Женщина держит плакат в поддержку независимых журналистов в Беларуси. Изображение: Shutterstock
सरकार डेटा छुपाए तो जांच कैसे करें : बेलारूस से सबक
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जिन देशों में सरकार का मीडिया के प्रति कठोर रवैया हो, वहां पत्रकारों को खोजी रिपोर्टिंग करना मुश्किल होता है। बेलारूस में भी मीडिया के लिए प्रतिकूल माहौल है। इसके बावजूद पत्रकार अपना काम कर रहे हैं। वहां की पत्रकार अलीना यान्चुर ने अपने अनुभवों से बताया कि सरकार जब डेटा छुपा रही हो, तो जांच कैसे की जाए।
बेलारूस में वर्ष 2020 में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। इसका अंतरराष्ट्रीय कवरेज हुआ। लगभग 30 वर्षों तक बेलारूस के राष्ट्रपति रहे अलेक्जेंडर लुकाशेंको पर मतदानकर्मियों ने चुनावी धांधली के आरोप लगाए थे। इसके कारण जनता में नाराजगी थी।
इस दौरान विरोध प्रदर्शन काफी हद तक शांतिपूर्ण थे। इसके बावजूद अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने निर्दयतापूर्ण कार्रवाई की। सैकड़ों पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और विपक्षी राजनेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। बेलारूसी एसोसिएशन ऑफ जर्नलिस्ट्स (बीएजे) का अनुमान है कि इस दौरान 400 से अधिक पत्रकारों को देश छोड़कर जाने को मजबूर होना पड़ा।
तीस मई से दो जून 2024 तक बेल्जियम में Dataharvest, the European Investigative Journalism Conference का आयोजन हुआ। इसके एक सत्र में पत्रकार अलीना यान्चुर कहती हैं- “अनगिनत पत्रकारों को अपना देश बेलारूस छोड़ना पड़ा। यूरोपीय देशों, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा ने बेलारूस और बेलारूसी वस्तुओं तथा अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया। इसके बाद बेलारूस की सरकार ने प्रतिबंधों से बचने के लिए विदेशी व्यापार संबंधी डेटा छुपाने के नए तरीके निकाले।”
अलीना यान्चुर एक खोजी एवं डेटा जर्नलिस्ट हैं। वह बेलारूसी इन्वेस्टिगेटिव सेंटर (बीआईसी) में काम करती हैं। यह एक स्वतंत्र मीडिया संगठन है। यह मुख्य रूप से भ्रष्टाचार, प्रतिबंधों को दरकिनार करने और अलेक्जेंडर लुकाशेंको के वित्त की जांच करता है। बीआईसी को अधिकारियों द्वारा “चरमपंथी संगठन“ करार दिया गया है। लिहाजा उसे देश के बाहर से काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। बेलारूस की गिनती मीडिया के प्रति सर्वाधिक दमनकारी देशों में होती है। पिछले साल की तुलना में वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में इसकी रैंकिंग 10 स्थान नीचे गिरी है। अब 180 देशों में यह देश 167 वें स्थान पर नीचे आ चुका है। यह रैंकिंग रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) द्वारा की जाती है।
