

Credit: Nick Jaussi
अध्याय एक: पत्रकारिता में महिला नेतृत्व
बारहवीं ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म कांफ्रेंस (12th Global Investigative Journalism Conference (#GIJC21)) (जीआईजेसी-21) में एक विशेष सत्र का आयोजन हुआ। विषय था- ‘महिला और खोजी पत्रकारिता : नेतृत्व पर सुझाव।‘ पैनल में दुनिया के इन प्रमुख खोजी पत्रकारिता संगठनों की संपादक शामिल थीं:
- ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म (टीबीआईजे) (the UK’s Bureau of Investigative Journalism (TBIJ)), (यूके)
- वोले सोयिंका सेंटर फॉर इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म (Wole Soyinka Centre for Investigative Journalism), (नाइजीरिया)
- द रिपोर्टर (The Reporter), खोजी वेबसाइट, (ताइवान)
- पुलित्जर सेंटर (ulitzer Center), (यूएसए का डोनर संगठन)
- अरब रिपोर्टर्स फॉर इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म (एआरआईजे) (Arab Reporters for Investigative Journalism (ARIJ)), (जॉर्डन)
इस सत्र में यह बात सामने आई कि एक उद्योग के बतौर पत्रकारिता में महिलाओं की संख्या कम रही है। खास तौर पर खोजी पत्रकारिता में तो यह संख्या और भी कम है। पैनलिस्टों ने दशकों के सामूहिक अनुभव के आधार पर विस्तार से बताया कि कुछ मीडिया संस्थानों में तमाम चुनौतियों के बावजूद महिलाएं किस तरह शीर्ष तक पहुंचीं। पैनलिस्टों ने उन कदमों के बारे में भी बताया जिससे महिला पत्रकारों को बड़े अवसर मिले। अधिक जानकारी के लिए आप जीआईजेसी-21 पैनल का पूरा वीडियो देख सकते हैं।
- अकेली योद्धा की मानसिकता से बाहर निकलें
रैचेल ओल्डरॉयड (पूर्व प्रबंध संपादक, टीबीआईजे) ने ‘अकेली योद्धा‘ वाली मानसिकता से बाहर निकलने की सलाह दी। उनके अनुसार खुद को ऐसी खोजी पत्रकार समझना पुरानी धारणा है, जो अकेले अपने दम पर काम करती हो। ऐसे विचार को छोड़ दें। कोशिश करें कि अपने संगठन के भीतर तथा बाहर की महिलाओं का सहयोग लेकर यह एहसास कराएं कि आपकी टीम में कई महिला खिलाड़ी हैं। इससे कई लाभ संभव हैं। खासकर परस्पर सहयोग आधारित खोजी पत्रकारिता में यह काफी उपयोगी होगा। उन्होंने कहा- “हम महिलाएं स्वाभाविक तौर पर अपने अनुभवों को साझा करने, आपसी सहयोग, नेटवर्किंग बनाने और एक-दूसरे की भावना समझने की दिशा में बेहतर काम कर सकती हैं। खोजी पत्रकारिता में ऐसे सभी कौशल काफी महत्वपूर्ण हैं। पत्रकारिता में ऐसे विचारों के महत्व पर भी महिला पत्रकारों को जोर देना चाहिए।“
- कैरियर किसी सरल रेखा में नहीं चलता
