

संदिग्ध धन-प्रवाह की जांच
खोजी पत्रकारिता में धन का पीछा करना काफी उपयोगी तरीका है। धन का पीछा करने को अंग्रेज़ी में ‘मनी ट्रेल‘ कहते हैं। यह आपको दुनिया भर में धन-प्रवाह का पता लगाने में मदद करता है। ऐसा करके गोपनीय संपत्ति, मनी लॉन्ड्रिंग और रिश्वतखोरी को उजागर करना संभव होता है। इससे जटिल वित्तीय साजिशों का भंडाफोड़ करना संभव है। इससे यह भी पता चलता है कि भ्रष्टाचार और अपराध से किसे लाभ हो रहा है। इसलिए खोजी पत्रकारों को ‘फॉलोइंग द मनी‘ का कौशल सीखना होगा। इसे ‘मनी ट्रेल‘ का पता लगाना भी कहा जाता है।
नए पत्रकारों को लगता है कि पैसे का पीछा करना असंभव है। लेकिन ऐसा नहीं है। अब पत्रकारों के लिए बहुत सा रिकार्ड उपलब्ध हैं। इतने रिकार्ड पहले कभी उपलब्ध नहीं रहे। इसलिए खोजी पत्रकारों के लिए अब धन-प्रवाह की जांच करना मुश्किल नहीं है।
धन-प्रवाह की जांच क्यों करें? दरअसल यह रास्ता आपको उस ओर ले जाता है जहां से संदिग्ध या आपराधिक पैसा आना शुरू हुआ और अंत में जहां जाकर पहुंचा। वित्तीय हेराफेरी कोई पीड़ित रहित अपराध नहीं हैं। कुछ अमीरों द्वारा पैसा हड़प लिया जाता है। इसकी कीमत आम जनता को चुकानी पड़ती है। उन्हें अधिक टैक्स देना पड़ता है। विभिन्न सेवाओं से वंचित होना पड़ता है।
‘मनी ट्रेल‘ शब्द का उपयोग किसी अवैध तरीके से धन के प्रवाह के लिए किया जाता है। यह भ्रष्ट राजनेताओं को अपराधियों के गलत कामों से जोडने वाला रास्ता है। इसमें अवैध धन को कुछ खास स्थानों पर महंगे बंगलों और लक्जरी नौकाओं के गोपनीय मालिकाना के रूप में छिपाया जाता है। इसका पीछा करके यह पता लगा सकते हैं कि ऐसे संदिग्ध सौदों के पीछे कौन है? जिन्हें जनता की सेवा करनी चाहिए, वे अपराधियों की जेब में चले गए हैं। ‘मनी ट्रेल‘ के जरिए आप अवैध हथियारों के सौदे और नशीली दवाओं की तस्करी सहित भ्रष्टाचार के स्रोत तक पहुंच सकते हैं। इसलिए खोजी पत्रकारों को यह सीखना जरूरी है कि धन का पीछा करने के मुख्य कदम क्या हैं?
ऐसी जांच के लिए आपको कुछ शब्दों का मतलब समझना होगा। जैसे, एजेंट, फोरमेशन एजेंट, मध्यस्थ, अधिकारी, लाभुक मालिक, यूबीओ (अंतिम लाभार्थी) तथा नोमिनी।
कुछ लोग ‘प्रॉक्सी‘ होते हैं। कुछ स्थितियों में यह किसी वैध उद्देश्य की पूर्ति करते हैं। लेकिन कुछ ‘प्रॉक्सी‘ व्यक्तियों अथवा कंपनियों का उपयोग किसी अवैध संपत्ति के मालिक की पहचान छिपाने के लिए होता है। कुछ मामलों में ऐसे व्यक्ति खुद नहीं जान पाते कि वे प्रॉक्सी हैं। इसे ‘पहचान की चोरी‘ कह सकते हैं। हालांकि आजकल बदलाव आ रहा है। कई लोग कीमत लेकर अपनी मर्जी से ‘प्रॉक्सी‘ बनते हैं।
‘पावर ऑफ अटॉर्नी‘ एक अन्य तरीका है। भ्रष्टाचार की तह तक जाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण शब्द है। कोई वकील या लॉ फर्म को किसी कंपनी का आधिकारिक प्रतिनिधि बनाया है। संभव है कि यह किसी धन को छुपाने का प्रयास हो।
चरण एक: टारगेट व्यक्ति की प्रोफाइल बनाएं
