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अध्याय 3: सुरक्षा, भेदभाव और उत्पीड़न
सुरक्षा की परवाह सभी पत्रकारों को है। लेकिन महिलाओं के लिए असुरक्षा के विविध रूप हैं। उन्हें लिंग आधारित हिंसा, उत्पीड़न, मीडिया संगठन और क्षेत्र में भेदभाव जैसे अतिरिक्त खतरों का सामना करना पड़ता है। उन्हें ऑनलाइन हमलों का निशाना बनाने के मामले भी अधिक देखी जाती है। इसलिए मीडिया उद्योग में महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए संसाधनों की जानकारी यहां प्रस्तुत है।
रिसोर्सेस ऑन द सेफ्टी ऑफ वुमेन जर्नलिस्ट्स – (यूनेस्को)
The Chilling: लैंगिक ऑनलाइन हिंसा से निपटने के लिए समाचार संगठन क्या करें – (यूनेस्को की रिपोर्ट, 2022)
यूनेस्को का न्यूजलेटर भी सदस्यता लेने योग्य है।
How to Report Safely: Strategies for Women Journalists & Their Allies) – यह नाइट सेंटर का एक निःशुल्क ऑनलाइन पाठ्यक्रम है।
How to Report Safely — Resources for Women Journalists, Newsrooms, and Allies) – यह यूट्यूब पर एक वीडियो है। यह फ्रेंच और स्पैनिश में भी उपलब्ध है। (यूनेस्को, नाइट सेंटर, आइडब्ल्यूएमएफ)
Physical Safety: Solo Reporting तथा Physical Safety: Mitigating Sexual Violence – कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने वर्ष 2019 में यह दोनों संसाधन बनाए हैं। सीपीजे ने अमेरिका और कनाडा में महिला पत्रकारों के सुरक्षा मुद्दों पर सर्वेक्षण किया। उसका विवरण इस ब्लॉग पोस्ट में है। सीपीजे सेफ्टी नोट्स में नए अनुभाग जोड़े गए हैं। इससे जर्नलिस्ट सिक्यूरिटी गाइड को विस्तार मिलता है।
International Women’s Media Foundation – इसने महिला पत्रकारों को कानूनी, चिकित्सा और स्थानांतरण सहायता के लिए एक आपातकालीन कोष बनाया है।
जीआईजेएन (GIJN ) ने सुरक्षा गाइडों और संगठनों का एक सामान्य संसाधन पृष्ठ संकलित किया है। यह किसी खतरे में पत्रकारों को सहायता संबंधी जानकारी देता है। ऐसी सहायता में चिकित्सा और कानूनी सहायता से लेकर पत्रकार को किसी देश से बाहर ले जाने जैसी सुविधा भी शामिल है, जहां उनकी सुरक्षा को खतरा है।
European Center for Press & Media Freedom – इसने एक अलार्म सेंटर लॉन्च किया है। महिला पत्रकार इसमें अपना एन्क्रिप्टेड मैसेज (गोपनीय संदेश) भेजकर किसी हमले की रिपोर्ट कर सकती हैं, मदद मांग सकती हैं। इस योजना के संचालकों का वादा है कि कोई महिला कर्मचारी ही आपकी रिपोर्ट को गोपनीय रूप से पढ़ेगी।
Coalition Against Online Violence (CAOV)) (सीएओवी) – इसे 45 पत्रकारिता और ऑनलाइन सुरक्षा संगठनों ने बनाया है। इसमें ऑनलाइन उत्पीड़न का सामना करने वाली महिला पत्रकारों को मदद मिलती है।
Safety of Women Journalists – यह ‘फ्री प्रेस अनलिमिटेड‘ का रिसोर्स गाइड है।
