Illustration: Smaranda Tolosano for GIJN

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स्रोत की पहचान, पृष्ठभूमि जांच, सार्वजनिक रिकॉर्ड, आरटीआई

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पत्रकार सृष्टि जसवाल ने चुनाव प्रचार में व्हाट्सअप के उपयोग पर वर्ष 2024 में एक चर्चित स्टोरी की। इसमें भारत की सत्तासीन पार्टी बीजेपी द्वारा प्रचार की जांच की गई थी। इस जांच के लिए सृष्टि जसवाल ने जिन लोगों से प्रमुख साक्षात्कार लिए, उन्हें वह दो साल पहले से ही अपने स्रोत के बतौर चिन्हित कर चुकी थीं।

वह एक स्वतंत्र पत्रकार और पुलित्जर सेंटर की एआई एकाउंटेबिलिटी फेलो हैं। यह जांच प्रिंसटन यूनिवर्सिटी की डिजिटल विटनेस लैब के साथ मिलकर की गई। इसमें नरेंद्र मोदी की पार्टी भाजपा द्वारा सार्वजनिक जांच से मुक्त प्रचार अभियान हेतु व्हाट्सएप के उपयोग की जांच की गई। इसमें प्राप्त डेटा ने स्टोरी लिखने में मदद की। खास बात यह कि सृष्टि जसवाल को अपने स्रोतों के साथ दीर्घकालिक संबंधों का लाभ मिला। व्हाट्सएप मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म पर अभियान चलाने वाले अनगिनत कार्यकर्ताओं ने इस स्टोरी के लिए स्रोत की भूमिका निभाई।

आपने इस स्टोरी के लिए स्रोत कैसे विकसित किए? यह पूछने पर वह कहती हैं- “मुझे लगता है कि कुछ पत्रकारों के पास लंबे समय तक स्रोतों से संबंध बनाने का धैर्य नहीं है। जबकि इस काम में धैर्य और समय महत्वपूर्ण है। भारत में इतना ध्रुवीकरण है कि भाजपा सूत्रों से बात करने में कई पत्रकार झिझकते हैं।“

सृष्टि जसवाल ने स्रोतों से अपना संबंध सिर्फ जानकारी पाने तक सीमित नहीं रखा। उनके साथ पेशेवर संबंध बनाने पर भी समय लगाया। दरअसल जब वह बीजेपी कार्यकर्ताओं से मिलीं, तो उनके दिमाग में ऐसा कोई स्टोरी आइडिया नहीं था। लेकिन बाद में उन्हें यह एक दिलचस्प खबर का विषय लगा। दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत में भी राजनीतिक प्रचार सालों भर चलता रहता है। वह जानना चाहती थीं कि भाजपा कार्यकर्ता क्या काम करते हैं और क्यों करते हैं। इस दौरान धीरे-धीरे उनका विश्वास हासिल कर लिया। इसके कारण कई प्रकार की अंदरूनी जानकारी प्राप्त हुई। इस बीच चुनाव का प्रमुख राजनीतिक अवसर आ गया। इस पर रिपोर्ट करने की यह सही परिस्थिति थी।

सृष्टि जसवाल के अनुभव से पता चलता है कि स्रोत की तलाश केवल साक्षात्कार योग्य लोगों की तलाश नहीं है। यह लोगों के साथ विश्वास कायम करना और रिश्ते बनाना भी है। जितना अधिक वह उनकी दुनिया के बारे में जानती गई, उतना अधिक विश्वास और सम्मान मिलता गया। एक पत्रकार के बतौर यह जानना आसान हो गया कि वे क्या करते हैं।

सोर्स को पहचानने की प्रक्रिया हमारे लक्ष्य पर सोचने से शुरू होती है। रिकॉर्डिंग बटन बंद करने के बाद भी यह प्रक्रिया जारी रहती है। इस अध्याय में जांच के लिए स्रोत ढूंढ़ने का चरण-दर-चरण गाइड प्रस्तुत है। प्रत्येक चरण के लिए सुझाव और उपकरण भी साझा किए गए हैं।

इंसानी और दस्तावेजी स्रोतों की पहचान

स्रोत खोजने के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करें। इसके लिए मार्क ली हंटर की परिभाषा को ध्यान में रखें। डेटा-संचालित रिपोर्टों के लिए ईवा कॉन्स्टेंटारस और अनास्तासिया वलीवा ने भी बाद में इस पर काम किया। कोई न्यूज स्टोरी निम्नलिखित चीजों से बनती है –

  • वर्तमान (अभी क्या मामला/समस्या है?)
  • अतीत (इस स्थिति का कारण क्या है?)
  • भविष्य (इसे नहीं बदला तो क्या होगा? बेहतर करने या कोई प्रभाव लाने के लिए समाधान क्या है?)