पैसे का पीछा करके इससे जुड़े नामों का पता लगाया जाता है। आपको जितने अधिक नाम मिलेंगे, जानकारी मिलने की संभावना उतनी अधिक होगी। शीर्ष अधिकारी प्रायः अपने नाम पर कंपनी नहीं बनाते हैं। संगठित अपराध जिए अक्सर किसी वकील प्रॉक्सी का उपयोग होता है। भ्रष्ट व्यावसायिक अधिकारी अक्सर अपनी पहचान छिपाने के लिए प्रॉक्सी को काम पर रखते हैं।
आप जिस मामले की जांच कर रहे हैं, उससे संबंधित सभी खबरों को पढ़ें। लेकिन ध्यान रहे कि आप उन्हें तथ्यों के रूप में नहीं लें। जिस देश का मामला हो, वहां के मीडिया अभिलेखागार (आर्काइव) की जांच कर लें। ऐसी खबरें अक्सर वेबसाइट से गायब हो जाती हैं। मीडिया संगठनों के बंद होने के कारण भी उन खबरों को वापस निकालना मुश्किल हो सकता है। उस मामले से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी इंटरनेट से पहले ही गायब हो सकती है। आपके टारगेट व्यक्ति के बारे में जो कुछ भी लिखा गया है, उसे पढ़ें। हर नाम और उससे जुड़ी हर जानकारी को नोट कर लें। उससे जुड़ी कंपनियों के नाम, सहयोगी, प्रॉक्सी, वकील, परिवार के सदस्य, दोस्त, दुश्मन इत्यादि। यहां तक कि उनकी जन्मतिथि, नानी और घर का पता भी उपयोगी हो सकता है। यह कभी मत मानिए कि आपने अन्य मीडिया प्रकाशनों में जो पढ़ा है, वह बिल्कुल सच है। आपको स्वयं हर चीज की जांच करके रिपोर्ट करनी होगी।
एक स्प्रेडशीट बनाएं। उसमें आपको मिली हर नई जानकारी दर्ज करें। ऑनलाइन और ऑफलाइन जानकारी खोजते समय इस डेटाबेस का उपयोग शुरुआती बिंदु के रूप में करें। जैसे ही कोई नया नाम आए, उसे जोड़ते रहें। DuckDuckGo सर्च इंजन भी इसमें उपयोगी है। यह गूगल की तुलना में आपकी सर्च का इतिहास कम रखता है।
चरण दो: सभी उपलब्ध ऑनलाइन डेटाबेस में सर्च करें
विभिन्न देशों की सीमाओं के पार अब धन के प्रवाह का पता लगाना मुश्किल काम नहीं। ऐसे पैसों का पीछा करने के मामले में आज हम स्वर्णयुग में रहते हैं। विश्व स्तर पर पहले इतना डेटाबेस उपलब्ध नहीं था। अब विभिन्न देशों के सरकारी दस्तावेजों के अलावा विभिन्न खोजी समूहों द्वारा एकत्रित डेटाबेस और लीक भी उपलब्ध हैं। हमें किसी व्यक्ति या कंपनी से जुड़े अधिकतम दस्तावेज़ प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
सरकारी एजेंसियां के कार्यालयों और वेबसाइट में काफी ऑनलाइन और ऑफलाइन दस्तावेज उपलब्ध हैं। इनमें व्यक्तियों और कंपनियों की काफी जानकारी मिल सकती है। जैसे, कंपनी रिकॉर्ड, भूमि स्वामित्व, अदालती रिकॉर्ड, लॉबी सूचियां, रजिस्टर इत्यादि। इनमें महत्वपूर्ण जानकारी होती है। पहले उस देश में कंपनी संबंधी वेबसाइट और कॉरपोरेट रजिस्टर में सर्च करें। इसके बाद Opencorporates, Companies House, Open Ownership Register इत्यादि में डेटा की तलाश करें। जमीन की रजिस्ट्री संबंधी दस्तावेजों और रियल एस्टेट रिकॉर्ड से आपको संबंधित लोगों के पते, लेनदेन सहित कई जानकारी मिल सकती है। उन्हें गूगल मैप्स में भी चेक करना उपयोगी है। इससे पता चल सकता है कि उसी स्थान पर अन्य कौन सी कंपनियां हैं, उनके पड़ोसी कौन हैं, इत्यादि।
