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ओपन सोर्स रिपोर्टिंग में अपनी गलतियों से सीखें

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ओपन सोर्स के माध्यम से रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों की एक बड़ी संख्या है। इनके माध्यम से हर दिन विस्मयकारी खोजपूर्ण खबरें सामने आती रहती हैं। इनमें जटिल विषयों के गहन विश्लेषण वाले फ़ोटो अथवा वीडियो सामने आते हैं। इनमें अधिकांश चीजें ऐसी होती हैं, जिन्हें सामान्य रूप से अपने पाठकों को बता पाना मुश्किल लगता है।

‘ओपन सोर्स इंटेलिजेंस‘ पर आधारित रिपोर्टिंग करने वाने लोगों से एक बार आप आश्चर्यचकित हो सकते हैं। हर पत्रकार उनके स्तर तक पहुंचने की आशा नहीं कर पाता। ऐसा लगता है मानो वे जन्मजात प्रतिभाशाली हों। लेकिन ऐसा नहीं है। किसी समय उन लोगों ने भी शुरुआत की होगी। उन्हें भी काफी असफल होना पड़ा होगा। अब भी ऐसा होने के बावजूद वे प्रयास करते हैं। यही चीज़ उन्हें महान बनाती है।

‘ओपन सोर्स इंटेलिजेंस’ (OSINT)  का आजकल पत्रकारिता में काफी उपयोग है। सोशल मीडिया के विभिन्न चैनलों पर आई सूचनाओं, फोटो, वीडियो की जांच और विश्लेषण के माध्यम से कई जानकारियों तक पहुंचना संभव है। लेकिन इस मामले में कई प्रकार की असफलता मिलना स्वाभाविक है। यह कुछ हद तक अपेक्षित भी है। संभव है कि सबूत का एक हिस्सा गायब होने के कारण किसी जांच का महत्वपूर्ण पक्ष सामने नहीं आ पाए। किसी फोटो या वीडियो को जियोलोकेट नहीं कर पाने अथवा कोई पहचान सामने नहीं आ पाने के कारण ऐसा हो सकता है। आपने भले ही सर्वश्रेष्ठ प्रयास किए हों, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। अभी के लिए यह ठीक है। अपर्याप्तता और हताशा का शिकार होना आसान है। लेकिन इससे आपका काम नहीं चलेगा।

इसलिए आइए, अपनी कमियों को स्वीकार करना सीखें। कुछ ऐसे रास्तों की तलाश करें, जो आपको एक बेहतर ओपन सोर्स विश्लेषक या अन्वेषक बनने में मदद करे।

आत्मविश्वास का ख़तरा : हर कदम पर सत्यापन करें

मैंने अनगिनत बार यह मान लिया कि मैं सही रास्ते पर हूं। लगता था कि अपनी जांच की प्रक्रिया का सावधानीपूर्वक पालन कर रही हूं। लेकिन अचानक ऐसे मोड़ पर आ गई जहां कुछ नहीं मिला। मुझे जो जानकारी मिलने की उम्मीद थी, वह कहीं नहीं मिल पाई। जांच के कई बिंदु आपस में जुड़ नहीं पाते थे।

ऐसे स्तर पर पहुंचने के बाद पीछे मुड़कर देखना जरूरी है। उन सभी कदमों का पुनर्मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है, जो हमें वहां तक ले गए। हमने जरूर कोई गलती की है। जांच के दौरान बाद में उस गलती को पहचानना और सुधारना आसान होता है। लेकिन अगर बाद में यही काम ज्यादा चुनौतीपूर्ण होता है।

किसी भी जांच में आगे बढ़ने के दौरान अपने सभी डेटा की जांच करने की आदत डालना जरूरी है। बगैर जांच के किसी भी चीज़ को सहज तौर पर नहीं मान लेना चाहिए। आपका काम जांच की सभी प्रक्रिया को दो या तीन बार जांचना है। ऐसा करके जब आप अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचें, तो उस पर पूरी तरह आश्वस्त हों।

एक अच्छा ‘ओपन सोर्स इंटेलिजेंस‘ विश्लेषक कोई लापरवाही नहीं बरतता। ऐसी छोटी-छोटी असफलता जांच के हर चरण में सतर्क रहने की याद दिलाती हैं। यह हमें अपनी सूची के दूसरे आइटम अति-आत्मविश्वास पर लाता है।

निश्चितता का भ्रम : विफलता से अतिआत्मविश्वास पर अंकुश लगता है, विश्लेषण में सुधार आता है

जांच के दौरान हम सभी प्रक्रिया का विश्लेषण करने की अपनी क्षमता को परिष्कृत करते हैं। इसके कारण गलत सूचना को पहचानने, पूर्वाग्रहों से बचने और निष्कर्ष तक पहुंचने में हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है। यह बढ़ा हुआ आत्मविश्वास एक अच्छी चीज है। लेकिन ‘ओपन सोर्स इंटेलिजेंस‘ मामले में इससे एक ख़तरा भी है।

