

Типы подходы, методы и техника интервью. Иллюстрация: Смаранда Толосано для GIJN.
खोजी पत्रकारिता में साक्षात्कार तकनीक
पत्रकारिता में साक्षात्कार बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह बात खोजी रिपोर्टिंग पर भी लागू होती है। मजबूत खोजी रिपोर्ट में कई साक्षात्कार शामिल होते हैं। किसी लीक या स्टोरी आइडिया की पुष्टि करने के प्रारंभिक कदम के तौर पर साक्षात्कार काफी उपयोगी हो सकता है। तथ्यों की खोज के लिए मुख्य स्रोतों के साथ साक्षात्कार की जरूरत पड़ सकती है। खोजी रिपोर्टर को अपनी स्टोरी के लिए इंटरव्यू के माध्यम से कई सुराग मिल सकते हैं।
साक्षात्कार करना उतना आसान नहीं होता, जितना यह लगता है। अच्छा साक्षात्कारकर्ता महत्वपूर्ण सुरागों के प्रति चौकस, अंतर्दृष्टिपूर्ण और सतर्क रहता है। अच्छे इंटरव्यू के लिए विभिन्न प्रकार के ज्ञान, कौशल और गंभीर तैयारी की जरूरत पड़ती है। इस अध्याय में विभिन्न प्रकार के साक्षात्कारों, दृष्टिकोण और तकनीक की जानकारी दी गई है। इनसे आपको यह पता चल सकता है कि आप सही रास्ते पर हैं। प्रभावी इंटरव्यू के बाद अन्य खोज और दस्तावेज़ीकरण करके अंत में अपनी स्टोरी लिखने का महत्वपूर्ण काम किया जाता है।
सामान्य साक्षात्कार और खोजी साक्षात्कार में फर्क
साक्षात्कार कई प्रकार के हैं। किसी टीवी एंकर के लिए साक्षात्कार अनौपचारिक या हल्का-फुल्का हो सकता है। लेकिन एक खोजी रिपोर्टर के लिए यह काम बिल्कुल अलग है। उसके लिए हरेक साक्षात्कार सत्य की खोज का एक अवसर होता है। यह एक महत्वपूर्ण क्षण होता है। इस दौरान सचेत नहीं रहने पर पत्रकार कोई बड़ा अवसर चूक सकता है। लेकिन यदि सब कुछ ठीक रहा, तो उसे कोई अप्रत्याशित और बड़ा रहस्य हाथ लग सकता है।
खोजी पत्रकार के लिए साक्षात्कार किसी विषय का लगातार पीछा करने से जुड़ा काम है। एक प्रश्न का उत्तर आपको दूसरे प्रश्न की ओर ले जाता है। खोजी रिपोर्टिंग में हमें सिखाया जाता है कि किसी भी बयान, उत्तर या तथ्य को तब तक सच न मानें, जब तक वह सिद्ध न हो जाए। तथ्य जांच के आधार पर ही किसी चीज को सच मानना है। इसलिए खोजी साक्षात्कारकर्ता की भूमिका काफी चुनौतीपूर्ण है। यह काम किसी कानूनी फोरेंसिक साक्षात्कार जैसा हो सकता है। हालांकि कानूनी अधिकारियों के पास अलग शक्ति होती है। उनकी भूमिका और दृष्टिकोण भी अलग हैं। इसके बावजूद खोजी रिपोर्टर और पुलिस अधिकारी में कुछ समानता है। दोनों का काम सवाल-जवाब के माध्यम से सच जानना या तथ्यों को स्थापित करना है।