मरीना वॉकर ग्वेरा (कार्यकारी संपादक, पुलित्जर सेंटर) ने अपनी सफलता की कहानी सुनाई। पहले वह अर्जेंटीना में एक वरिष्ठ पत्रकार के रूप में काम कर रही थीं। फिर उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका जाने का फैसला किया। लेकिन उनके परिजनों को लगा कि यह पीछे की ओर जाने वाला कदम है। दरअसल पहले वह रिपोर्टिंग की एक सिनियर पोजिशन में काम कर रही थीं। जबकि अमेरिका में वह इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (International Consortium of Investigative Journalists (ICIJ)) (आईसीआईजे) में महज एक प्रशिक्षु पत्रकार के बतौर शामिल होने जा रही थीं। लेकिन धीरे-धीरे उनका पद बढ़ता गया। तब लगा कि यह जुआ सफल रहा। वह आईसीआईजे की उप निदेशक बन गईं। फिर संगठन की रणनीतिक पहल की निदेशक बन गईं। उनका सुझाव है कि कैरियर हमेशा पूर्वानुमानित नहीं होता है। महिलाएं इस विचार को अपनाएं कि आप हमेशा सीधे रास्ते पर नहीं चलते हैं। एक ही दिशा में चलना नहीं होता।
मरीना वॉकर ग्वेरा कहती हैं कि कैरियर हमारे सुविचारित कदमों तथा आकस्मिक अवसरों का संयोजन होता है। आप लचीला होकर अपने कैरियर में नई दिशा अपनाने के लिए तैयार रहें। आपकी नज़र अपने लक्ष्य पर बनी रहे। जब आप खुद को अपने कैरियर के किसी ‘निर्णायक‘ क्षण में पहुंचते हैं, तो एक बार ठहरकर तीन बिंदुओं की सूची बनाएं:
- मैं किस काम में बेहतर हूं? अपनी प्रतिभा, क्षमता और विशेषता को समझने का प्रयास करें। इस पर अपने सहकर्मियों के दृष्टिकोण की जानकारी लें।
- मेरे लिए क्या महत्वपूर्ण है? इस पर केवल काम के संदर्भ में नहीं, बल्कि अधिक व्यापक रूप से विचार करें।
- मुझे कैसे संगठन या कैसी टीम पसंद है, और क्यों? जो चीजें आपके वर्तमान क्षेत्र या बीट में शामिल नहीं हैं, उन पर भी विचार करें।
- क्या आप ‘इम्पोस्टर सिंड्रोम‘ का शिकार हैं?
इम्पोस्टर सिंड्रोम में लोगों को अपनी क्षमता पर संदेह होता है। उन्हें अपनी उपलब्धियों पर भी भरोसा नहीं होता। भले ही आपके करियर से जुड़े तथ्य बताते हों कि आप सक्षम हैं। पत्रकारिता में बहुत से लोग ऐसी आत्महीनता से पीड़ित हैं। लेकिन हम इसके बारे में उनसे समुचित बात नहीं करते हैं। खुद को परेशान करने वाले ऐसे संदेह दूर करने के लिए मरीना वॉकर ग्वेरा ने कुछ सुझाव दिए:
- अपने जिस काम पर आपको गर्व है, उसे याद करें। किसी सहकर्मी, पाठक या पर्यवेक्षक से आपको कोई बढ़िया फीडबैक मिला हो, उसे दुबारा देखें।
- अपने सहकर्मियों या दोस्तों की एक स्वैट टीम बनाए रखें। यानी जिनसे अपनी क्षमता, कमजोरी, अवसर और जोखिम पर चर्चा कर सकते हों। ऐसे लोग, जो आपकी प्रतिभा को समझते हों। उन्हें बताएं कि आप क्या महसूस कर रहे हैं। अपनी भावनाओं को एक नाम देना अच्छा कदम है। उन्हें पता चल जाएगा कि क्या करना है।
- काम के अलावा अन्य गतिविधियों में भी शामिल हों। चाहे वह साइकिल चलाना, मुक्केबाजी या पेंटिंग करना हो। पत्रकारिता के हटकर किसी अन्य चीज में भी दिलचस्पी लें। फिर ऊर्जा और उपलब्धि की भावना लेकर अपने लक्ष्य में उसका उपयोग करें।
- यदि आप प्रबंधन या उच्च पद पर हैं, तो अपनी टीम के प्रत्येक सदस्य को लगातार और विशिष्ट फीडबैक जरूर दें। उनकी हर उपलब्धि की तारीफ करें। संभव है कि ऐसे लोग कई उपलब्धियों के बावजूद ‘इम्पोस्टर सिंड्रोम‘ से जूझ रहे हों। आपका फीडबैक उनमें आत्मविश्वास पैदा करेगा।