सरकार की दमनकारी कार्रवाई के बाद मीडिया के लिए सरकारी डेटा तक पहुंच काफी बाधित हो गई है। वर्ष 2020 में कोविड महामारी के दौरान अधिकारियों ने मृत्यु दर के आंकड़ों को छिपाना शुरू कर दिया। प्रवासन के आधिकारिक आंकड़े गायब अथवा अस्पष्ट होने के कारण यह पता लगाना भी मुश्किल हो गया है कि 2020 के बाद कितने लोगों ने देश छोड़ा। 2023 में प्रतिबंध और कड़े कर दिए गए। बेलारूस की मुख्य सांख्यिकीय एजेंसी ने आदेश जारी किया कि “राष्ट्रीय सुरक्षा“ के लिहाज से आधिकारिक तौर पर डेटा पर रोक लग सकती है।
डेटा तक पहुंचने में तमाम कठिनाइयों के बावजूद बेलारूसी पत्रकार अब भी सरकार और उसकी संस्थाओं के कार्यों की जांच करने के तरीके ढूंढ रहे हैं। बेलारूसी इन्वेस्टिगेटिव सेंटर (बीआईसी) ने ऐसी कई महत्वपूर्ण खोजी रिपोर्ट निकाली हैं। ऐसी एक जांच रिपोर्ट का उदाहरण देते हुए अलीना यान्चुर ने सरकारी दमन के बावजूद सार्वजनिक हित की रिपोर्टिंग जारी रखने पर सुझाव दिये।
प्रतिबंधों के अपवंचन पर नज़र रखना
बीआईसी ने 2023 में खुलासा किया कि प्रतिबंधों का अपवंचन यानी इससे बचते हुए गलत काम कैसे किए जा रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिबंधों के बावजूद बेलारूसी उर्वरक, खासकर यूरिया की आपूर्ति यूरोपीय खरीदारों को कर दी गई। इसके लिए बेलारूस के प्रमुख सरकारी निर्माता ने मूल देश की जानकारी को छुपाया था।
बेलारूस में विदेशी व्यापार संबंधी आंकड़ों को गोपनीय रखा जा रहा हैं। लेकिन यूरोपीय देशों में ऐसे आंकड़े हासिल करना संभव है। इसलिए अलीना यान्चुर ऐसे आंकड़ों की तलाश के लिए यूरोपीय संघ के सांख्यिकीय कार्यालय Eurostat का उपयोग करती हैं।
वह कहती हैं- “यूरोस्टेट काफी विश्वसनीय संसाधन है। यूरोपीय देशों में सभी प्रकार के आयात संबंधी सारे विवरण को रिकॉर्ड करने के सख्त नियम हैं। किन चीजों का कितनी मात्रा में आयात हुआ, इसे रिकॉर्ड करना जरूरी है।“
अलीना यान्चुर एक अन्य संसाधन UN Comtrade का भी उपयोग करती हैं। यह एक वैश्विक व्यापार डेटा प्लेटफ़ॉर्म है। यह लगभग 200 देशों को कवर करता है। यह यूरोपीय संघ के बाहर के क्षेत्रों सहित दुनिया के 99 प्रतिशत से अधिक व्यापार का प्रतिनिधित्व करता है।
बीआईसी के पत्रकारों ने इस जांच के लिए करने के लिए यूरोस्टेट का उपयोग किया। इसकी मदद से पता लगाया कि प्रतिबंध लगने से पहले और बाद में बेलारूस और उज़्बेकिस्तान से यूरोपीय संघ के देशों को कितने यूरिया का निर्यात हुआ। पहले और बाद के डेटा का तुलनात्मक अध्ययन किया गया। इससे महत्वपूर्ण बात सामने आई। 2017 से 2023 के दौरान इन देशों के बीच व्यापार तीन गुना से अधिक हो गया था। इसके कारण उज़्बेकिस्तान को बेलारूस का मुख्य व्यापारिक भागीदार बनने का अवसर मिला।
अलीना यान्चुर को एक स्पष्ट पैटर्न देखने को मिला। बेलारूस के लिए निर्यात कम हो गया था। लेकिन उज़्बेकिस्तान के लिए यह आसमान छू गया था। उज़्बेकिस्तान पांच साल से यूरिया बिल्कुल नहीं बेच रहा था। लेकिन अब अचानक इसे बेचना शुरू कर दिया।