किसी खोजी कहानी पर काम करते समय रिपोर्टर को अधिक जानकारी के लिए साक्षात्कार की आवश्यकता होती है। इससे रिपोर्टर की धारणाओं की पुष्टि या खंडन करना संभव होता है। प्रारंभिक स्रोतों के बयानों या आरोपों को सत्यापित करना हो, या स्रोतों का सामना करना हो, हर मामले में इंटरव्यू की महत्वपूर्ण भूमिका है।
इसलिए, किसी भी साक्षात्कार में आपको बातचीत पर नियंत्रण रखने में सक्षम होना जरूरी है। विभिन्न परिस्थितियों और पात्रों को अनुकूलित करने में आपकी कुशलता जरूरी है। जब तक कोई आपसे बात करने में सहज नहीं होगा, तब तक वह अपनी सारी बात आपको नहीं बताता। इसी बात में साक्षात्कार की कला निहित है। खोजी पत्रकारों के लिए इसमें महारत हासिल करना आवश्यक है।
कुछ साक्षात्कार अच्छी तरह से नियोजित होते हैं। इनके लिए औपचारिक साक्षात्कार संबंधी अनुरोध ईमेल या फ़ोन कॉल द्वारा पहले भेजा जाता है। अफ्रीका सहित कुछ देशों में किसी सरकारी अधिकारी का साक्षात्कार लेने के लिए एक आधिकारिक पत्र आवश्यक हो सकता है।
कई बार कोई साक्षात्कार अचानक हो सकता है। यह तब होता है जब रिपोर्टर ‘संयोगवश‘ किसी व्यक्ति के सामने आ जाए, जिस तक पहुंचना मुश्किल हो। किसी मामले में रिपोर्टर किसी व्यक्ति के पास अचानक जाकर इंटरव्यू करने का विकल्प चुन सकता है। ऐसे मामलों में सफलता की हमेशा गारंटी नहीं होती। लेकिन कुछ मामलों में यह प्रयास कारगर हो सकता है।
इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टर्स एंड एडिटर्स (आईआरई) द्वारा संपादित एक गाइड उपयोगी है। यह वर्ष 2016 में न्यू ऑरलियन्स सम्मेलन पर आधारित है। इसमें जूलियन शेर (प्रोड्यूसर, द फिफ्थ एस्टेट, सीबीसी) ने तीन प्रकार के साक्षात्कारों का वर्णन किया है-
- जानकारी पाने के लिए
- भावनाओं को समझने के लिए
- किसी को उसके कार्यों हेतु उत्तरदायी बनाने के लिए
आपके द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों के प्रकार को कई चीजें निर्धारित करती हैं। कई बार एक ही इंटरव्यू में उक्त तीनों बातों को जोड़ा जा सकता है।
इंटरव्यू की तैयारी
किसी अच्छे साक्षात्कार के लिए उसकी पहले ही तैयारी जरूरी है। खोजी रिपोर्टर का साक्षात्कार कोई अपवाद नहीं हो सकता। इसमें तो अधिक तैयारी की जरूरत है। खोजी पत्रकार किसी संवेदनशील, विवादास्पद, जटिल मुद्दे पर काम कर रहे होते हैं। वह किसी सच्चाई को उजागर करना चाहते हैं, जिसे छुपाया गया हो। इसलिए ऐसे इंटरव्यू में प्रभावी जांच के लिए जिस व्यक्ति से पूछताछ करनी है, उसकी पृष्ठभूमि और वातावरण पर पर्याप्त शोध करना जरूरी है।
खोजी साक्षात्कार के लिए अनुसंधान