Sayari) , Lexis-Nexis और Orbis जैसे ऑनलाइन डेटाबेस में प्रासंगिक जानकारी मिल सकती है। इनका उपयोग करने में काफी खर्च लग सकता है। लेकिन मीडिया को रियायती मूल्य में सेवा मिलना संभव है। कुछ विश्वविद्यालयों, पुस्तकालयों या अनुसंधान संस्थानों में भी इनकी सेवा उपलब्ध है। पत्रकार वहां जाकर उनका उपयोग कर जा सकते हैं।
किसी व्यक्ति या कंपनी के बारे में जांच को उनके देश तक सीमित न रखें। अन्य देशों तक इस जांच को विस्तारित करें। संभव है कि अन्य देशों में इनकी कोई ‘सिस्टर कंपनी‘ अथवा ‘मदर कंपनी‘ हो। अतिरिक्त कंपनियों के बारे में जानकारी शेयरधारकों या लाभकारी मालिकों के तहत स्थानीय रजिस्ट्रेशन कार्यालयों तथा उनके वेबसाइट में मिल सकती है। कोई कंपनी अन्य देशों अथवा ऑफशोर क्षेत्राधिकारों में समान या वैसे ही किसी नाम से पंजीकृत हो सकती है।
ऑफशोर की दुनिया में प्रचलित शब्दों को सीखने की कोशिश करें। इससे आपको यह समझने में मदद मिल सकती है कि पैसा कहां छिपा है। कई भ्रष्ट लोग अपनी संपत्ति छिपाने के लिए एजेंट, मध्यस्थ, नोमिनी और वकीलों का उपयोग करते हैं। इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) ने ऑफशोर दुनिया के प्रमुख शब्दों की सूची बनाई है। इसमें कुछ शब्दों के बारे की संक्षिप्त व्याख्या भी है।
अवैध धन को ऑफशोर (अपतटीय) स्थानों पर स्थानांतरित करने से कई लाभ होते हैं। इनमें टैक्स से बचाव, नियमों में ढील या संपत्ति की सुरक्षा जैसी चीजें शामिल हैं। इस तरीके का उपयोग करके आर्थिक अपराधी अपनी संपत्ति की रक्षा कर सकते हैं। लेकिन कुछ अन्य तरीके भी हैं। जैसे, अवैध धन की उत्पत्ति को छिपाने के लिए कला या प्राचीन वस्तुओं को महंगी कीमतों पर खरीदना। संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ ही ऑफशोर स्थानों में भी वैध ट्रस्ट बनाकर संपत्ति खरीदना भी एक तरीका है।
राजनेता, कुलीन वर्ग और अपराधी लोग अक्सर अपने नाम से कोई कंपनी, संपत्ति, लक्जरी कार, नौका या जेट नहीं रखते। इसके बदले किसी अन्य व्यक्ति या कंपनी का उसका मालिक बनाया जाता है। ऐसी जटिल स्वामित्व संरचनाओं पर शोध करना चुनौतीपूर्ण है। लेकिन आईसीआईजे और ओसीसीआरपी जैसे खोजी मीडिया संगठनों द्वारा पत्रकारों को अतिरिक्त सहायता मिल सकती है। किसी व्यक्ति या कंपनी के बारे में आपको कोई जानकारी चाहिए, तो इन दोनों संगठनों को अपना प्रश्न भेज सकते हैं। इन दोनों संगठनों के पास पत्रकारों के लिए उपयोगी ऑनलाइन डेटाबेस हैं। जैसे, ऑफशोर लीक्स डेटाबेस में लगभग 810000 ऑफशोर कंपनियों, फाउंडेशनों और ट्रस्टों की जानकारी शामिल है। यह डेटा पेंडोरा पेपर्स, पैराडाइज पेपर्स, बहामास लीक्स, पनामा पेपर्स और ऑफशोर लीक्स जांच से निकला है। इसके अलावा, एलेफ एक डेटा प्लेटफ़ॉर्म है। यह वर्तमान और ऐतिहासिक डेटाबेस, दस्तावेज़, लीक और जांच के विशाल संग्रह को एक साथ लाता है।
पनामा पेपर्स प्रकाशित होने के लगभग एक दशक बाद भी इससे जुड़ी नई कहानियां डेटाबेस से बाहर आती हैं। इसमें तथा अन्य डेटाबेस में अपनी जांच करते रहें। अब भी आपको कोई नई स्टोरी मिल सकती है। हर कहानी को अब तक कवर नहीं किया गया है।