- कभी-कभी खुद को ‘संस्था से अलग‘ करके देखें। इसके लिए ‘इन्स्टीट्यूशनल डिस्लॉयल्टी‘ शब्द का उपयोग होता है। इसके बारे में पहली बार स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में सुना था। इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपने संगठन को नुकसान पहुंचाएं। इसका अर्थ है खुद को प्राथमिकता देना। अपनी पहचान को अपने रोजगार के स्थान से अलग करना। ऐसा करके आप अपना महत्वपूर्ण कार्य करते समय सर्वश्रेष्ठ और स्वस्थ रह सकते हैं। आप खुद के लिए आंतरिक मान्यता कहां से पाते हैं? क्या यह विशेष काम से मिलता है? यदि ऐसा है, तो यह जीवन का निर्णायक समय हो सकता है।
- अन्य महिला संपादकों के साथ संबंध विकसित करें
रैचेल ओल्डरॉयड ने कहा कि महिला पत्रकारों को अपनी बात मजबूती से रखने के लिए अन्य महिला संपादकों के साथ रिश्ता बनाना चाहिए। उन्हें अपने अधिकार के लिए लड़ना चाहिए ताकि महिलाओं के दृष्टिकोण को मीडिया संस्थानों में समुचित महत्व मिले। महिला केंद्रित स्टोरीज पर काम करना महत्वपूर्ण है, जिन्हें पहले उचित प्रमुखता नहीं दी जाती थी। लेकिन अब समय बदल रहा है। हाल के दिनों में महिलाओं और उनके अनुभवों पर केंद्रित स्टोरीज को वैश्विक पुरस्कार मिल रहे हैं। पाठक भी ऐसी स्टोरीज को पसंद कर रहे हैं। पुरस्कार विजेता ऐसी कहानियां एक मॉडल के रूप में काम कर सकती हैं। पत्रकारों द्वारा इसी तरह के काम को बढ़ावा देने के लिए उदाहरण के रूप में उनका उपयोग किया जा सकता है।
- अपना पक्ष रखने के लिए डेटा का उपयोग करें
मोटुनरेयो अलाका (‘वोले सोयिन्का सेंटर‘ की कार्यकारी निदेशक और सीईओ) ने महिलाओं को अपने उद्देश्य पर काम के लिए डेटा का उपयोग करने का सुझाव दिया। उन्होंने मीडिया मे पुरूष पत्रकारों पर एक शोध किया था। पता चला कि नाइजीरिया में प्रबंधन स्तर पर प्रत्येक 10 पुरुषों पर मात्र दो महिलाएं थीं। बोर्ड स्तर पर प्रत्येक सात पुरुषों के अनुपात में मात्र दो महिलाएं थीं। उन्होंने कहा कि इस शोध के कारण उन्हें प्रबंधन को चुनौती देने का मौका मिला। साथ ही, ऐसे डेटा के कारण नैतिक और आर्थिक कारणों से महिलाओं को अधिक अवसर देने की वकालत भी संभव हुई।
- सहयोग और समर्थन जुटाएं
रैचेल ओल्डरॉयड ने कहा कि महिलाओं को मीडिया संगठनों से अधिक सुरक्षा और समर्थन की मांग करनी चाहिए। खासकर शक्तिशाली पुरुषों और उत्पीड़न से जुड़ी ‘मी-टू‘ जैसी संवेदनशील कहानियों पर काम के दौरान यह बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा- “महिला केंद्रित खबरें अक्सर बहुत कठिन होती हैं। इन पर काम के लिए अतिरिक्त समर्थन की आवश्यकता होती है। ऐसे मामलों में आप बेहद कमजोर स्रोतों से बात कर रहे होते हैं। जैसे, बलात्कार पीड़िता से बात करना या ‘मी-टू‘ आंदोलन से जुड़ी महिलाओं पर रिपोर्टिंग करना। ऐसी स्टोरीज का खुद आप पर विपरीत असर हो सकता है। कोई मानसिक आघात या सदमा लग सकता है। इसलिए कभी लड़ाई से एक कदम पीछे हटकर खुद को थोड़ा आराम दें।“
- आपकी प्रबंधन शैली स्पष्ट हो