International Federation of Journalists (आईएफजे) – यह महिला पत्रकारों पर हिंसा रोकने का अभियान चलाता है। International Labour Organization इस अभियान में सहयोग करता है। इसके संसाधनों में टूलकिट, प्रकाशन और प्रासंगिक नीतियों के लिंक शामिल हैं। आईएफजे समस्याओं का सीधे समाधान करने और सार्थक परिवर्तन के लिए स्थानीय सरकारों पर दबाव डालने के लिए सहायता और संसाधन प्रदान करता है। नवंबर 2019 में आईएफजे ने महिला पत्रकारों की ऑनलाइन ट्रोलिंग के खिलाफ सामूहिक लड़ाई संबंधी दिशानिर्देश जारी किए।
महिला पत्रकारों को सुरक्षा और कल्याण के साथ अपनी देखभाल भी जरूरी है। अधिक थकान अथवा बर्नआउट से बचने, किसी सदमे अथवा आघात का असर कम करने और अपना ध्यान केंद्रित करने के लिए सुबह-शाम अभ्यास के लिए आईडब्ल्यूएमएफ का योग वीडियो देखें। इसे विशेष रूप से महिला पत्रकारों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
Troll-Busters.com – यह एक वैश्विक अभियान है। यह पत्रकारों को ऑनलाइन ‘कीट-नियंत्रण‘ उपलब्ध कराता है। यह अभियान महिला पत्रकारों पर केंद्रित है। यह ऑनलाइन खतरों और उत्पीड़न की पहचान, रोकथाम और रिपोर्टिंग में विशेषज्ञता रखता है। उनके पास महिला पत्रकारों के लिए विशिष्ट संसाधन और प्रशिक्षण की सुविधा भी हैं।
PEN America – इसने ऑनलाइन नफरत और उत्पीड़न से बचाव के लिए व्यावहारिक उपकरणों और सुझावों का Online Harassment Field Manual बनाया है। इसे साइबर-स्टॉकिंग, डॉक्सिंग, घृणास्पद बातों और डिजिटल उत्पीड़न के अन्य रूपों पर सलाह, मार्गदर्शन और संसाधनों की वन-स्टॉप शॉप के रूप में पेश किया गया है। इसमें ‘क्या करें‘ के तहत उपयोगी सलाह दी गई है। इस संसाधन में अमेरिका के संबंधित कानूनों की जानकारी भी शामिल है।
Byte Back – महिला पत्रकारों के ऑनलाइन उत्पीड़न और साइबर हमलों को रोकने के लिए वर्ष 2016 में यह अभियान शुरू किया गया था। एशिया प्रशांत क्षेत्र में International Federation of Journalists और साझेदार संगठनों ने इसे प्रारंभ किया। यह अभियान ऑनलाइन उत्पीड़न और ट्रोलिंग से निपटने के लिए संसाधन, रणनीति और सहायता प्रदान करता है।
Access Now’s Digital Security Helpline – यह दुनिया भर के लोगों और संगठनों के साथ निःशुल्क काम करती है। इसमें डिजिटल सुरक्षा प्रथाओं को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। अंग्रेजी, स्पेनिश, फ्रेंच, जर्मन, पुर्तगाली, रूसी, ऑस्ट्रोनेशियन भाषा तागालोग, अरबी और इतालवी में दो घंटे के भीतर त्वरित प्रतिक्रिया और आपातकालीन सहायता मिल सकती है।

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A DIY Guide to Feminist Cybersecurity – इसमें ऑनलाइन ट्रैकिंग, हेराफेरी और गोपनीयता टूल को बाधित करने, मैलवेयर से बचाव, मजबूत प्रमाणीकरण प्रथा, सोशल मीडिया पर गोपनीयता के साथ ही डिवाइस और संचार एन्क्रिप्शन के लिए टूल शामिल हैं।
Speak Up & Stay Safe(r): A Guide to Protecting Yourself From Online Harassment – ऑनलाइन उत्पीड़न से बचाव के लिए यह ‘फेमिनिस्ट फ्रीक्वेंसी‘ का गाइड है। इसमें डॉक्सिंग से निपटने की रणनीति, सोशल मीडिया और गेमिंग प्लेटफ़ॉर्म पर गोपनीयता, कंपार्टमेंटलाइज़ेशन प्रथा, प्रमाणीकरण सुरक्षा को मजबूत करना, व्यक्तिगत वेबसाइट सुरक्षा, भौतिक मेल गोपनीयता का वर्णन और संबंधित सलाह उपलब्ध है।