इस रूपरेखा के आधार पर इंसानी और दस्तावेजी स्रोतों के बारे में विचार करें। उनसे किस तरह की जानकारी या साक्ष्य मिलने की संभावना है। जैसे, किसी सरकारी नीति के प्रभाव का आकलन करने के लिए उससे प्रभावित समुदाय के बीच केस स्टडी की जाती है। इससे सरकारी अधिकारी, व्यवसाय मालिक या अन्य जवाबदेह लोगों की जानकारी मिल सकती है। किसी कहानी में समस्या के प्रभाव और समाधान को समझाने के लिए विशेषज्ञ स्रोतों का भी साक्षात्कार लिया जा सकता है।

फिलीपीन सेंटर फॉर इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म (पीसीआईजे) की पूर्व मल्टीमीडिया पत्रकार चेरी सालाजार का उदाहरण देखें। उन्होंने फिलीपींस के बटांगस शहर में तटीय गांवों के मछुआरों के साथ कई दिन बिताए। पत्रकार ने यह जानना चाहा कि मछली पकड़ने के क्षेत्र में परियोजनों के तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के कारण मछुआरों के जीवन पर कैसा प्रभाव आ रहा है। इस स्टोरी में एलएनजी परियोजनाओं को ‘समस्या‘ माना गया। साथ ही, उन्होंने फिलीपीन सरकार द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा से विचलन को ‘कारण‘ के बतौर प्रस्तुत किया। इसका वर्णन करने के लिए विशेषज्ञों और सरकारी अफसरों से साक्षात्कार के अलावा दस्तावेजों और डेटा को आधार बनाया।

पत्रकार चेरी सालाजार ने बताया कि वह साक्षात्कार के लिए लोगों को कैसे चुनती है- “मैं हमेशा एक प्रभावी चरित्र को तलाशती हूं। वह कहानी का प्रतिनिधित्व करता है और उसे मानवीय बनाता है। मैं ऐसे साक्षात्कार भी पसंद करती हूं, जिसमें एक तीर से दो शिकार किए जा सकते हों।“

The Last Fishermen of Ilijan उनकी चर्चित स्टोरी है। इसमें मुख्य किरदार एक स्थानीय मछुआरा है। उसके पूर्वज भी मछली पकड़ते थे। इसलिए वह परियोजना से पहले और अब मछली कारोबार का वर्णन और तुलना करने में सक्षम था। उसी मछुआरे ने बताया कि कैसे वह अपनी उम्र के कारण परियोजना प्रबंधन द्वारा दी जा रही नौकरी का लाभ नहीं उठा सका।

पत्रकार चेरी सालाजार कहती हैं- “उस साक्षात्कार में मछुआरों पर एलएनजी परियोजनाओं के प्रभाव के साथ ही यह भी पता चलता है कि परियोजना प्रबंधन द्वारा ऑफर की गई वैकल्पिक आजीविका महज दिखावा थी।“

स्टोरी आइडिया बुनियादी चीज है। लेकिन स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करना जरूरी है। स्रोतों से कैसी जानकारी मिल सकती है? इस बात को समझ सकें तो उन्हें खोजने और उनसे जानकारी लेने की बेहतर रणनीति बन सकती है। चेरी सालाज़ार और सृष्टि जसवाल, दोनों की स्टोरी में किए गए प्रभावशाली साक्षात्कार इसका अच्छा उदाहरण है। इनमें पत्रकारों के साथ बात करने में सहज होने के कारण स्रोत व्यक्तियों ने अपना पर्याप्त समय दिया। रिपोर्टिंग के दौरान विशेषज्ञ स्रोतों की पहचान संभव है। खासकर जब नए निष्कर्ष सामने आते हैं। रिपोर्टिंग के दौरान पर्याप्त डेटा निकल जाने के बाद सरकारी अधिकारियों या निजी कंपनियों के अधिकारियों से जवाबदेही साक्षात्कार लिए जा सकते हैं।

वर्तमान, भूतपूर्व और व्हीसिल ब्लोअर का फर्क समझें – आपका स्रोत किसी संस्थान का वर्तमान अथवा भूतपूर्व अधिकारी है, या कोई व्हीसिल ब्लोअर है, इसे समझना जरूरी है।

The Investigative Reporter’s Handbook: A Guide to Documents, Databases, and Techniques – इस पुस्तक में ब्रेंट ह्यूस्टन ने संभावित स्रोतों को ‘वर्तमान‘ और ‘भूतपूर्व‘ में विभाजित किया है। ‘वर्तमान‘ लोग किसी संगठन से संबंधित हैं। जैसे, वर्तमान सचिव, वर्तमान स्टाफ या वर्तमान आपूर्तिकर्ता, ठेकेदार और सलाहकार। वेबसाइट में उपलब्ध डायरेक्टरी या उसे कवर करने वाले पत्रकारों के माध्यम से इन्हें ढूंढना आसान है। ‘भूतपूर्व‘ वह लोग हैं, जो पहले उस संगठन से जुड़े थे या उसके साथ कोई लेनदेन था।

यह दोनों तरह के स्रोत कैसी जानकारी दे सकते हैं, इस पर विचार करें। उसकी सीमा और कोई जानकारी देने के लिए उनकी प्रेरणा का आकलन करके आप उनसे साक्षात्कार की बेहतर योजना बना सकते हैं।

जैसे, किसी सरकारी सड़क परियोजना में टेंडर संबंधी धांधली का मामला है। किसी उच्च अधिकारी पर आरोपों की जांच करनी है। भूतपूर्व ठेकेदार ऐसे परियोजनाओं में भ्रष्टाचार से जुड़े अपने अनुभव खुलकर बता सकते हैं। लेकिन संभव है कि उस मामले की जानकारी न हो, जिसकी आप जांच कर रहे हैं। दूसरी तरफ, वर्तमान ठेकेदार पत्रकारों से बात करते समय सावधानी बरतेंगे। संभव है कि वह केवल ‘पृष्ठभूमि‘ पर बोलने को सहमत हों या अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त लगाते हों। इन स्थितियों का अनुमान लगाने की कोशिश करें। साक्षात्कार देने वाले को क्या लाभ अथवा नुकसान हो सकता है, यह समझने की कोशिश करें। इससे आपको यह जानने में मदद मिलती है कि स्रोतों तक कैसे पहुंचा जाए।