शेरी ली, ताइवान स्थित द रिपोर्टर (The Reporter) की प्रधान संपादक हैं। उन्होंने कुछ दिलचस्प अनुभव सुनाए। उन्होंने कहा कि यदि कोई महिला किसी मीडिया संस्थान में उच्च पद पर हो, तो उनके लिए कुछ अपमानजनक या नकारात्मक शब्दावली का प्रयोग किया जाता है। भले ही वह कोई सामान्य दिखने वाला शब्द हो। जबकि पुरुषों को ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता। उन्होंने कहा कि किसी महिला के लिए ‘बॉसी‘ या ‘भावुक‘ इत्यादि विशेषणों का उपयोग करना आम है। एक बार किसी पुरूष सहयोगी ने शेरी ली से कहा- “शेरी, तुम एक बुरे पुलिसवाले की भूमिका बहुत अच्छी तरह से निभाती हो।“ उस वक्त शेरी ली को यह समझ में नहीं आया कि इस पर कैसे प्रतिक्रिया देनी है। लेकिन जब एक अन्य सहकर्मी ने उन्हीं शब्दों का इस्तेमाल किया, तो वह जानती थी कि इससे निपटना है। उन्होंने साफ कहा कि टीम लीडर के रूप में उनका काम जिम्मेदारी लेना है, और वह अपना यही काम कर रही हैं। शेरी ली ने दुबारा किसी को ऐसे शब्दों का उपयोग न करने की स्पष्ट चेतावनी दी। इस तरह उन्होंने एक स्पष्ट सीमा रेखा खींच दी। शेरी ली का मानना है कि हरेक महिला की अपनी अलग प्रबंधन शैली होती है। न्यूज रूम के पूर्वाग्रहों के आधार पर इसे बदलने के बजाय अपने ढंग से अपनी शैली को लागू कराने का प्रयास करना चाहिए।
- ‘लचीलापन‘ और ‘योजना‘ दोनों जरूरी
मरीना वॉकर ग्वेरा ने व्यक्तिगत स्तर पर लचीलापन अपनाने पर जोर दिया। दूसरी ओर, एआरआईजे की महानिदेशक रावन डेमन ने संगठनात्मक और पेशेवर स्तर पर अनुकूलन क्षमता और लचीलेपन को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को हमेशा योजना बनानी पड़ती है। उन्हें परिस्थितियों के अनुकूल उसे बदलने में भी सक्षम होना चाहिए। रावन डेमन ने कहा कि ‘लचीलापन‘ और ‘योजना‘ दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । इसलिए आपको काफी योजनाएं बनाने और बहुत सी चीजों को स्वीकार करने की जरूरत है।
- अत्यधिक काम के दबाव को ‘न‘ कहें
मरीना वॉकर ग्वेरा ने कहा- “बर्न आउट होने से बचें। कई अध्ययन से पता चला है कि अत्यधिक काम के दबाव से थककर चूर होना (बर्न आउट) पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है। पुरुषों और महिलाओं द्वारा अपनी प्राथमिकताओं के निर्धारण में फर्क के कारण ऐसा होना संभव है। एक बार मेरी टी-शर्ट पर लिखा था- ‘असफलता कोई विकल्प नहीं है।‘ लेकिन इस दबाव में मुझे काम के बोझ तले दबना पड़ सकता था। इसलिए मैंने ‘नहीं‘ शब्द बोलने का मतलब समझा। फिर मैंने उस ‘नहीं‘ शब्द का उपयोग करके कई सीमाओं का निर्धारण किया। उन सीमाओं को मैंने साफ तौर पर संप्रेषित भी कर दिया।“
- नेतृत्व की अगली पंक्ति तैयार करें
मोटुनरायो अलाका ने कहा कि आपको अपने मुद्दों की वकालत के साथ ही अन्य महिला पत्रकारों को आगे लाने की कोशिश भी करनी चाहिए। उन्हें प्रोत्साहित करना और सलाह देना काफी महत्वपूर्ण है। किसी पद पर नियुक्ति के लिए रिक्तियां हों, तो वह संभावित उम्मीदवारों को खोजने के लिए कहानियों के माध्यम से महिला पत्रकारों की तलाश भी करती हैं। सम्मेलनों में महिला पत्रकारों से बात करती हैं। अन्य संपादकों से किसी महिला पत्रकार को इस पद हेतु आवेदन के लिए प्रेरित करने के लिए कहती हैं। उन्होंने कहा- “जब एक महिला जीतती है, तो सभी महिलाएं जीतती हैं, क्योंकि आप दूसरों के लिए रास्ता बनाने में सक्षम होते हैं।“