Alerta Machitroll – यह कोलंबिया स्थित स्पेनिश भाषा का अभियान है। इसे महिलाओं के खिलाफ डिजिटल हिंसा का मुकाबला करने के लिए Fundación Karisma ने वर्ष 2015 में शुरू किया था। यह समूह हास्यपूर्ण तरीकों के साथ ऑनलाइन उत्पीड़न से लड़ने के लिए एक Alert Generator और स्वयं-सहायता रणनीति प्रदान करता है।
Crash Override Network’s resource center– यह ऑनलाइन हमलों के मामलों में उपयोगी टूल, गाइड और सेवाओं को सूचीबद्ध करता है। इनमें डॉक्सिंग और सहमति लिए बगैर व्यक्तिगत फोटो लेने पर रोक के तरीके बताए गए हैं। इसमें व्यक्तिगत डेटा, पासवर्ड और उपकरणों की सुरक्षा भी शामिल है।
Online SOS – यह एक एनजीओ है। यह ऑनलाइन उत्पीड़न से निपटने के लिए अमेरिकी पत्रकारों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह कानून प्रवर्तन, कानूनी उपचार, रोजगार संबंधी विकल्प, केस प्रबंधन, प्लेटफार्मों पर वृद्धि, विशेषज्ञ रेफरल और संकट के संमय परामर्श जैसी मुफ्त सहायता प्रदान करता है।
Take Back the Tech – यह एक वैश्विक साझेदारी अभियान है। इसका उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए प्रौद्योगिकी पर नियंत्रण रखना है। इसमें प्रौद्योगिकी-संबंधी उत्पीड़न के पीड़ितों को सहायता, उपकरणों के लिए डिजिटल सुरक्षा टूलकिट और अधिकारों, अपनी देखभाल और उत्तरजीवी रणनीतियों के लिए संसाधन प्रदान किए जाते हैं। स्थानीय अभियान चलाने में भी समर्थन और मदद मिलती है।
The Worst (& Safest) Countries for Solo Female Travel in 2019 – ट्रैवल जर्नलिस्ट एशर फर्ग्यूसन और लिरिक बेन्सन ने 50 देशों का यह अध्ययन पेश किया है। इसमें 42 सुझाव भी दिये गए हैं कि अकेले यात्रा करते समय महिलाएं कैसे सुरक्षित रह सकती हैं।
Safety of Female Journalists Online – यह 200 पेज की संसाधन मार्गदर्शिका है। मीडिया की स्वतंत्रता पर ओएससीई प्रतिनिधि के कार्यालय (आरएफओएम) इसे विकसित किया गया है।
भेदभाव और उत्पीड़न पर संसाधन
कार्यस्थल पर मलिओं के साथ भेदभाव और उत्पीड़न कई उद्योगों में गंभीर समस्या है। पत्रकारिता में भी यह आम समस्या है। काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 18 देशों में अब भी महिलाओं को काम करने के लिए अपने पति की अनुमति जरूरी है। हैरानी की बात है कि 59 देश महिलाओं को कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न के खिलाफ कोई कानूनी सुरक्षा प्रदान नहीं करते हैं। यहां तक कि 104 देशों में महिलाओं को कई प्रकार की नौकरियों से प्रतिबंधित किया गया है। महिलाओं के साथ वेतन भेदभाव की समस्या भी वैश्विक है। इसलिए ऐसे मामलों में महिला पत्रकारों को बेहतर जानकारी आवश्यक है। कार्यस्थल पर लिंग भेदभाव और यौन उत्पीड़न में सहायता के लिए कुछ संसाधन नीचे दिए गए हैं।