‘व्हिसल ब्लोअर‘ एक अन्य स्रोत है। वह ‘वर्तमान‘ या ‘भूतपूर्व‘ हो सकता है। ब्रेंट ह्यूस्टन के अनुसार, इनमें कुछ ‘व्हिसल ब्लोअर‘ दुनिया का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। जबकि कुछ लोग बगैर चाहते हुए भी सुर्खियों में आ जाते हैं, क्योंकि उन्हें किसी गलत काम के बारे में जानकारी है। गलत का विरोध करने के कारण अनजाने में वह ‘व्हिसल ब्लोअर‘ बन जाते हैं। सरकारी या कॉरपोरेट क्षेत्र में किसी अपराध को उजागर करना महत्वपूर्ण है। लेकिन विभिन्न देशों में व्हिसल ब्लोअर को लेकर अलग-अलग स्थिति है। कई देशों में व्हिसल ब्लोअर संरक्षण कानून नहीं है। खासकर जिन देशों में लोकतंत्र कमजोर है, वहां ‘व्हिसल ब्लोअर‘ को कोई संरक्षण प्राप्त नहीं है।

‘व्हिसल ब्लोअर‘ भी दो तरह के हो सकते हैं। निःस्वार्थ ‘व्हिसल ब्लोअर‘ आपको सही जानकारी दे सकता है। हालांकि अन्य सबूतों की तरह उस जानकारी की सत्यता भी जांचना जरूरी है। इसके लिए आपको स्रोतों से सत्यापित करना होगा। लेकिन यह भी संभव है कि कोई तथाकथित ‘व्हिसल ब्लोअर‘ आपको जानबूझकर गलत या भ्रामक जानकारी दे। इसके पीछे उसका कोई निहित स्वार्थ हो सकता है। वह किसी से बदला लेना चाहता हो, अथवा असंतुष्ट हो, या आपकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाना चाहता हो। इसलिए जब कभी पत्रकार को अपनी खोज से ऐसा कोई स्रोत मिले, या वह खुद आपसे संपर्क करे, तो दोनों ही स्थिति में उससे मिली जानकारी को सत्यापित करना आवश्यक है।

‘दस्तावेजी मनःस्थिति‘ का विकास करना जरूरी है। खोजी रिपोर्टिंग के दौरान कई स्रोतों से जानकारी लेकर उसके सत्यापन की निरंतर प्रक्रिया जारी रहती है। लोगों का साक्षात्कार लेने के बाद उन बातों को दस्तावेजों के आधार पर सत्यापित करना आवश्यक है। पत्रकार जब दस्तावेज़ों को खंगालते हैं, तो अपने निष्कर्षों को विशेषज्ञ स्रोतों से सत्यापित करना पड़ता है। यह साक्ष्य की ‘दीवार‘ बनाने की एक प्रक्रिया है। इसमें दस्तावेज़ और डेटा का उपयोग दीवार की ईंट की तरह किया जाता है। जबकि साक्षात्कार वह सीमेंट है, जो ईंटों को जोड़कर रखता है। कोई जांच केवल साक्षात्कारों के उद्धरणों या व्याख्या पर टिकी नहीं रह सकती। यही बात दस्तावेजों पर भी लागू होती है। लोगों की तरह कोई दस्तावेज भी झूठ बोल सकता है। एक खोजी पत्रकार को हर चीज की तथ्य-जांच करके सत्यापन करना आवश्यक है।

डोनाल्ड एल. बार्लेट और जेम्स बी. स्टील की जोड़ी खोजी पत्रकारिता के लिए चर्चित है। ‘दस्तावेजी मनःस्थिति‘ शब्द इन दोनों ने गढ़ा है। इसका अर्थ यह जानना है कि जांच के प्रत्येक बिंदु का पता लगाने, खंडन करने या पुष्टि करने के लिए कोई दस्तावेज़ कहीं अवश्य मौजूद है। किसी जानकारी को दस्तावेजों के आधार पर सत्यापित करने के संदर्भ में यह बात कही गई है।

कोई अधिकारी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा करता है कि सड़क परियोजना ने किसानों को गरीबी से बाहर निकाला है। अब पत्रकार के पास इस दावे को सही अथवा गलत साबित करने के लिए आवश्यक दस्तावेजों की पहचान करने और उन्हें प्राप्त करने में सक्षम होना चाहिए। इसके लिए आप किसानों के साथ किसी प्रकार के अनुबंध का दस्तावेज खोज सकते हैं। कृषि उत्पादन की स्थिति, किसानों की आर्थिक प्रोफ़ाइल और गरीबी कम होने संबंधी डेटा जैसे दस्तावेज़ों की तलाश कर सकते हैं।

दस्तावेज़ कहां से प्राप्त करें? इसके लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं। हम उन्हें स्रोत के आधार पर विभाजित कर सकते हैं। ऐसे दस्तावेज सरकार से मिल सकते हैं। किसी एनजीओ, संगठन अथवा व्यक्ति द्वारा सरकार को भेजे गए आवेदन के बतौर भी आपको ऐसे दस्तावेज मिल सकते हैं।

आधिकारिक दस्तावेज कहां मिलेंगे?