मोटुनरायो अलाका तीन प्रमुख क्षेत्रों में महिलाओं की मदद करने की सिफारिश करती है – नेतृत्व, महिलाओं को समाचार की मुख्यधारा में लाना और खोजी रिपोर्टिंग। योग्य उम्मीदवारों को ऐसे परियोजनाओं से जोड़ना महत्वपूर्ण है, जो उन्हें नेतृत्व और पत्रकार के रूप में सीखे गए सबक का तुरंत उपयोग करने में मदद करें।
- पुरुष प्रबंधकों को महिला परिप्रेक्ष्य की याद दिलाएं
रैचेल ओल्डरॉयड कहती हैं कि यदि प्रबंधकों की बैठक आप एकमात्र महिला हों, अपना विशेष महत्व याद रखें। अपनी बात जोरदार तरीके से रखें। साफ कहें कि इस कमरे में एकमात्र महिला होने के नाते आपका दृष्टिकोण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
प्रबंधन, नेतृत्व और बर्नआउट पर पुस्तकें
यहाँ कुछ पुस्तकों की जानकारी दी गई हैं। नेतृत्व पदों पर आसीन महिला पत्रकारों और संपादकों के लिए ऐसी पुस्तकें उपयोगी हो सकती हैं।
No Hard Feelings: The Secret Power of Embracing Emotions at Work” – Liz Fosslien and Mollie West Duffy – यह पुस्तक कार्यस्थल पर अपनी और सहकर्मियों की भावनाओं को समझने तथा उनसे निपटने में आपकी मदद करेगी। यह बुद्धिमत्तापूर्ण तरीके से लिखी गई पुस्तक है। इसमें कई व्यावहारिक और उपयोगी तरीके बताए गए हैं। इनसे यह तय करने में मदद मिलती है कि किन भावनाओं को छोड़ दें, किन भावनाओं को खुद तक सीमित रखें, और किन भावनाओं को अधिक खुश या प्रभावी होने के लिए व्यक्त करें। इन लेखकों के कुछ अन्य संसाधन उनकी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। इनमें कठिन बातचीत और कार्यस्थल पर भावनाओं के आकलन पर संक्षिप्त गाइड शामिल हैं।
How Women Rise: Break the 12 Habits Holding You Back from Your Next Raise, Promotion, or Job by Sally Helgese and Marshall Goldsmith – प्रकाशक के अनुसार यह पुस्तक महिलाओं को ऐसे व्यवहारों की पहचान में मदद करेगी जो उन्हें अपनी क्षमता समझने से रोकते हैं। कैरियर के हर चरण में यह जानकारी उपयोगी है। यह पहचानने में भी मदद मिलेगी कि जो चीज पहले उनके काम आई हो, वही भविष्य में भी आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त नहीं है। पुस्तक यह भी बताएगी कि कुछ व्यवहारों को कैसे छोड़ना है, ताकि आप आगे बढ़ सकें। लेखकों की वेबसाइट पर अन्य संसाधन प्राप्त करें।
Designing Your Work Life: How to Thrive and Change and Find Happiness at Work” by Bill Burnett & Dave Evans – यह पुस्तक पाठकों को अपना कामकाजी जीवन बदलने में मदद करती है। मौजूदा नौकरी को बदले बिना उसे ही अपने सपनों के अनुकूल नौकरी बनाने में भी यह पुस्तक सहायक हो सकती है।