Women in News – इसने मीडिया संगठन में यौन उत्पीड़न से निपटने और रोकने के लिए नियोक्ताओं और कर्मचारियों के लिए एक टूलकिट विकसित किया है। इसका अरबी, स्पेनिश, फ्रेंच, वियतनामी, बर्मी और रूसी में भी अनुवाद किया गया है। इस टूलकिट में एक व्यावहारिक मार्गदर्शिका, जागरूकता पोस्टर, नमूना नीतियां, सर्वेक्षण और संचार टेम्पलेट शामिल हैं। इसके पास प्रबंधकों को महिलाओं के लिए बेहतर कामकाजी माहौल बनाने में मदद करने के लिए विभिन्न संसाधन भी हैं। यह संगठन उप-सहारा अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया में काम करता है। उनका पॉडकास्ट, द बैकस्टोरी मीडिया संगठनों में महिला नेतृत्व के मुद्दों की पड़ताल करता है।
Women Deserve Better. The WHO Could Lead the Way – यह प्रोफेसर शीला ट्लौ और न्यूजीलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री आरटी माननीय हेलेन क्लार्क द्वारा लिखित 2022 का विश्लेषण है।
Gender & Language– लिंग भेद पर आधारित भाषा किस तरह गैर-बाइनरी लोगों को प्रभावित करती है, और समाज उन्हें कैसे देखता है, इस पर यह उपयोगी संसाधन है।

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Reporting on Sexual Violence in Conflict (डार्ट सेंटर यूरोप) – जिम्मेदार पत्रकारिता के माध्यम से उन अपराधों पर ध्यान आकर्षित करना और समझ विकसित करना संभव है, जिनके लिए लोगों को पर्याप्त शब्द नहीं मिलते। जबकि लापरवाह रिपोर्टिंग के कारण संकट गहरा हो सकता है। यह बचे हुए लोगों को अधिक खतरे में डालकर चीजों को बदतर बना सकती है। यह दिशानिर्देश पत्रकारों और फिल्म निर्माताओं द्वारा लिखे गए हैं, जो संघर्ष संबंधी यौन हिंसा के मुद्दों पर काम करते हैं। उनकी मान्यता है कि एक सामूहिक उद्यम के रूप में पत्रकारिता को सर्वोत्तम प्रथाओं को परिभाषित करने और साझा करने के लिए और अधिक प्रयास करने चाहिए। इसका लक्ष्य अधिक सटीक और व्यावहारिक रिपोर्टिंग प्राप्त करना है। साथ ही, उन बहादुर लोगों की कहानियाँ बताना तथा नुकसान के जोखिम को कम करना भी जरूरी है।
A survey on online violence against women journalists – इसे यूनेस्को और इंटरनेशनल सेंटर फॉर जर्नलिस्ट्स (आईसीएफजे) ने मिलकर प्रकाशित किया। यह सर्वेक्षण ऑनलाइन हिंसा पर अब तक का सबसे व्यापक और भौगोलिक रूप से विविध सर्वेक्षण है। इसमें 113 देशों की 714 महिला पत्रकारों से प्रतिक्रिया प्राप्त हुईं।
International Federation of Journalists – यह महिला पत्रकारों के खिलाफ हिंसा को रोकने के अभियान में International Labor Organization के साथ काम कर रहा है। इसके संसाधनों में टूलकिट, प्रकाशन और लैंगिक वेतन अंतर सहित प्रासंगिक नीतियों के लिंक शामिल हैं। आईएफजे उत्पीड़न सहित समस्याओं को सीधे संबोधित करने और सार्थक परिवर्तन के लिए स्थानीय सरकारों पर दबाव डालने के लिए सहायता और संसाधन प्रदान करता है।
TIME’S UP Legal Defense Fund – यह अमेरिका में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न और प्रतिशोध का अनुभव करने वाली महिलाओं को वकीलों और मीडिया विशेषज्ञों से जोड़ता है।
