Invetigative Agenda for Climate Change Journalism
Invetigative Agenda for Climate Change Journalism

Illustration: Smaranda Tolosano for GIJN

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जलवायु परिवर्तन पत्रकारिता के लिए खोजी एजेंडा

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जीआईजेएन ने तेरहवीं ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म कॉन्फ्रेंस में 35 देशों के 80 जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) पत्रकारों और विशेषज्ञों की एक दिवसीय बैठक आयोजित की। इसमें जलवायु संकट से जुड़े विषयों की रिपोर्टिंग में खोजी पत्रकारिता की भूमिका पर चर्चा हुई।

ग्लोबल वार्मिंग के कारणों और प्रभावों की विभिन्न तरीकों से रिपोर्टिंग करके दर्शकों की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुंचाना बेहद महत्वपूर्ण है। मानव समाज काफी तेजी से जलवायु आपदा की ओर बढ़ रहा है। इसलिए, यह जरूरी है कि इस विषय पर दुनिया भर के पत्रकार अपने समय, कौशल और उपकरणों का उपयोग करें। इस संकट के लिए जवाबदेह लोगों को जिम्मेवार बनाएं, चाहे वे सरकारी हों या निजी क्षेत्र में। सच तो यह है कि जलवायु में आती गिरावट को कम किया जा सकता है। लेकिन ऐसा होने के बजाय इसकी गिरावट ही बढ़ती जा रही है। इस संकट के लिए आखिर कौन लोग जिम्मेदार हैं? खोजी या निगरानी पत्रकारिता (वाचडॉग पत्रकारिता) का मूल विषय ऐसी जवाबदेही निर्धारित करना ही होता है।

उस बैठक की रिपोर्ट का सारांश और परिचय इस आलेख में प्रस्तुत है। पूरी रिपोर्ट का पीडीएफ संस्करण आप यहां क्लिक करके डाउनलोड कर सकते हैं।

क्लाइमेट चेंज पर बैठक का सारांश

इस बैठक के निम्नलिखित उद्देश्य थे:

  • जलवायु परिवर्तन पर खोजी पत्रकारिता की प्राथमिकता क्या होगी, इस पर दृष्टिकोण और समझ का आदान-प्रदान करना;
  • जीवाश्म ईंधन उद्योग (फॉसिल फ्यूल इंडस्ट्री) की जांच से किस तरह नए पहलू सामने आ सकते हैं, इसकी चर्चा करना;
  • सरकारों को जवाबदेह ठहराने वाली गंभीर पत्रकारिता को कैसे बेहतर बनाया जाए, इस बात पर विचार करना;
  • खोजी पत्रकारों के बीच साझेदारी आधारित रिपोर्टिंग (कोलाबोरेशन) को कैसे बढ़ावा दिया जाए और उसे कैसे सुविधाजनक बनाया जाए, इस पर ध्यान देना, खासकर ग्लोबल साऊथ क्षेत्र में;
  • जलवायु मुद्दों पर ‘वाचडॉग पत्रकारिता’ को बढ़ावा देने के लिए सुझाव प्रस्तुत करना।

बैठक में इन सभी उद्देश्यों पर चर्चा की गई। इसमें जवाबदेही निर्धारित करने पर केंद्रित ‘जलवायु परिवर्तन पत्रकारिता’ के लिए प्राथमिकता तय की गई। प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:

  • ‘जीवाश्म ईंधन उद्योग’ और इससे संबंधित उद्योगों का विशाल नेटवर्क;
  • दुनिया भर की सरकारी नीतियां और वादे, उन्हें कौन प्रभावित कर रहा है;
  • जलवायु परिवर्तन से जुड़े सभी वित्तीय पहलू
  • कमज़ोर, प्रभावित, पीड़ित समुदाय;
  • स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण – किन्हें लाभ हो रहा है और किन्हें नुकसान हो रहा है;
  • एक जटिल, परस्पर संबंधित वैश्विक संकट के रूप में जलवायु परिवर्तन।

क्लाइमेट चेंज रिपोर्टिंग से जुड़ी महत्वपूर्ण चुनौतियां इस प्रकार हैंः

  • इसका डाटा, दस्तावेज़ और मानव स्रोत प्राप्त करना कठिन है;
  • सत्ता की संरचना इन विषयों पर पारदर्शिता नहीं चाहती;
  • वैश्विक जलवायु संकट काफी जटिल है। यह हमारी हर धड़कन को प्रभावित करता है;
  • क्षमता संबंधी मुद्दे हर जगह गंभीर हैं, विशेष रूप से ग्लोबल साऊथ में बहुत अधिक हैं;
  • क्लाइमेट चेंज के कारणों और प्रभावों को जोड़ते वाले विषयों पर खोजी रिपोर्टिंग के लिए सहयोग या साझेदारी आधारित (कोलाबोरेशन) नए मॉडल की आवश्यकता है;
  • जवाबदेही निर्धारित करने वाली अधिक रिपोर्टिंग की आवश्यकता है, खासकर अधिक रोचक लेखन शैली के साथ;
  • जनसामान्य की भागीदारी महत्वपूर्ण है। फिलहाल जलवायु संबंधी समाचारों में लोगों की दिलचस्पी कम है। ऐसी खबरों पर लोगों को भरोसा भी कम होता है;
  • जलवायु संबंधी विषयों पर दुष्प्रचार और गलत सूचनाएं भी व्यापक तौर पर मौजूद हैं।