  • स्थानीय सरकारी निकाय या मंत्रालय
  • कानून प्रवर्तन इकाइयां
  • न्यायालय
  • राष्ट्रीय अभिलेखागार
  • स्टॉक एक्सचेंज
  • व्यवसाय को विनियमित करने वाली एजेंसियां

अन्य स्रोत

  • स्थानीय नागरिक समाज समूह
  • अंतरराष्ट्रीय संगठन या एनजीओ
  • अकादमिक शोधकर्ता
  • वाणिज्यिक डेटाबेस
  • संपत्ति रिकॉर्ड
  • सूचना का अधिकार से मिले दस्तावेज

अधिकारियों से मिले दस्तावेज़ स्वीकार्य हैं। लेकिन उन पर भी पूरी तरह भरोसा न करें। याद रखें कि यह हमें ‘आपूर्ति‘ किए गए दस्तावेज़ हैं। हमारी जांच के लिए इनका महत्व कम हो सकता है। खोजी पत्रकारों को उन रिकॉर्डों की पहचान करके ‘मांग‘ करनी चाहिए, जिनकी ज़रूरत है। उन रिकॉर्डों के लिए आरटीआई के तहत सूचना के लिए अनुरोध करना चाहिए। अनगिनत देशों में सार्वजनिक रिकॉर्ड पाने के लिए सूचना का अधिकार कानून लागू है। कई देशों में आरटीआई का उपयोग करना किसी पत्रकार के लिए सबसे बुनियादी कौशल है। हालांकि अब भी कुछ पत्रकार इसका महत्व नहीं समझ पाए हैं।

The Art of Access: Strategies for Acquiring Public Records – यह डेविड कुइलियर और चार्ल्स एन. डेविस की पुस्तक है। इसमें आरटीआई पर एक व्यापक मार्गदर्शिका दी गई है। पत्रकारों को सूचना का अधिकार के बारे में जानना चाहिए। भारत सहित अनगिनत देशों में यह लागू है। लेकिन कुछ देशों में यह कानून लागू नहीं हैं। सूचना का अधिकार (आरटीआई) संयुक्त राष्ट्र के मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा में शामिल है। सूचना हासिल करना एक बुनियादी मानवाधिकार है। कुछ देशों में इसकी कानूनी गारंटी न होने के बावजूद कुछ पत्रकार अब भी दस्तावेज़ पाने में सक्षम हैं। लेकिन प्रयास हमेशा सफल नहीं होते। पत्रकारों को इसके जरिए सूचना पाने का प्रयास करते रहना चाहिए।

पत्रकारों को आरटीआई के लिए अच्छा आवेदन लिखने, उसे लगातार ट्रैक करने में सक्षम होना चाहिए। सूचना नहीं मिलने अथवा अधूरी या भ्रमक सूचना मिलने पर प्रथम और द्वितीय अपील करना चाहिए। इसका मतलब सूचना के अधिकार पर जोर देना और अपील करना है। सक्षम मीडिया संगठन चाहें तो इस दिशा में गंभीर कानूनी लड़ाई भी लड़ सकते हैं।

स्रोत की तलाश

खोजी रिपोर्टिंग के लिए पहले आप लक्ष्य निर्धारित करते हैं। फिर स्रोत की तलाश के लिए विभिन्न उपकरण और रणनीति लागू कर सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर है कि आप किस प्रकार की कहानी पर काम कर रहे हैं। यहां कुछ सामान्य सुझाव दिए गए हैं जो नए खोजी पत्रकारों के लिए उपयोगी हैं।

संबंधित खबरें पढ़ें – स्रोत की जानकारी के लिए उन विषयों पर प्रकाशित स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह की खबरें पढ़ें। जिस कहानी पर आप काम कर रहे हैं, वह स्थानीय हो सकती है। लेकिन अन्य देशों में की जा रही रिपोर्टिंग के उदाहरण आपको उन स्रोतों के प्रकार का अंदाजा दे सकते हैं जिन्हें अन्य पत्रकारों ने सफलतापूर्वक खोजा है। इससे यह भी पता लग सकता है कि इस मुद्दे पर पहले से ही क्या रिपोर्ट आ चुकी है। आप किस तरह की नई चीज जोड़ सकते हैं, इसका अंदाज लग जाएगा।

नए शोध का पता लगाएं – उस विषय पर होने वाले अनुसंधान के वर्तमान निकाय का पता लगाएं। उसके अकादमिक स्रोतों की तलाश करें। संभव है कि आप जिस विषय पर काम कर रहे हैं, उसके बारे में शिक्षाविदों ने विस्तार से लिखा हो। ऐसे शोधकर्ता किसी अच्छे स्रोत के रूप में काम करते हैं क्योंकि वे आपको वास्तविक स्थिति समझने में मदद कर सकते हैं, या नई अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकते हैं जो अन्य स्रोत प्रदान नहीं कर सकते। जिन खबरों के लिए तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता हो, उसमें यह ज्यादा जरूरी है।

फिलीपींस में इलेक्ट्रिक कारों की बढ़ती मांग से संरक्षित वर्षावनों पर खतरा– इस खबर का उदाहरण देखें। पीसीआईजे और एनबीसी न्यूज ने साझेदारी परियोजना के तहत यह स्टोरी की। एंड्रयू डब्ल्यू लेहरन और न्यूयॉर्क स्थित उनकी रिपोर्टिंग टीम ने एक जल गुणवत्ता विशेषज्ञ और एक मिट्टी विज्ञान प्रोफेसर से बात की। यह जानना चाहा कि पानी में क्रोमेट के उच्च स्तर होने से क्या खतरा है। मिली जानकारी ने उस पानी के संपर्क में आए लोगों से जुड़ी बातों को सत्यापित किया। इससे प्रदूषण पर रोक की आवश्यकता प्रमाणित हुई।