Press Forward – यह वाशिंगटन स्थित है। इसके पास कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का शिकार होने वाली पत्रकारों के लिए चरणबद्ध मार्गदर्शिका और अन्य प्रासंगिक संसाधन हैं। इन्हें अमेरिकी कानूनों और नीतियों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है। लेकिन यह अन्य देशों के लिए भी उपयोगी है।
Prenons la une – यह फ्रांस में महिला पत्रकारों का एक संघ है। यह मीडिया में महिलाओं के उचित प्रतिनिधित्व और न्यूज़रूम में पेशेवर समानता की वकालत करता है। यह नेटवर्क भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करने वाली महिलाओं को सहायता प्रदान करता है।
Brazilian Association of Investigative Journalism (अब्राजी) – इसने मीडिया उद्योग में महिलाओं के सामने चुनौतियों पर शोध किया। इसके निष्कर्षों के आधार पर Mulheres No Jornalismo Brasileiro ने लिंग-आधारित उत्पीड़न, भेदभाव और हिंसा को संबोधित करने के लिए ब्राजील के मीडिया संगठनें हेतु सिफारिश तैयार की। वर्ष 2018 में, पचास ब्राज़ीलियाई महिला पत्रकारों ने भी Facebook और Twitter पर हैशटैग #DeixaElaTrabalhar का उपयोग करके यौन उत्पीड़न और भेदभाव के खिलाफ एक वीडियो घोषणापत्र जारी किया था। इस हैशटैग का मतलब ‘महिलाओं को काम करने दें‘ है।
मी-टू आंदोलन के जवाब में कैमरून मीडिया वूमेन ने 2018 में एक व्हाट्सएप ग्रुप और एक फेसबुक पेज Facebook page लॉन्च किया। #StopSexualHarassment237 हैशटैग के साथ कैमरून के देश कोड का उपयोग किया। इसमें महिला पत्रकारों ने ट्विटर पर चर्चा की। मीडिया संगठनों में महिलाओं के सामने आने वाले मुद्दों पर चर्चा करते हुए वीडियो साझा किए गए।
मी-टू आंदोलन ने एशिया में धूम मचा दी। अनकवरिंग एशिया 2018 में जीआईजेएन पैनल में इसका प्रभाव दिखा। इसमें महिला पत्रकारों ने चीन और जापान में यौन उत्पीड़न और हमले की जांच और कवरेज पर कहानियां और सुझाव साझा किए। इसके अलावा, यहां जीआईजीएन के हांगकांग ब्यूरो से चीन में मी-टू आंदोलन को कवर करने में खोजी पत्रकारों की भूमिका पर एक श्रृंखला है।
The Second Source– यूके में इसे मीडिया में महिला पत्रकारों के उत्पीड़न से निपटने के लिए स्थापित किया गया था। इस संगठन का लक्ष्य जागरूकता को बढ़ावा देना, महिलाओं को उनके अधिकारों की जानकारी देना और उद्योग में बदलाव लाना है।
Glass Ceilings: Women in South African Media Houses– यह Women in News द्वारा किया गया एक अध्ययन है। यह मीडिया संगठनों में लिंगवाद के सामान्य मुद्दों की पहचान करता है। यह उन्हें संबोधित करने के लिए सुझाव भी पेश करता है।
Digital Women Leaders – इसमें महिला पत्रकारों को कार्यस्थल पर भेदभाव, उत्पीड़न और वेतन अंतर जैसे मुद्दों पर तीस मिनट का मुफ्त व्यक्तिगत कोचिंग प्रदान किया जाता है।
Digital Women Leaders – इसने आईडब्ल्यूएमएफ के साथ मिलकर विभिन्न भाषाओं में कई ऑनलाइन पाठ्यक्रम बनाए हैं। यह महिला पत्रकारों के उत्पीड़न से निपटने पर आधारित है।
अनुवादः डॉ. विष्णु राजगढ़िया