने के लिए झपट्टा मार सकते हैं। आप कुछ सूचनाओं के संग्रह के आधार पर उससे बाहर निकलने या विकल्प चुनने के अवसर का लाभ उठा सकते हैं। अधिक गहराई तक जाने और अधिक व्यक्तिगत प्रकटीकरण से जुड़े बिंदुओं को भी बेहद कम समय में आसानी से समझ सकते हैं।
मीडिया संगठनों में प्रबंधन संबंधी कार्यों के लिए किसी प्रोफेशनल प्रशासक के बजाय खबरों का जुनून रखने वाले पत्रकारों को रखा जाता है। जबकि एक पेशेवर प्रशासक (एडमिनिस्ट्रेटर) नियुक्त करना पहला कदम होना चाहिए।
भारत में मीडिया संगठनों पर मनी लॉन्ड्रिंग या टैक्स-चोरी जैसे आर्थिक अपराधों के आरोप लगाए जाते हैं। पहले पत्रकारों के खिलाफ मानहानि के आरोपों का इस्तेमाल किया जाता था। उस पारंपरिक न्यायिक रणनीति को बदलकर अब आर्थिक आरोप लगाने का प्रचलन बढ़ा है। अदालतों में धीमी कानूनी प्रक्रिया के कारण यह परेशानी ज्यादा बढ़ जाती है। पत्रकारों के उत्पीड़न का एक तरीका उनकी यात्रा पर प्रतिबंध लगाना है।