सिविल सोसायटी संपर्कों का उपयोग करें – नागरिक समाज संगठन या एनजीओ अपने अभियानों के लिए शोध करते हैं। वे अच्छा स्रोत हो सकते हैं। वे पत्रकारों को किसी सरकारी परियोजना या कार्यक्रम से प्रभावित समुदाय के सदस्यों से संपर्क करने में भी मदद कर सकते हैं। आम तौर पर कोई भी चीज़ किसी पत्रकार को किसी स्रोत तक सीधे जाने से नहीं रोकती। एक ईमेल करके या मैसेज भेजकर आप किसी किसान नेता या स्थानीय समाज के लोगों का संपर्क मांग सकते हैं। इससे यह सुनिश्चित हो सकता है कि आप सही व्यक्ति से जुड़ रहे हैं। खासकर उन मुद्दों में जहां, समुदाय के लोग विभाजित हैं। एनजीओ लंबे समय से पत्रकारों के लिए एक स्रोत का काम कर रहे हैं। लेकिन सामान्य नियम अब भी लागू होता है। उनसे या किसी अन्य स्रोत से मिली हरेक जानकारी को सत्यापित करना होगा।

सुझाव: कुछ देशों या विभागों में सरकारी दस्तावेज प्राप्त करना कठिन होता है। वहां ऐसे एनजीओ से संपर्क करें, जो किसी नीति या कार्यक्रम को लेकर सरकारी एजेंसियों जुड़े हों। उनसे आपको ऐसी जानकारी या अंतर्दृष्टि मिल सकती है, जिसे अन्य तरीकों से प्राप्त करना मुश्किल हो।

‘क्राउडसोर्स‘ के जरिए स्रोत की तलाश – सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म से आप किसी विषय संबंधी विश्वसनीय स्रोत की तलाश कर सकते हैं। खासकर ऐसी खबरों के लिए, जिनमें आबादी का एक निश्चित वर्ग शामिल है। जैसे, प्रवासी श्रमिक, डिजिटल मजदूर, बाइकिंग समुदाय। फेसबुक या मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर उनके समूहों में शामिल होकर आप ऐसे स्रोतों को ढूंढ सकते हैं, जिन्हें अन्य तरीकों से ढूंढना मुश्किल है। क्राउडसोर्सिंग की रणनीति किसी खबर की प्रकृति के आधार पर भिन्न होगी। जिन मामलों में पत्रकार भौगोलिक रूप से सीमित है, ऑनलाइन माध्यम से क्राउडसोर्सिंग स्रोत खोज सकते हैं। खबर की प्रकृति के आधार पर आप अपना सही परिचय देकर अपने उद्देश्य का खुलासा कर सकते हैं। लेकिन साइबर अपराध या ऑनलाइन अवैध गतिविधि संबंधी खबरों के लिए पत्रकारों सावधानी बरतना जरूरी है। ऐसे मामलों में अपनी गोपनीयता की सुरक्षा के लिए पहले किसी नकली या डमी खातों के उपयोग कर सकते हैं। एशिया में डिजिटल यौन अपराधों को उजागर करने वाले सीमा पार साझेदारी रिपोर्ट का उदाहरण देखें। इससे जुड़े पत्रकारों ने स्रोतों को खोजने और ऑनलाइन गतिविधियों का निरीक्षण करने के लिए डमी प्रोफाइल का उपयोग किया।

यदि आपको आवश्यकता हो, तो डमी खाते बनाने से पहले अपने संपादक या वकील से बात कर लें। यह सुनिश्चित कर लें कि ऐसा करना किसी स्थानीय कानून के खिलाफ न हो।

सुझाव: क्राउडसोर्सिंग की सीमाओं को समझें। ऑनलाइन स्रोतों की तलाश हमेशा काम नहीं करती है। कुछ स्रोतों को जब पता चलता है कि आप पत्रकार हैं, तो वे प्रतिक्रिया देने में हिचकते हैं। इसलिए स्रोतों का पता लगाने के अन्य तरीकों के साथ क्राउडसोर्सिंग को मिलाने का प्रयास करें।

अपने सोर्सिंग शस्त्रागार का विस्तार करें – स्रोतों का एक नेटवर्क बनाने में सक्षम होना अच्छी बात है। लेकिन जब घटनाक्रम में तेजी से विकास होता है, तब भी पत्रकारों को ऐसे स्रोतों की तलाश करनी चाहिए जो किसी मुद्दे पर नए और सूक्ष्म दृष्टिकोण प्रदान कर सकें। आप अपने सामान्य स्रोतों की सीमा में सीमित न रहें। इस सुविधापूर्ण क्षेत्र से आगे बढ़ें।

स्टोरी के विकास के प्रत्येक भाग में लैंगिक समानता और सामाजिक समावेश (जीईएसआई) परिप्रेक्ष्य लेने का प्रयास करें। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि आपकी रिपोर्टिंग अनसुनी आवाज़ों को बढ़ा रही है। जैसे, बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकी संबंधी खबरों में अधिकांश संपर्क आमतौर पर पुरुष होते हैं। लेकिन महिलाओं तथा वंचित तबकों का समावेश करने से आपकी कहानी में गहराई आती है। यह बात इसे अधिक संपूर्ण बना सकती है और इसे बेहतर कर सकती है।