बैठक में विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन पर खोजी पत्रकारिता को मजबूत करने हेतु निम्न सुझाव दिए:

  • समाचार संगठनों के भीतर अपनी क्षमता बढ़ाना, विशेषज्ञता बनाने के लिए प्रशिक्षण, सलाह, स्टाफ और संसाधनों में वृद्धि करना;
  • प्रासंगिक डाटा और विशेषज्ञता तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करना;
  • वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर ऐसी पहल करना, जो पूरक हों और प्रभाव बढ़ाने में सहयोग करें;
  • सूचना साझा करने और सीमा पार सहयोग की सुविधा के लिए बेहतर मंच उपलब्ध कराना। खासकर ग्लोबल साऊथ और उत्तर में समाचार संगठनों के बीच आपसी सहयोग के नए प्रयास करना;
  • जनसामान्य की भागीदारी बढ़ाने संबंधी रणनीतियों पर चर्चा और विचार करना।

परिचय: क्लाइमेट चेंज पर रिपोर्टिंग क्यों ?

किफायती हरित ऊर्जा (ग्रीन इनर्जी) के विकास पर प्रगति के बावजूद, वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगातार वृद्धि हो रही है। जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल के विश्वस्तरीय अधिकारियों का ऐसा मानना है।

जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है। लेकिन इसके कारण हर जगह के लिए एक समान नहीं हैं। इसमें जीवाश्म ईंधन की सबसे बड़ी भूमिका है। इसमें बड़े पैमाने पर कोयला, तेल और गैस शामिल है। इनका वैश्विक ग्रीनहाउस गैसों में 75 प्रतिशत से अधिक योगदान है। इस 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु संकट के बावजूद 96 प्रतिशत तेल और गैस उद्योग का विस्तार हो रहा है। ऐसा खतरनाक विस्तार एक ऐसी स्थिति में हो रहा है, जबकि दुनिया की कई सरकारों और निगमों ने नेट-शून्य और जलवायु परिवर्तन शमन संबंधी अन्य प्रतिज्ञा कर रखी है।

विडंबना यह है कि वैश्विक उत्सर्जन में बेहद मामली योगदान देने वाले कमजोर समुदायों को ही जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। जैसे, समुद्र के स्तर में वृद्धि, कृषि उपज में कमी, जंगल की अधिक तीव्र आग, गंभीर तूफान, बढ़ती गरीबी, भूख और विस्थापन आदि। विभिन्न देशों की सरकारों द्वारा क्लाइमेट चेंज के शमन और अनुकूलन में सहायता करने के ज्यादातर संकल्प महज खोखले वादे बनकर रह जाते हैं। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन से संबंधित गलत सूचनाएं और दुष्प्रचार भी बढ़ रहा है। संपूर्ण ग्रह के लिए इसके परिणाम गंभीर हैं। जलवायु परिवर्तन भले ही बदतर होता जा रहा है, फिर भी यह अपरिवर्तनीय नहीं है। इसे अब भी सुधारना संभव है।

दुनिया भर में हजारों पत्रकार जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव पर रिपोर्टिंग कर रहे हैं। ऐसी पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए कई नेटवर्क स्थापित किए गए हैं। ऐसी पत्रकारिता जनसामान्य को सूचित करने और जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण है। यह सत्ता में बैठे उन लोगों को चुनौती देने के लिए भी जरूरी है, जो पर्यावरण संरक्षण की बात करते हैं, लेकिन वास्तव में पृथ्वी को जला रहे हैं। ऐसी सत्ता की जवाबदेही सुनिश्चित करना ही खोजी पत्रकारिता का मौलिक कार्य है। जलवायु परिवर्तन की सभी जटिलताओं पर व्यवस्थित, गहन, मौलिक रिपोर्टिंग जरूरी है। इसमें आर्थिक हितों के नए विकसित हो रहे समूहों पर नज़र रखना भी शामिल है। दुनिया कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्था की ओर अनुकूल रूप से आगे बढ़ रही है। ऐसे में कॉरपोरेट और सरकारों की जवाबदेही पर खोजी पत्रकार किस तरह ध्यान केंद्रित करें, यह विचारणीय है।

यह पता लगाने के लिए, ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म नेटवर्क ने The Investigative Agenda for Climate Change Journalism नामक एक कार्यशाला आयोजित की। अधिकांश खोजी पत्रकारिता नेटवर्क, जलवायु परिवर्तन पत्रकारिता की दुनिया के शीर्ष पत्रकारों और शोधकर्ताओं की एक दिवसीय बैठक की गई। दुनिया भर से जलवायु परिवर्तन पर खोजी पत्रकारिता की सर्वोच्च प्राथमिकताओं पर दृष्टिकोण साझा करने के लिए 35 देशों के 80 लोग इसमें शामिल हुए।