कोई भी व्यक्ति गुमनाम रूप से या उपयोगकर्ता खाता बनाकर एलेफ़ को ब्राउज़ कर सकता है। पेशेवर पत्रकारों को एलेफ के डेटा और सामग्री तक व्यापक पहुंच मिल सकती है। उन्हें Friend of OCCRP बनने के लिए आवेदन करना होगा।
सूचना का अधिकार का उपयोग करना न भूलें। लगभग 100 से अधिक देशों में सूचना की स्वतंत्रता का कानून है। इसका उपयोग करके आप सार्वजनिक खर्च, वित्तीय कंपनी की रिपोर्ट, सरकारी बजट खर्च और काफी प्रासंगिक जानकारी पा सकते हैं।
आजकल सोशल मीडिया में भी वित्तीय कवर-अप की महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। खासकर पति-पत्नी, रिश्तेदारों और दोस्तों की जानकारी, जो व्यवसायों के लाभार्थी हो सकते हैं। संभव है कि यह लोग किसी राजनेता अथवा अपराधी की पहचान की रक्षा कर रहे हों। यानी उनकी संपति अपने नाम ले रखी हो।
अब ऑनलाइन का जमाना है। इसके बावजूद अतिरिक्त डेटा निकालने के लिए मानव स्रोत और ऑफ़लाइन डेटाबेस काफी महत्वपूर्ण हैं। अभिलेखागार, भूमि रिकॉर्ड, पुस्तकालय इत्यादि ऑफ़लाइन डेटाबेस काफी उपयोगी हैं। कई देशों में ऑनलाइन संस्करण उपलब्ध होने के बावजूद व्यक्तिगत रूप से जानकारी मांगने से काफी फर्क पड़ता है।
अंत में, संबंधित देश के बाहर अन्य देशों में सार्वजनिक रिकॉर्ड देखना न भूलें। आपका टारगेट जिस देश में रहता है या जहां काम करता है, उससे भिन्न किसी अन्य देश में भी उसका धन छुपा हो सकता है। ओसीसीआरपी की आईडी का उपयोग करें। यह एक ही स्थान पर 180 से अधिक देशों की रजिस्ट्रियों का ग्लोबल इन्डेक्स है।
चरण तीन: प्राप्त डेटा का विश्लेषण करें
डेटा इकट्ठा करने के बाद उसे रूचिपूर्ण तरीके से पढ़ने लायक खोजी कहानी बनाना है। इसके लिए डेटा को व्यवस्थित करके उससे जुड़े बिंदुओं का विश्लेषण करना होगा। रिपोर्टर अकेले बड़ी मात्रा में डेटा को ‘डिकोडिंग‘ नहीं कर पाएगा। इसके लिए डेटा पत्रकारों, डेवलपर्स और तकनीकी कर्मचारियों की सहायता मिलती है। ऐसे लोग पत्रकारों को पैसों का पीछे करके असली स्टोरी तक पहुंचने में मदद करते हैं।
कंपनी के वित्तीय विवरण पर भी ध्यान देना चाहिए। पहली नज़र में यह डरावने आंकड़े लग सकते हैं। लेकिन सही प्रश्न पूछकर आप बड़ी खबरों तक पहुंच सकते हैं। जैसे, इस कंपनी के पास क्या संपत्ति है? इसका पैसा कहां से आया? क्या इसके आपूर्तिकर्ताओं का पैसा बकाया है? भारी मात्रा में किनका धन बकाया है? एक बार ब्रिटेन की एक कंपनी ने दूसरी कंपनी को सफलता शुल्क का भुगतान किया। बाद में पता चला कि वह दूसरे देश के राष्ट्रपति के दामाद की कंपनी थी।
जिन कंपनियों की भारी रकम बकाया हो, उन पर नज़र रखें। ऐसा तब होता है, जब किसी कंपनी ने बड़े पैमाने पर वस्तुएं या सेवा बेची हैं, लेकिन उसका भुगतान नहीं लिया है। संभव है कि यह खराब वित्तीय प्रबंधन का परिणाम हो। लेकिन इसका मतलब यह भी हो सकता है कि पैसा कहीं और छिपाया जा रहा है। ऐसा देश से बाहर भी हो सकता है।