इसके बाद बीआईसी ने अन्य स्रोतों से परामर्श किया। यह समझने का प्रयास किया कि उज्बेकिस्तान में गोपनीय स्ट्रॉ कंपनियों का इस्तेमाल करके किस तरह यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों को दरकिनार किया गया था। अनीसा यान्चुर कहती हैं- “आंकड़ों से एक प्रवृत्ति का पता चलता है। इनसे हमें कुछ सुराग मिलते हैं। लेकिन अन्य व्याख्याओं की संभावना हमेशा बनी रहती है। शायद उज़्बेकिस्तान ने पांच वर्षों में दस कारखाने बनाए। साथ ही, भारी मात्रा में यूरिया बेचना शुरू कर दिया। हमें जो भी डेटा मिलें, उनके संबंध में आलोचनात्मक होना जरूरी है।
वह व्यापार संबंधी समाचारों और प्रेस विज्ञप्तियों का अध्ययन करके विशेषज्ञों से बात करने की सलाह देती हैं। कुछ विशेषज्ञों ने बीआईसी की टीम को महत्वपूर्ण समझ प्रदान की। एक विशेषज्ञ के अनुसार, उज्बेकिस्तान से यूरोपीय देशों तक सड़क या ट्रेन से उर्वरक भेजना काफी कठिन और महंगा था। लेकिन बेलारूस से बहुत आसान था। एक अन्य विशेषज्ञ ने जमा किए गए दस्तावेजों में खामियां पाईं। उन दस्तावेज़ों को देखकर एक विशेषज्ञ हंस रहे थे। विशेषज्ञ के अनुसार, इन दस्तावेजों से पता चलता है इसे नाइट्रोजन उर्वरकों से संबंधित किसी व्यक्ति ने नहीं लिखा है।
अलीना यान्चुर ने देशों के बीच यूरिया शिपमेंट का पता लगाया। इससे जानकारी मिली कि किन कंपनियों ने व्यापार समझौतों में भाग लिया और आपस में व्यापार कर रही थीं। ऐसी जानकारियों के लिए वैश्विक आयात-निर्यात रिकॉर्ड के डेटाबेस का उपयोग किया गया। ImportGenius और Panjiva जैसे प्लेटफॉर्म पर भुगतान के आधार पर ऐसा डेटाबेस मिल जाता है।
इस तरह उन्होंने विभिन्न स्रोतों से काफी जानकारी हासिल की। अलीना यान्चुर कहती हैं- “उर्वरक उद्योग के कर्मचारियों से लेकर पूर्व पुलिसकर्मी भी हमें जानकारी प्रदान करते हैं। हमारे पास पुजारियों का एक समूह भी है।” कई मामलों में, कर्मचारी पहले से ही प्रतिबंधों को दरकिनार करके अपनी कंपनी के आदेशों का पालन कर रहे हैं।
कंपनी के नेटवर्क की तलाश
प्रतिबंधों से बचने में आपूर्तिकर्ता की सहायता करने वाली कंपनियों के नेटवर्क के पीछे कौन लोग थे, इसका पता लगाने के लिए बीआईसी ने अन्य देशों के पत्रकारों की मदद ली। अलीना यान्चुर कहती हैं- “यदि आपका सामना किसी विदेशी कंपनी से हो, तो उस देश के पत्रकारों से संपर्क करें। आपकी तुलना में उनके पास जानकारी पाने के लिए खुले स्रोत, पहुंच और संसाधन अधिक हो सकते हैं।”
इस जांच के लिए कंपनी संबंधी दस्तावेजों का भी उपयोग किया। इनका विवरण इस प्रकार है-
- बेलारूस का ‘ऑफिशियल बिजनेस रजिस्टर‘। यह शुल्क आधारित है। यह केवल बेलारूस में या वीपीएन के जरिए पहुंच योग्य है।