अच्छे खोजी पत्रकार अच्छे शोधकर्ता होते हैं। किसी भी साक्षात्कार से पहले जिस हद तक संभव हो, संबंधित मामले के सभी तथ्यों को जानना महत्वपूर्ण है। उस व्यक्ति के पिछले बयानों या उसके स्टैंड की तलाश करें। उसके खिलाफ कोई आरोप हो, तो इसका पता लगाएं। जांच के लिए उस विषय वस्तु का अच्छा ज्ञान भी आवश्यक हे। उस व्यक्ति के सामाजिक जीवन और शौक के बारे में जानने से मदद मिल सकती है। उसकी दिलचस्पी के अनुसार फुटबॉल, संगीत, किताबों या विदेशी स्थानों के बारे में थोड़ी बातचीत करना लाभदायक हो सकता है।
अगर आपके पास इन चीजों की जानकारी नहीं तो साक्षात्कार के दौरान आप कमजोर पड़ सकते हैं। सामने वाला व्यक्ति ही स्थिति को नियंत्रित करने लगेगा। जबकि इसका उल्टा होना चाहिए। पूरी प्रक्रिया पर हर समय आपका नियंत्रण होना चाहिए। किसी तीखे या टकराव वाले साक्षात्कार में पहले से पूरा शोध करना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। ऐसे मामलों में खोजी रिपोर्टर किसी सच्चाई को स्थापित करना चाहता है। संभव है कि जिस व्यक्ति का साक्षात्कार लिया जा रहा है, उसने पहले कभी उस बात को स्वीकार नहीं किया गया हो। कई बार ऐसी ऐसी जानकारी सामने आ जाती है, जिससे उसने अब तक इनकार किया हो, या छिपाने का प्रयास किया हो।
रिकॉर्डिंग के साथ नोट्स भी लें
सामान्य परिस्थितियों में, खोजी रिपोर्टर को अपने रिकॉर्डिंग डिवाइस और नोटबुक के साथ साक्षात्कार करना चाहिए। कुछ पत्रकार इनमें से केवल एक चीज का उपयोग करते हैं। लेकिन साक्षात्कार की हर चीज़ को पकड़ने के लिए दोनों उपकरण आवश्यक हैं। मित्रवत स्रोतों के साथ साक्षात्कार में भी इन दोनों तरीकों का उपयोग करें। जो बात कही गयी है, उसे रिकॉर्डिंग डिवाइस कैप्चर करता है। लेकिन गैर-मौखिक संचार को कैप्चर करने तथा महत्वपूर्ण मुद्दों पर नज़र रखने के लिए नोटबुक आवश्यक है। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि अनुवर्ती प्रश्न छूट न जाएं। आपको किसी भी तकनीकी गड़बड़ी से बचाने के लिए भी नोटबुक उपयोगी है।
कुछ देशों में साक्षात्कार को रिकॉर्ड करने से पहले औपचारिक सहमति लेना आवश्यक है। एक बार सहमति प्राप्त हो जाने के बाद रिकॉर्डर का उपयोग काफी बेहतर होता है। इससे साक्षात्कार देने वाला व्यक्ति कम रक्षात्मक हो सकता है।
कुछ मामलों में साक्षात्कार देने वाले व्यक्ति आपको कोई अतिरिक्त जानकारी देते हैं। लेकिन वे इसे ऑफ-द-रिकॉर्ड देना चाहते हैं। ऐसे साक्षात्कार आमतौर पर तब लिए जाते हैं, जब स्रोत पर कोई जोखिम हो। वह उस विषय से संबंधित प्रासंगिक जानकारी दे सकता है जिसकी जांच की जा रही है। यदि पत्रकार किसी स्रोत के साथ ऑफ-द-रिकॉर्ड बात के लिए तैयार हो, तो स्टोरी में उस स्रोत का हवाला देना संभव नहीं होगा।
किसका इंटरव्यू लें? कब और क्यों?