‘बर्नआउट : द सीक्रेट टू अनलॉकिंग द स्ट्रेस साइकल‘ – इमिली नागोस्की और अमेलिया नागोस्की की यह पुस्तक बताती है कि पुरुषों की तुलना में कैसे महिलाएं अलग तरह के बर्नआउट का अनुभव करती हैं। यह पुस्तक महिलाओं को तनाव कम करने, भावनाओं पर नियंत्रण और आनंदमय जीवन में मदद के लिए एक सरल, वैज्ञानिक योजना प्रदान करती है।
Difficult Conversations: How to Discuss What Matters Most by Douglas Stone, Bruce Patton & Sheila Heen की यह हार्वर्ड नेगोशिएशन प्रोजेक्ट में 15 वर्षों के शोध पर आधारित यह पुस्तक आपको कम तनाव और अधिक सफलता के तरीके बताती है। यह किसी प्रकार की कठिन बातचीत करने के लिए एक सफल और चरणबद्ध दृष्टिकोण की जानकारी देती है।
Radical Candor, किम स्कॉट की यह प्रबंधन पर एक बेस्टसेलर पुस्तक है। यह मार्गदर्शन और फीडबैक पर ज्ञान देती है, जो बेहद नरम, स्पष्ट, विशिष्ट और ईमानदार है। पुस्तक की वेबसाइट में डाउनलोड करने योग्य कई सुझाव और मुफ्त वीडियो शामिल हैं। मैनेजमेंट से जुड़े लोग इनका उपयोग काम के दौरान अपना संचार बेहतर बनाने के लिए कर सकते हैं।
Harvard Business Review Guide to Dealing with Conflict, एमी गैलो की यह पुस्तक आपको संघर्ष के सामान्य स्रोतों को समझने में मदद का दावा करती है। यह किसी असहमति से निपटने हेतु विकल्पों का पता लगाने की जानकारी देती है। आप यह पहचान सकें कि क्या आप और सहकर्मी आपस में संघर्ष करना चाहते हैं या उससे बचते हैं। यह पुस्तक कठिन बातचीत की तैयारी करना और उसमें शामिल होने, अपनी और सहकर्मियों की भावनाओं के प्रबंधन तथा दूर जाने का सही समय बताने का प्रयास करती है।
“High Conflict: Why We Get Trapped And How to Get Out” अमांडा रिप्ले की यह पुस्तक बताती है कि कई बार हम ’दूसरे पक्ष’ के पागलपन में उलझ जाते हैं। हमारे कार्यस्थल या हमारी राजनीति में, अथवा हमारे घर पर, कहीं भी ऐसा हो सकता है। ऐसा होने का कारण यह है कि हम समझ नहीं पाते हैं कि संघर्ष कैसे हावी हो गया है। ’उच्च संघर्ष’ यही करता है। यह हमारे समय का अदृश्य हाथ है। कई बार एक कलह अच्छे और बुरे के बीच झगड़े में बदल जाती है। जैसा ‘हम‘ और ‘वह लोग‘ के बीच होता है। ऐसी स्थिति में हमारा दिमाग अलग तरह से व्यवहार करता है। हम अपनी श्रेष्ठता के प्रति आश्वस्त होते हैं और दूसरे पक्ष के प्रति भ्रम का शिकार होते जाते हैं। यह पुस्तक बताती है कि अच्छे लोग किस तरह उच्च संघर्ष में फंस जाते हैं, और वे कैसे मुक्त होते हैं।
Dare to Lead: Brave Work. Tough Conversations. Whole Hearts, ब्रेन ब्राउन की यह पुस्तक बताती है कि अभाव, भय और अनिश्चितता की स्थिति में नेतृत्व एक चुनौती है। साहसी नेतृत्व के लिए ऐसे गुणों और कौशल की आवश्यकता होती है जो गहरे और मानवीय हों। विडंबना यह है कि हम नेतृत्वकारी लोगों के दिल और दिमाग को विकसित करने में निवेश नहीं करते। हम यह पता लगाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं कि क्या मशीनें और एआई इससे भी बेहतर और तेज़ काम नहीं कर सकते? हम सहानुभूति, जुड़ाव और साहस की शुरूआत के लिए क्या बेहतर कर सकते हैं?