- Legat.by – यह बेलारूस, रूस, यूक्रेन, कजाकिस्तान, मोल्दोवा, किर्गिस्तान और उज़्बेकिस्तान की कंपनियों का पंजीकरण विवरण और वित्तीय विवरण प्रकाशित करता है।
- Orginfo.uz – इसमें उज़्बेकिस्तान की कंपनियों के बारे में निःशुल्क जानकारी मिलती है।
- YouControl – यूक्रेनी कंपनियों पर इस संसाधन में से अधिकांश मुफ़्त जानकारी है।
- Spark-interfax.ru – इसमें रूस, कजाकिस्तान और बेलारूस के व्यावसायिक रिकॉर्ड उपलब्ध हैं।
- OpenCorporates – दुनिया में कंपनियों का सबसे बड़ा खुला डेटाबेस। इसमें 140 प्राधिकार क्षेत्रों की 20 करोड़ से अधिक कंपनियों का डेटा है।
- Dun & Bradstreet – इसमें 50 करोड़ से अधिक सार्वजनिक और निजी कंपनियों संबंधी रिपोर्ट है।
- Search.bisnode.rs – यह स्लोवेनिया, क्रोएशिया, सर्बिया और बोस्निया और हर्जेगोविना की कंपनियों का एक व्यावसायिक डेटाबेस है।
- Unternehmensregister – यह जर्मन कंपनियों का रजिस्टर है।
- North Data – इसमें जर्मन, स्कैंडिनेवियाई और पोलिश संस्थाओं सहित कई यूरोपीय कंपनियों का डेटा है। यह पत्रकारों को निशुल्क एकाउंट की सुविधा देता है।
कंपनियों से जुड़े लोगों की जांच
अलीना यान्चुर ने कंपनियों से जुड़े लोगों की जांच के लिए किसी व्यक्ति के नाम पर अन्य व्यावसायिक रिकॉर्ड देखने का सुझाव दिया। आप उनसे जुड़े फोन नंबर ढूंढ सकते हैं। ओसीसीआरपी के Aleph और OSINT.industries प्लेटफॉर्म का उपयोग भी करना चाहिए। वह अक्सर एक अन्य स्रोत का उपयोग करती हैं- Cyber Partisans। यह आईटी विशेषज्ञों का एक गुमनाम हैक्टिविस्ट समूह है। इसने तानाशाही का सामना करने के लिए अपनी तकनीकी विशेषज्ञता का उपयोग करने का निर्णय लिया है।
अलीना यान्चुर कहती हैं – “कई मामलों में उन्होंने बेलारूसी सरकार के कुछ आधिकारिक डेटाबेस को हैक कर लिया। अगर हमें व्यापक जनहित में किसी व्यक्ति की जानकारी चाहिए तो हम पता लगा सकते हैं कि क्या साइबर पार्टिसंस के पास उनके बारे में जानकारी है।” ऐसी जानकारी में कोई व्यक्ति कहां काम करता है, उनका संपर्क नंबर, पासपोर्ट डेटा इत्यादि की जानकारी मिल सकती है। वर्ष 2021 की गर्मियों तक उनकी विदेश यात्रा की जानकारी भी मिलना संभव है।
जांच के दौरान किसी फ़ोटो को सत्यापित करने की भी जरूरत पड़ती है। साइबर पार्टिसंस से मिली पासपोर्ट फ़ोटो की किसी अन्य व्यक्ति की फोटो से तुलना के लिए Amazon Rekognition का उपयोग किया जाता है। कई अच्छे रिवर्स इमेज सर्च इंजन हैं- Search4faces.com, FaceCheck.id और TinEye. इनके अलावा PimEyes सशुल्क संसाधन है।
एमिली ओ’सुलिवन जीआईजेएन में संपादकीय सहायक हैं। उन्होंने बीबीसी पैनोरमा के लिए एक खोजी शोधकर्ता के रूप में काम किया। वह बीबीसी न्यूज़नाइट की एनएचएस यूनिट के लिए सहायक निर्माता के रूप में भी काम कर चुकी हैं। उन्होंने सिटी, लंदन विश्वविद्यालय से खोजी पत्रकारिता में एमए किया है।
अनुवाद : डॉ. विष्णु राजगढ़िया