एक खोजी कहानी में कई तरह के स्रोत होते हैं। आप उन्हें अलग अलग श्रेणियों में रखने का प्रयास करें। प्रत्येक श्रेणी के व्यक्ति के अनुसार उससे इंटरव्यू के लिए अलग कौशल और दृष्टिकोण की जरूरत होगी। कुछ मामलों में एक ही तरीका होगा।
किसका इंटरव्यू करना है |
इंटरव्यू कब करें |
इनसे इन्टरव्यू क्यों करना है? |
टिप्पणी |
कारपोरेट प्रतिनिधि, सरकारी अधिकारी, राजनेता |
जांच प्रक्रिया के अंत में। लेकिन जिनकी जांच नहीं की जा रही हो, उनसे रिपोर्टिंग की शुरुआत में भी संपर्क कर सकते हैं। |
जांच संबंधी मामले में उनके ज्ञान की जानकारी य उनका पक्ष लेने के लिए। उस मामले में किसी अधिकारी या संस्थान की ज़िम्मेदारी स्थापित करने अथवा जवाबदेह बनाने के लिए ऐसे लोगों का इंटरव्यू किया जाता है। |
अनुभवी पत्रकार इन स्रोतों से शुरू में बात नहीं करते। उनसे पूछने लायक पर्याप्त जानकारी मिलने के बाद ही उनका इंटरव्यू करते हैं। जांच से पहले ही उन्हें सूचना मिल जाए, तो वे लोग इस जांच को रोकने या कहानी को ख़त्म करने के लिए अपनी ताकत का उपयोग कर सकते हैं। |
विशेषज्ञ |
जब किसी मुद्दे को समझने के लिए विशेषज्ञ टिप्पणी की आवश्यकता हो |
विभिन्न स्रोतों के बयानों को समझने अथवा जांच हेतु उनका विश्लेषण करने के लिए विशेषज्ञों से इंटरव्यू उपयोगी है। |
विभिन्न विशेषज्ञ किसी मामले के तथ्यों की अलग अलग व्याख्या कर सकते हैं। रिपोर्टर को एक से अधिक विशेषज्ञों का साक्षात्कार लेना पड़ सकता है। |
कहानी में शामिल सूत्र |
जब जांच के तथ्य स्थापित हो जाएं, तब इनसे उस मामले के जिम्मेवार लोगों की जानकारी मिल सकती है |
प्रासंगिक हो तो मामले में ऐसे लोगों की संलिप्तता या ज़िम्मेदारी का पता लगाने के लिए उनसे इंटरव्यू उपयोगी हैं। उनके द्वारा लगाए गए आरोपों को स्पष्ट करने तथा अन्य स्रोतों द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब लेना भी महत्वपूर्ण है। |
ऐसे लोग आपकी जांच का केंद्र हैं। जटिल या अत्यधिक संवेदनशील जांच में इनमें से कुछ स्रोतों का दो या अधिक बार साक्षात्कार करना पड़ सकता है।
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गवाह या व्हिसल ब्लोअर |
प्रारंभिक चरण में |
लीक की पुष्टि करने, प्रारंभिक तथ्यों या जानकारी को स्थापित करने के लिए इनसे इंटरव्यू उपयोगी है। |
गवाहों और व्हिसल ब्लोअर के साथ अलग-अलग व्यवहार करना चाहिए। व्हिसल ब्लोअर का अपना कोई स्वार्थ हो सकता है। गवाह वह व्यक्ति है, जो घटनास्थल पर मौजूद हो। |
प्रारंभिक साक्षात्कार