एक उदाहरण देखें। कोई पत्रकार ग्लोबल साउथ में ‘स्मार्ट सिटी‘ के उदय पर स्टोरी कर रहा है। वहां स्थानीय समुदाय की अधिकांश बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं हुई हैं। जबकि स्मार्ट शहर अपने बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए आधुनिक सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं। इस कहानी में लैंगिक समानता और सामाजिक समावेश (जीईएसआई) दृष्टिकोण कैसे लागू होगा? इसके लिए आपको एक महिला सिविल इंजीनियर की तलाश करनी चाहिए, भले ही पुरुष इंजीनियर आसानी से उपलब्ध हों। हालांकि पुरूष अथवा महिला, दोनों में किसी से आपको उस मामले पर पर्याप्त तकनीकी जानकारी मिल सकती है। लेकिन कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जिन्हें महिला इंजीनियर तुरंत पहचान सकती है जबकि एक पुरुष नहीं कर सकता है। जैसे, शौचालय अथवा माताओं को अपने बच्चों की जरूरतों संबंधी कोई सुविधा। कई समुदायों में अधिकांश महिलाएं गाड़ी नहीं चलाती हैं, इसलिए उनके लिए उचित फुटपाथ जरूरी है। ऐसी चीजों पर एक महिला सिविल इंजीनियर बेहतर समझ प्रस्तुत कर सकती है।

सुझाव: अपनी संपर्क सूची का पुनर्मूल्यांकन और विस्तार करें। कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों से विशेषज्ञों की तलाश करें।

स्रोत की पृष्ठभूमि कैसे जांचें

किसी साक्षात्कार की सफलता के लिए उस व्यक्ति की पृष्ठभूमि की जांच करना महत्वपूर्ण हैं। एक बार कोई स्रोत मिल जाए या उसके साथ साक्षात्कार सुनिश्चित हो जाए, तो उसकी पृष्ठभूमि का पता लगाना जरूरी है। इसके लिए शोध करके उनकी प्रोफ़ाइल तैयार कर लें, तो आपको बेहतर साक्षात्कार रणनीति बनाने में मदद मिलेगी। आप उन सूचनाओं के आधार पर सवाल कर सकते हैं। कई मामलों में ठोस पृष्ठभूमि की जानकारी होने पर उनसे मिली सूचना की जांच करने में सहायता मिलती है।

स्रोत की पृष्ठभूमि जांचने के लिए कुछ सामान्य उपकरण और सुझाव प्रस्तुत हैं –

ऑनलाइन जाकर अनगिनत स्रोत खोजें – यहां ‘अनगिनत‘ शब्द पर ध्यान दें। हम जानते हैं कि ऑनलाइन साझा की गई हर चीज़ सटीक नहीं होती। इसलिए किसी एक स्रोत पर निर्भर न रहकर हम पृष्ठभूमि  जांच में अच्छी शुरुआत कर सकते हैं। इसका मतलब खुले नेटवर्क में विभिन्न स्रोतों के बारे में जानकारी इकट्ठा करना है। जैसे, किसी लेख या वेब पर प्रकाशित अन्य सामग्री, जिसमें सोशल मीडिया खाते, समाचार लेख के टिप्पणी अनुभाग, कोई प्लेटफ़ॉर्म अथवा स्थान शामिल हो।

चेरी सालाज़ार ने बताया कि आम तौर पर वह किसी का साक्षात्कार लेने के लिए उसकी प्रोफाइल, संबद्धता और सार्वजनिक बयानों की जांच करती हें। इसके लिए वह सोशल मीडिया और खोज इंजन पर बूलियन खोजों का उपयोग करती हैं। उन्होंने कहा- ”पृष्ठभूमि की जांच हमें किसी संभावित पूर्वाग्रह की पहचान करने में मदद करती है। साक्षात्कार देने से स्रोत को क्या लाभ होगा? क्या वह कोई  जागरूकता लाना चाहते हैं या अपने करियर या राजनीतिक स्थिति को आगे बढ़ाने के लिए मीडिया का उपयोग करना चाहते हैं? इसे समझना महत्वपूर्ण है।”

यहां कुछ उपकरण दिए गए हैं। पत्रकारों को इन्हें अपने बैकग्राउंडिंग टूलबॉक्स में रखना चाहिए –

Who posted what

हू पोस्टेड व्हाट डॉट कॉम – यह एक कीवर्ड खोज उपकरण है। यह फेसबुक पर दिनांक और विषय के आधार पर पोस्ट, चित्र और वीडियो खोजने की सुविधा देता है। इसे हेंक वैन ईएस, डैनियल एन्ड्रेज़, डैन नेमेक और टॉरमंड गेरहार्डसन ने बनाया है। यह फेसबुक में व्यवस्थित रूप से सर्च की सुविधा देता है। इसमें उपयोगकर्ता गतिविधियों के माध्यम से भारी मात्रा में डेटा मिल सकता है। यदि आप यह खोजना चाहते हैं कि किसी मुद्दे पर किसने क्या पोस्ट किया है, तो इसका उपयोग करें।

इमेज: स्क्रीनशॉट, हू पोस्टेड व्हाट?