Journalismfund Europe और अन्य संस्थाओं की मदद से यह बैठक 19 सितंबर 2023 को गोथेनबर्ग, स्वीडन में हुई। इसे ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म कॉन्फ्रेंस से एक दिन पहले आयोजित किया गया था। इसमें पांच विषयों पर विशेष ध्यान देने के जिए चर्चा हुई। खोजी पत्रकारिता की प्राथमिकताओं और चुनौतियों पर बात हुई। इसमें जीवाश्म ईंधन उद्योग, सरकारी जवाबदेही, जलवायु वित्त, जलवायु प्रभाव और आपूर्ति श्रृंखला विषय विचारणीय था। प्रत्येक सत्र में एक सिंहावलोकन, केस स्टडी और चर्चा की गई। इसके बाद प्रतिभागी समूहों में विभाजित हो गए। ब्रेकआउट चर्चाओं की रिपोर्ट के साथ बैठक समाप्त हुई।

बैठक की अध्यक्षता अनुभवी खोजी पत्रकार शीला कोरोनेल ने की। वह कोलंबिया जर्नलिज्म स्कूल में टोनी स्टेबिल सेंटर फॉर इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म की निदेशक हैं। वह फिलीपीन सेंटर फॉर इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म की संस्थापक और वर्तमान बोर्ड सदस्य भी हैं।

खुली और स्वस्थ चर्चा को प्रोत्साहित करने के लिए, बैठक में चैथम हाउस नियम का पालन किया गया। इसका अर्थ है कि पत्रकारिता की भाषा में, ‘पृष्ठभूमि पर‘ चर्चा थी। उसमें की गई टिप्पणियों के लिए किसी व्यक्ति के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। न ही किसी व्यक्ति की पहचान उजागर की जा सकती है। इस रिपोर्ट में जिन लोगों का उल्लेख किया गया है, उन्होंने अपने नाम और उद्धृत टिप्पणियों का उपयोग करने की अनुमति प्रदान की है।

सत्र के बाद, जीआईजेएन ने बैठक का आकलन करने और भविष्य की गतिविधि के लिए जानकारी पाने के लिए एक गुमनाम सर्वेक्षण किया। इसमें 86 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने सत्र को बेहद उपयोगी बताया। साथ ही, 90 प्रतिशत ने कहा कि वे ऐसी चर्चा को जारी रखना चाहेंगे। भविष्य में चर्चा जारी रखने तथा समस्याओं का समाधान करने के लिए ऑनलाइन समूह का निर्माण करने, पत्रकारों की नेटवर्किंग जैसे विचार आए। इस तरह, एक दिन का यह समय बहुत कम था। लेकिन मुझे उम्मीद है कि यह भविष्य में एक सहयोगात्मक कार्यक्रम साबित होगा। यह एक ऊर्जावान शुरुआत थी। दिन भर चर्चा के दौरान उठाए गए मुख्य बिंदुओं की शुरुआत प्रमुख समस्याओं को समझने से हुई। इसके बाद चुनौतियों की पहचान की गई और फिर सिफारिशें की गईं।

अंत में, कार्यशाला और इस रिपोर्ट को संभव बनाने में सभी लोगों के प्रति अपना हार्दिक आभार! इनमें जर्नलिज्मफंड यूरोप और शीला कोरोनेल के साथ ही 80 से अधिक शानदार पत्रकार और विशेषज्ञ शामिल हैं। यह सारे लोग अपनी अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए दुनिया भर से आए थे। जीआईजेएन से जुड़े हमारे सहकर्मियों, खासकर टॉबी मैकिन्टोश, एंड्रिया रोमानोस और जीआईजेएन के पूर्व कार्यकारी निदेशक डेविड कपलान का आभार! उत्कृष्ट पत्रकार डेबोरा नेल्सन को भी बहुत-बहुत धन्यवाद, जिन्होंने टॉबी और मेरे साथ इस रिपोर्ट का सह-लेखन किया।


ऐन कोच भ्रष्टाचार विरोधी एनजीओ ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल में निदेशक बनने से पहले बीस से अधिक वर्षों तक प्रसारण पत्रकार और कार्यकारी पदों पर मुख्यतः बीबीसी के लिए काम किया। बीबीसी पत्रकारिता में उनके पुरस्कार विजेता कैरियर में इंग्लिश वर्ल्ड सर्विस की उपनिदेशक, बीबीसी के प्रमुख रेडियो समाचार और समसामयिक मामलों के कार्यक्रम की कार्यकारी संपादक और वर्ल्ड टुनाइट की संपादक के रूप में उनकी सेवा शामिल है। उन्होंने सौ से अधिक वृत्तचित्रों का निर्माण या संपादन किया है। उन्होंने बीबीसी रेडियो 4 के खोजी पत्रकारिता कार्यक्रम फाइल ऑन फोर में निर्माता के रूप में भी काम किया। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल में उन्होंने यूरोप और मध्य एशिया के निदेशक के रूप में कार्य करते हुए लगभग 50 स्वतंत्र चैप्टर्स की देखरेख की।

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