किसी खोजी रिपोर्टिंग के दौरान किस तरह के लोगों से कब इंटरव्यू करना चाहिए, इसके बारे में ऊपर तालिका में बताया गया है। कुछ मामलों में किसी लीक के कारण खोजी रिपोर्टिंग की शुरूआत होती है। इसके लिए अनुसंधान और तैयारी का काम पूरा होने के बाद इंटरव्यू शुरू कर सकते हैं। कोई व्हिसल ब्लोअर यदि बात करने के लिए तैयार हो, तो उसका इंटरव्यू उपयोगी होगा। उस मामले के गवाहों या किसी भी स्रोत के साथ साक्षात्कार शुरू कर सकते हैं, जो आपको जानकारी प्रदान कर सकता है। इनलोगों से आपको कहानी के बारे में प्रारंभिक तथ्य मिल सकते हैं। आम तौर पर ऐसे स्रोत किसी पत्रकार से बात करने के लिए इच्छुक रहते हैं। लेकिन आपको ध्यान रखना होगा कि उनके कोई व्यक्तिगत हित हो सकते हैं। किसी स्वार्थ के कारण उनका कोई विचार या पूर्वाग्रह हो सकता है। खासकर कुछ स्वयंभू व्हिसल ब्लोअर के मामले में यह काफी संभव हे। आमतौर पर जांच के शुरुआती चरणों में इन लोगां का साक्षात्कार लिया जाता है। लेकिन उनके शुरुआती बयानों या आरोपों को स्पष्ट करने या उनकी पुष्टि करने के लिए बाद में अन्य साक्षात्कारों की आवश्यकता हो सकती है।
किसी लीक या सूचना के आधार पर जांच शुरू करने के बाद आपको कई ऐसी जानकारी मिल सकती है, जो पहले दिए गए बयानों के विपरीत हो। प्रारंभिक साक्षात्कार आपको कहानी की रूपरेखा तैयार करने में मदद करता है। दूसरा या तीसरा साक्षात्कार आपको तथ्यों की पुष्टि करने या स्रोतों को जवाबदेह बनाने का अवसर देता है।
कुछ स्टोरी ऐसी होती है, जहां कोई लीक मौजूद नहीं है। वह जांच किसी स्टोरी आइडिया पर आधारित हो। उसमें आप मित्रवत स्रोतों या किसी अन्य व्यक्ति के साथ इंटरव्यू के जरिए शुरुआत कर सकते हैं, जिस तक पहुंच आसान हो। ऐसे मामलों में विषय का सामान्य ज्ञान रखने वाले लोगों से बात करें। लेकिन जो लोग उस कहानी में शामिल नहीं हों, उन्हीं से प्रारंभ में बात करनी चाहिए। जांच या आरोपों के दायरे में आने वालों से बाद में बात करें, जैसा कि ऊपर तालिका में बताया गया है।
कहानी में शामिल स्रोतों का साक्षात्कार
खोजी पत्रकारिता में कुछ छुपे हुए तथ्यों को उजागर किया जाता है। इसलिए कहानी में शामिल स्रोतों के साक्षात्कार की अंतिम अथवा निश्चित सूची बनाना संभव नहीं। जांच के दौरान एक स्रोत आपको दूसरे स्रोत की ओर ले जाता है। वह तीसरे स्रोत की ओर ले जाएगा। इन सभी का साक्षात्कार करना आवश्यक है। रिपोर्टर के पास साक्षात्कार के लिए यथासंभव अधिकतम स्रोत हो सकते हैं। स्टोरी में आप जिन लोगों के नाम का उल्लेख कर रहे हैं, संभव है उसका साक्षात्कार लेना पड़े।
विशेषज्ञों से इंटरव्यू
जब कहानी जटिल हो, तो विशेषज्ञों से इंटरव्यू जरूरी है। स्टोरी में कोई उच्च स्तर की समझ या तकनीकी ज्ञान का मामला हो सकता है। जो बात रिपोर्टर और आम जनता के लिए मुश्किल हो, उसे स्पष्ट करने के लिए विशेषज्ञों का साक्षात्कार लें। वकील, वैज्ञानिक, चिकित्सा चिकित्सक और अन्य विशेषज्ञ संभावित सहायक हैं। वे कहानी में शामिल नहीं हैं, लेकिन उनकी जानकारी उपयोगी है। लेकिन जो लोग जांच के दायरे में होने के कारण कहानी में शामिल हो सकते हैं, उनका ‘विशेषज्ञ‘ के रूप में साक्षात्कार नहीं ले सकते। यह हितों के संभावित टकराव का मामला हो सकता है।