 

WhatsMyName

यह ऐप किसी ‘यूजर  नेम‘ को लगभग 600 विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर खोजता है। एक उदाहरण देखें। फिलीपीन के पूर्व सीनेटर मैनी पैकियाओ का ‘यूजर  नेम‘ 63 साइटों पर दिख रहा है। लेकिन इस ऐप का उपयोग सावधानी से करें। यह उम्मीद न करें कि दिखाए गए सभी खाते वास्तव में उसी व्यक्ति से संबंधित हैं। लेकिन इससे उनकी राजनीतिक या खेल गतिविधियों से अलग पृष्ठभूमि तथा संबंध खोजने के लिए उपयोगी हो सकते हैं।

इमेज: स्क्रीनशॉट, व्हाट्स माई नेम

Wayback Machine

‘वेबैक मशीन‘ एक गैर-लाभकारी इंटरनेट आर्काइव है । यह इंटरनेट साइटों की डिजिटल लाइब्रेरी है। वर्ष 1996 में शुरू हुई यह वेबसाइट हर दिन एक अरब से अधिक वेब पेजों को संग्रहित करती है। यह पत्रकारों के लिए उस वक्त खास उपयोगी है, जब किसी जानकारी को उसके मूल वेबसाइट से हटा दिया गया हो।

इमेज: स्क्रीनशॉट, वेबैक मशीन

सोशल मीडिया में सर्च करें- जीआईजेएन ने लोगों की पृष्ठभूमि पर जांच के लिए विभिन्न संसाधन बनाए हैं। ऑनलाइन शोध करने, लोगों और विषयों के बारे में ऑनलाइन जानकारी के लिए हैंक वैन ईएस की सात-अध्याय की मार्गदर्शिका देखें। इसमें फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टिकटॉक, टेलीग्राम और एक्स में सर्च का तरीका बताया गया है। हैंक वैन ईएस ने चेहरे की पहचान तकनीक और दावों के ऑनलाइन सत्यापन में इन उपकरणों के उपयोग संबंधी बेस्ट प्रेक्टिसेस पर भी एक अध्याय लिखा है।

ऑफ़लाइन जाएं, दस्तावेजों के लिए अनुरोध करें- ऑनलाइन शोध से मिली जानकारी का सत्यापन अन्य लोगों या दस्तावेजी स्रोतों के माध्यम से करना आवश्यक है। ऐसा होने पर पृष्ठभूमि जांच का काम सबसे अच्छा होता है। जो जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है, उसे  ऑफ़लाइन माध्यम से पूरी करने का प्रयास करें। किसी अन्य पत्रकार ने वैसे ही विषय पर रिपोर्ट की हो, तो लोगों के व्यक्तिगत और व्यावसायिक मामलों के बारे में अतिरिक्त जानकारी उन पत्रकारों से मिल सकती है। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि, व्यावसायिक कनेक्शन, दोस्त या व्यक्तिगत रुचियां की जानकारी आपके लिए उपयोगी हो सकती है।

अपनी जांच की प्रकृति के आधार पर सरकारी दस्तावेज पाने के लिए सूचना के अधिकार के तहत आवेदन करना भी अच्छा तरीका है। यहां आरटीआई आवेदन पर जीआईजेएन मार्गदर्शिका दी गई है। आप सरकारी अधिकारियों की संपत्ति संबंधी घोषणा, बायोडेटा, अदालती मुकदमों, अभियान संबंधी वित्तीय रिपोर्ट इत्यादि प्राप्त कर सकते हैं। यदि उनके व्यावसायिक संबंध हों, तो कॉर्पोरेट रिकॉर्ड, वित्तीय विवरण और अनुबंधों की प्रतियां भी मांगनी चाहिए।

निजी व्यक्तियों, उद्यमियों, व्यवसाय से जुड़े लोगों की जांच के लिए भी सरकारी दस्तावेज उपयोगी है। उनकी कंपनियों या व्यावसायिक संस्थाओं की गतिविधियों से संबंधित सरकार द्वारा विनियमित रिकॉर्ड से कुछ जानकारी मिल सकती है। इसमें कंपनी लाइसेंस और पंजीकरण रिकॉर्ड, सामान्य सूचना रिपोर्ट, वित्तीय विवरण, अदालती रिकॉर्ड और ब्लैकलिस्ट शामिल हैं। व्यवसाय, अदालतों या खरीद कार्यालयों को विनियमित करने वाली एजेंसियों के माध्यम से पहुंचा जा सकता है, यदि ऐसे रिकॉर्ड सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हों।

स्रोतों से संबंध बनाना

एक पत्रकार और उसके स्रोतों के बीच अच्छा संबंध किसी रिपोर्टिंग परियोजना की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। यह इस बात पर निर्भर है कि हम किस तरह की कहानी कर रहे हैं। सामुदायिक स्रोतों के साथ एक पत्रकार का संबंध अलग किस्म का होगा। लेकिन जिन प्रभावशाली लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, उनके साथ आम तौर पर आपका संबंध भिन्न किस्म का होगा।

सृष्टि जसवाल ने स्रोतों की तलाश करते समय जिज्ञासा लेंस का उपयोग करने की सलाह दी। इस जांच के बाद उनकी स्टोरी Inside the BJP’s WhatsApp Machine काफी चर्चित हुर्द। इस जांच में भाजपा कार्यकर्ताओं से बात करते वक्त उन्होंने कभी भी जवाबदेही के नजरिए से अपने स्रोतों से संपर्क नहीं किया। वह कहती हैं- “मैं हमेशा जिज्ञासा की दृष्टि से उनसे संपर्क करती थी। जब भी उनसे मिली, मैंने कहा कि मैं आपके काम के बारे में जानना चाहती हूं। मैंने कभी उन्हें कोई उपदेश नहीं दिया। मैंने कभी उनके काम के लिए उन्हें जज नहीं किया।“