पैसा किन्हीं शेल कंपनियों में छिपाया जा सकता है। ऐसी कंपनी, जिनका कोई वास्तविक व्यवसाय नहीं हो। जिनके पास कोई महत्वपूर्ण संपत्ति नहीं है। जिस कंपनी पर पैसा बकाया था, वह अपनी किसी शेल कंपनी से ऋण के रूप में पैसा वापस ले सकती है। ऐसा करके टैक्स से बच सकती है। वह कभी भी शेल कंपनी को उस बकाये का भुगतान नहीं करेगी।
चरण चार: स्थानीय पत्रकारों की मदद लें
पैसा किसी देश की सीमाओं को नहीं पहचानता। धन का लेन-देन पूरी दुनिया में होता है। पत्रकारों को अन्य देशों के सहकर्मियों के साथ काम करना चाहिए, जो जानते हों कि उनके देश में अतिरिक्त जानकारी कहां मिलेगी। स्थानीय पत्रकारों की मदद से आप कहानियों में महत्वपूर्ण स्थानीय फोकस जोड़ने में सक्षम हो सकते हैं। स्थानीय पत्रकारों के साथ काम करके आप काफी समय बचा सकते हैं। उन्हें आपकी आवश्यक जानकारी वाले डेटाबेस की पहचान करने में कुछ ही मिनट लगेंगे। लोग मदद करना पसंद करते हैं। बस, आप उन तक पहुंच जाएं।
यदि आप किसी देश के पत्रकारों और मीडिया संगठनों को नहीं जानते, तो चिंता न करें। CCRP, GIJN और ICIJ के सदस्यों की सूची आपके काम आएगी।
चरण पांच: अतिरिक्त डेटाबेस
अदालती रिकॉर्ड भी धन-प्रवाह की जांच का बड़ा स्रोत है। कुछ व्यावसायिक विवाद अपने आप नहीं सुलझते। अदालतों में जाते हैं। आपको अपने देश के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों के भी अदालती रिकॉर्ड देखने चाहिए। Pacer एक ऑनलाइन डेटाबेस है। इसमें अदालती मामलों के सार्वजनिक रिकॉर्ड शामिल हैं। इनमें हलफनामे, सबूत और अदालत में प्रस्तुत अन्य रिकॉर्ड शामिल हैं। ब्रिटेन के अदालती रिकॉर्ड अधिक सीमित हैं। British and Irish Legal Information Institute के पास यूके अदालत के फैसलों का आसान सर्च लायक डेटाबेस है।
किसी कंपनी पर लगे प्रतिबंधों की जानकारी लगने तथा माल की उत्पत्ति का पता लगाने में व्यापार डेटा काम आएगा। आयात और निर्यात से जुड़े डेटा निकालें। इसके लिए ImportGenius और UN Comtrade database की जाँच करें। किसी कंपनी या व्यक्ति पर प्रतिबंध लगने की जानकारी मिलना खुद एक खबर है। इसीलिए अपनी जांच के लिए इस डेटाबेस का भी उपयोग करें- OFAC और Open Sanctions।
Offshore Alerts – यह एक अन्य महत्वपूर्ण संसाधन है। यह ऑफशोर और ऑनशोर अदालतों का एक बड़ा डेटाबेस प्रदान करता है। यह अपतटीय और तटवर्ती अदालतों, नियामक कार्रवाइयों की जानकारी पेश करता है। साथ ही, विभिन्न सामग्री और अन्य स्रोतों की निगरानी करके उच्च मूल्य वाले अंतरराष्ट्रीय वित्त में संदेहास्पद बिंदुओं की तलाश करता है। वह आपको ईमेल के जरिए इसका सारांश भी भेजता है।
चरण छह: बॉक्स से बाहर सोचें
आपको लीक से हटकर कुछ नया सोचना होगा। पेंडोरा पेपर्स जांच के लिए एक प्रमुख सहयोगी परियोजना बनाई गई। पत्रकारों ने रचनात्मक तरीके से काम किया। इसके कारण अमीरों को लाभ पहुंचाने वाली अवैध वित्तीय प्रणाली के संबंध में नई अंतर्दृष्टि हासिल हुई।