उच्च पदस्थ लोगों से इंटरव्यू
सरकारी या कंपनी अधिकारी, राजनेता तथा अन्य ताकतवर लोग साक्षात्कार की सूची में अंतिम स्थान पर हो सकते हैं। आमतौर पर, उनकी ज़िम्मेदारी तय करने या जांच के मुद्दे पर उनका पक्ष लेने के लिए उनका साक्षात्कार लिया जाता है। संभव है कि वे जांच या आरोपों के केंद्र में हों। उनसे साक्षात्कार का अनुरोध करने से पहले हमेशा अपने पास पर्याप्त जानकारी रखें।
जांच के लिए साक्षात्कार
एक बार उपरोक्त सभी काम पूरा हो जाने के बाद इंटरव्यू का मुख्य भाग शुरू होता है। यह है, स्रोतों का सामना करना और साक्षात्कार आयोजित करना। हर मनुष्य का दृष्टिकोण अलग-अलग होता है। लोग परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग प्रतिक्रिया करते हैं। इसलिए साक्षात्कार को संभालना मुश्किल हो सकता है। जैसा कि ऊपर बताया गया है, आपकी तैयारी से मदद मिल सकती है। लेकिन आत्मविश्वास, मानव मनोविज्ञान और पारस्परिक संचार कौशल के कुछ ज्ञान की आवश्यकता है।
गवाहों अथवा व्हिसल ब्लोअर के साथ साक्षात्कार अपेक्षाकृत आसान होता है। यदि रिपोर्टर की नैतिक भावना और मीडिया संस्थान पर किसी को भरोसा हो, तो लोग जानकारी देने के लिए तैयार रहते हैं। हालांकि ‘आसान‘ का मतलब सरल या आरामदेह नहीं है। पत्रकार को साक्षात्कार के लिए लोगों को सटीक, तथ्य-आधारित जानकारी देने के लिए तैयार करना पड़ता है। इससे आपको अगले चरण में जाने में मदद मिलती है।
साक्षात्कार के दौरान रिपोर्टर को कुछ आसान सवालों से शुरुआत करनी चाहिए। सामने वाले को सहज छोड़ देना चाहिए। फिर धीरे-धीरे कठिन सवालों की ओर बढ़ना चाहिए। कोई भी प्रश्न छूट न जाए, इसके लिए पहले से प्रश्न तैयार करके सूची बना लें। लेकिन इस सूची को पवित्र ग्रंथ मानकर न चलें। बातचीत के प्रवाह के दौरान सवालों का सिलसिला बदल सकता है।
साक्षात्कार तकनीक में महारत हासिल करने के लिए ‘अच्छा कान‘ विकसित करना जरूरी है। आपमें सुनने की उच्च क्षमता हो। कोलम्बिया के प्रतिष्ठित लेखक और पत्रकार गेब्रियल गार्सिया मार्केज़ ने इसकी अच्छी व्याख्या की है ।
टेप रिकॉर्डर किसी बात को याद रखने के लिए काफी उपयोगी है। लेकिन साक्षात्कार के दौरान कभी उस व्यक्ति के चेहरे से अपनी नजरें नहीं हटानी चाहिए। लोगों के हाव-भाव तथा अमौखिक संचार से आपको बहुत कुछ जानने समझने का अवसर मिल सकता है। संभव है कि वह जो बोल रहे हों, उसकी सच्चाई का पता उनकी भाव-भंगिमा से मिल जाए।