दूसरी तरफ, इस जांच के दौरान जिन लोगों को जवाबदेह ठहराने की जरूरत है, उन्हें जवाब देने के लिए पर्याप्त समय दिया गया। इसके लिए ‘नो-सरप्राइज लेटर‘ तकनीक लागू की गई। इसका मतलब यह है कि संबंधित लोगों को इस बात का एहसास हो गया कि कहानी में क्या खुलासा होगा।

पत्रकार चेरी सालाज़ार ने अपनी स्टोरी के लिए कई लोगों को कैमरे के सामने रखकर इंटरव्यू किया। वह कहती हैं कि साक्षात्कार के लिए लोगों के साथ एक आरामदायक माहौल बनाने की जरूरत है। अक्सर इस पहलू को अनदेखा कर दिया जाता है। गोपनीय जानकारी साझा करने के इच्छुक लोगों को ऐसे स्थान या मंच पर बुलाना चाहिए, जो उन्हें अपने लिए सुरक्षित लगते हों। कुछ लोग आपसे बात करने में सतर्क होकर हिचक सकते हैं। ऐसे लोगों को यह महसूस कराना होगा कि जानकारी साझा करने या मुद्दों पर प्रतिक्रिया देना खुद उनलोगों के लिए उपयोगी है। इसका मतलब यह नहीं है कि साक्षात्कार को संरक्षणात्मक या गैर-आलोचनात्मक होना चाहिए। इसे पूर्वाग्रह और शत्रुता की धारणाओं से मुक्त होना चाहिए।

वह कहती हैं- “यह बात आम नागरिकों के लिए भी सच है जो अपने जीवन के निजी पहलू साझा करने के लिए समय निकालते हैं। साक्षात्कारों के माध्यम से किसी व्यक्ति के संघर्षों की जानकारी भी एक तरह की गवाही है। यह एक पत्रकार के रूप में हमें मिलने वाला विशेषाधिकार है। लोगों को भी यह महसूस होना चाहिए कि उनकी बात सुनी गई।“

केस स्टडीज

Blind Trust – कतेरीना रोडक और नतालिया ओनिस्को (एनजीएल डॉट मीडिया, मार्च 2023)

इस जांच में चिकित्सा संबंधी कदाचार का पता चला। इसमें यूक्रेन के 22 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। कई साक्षात्कारों के आधार पर यह जांच की गई। इसमें पत्रकारों ने अपने पेशेवर और सामाजिक कौशल का उपयोग करते हुए डॉक्टरों और अन्य गवाहों को बोलने के लिए प्रोत्साहित किया। इस जांच से पता चला कि स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े लोग महंगी दवा के नाम पर सस्ती या नकली दवा देकर मरीजों से असली दवा के पैसे वसूल रहे थे।

Secret Corridors – जोसेफ पोलिसज़ुक, मा. एंटोनियेटा सेगोविया, मारिया डे लॉस एंजेल्स रामिरेज़ (आरमंडो डॉट इन्फो, जनवरी 2022)

इस जांच में दक्षिणी वेनेजुएला में अवैध खनन कार्यों के एक विशाल नेटवर्क का पर्दाफाश किया गया। इसके लिए मशीन लर्निंग का उपयोग किया गया। इस जांच को तेरहवीं ‘ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म कॉन्फ्रेंस’ (सितंबर 2023, स्वीडन) में ग्लोबल शाइनिंग लाइट अवार्ड मिला। यह ‘लार्ज आउटलेट कैटेगरी‘ अवार्ड था। इस जांच में नवीन उपकरणों के उपयोग पर प्रकाश डाला गया। लेकिन सचेत लोगों ने टीम की एक पत्रकार मारिया का पीछा किया। यह बात भी जांच का समर्थन करने के लिए महत्वपूर्ण थी। इससे डेटा की जमीनी सच्चाई बताने की पुष्टि हुई।

Stolen Privacy: The Rise of Image-Based Abuse in Asia– रक़ेल कार्वाल्हो (साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट, मई 2023)

जांच रिपोर्टों की इस श्रृंखला में एशिया के कई देशों में फेक इमेज के जरिए महिलाओं पर हमलों का खुलासा किया गया है। पत्रकार ने पीड़ितों और से जानकारी लेने और सत्यापित करने की आवश्यकता को सावधानीपूर्वक संतुलित किया। यह सुनिश्चित किया कि इस प्रक्रिया में उन्हें दोबारा पीड़ित नहीं बनाया जाए।


करोल इलागन एक फिलिपिनो पत्रकार और पत्रकारिता शिक्षक हैं। फिलीपींस दिलिमन विश्वविद्यालय की फेकेल्टी बनने से पहले उन्होंने मनीला स्थित गैर-लाभकारी फिलीपीन सेंटर फॉर इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म में जांच और साझेदारी परियोजनाओं का नेतृत्व किया। अभी वह खोजी रिपोर्टिंग और डेटा पत्रकारिता पढ़ाती हैं। वह इलागन इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स की सदस्य हैं। वह मिसौरी कोलंबिया विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा भी हैं, जहां वह फुलब्राइट विद्वान थीं।

अनुवाद: डॉ. विष्णु राजगढ़िया

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