पेंडोरा पेपर्स से पता चला कि टैक्स हेवेन के माध्यम से 1600 से अधिक कलाकृतियों का गुप्त व्यापार किया गया। ऐसे मामलों में कलाकृतियों का उपयोग धन को छुपाने और उसे आधिकारिक बनाने के लिए किया जाता है। आईसीआईजे, फाइनेंस अनकवर्ड और वाशिंगटन पोस्ट ने संग्रहालयों के एशियाई संग्रह की जांच करते खबर प्रकाशित की। इसमें कम्बोडियन पुरावशेष शामिल थे जो एक प्रसिद्ध कला संग्राहक के हाथों से गुजरे थे। रिपोर्टरों ने पुस्तकों, संग्रहालयों की वेबसाइटों, गैलरी कैटलॉग, कला ब्लॉग जैसे सार्वजनिक स्रोतों का उपयोग किया। साथ ही, विशेषज्ञों की मदद से खमेर कला के दर्जनों टुकड़े मिले, जो उस कला संग्राहक के स्वामित्व या दलाली में थे। पत्रकारों ने आयामों और अन्य विवरणों की जाँच करके कलाकृतियों के सबंध में आकलन किया।
पैसे का पीछा करना एक शक्तिशाली कौशल है। इसके आधार पर लिखी गई खबरों का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। कभी-कभी इसके कारण मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए नए कानून बनते हैं। कोई राजनेता अपनी गोपनीय संपत्ति का खुलासा करने वाली खोजी रिपोर्ट के कारण अपनी कुर्सी खो देता है। ऐसी खबरों का प्रमुख उद्देश्य सार्वजनिक हित की सेवा करना है। उन स्थानों पर प्रकाश डालना, जिन पर पहले किसी ने ध्यान नहीं दिया है।
मिरांडा पेट्रुसिक वर्ष 2006 में ओसीसीआरपी से जुड़ीं। वर्ष 2023 में प्रधान संपादक के रूप में पदोन्नत हुईं। वह ओसीसीआरपी ग्लोबल न्यूज़रूम के संपादकीय संचालन की देखरेख करती हैं। इसमें छह महाद्वीपों के पचास से अधिक संपादक शामिल हैं। इसमें ओसीसीआरपी की जांच और सामग्री का उत्पादन जैसे काम शामिल हैं। वह ओसीसीआरपी की शुरूआती टीम में से एक हैं जिन्होंने साराजेवो में प्रथम तथ्य-जांचकर्ता के रूप काम शुरू किया। फिर एक शोधकर्ता, रिपोर्टर, प्रशिक्षक और संपादक बन गईं। उन्होंने बाल्कन में जांच का निरीक्षण किया। अजरबैजान में सत्तावादी शासन पर उनकी रिपोर्टिंग चर्चित हुई, जब वर्ष 2015 में उनकी दोस्त और खोजी पत्रकार खदीजा इस्माइलोवा को जेल की सजा सुनाई गई थी।
जेलेना कोसिक आईसीआईजे की प्रशिक्षण प्रबंधक, पूर्वी यूरोपीय साझेदारी समन्वयक और डेटा रिपोर्टर हैं। पिछले पांच वर्षों से उन्होंने आईसीआईजे की वैश्विक परियोजनाओं पर काम किया है। जैसे, पेंडोरा पेपर्स, साइप्रस कॉन्फिडेंशियल, फिनसेन फाइल्स, डेफॉरेस्टेशन इंक तथा अन्य। उन्होंने दुनिया भर में दो हजार से अधिक खोजी पत्रकारों को प्रशिक्षित किया है। उन्हें कई खोजी पत्रकारिता पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। इनमें सर्टिफिकेट ऑफ एक्सीलेंस, ग्लोबल शाइनिंग लाइट अवार्ड; पश्चिमी बाल्कन और तुर्की में ईयू इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म एवार्ड शामिल हैं। आईसीआईजे के साथ अपने काम के दौरान भी कई पुरस्कार। इनमें टॉम रेनर पुरस्कार, पुलित्जर पुरस्कार के लिए फाइनलिस्ट और नोबेल शांति पुरस्कार नामांकन शामिल है।
अनुवादः डॉ. विष्णु राजगढ़िया