कई बार आपको महसूस होगा कि आपने सब कुछ ठीक किया है। आपने हर चीज़ की दोबारा जांच कर ली है। फिर भी आप किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुँच पाये। यह हम सभी के साथ होता है। यह एक सबक है कि हम ग़लतियों से परे नहीं हैं। ऐसी विफलता से ‘ओपन सोर्स इंटेलिजेंस‘ विश्लेषकों को जमीन से जुड़े रहने में मदद मिलती है। आप कोई ऐसे व्यक्ति नहीं हैं, जो सत्य की कुंजी रखने का दावा करता हो। कोई भी अच्छा ‘ओपन सोर्स इंटेलिजेंस‘ विश्लेषक यह दावा नहीं कर सकता कि उसने सब कुछ पता लगा लिया है। जो लोग ऐसा करते हैं, वे केवल खुद को मूर्ख बना रहे हैं। निश्चितता बेहद आकर्षक है, लेकिन यह एक भ्रम है।

तेज बनें: आत्मसुधार के लिए असफलता को स्वीकार करें

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने कुशल हैं। कई मामलों में ऐसी बात हो सकती है, जो आपको अधूरा महसूस कराएगी। ऐसे कई लोग आपके सामने आ सकते हैं, जिनसे आपको अपनी कमियों का एहसास होगा।

जब आप ‘ओपन सोर्स इंटेलिजेंस‘ की यात्रा शुरू करेंगे तो आपका सामना कई प्रभावशाली पेशेवरों से होगा। वह हर जगह हैं। आप संभवतः उनकी तरह अच्छा बनने की आकांक्षा रखेंगे। शायद आप भी उनसे बेहतर बनना चाहें। मैंने निश्चित रूप से ऐसा किया। मैंने खुद से कहा- “एक दिन, मैं इस व्यक्ति को हरा दूंगी। मैं अपना काम तेजी से करूंगी। मैं इसे बेहतर तरीके से करूंगी।“ मेरे मन में एक बहुत स्पष्ट लक्ष्य था।

लेकिन पिछले वर्षों में उनमें से एक भी व्यक्ति को मैं हरा नहीं सकी। कारण यह कि उनकी प्रतियोगिता मेरे साथ नहीं थी। वे खुद अपनी बड़ी यात्रा की ओर बढ़ रहे थे। वह लोग शायद उन लोगों से आगे निकलने का प्रयास कर रहे थे जिन्हें वे खुद से बेहतर महसूस करते थे।

दूसरों से बेहतर करने की कोशिश हमें अपना सुधार करके कौशल विकसित करने और उत्कृष्टता की तलाश के लिए मजबूर करती है। आपको एहसास होगा कि अब आप दूसरों से नहीं बल्कि अपने अतीत से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। यह आत्म-सुधार के लिए एक अद्भुत उत्प्रेरक है।

निष्कर्ष

ओपन सोर्स क्षेत्र में काम करने का मतलब डेटा के अंतहीन समुद्र में गोते लगाना है। आप सामग्री के समुद्र में नेविगेट करना, हर चीज़ को सत्यापित करना और गुत्थियों को एक साथ जोड़कर हल करना सीखते हैं। हालांकि, ऐसे भी दिन आएंगे जब आप असफल होंगे। आपके सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद काम नहीं हो पाएगा। आपको लग सकता है कि शायद ‘ओपन सोर्स इंटेलिजेंस‘ आपके लिए नहीं है। वे दिन आते हैं और चले जाते हैं। लेकिन आप उनसे कैसे निपटते हैं, इससे फर्क पड़ेगा कि आप किस प्रकार के पेशेवर बनेंगे।

असफलता डरने की चीज नहीं। यह वश में करने की चीज़ है। हमें इसका पूर्वानुमान लगाना चाहिए। हमें इसे अपनाते हुए व्यक्तिगत विकास के लिए इसका उपयोग करना चाहिए। जो लोग असफलता से कतराते हैं, उनमें ठहराव आता हैं। अच्छे ‘ओपन सोर्स इंटेलिजेंस‘ में उनके लिए कोई जगह नहीं है।

यह आलेख मूल रूप से इस साइट पर प्रकाशित हुआ था। इसकी शैली में मामूली संपादन करते हुए अनुमति लेकर यहां पुनः प्रकाशित किया गया है। आप मूल आलेख का वीडियो संस्करण भी देख सकते हैं।


सोफिया सैंटोस, सेंटर फॉर इंफॉर्मेशन रेजिलिएंस में एक वरिष्ठ ‘ओपन सोर्स इंटेलिजेंस‘ विश्लेषक और टीम लीडर हैं। यहां वह मानवाधिकार हनन, सशस्त्र संघर्ष और आतंकवादी गतिविधि की निगरानी, विश्लेषण और जांच करती हैं। उनका जन्म पुर्तगाल में हुआ था। वर्तमान में वह यूके में रहती हैं।

अनुवाद : डॉ विष्णु राजगढ़िया

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