Work Happy: What Great Bosses Know, लेखक गिल गीस्लर ने कई वर्षों तक पोयंटर इंस्टीट्यूट के नेतृत्व और प्रबंधन कार्यक्रमों का निर्देशन किया है। यह पुस्तक उनके लिए है, जो दूसरों को अपना सर्वश्रेष्ठ काम करने में मदद करने हेतु अपना कौशल बढ़ाना चाहते हैं। यह पुस्तक उपयोगकर्ता के अनुकूल और व्यावहारिक प्रकृति वाली है। इसलिए यह उन प्रबंधकों की टीम के लिए विशेष उपयोगी है, जो एक साथ सीखना चाहते हैं।
नेतृत्व कार्यशाला, वेबसाइट, अन्य संसाधन
Stronger Together: Strategies for Women Investigative Journalists – इसमें महिला खोजी पत्रकारों के अनुभव साझा किए गए हैं। यह खोजी महिला पत्रकारों का सहायक नेटवर्क बनाने की बात करता है। इनमें परस्पर सहयोग पर आधारित समुदाय बनाने के महत्व पर प्रकाश डाला गया है।
Poynter Leadership Academy for Women in Media – यह कार्यक्रम ऐसे नेतृत्वकारी महिलाओं के लिए है, जिनका अनुभव पांच साल से कम है। डिजिटल मीडिया और पत्रकारिता में सक्रिय भूमिका निभा रही महिलाएं भी द पोयंटर के न्यूज़लेटर The Cohort की सदस्यता भी ले सकती हैं।
OpenNews– यह एक गैर-लाभकारी संस्था है। इसका लक्ष्य एक रंगभेद से मुक्त, न्यायसंगत, समावेशी और सहयोगी मीडिया संगठन का निर्माण करना है। उनकी वेबसाइट मीडिया प्रबंधकों के लिए उपयोगी संसाधन है। ओपन न्यूज़ कार्यक्रम के बारे में अधिक जानकारी हासिल करें। आप इसमें कैसे शामिल हो सकते हैं? The DEI Coalition Slack project प्रबंधन चैनल देखें। प्रबंधन पर अधिक जानकारी के लिए ‘द पब्लिक रिसोर्सेस‘ भी पढ़ें।
The Management Center इसमें किसी टीम के सफल प्रबंधन के बारे में बेहतरीन सलाह मिलती है। खासकर शुरुआत कर रहे संगठनों के लिए यह एक शानदार संसाधन है। यह प्रबंधकों के लिए विभिन्न सहायक उपकरण प्रदान करता है। जैसे मूल्यांकन और समय प्रबंधन टेम्पलेट।
The Self-Investigation – यह मीडिया पेशेवरों की भलाई के उद्देश्य से सेवाएं प्रदान करता है। बहुभाषी, प्रमाणित प्रशिक्षकों और प्रशिक्षकों द्वारा इसका नेतृत्व किया जाता है। मार काबरा इसके सह-संस्थापक हैं। वह एक आईसीआईजे से जुड़े खोजी पत्रकार थे। उन्होंने वर्ष 2017 में पुलित्जर पुरस्कार मिलने के बाद बर्नआउट के कारण रिपोर्टिंग छोड़ दी। इसमें कुछ वेबिनार मुफ़्त हैं। कुछ की लागत कुछ सौ डॉलर है।
Harvard Business Review – यह हार्वर्ड बिजनेस पब्लिशिंग द्वारा प्रकाशित बिजनेस पत्रिका है।
Team Community – इसमें गैर-लाभकारी संगठनों के प्रबंधन के लिए संसाधन उपलब्ध हैं।
Financial Literacy for Women – यह हार्वर्ड कैनेडी स्कूल द्वारा प्रस्तुत कार्यशालाओं की निःशुल्क श्रृंखला है।
On Female Leadership, Learning, and Paths – गैब्रिएला मैनुली (उपनिदेशक, जीआईजेएन) के इस लेख में बताया गया है कि किस तरह महिलाएं आपस में मिलकर काम करते हुए आगे बढ़ सकती हैं।
Sincerely, Leaders of Color: It’s Time to Own Our Biases , जूलिया बी. चेन का यह लेख पत्रकारिता उद्योग में हर उस व्यक्ति के लिए है जो नस्लभेद के शिकार पत्रकारों को अपना सर्वश्रेष्ठ काम करने हेतु सहायक वातावरण बनाना चाहते हैं उनके बारे में बात करता है।
Working Women: Valerie Jarrett and the Importance of Mentorship – मेंटरशिप पर मिशेल ओबामा पॉडकास्ट का एक एपिसोड।
The Perils of an Achievement Culture– इसमें विषय को अधिक गहराई से जानने के लिए कई पुस्तकों के लिंक हैं।
कैरियर
वीडियो: Women and Investigative Journalism: Tips on Leadership – जीआईजेएन ने iMEdD इंटरनेशनल जर्नलिस्ट फोरम में यह सत्र आयोजित किया।
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संपादकीय टिप्पणी : इस आलेख का एक संस्करण नवंबर 2021 में प्रकाशित हुआ था। उसे जीआईजेएन की अमल घनी ने लिखा था। बाद में गैब्रिएला मैनुली तथा निकोलिया अपोस्टोलौ ने अन्य अंश जोड़कर यह आलेख तैयार किया है।
अनुवादः डॉ. विष्णु राजगढ़िया