वह कहते हैं – अधिकांश पत्रकार टेप रिकॉर्डर लगा देते हैं। उन्हें लगाता कि वे जिसका साक्षात्कार ले रहे हैं, उसके हरेक शब्द को लिखकर उनकी इच्छाओं का सम्मान कर रहे हैं। जब कोई व्यक्ति बोलता है, तो कई बार झिझकता या हिचकिचाता है। कभी अपने विषय से भटक जाता है। वाक्य पूरे नहीं करता। कई बार महत्वहीन अथवा असंगत टिप्पणियाँ करता है। मेरे लिए टेप रिकॉर्डर का उपयोग सामग्री को रिकॉर्ड करने के एकमात्र उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए। बाद में पत्रकार उन बातों का उपयोग किस तरह करे, यह निर्णय लेता है। कहानी कहने के अपने तरीके के अनुसार उसका उपयोग होता है। (इस अध्याय के लेखक द्वारा अंग्रेजी में अनुवादित। मूल उद्धरण यहां फ्रेंच में पढ़ें)।
किसी खोजी साक्षात्कार में, खासकर जब कोई तीखा या टकराव वाला साक्षात्कार हो, तो यह बात काफी महत्वपूर्ण हो जाती है।
एक बार जब दृष्टिकोण समझ में आ जाए, तो प्रश्न पूछना चाहिए। कैसे पूछना है, यह अगला महत्वपूर्ण कदम है। अधिकांश मामलों में ओपन-एंडेड प्रश्नों को पसंद किया जाता है। कुछ विशेष मामलों में प्रत्यक्ष और विशिष्ट प्रश्न अधिक मददगार हो सकते हैं। लेकिन साक्षात्कार की शुरुआत में उनका उपयोग न करें। ऐसा करने पर सामने वाला साक्षात्कार को समय से पहले ही समाप्त कर सकता है। खासकर यदि यह उस व्यक्ति के लिए शर्मनाक या फंसाने वाला मामला हो।
निष्कर्ष
पत्रकारों के लिए साक्षात्कार एक जटिल कार्य है। विशेषकर खोजी पत्रकारों के लिए यह ज्यादा मुश्किल काम है। साक्षात्कार तकनीक सीखना महज सैद्धांतिक अभ्यास नहीं है। यह विविध ज्ञान और विशेषज्ञता से किया जाने वाला काम है। इसमें सफलता के लिए आत्मविश्वास और गंभीर तैयारी की आवश्यकता है। बाकी अनुभव आपको खुद साक्षात्कार करके सीखने और सहकर्मियों से सीखने के साथ आता है। जब भी संभव हो, किसी भरोसेमंद सहकर्मी से सलाह लें, खासकर यदि आप खोजी पत्रकारिता में नए हैं।
हमादौ टिडियान साय एक अनुभवी सेनेगल पत्रकार और पत्रकारिता प्रशिक्षक हैं। वह पुरस्कार विजेता ऑनलाइन समाचार प्लेटफ़ॉर्म औएस्टाफ़ न्यूज़ के संस्थापक हैं। जांच और गहन रिपोर्टिंग में उनकी विशेषज्ञता है। डकार स्थित एक प्रसिद्ध पत्रकारिता, संचार और डिजिटल मीडिया स्कूल ई-जिकॉम के संस्थापक और निदेशक के रूप में वह अफ्रीकी पत्रकारों की अगली पीढ़ी को प्रशिक्षित कर रहे हैं। वह प्रमुख अफ्रीकी मीडिया संगठन डकार स्थित वेस्ट अफ्रीका डेमोक्रेसी रेडियो एंड अफ्रीका चेक के बोर्ड सदस्य हैं। अशोक और नाइट फाउंडेशन ने उन्हें ‘समाचार और ज्ञान‘ के क्षेत्र में एक सामाजिक प्रर्वतक के रूप में मान्यता दी है। कोविड महामारी के दौरान दुष्प्रचार के खिलाफ अपनी पत्रकारिता पहल ‘विश्वसनीय जानकारी‘ के जरिए सबसे प्रासंगिक उत्तर देने वाले 16 अफ्रीकियों में उन्हें सूचीबद्ध किया गया। वर्ष 2021 में उन्हें ब्रुसेल्स रीब्रांडिंग अफ्रीका फोरम में ‘मीडिया लीडरशिप अवार्ड‘ मिला।
अनुवाद : डॉ. विष्णु राजगढ़िया