नोबेल पुरस्कार विजेता रूसी पत्रकार दिमित्रि मुरातोव के साथ जीआईजेएन की बातचीत
इस लेख को पढ़ें
पूरी दुनिया में लोकतंत्र और स्वतंत्र पत्रकारिता आज मुश्किल के दौर से गुजर रही है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाम हर सरकार लगाना चाह रही है। पत्रकारों पर मुकदमें लादे जा रहे हैं। उन्हें जेल भेजा जा रहा है, उनकी हत्या की जा रहा है या उन पर लगातार पाबंदियां थोपी जा रहीं हैं, जिससे कि वे शासकों के खिलाफ न लिखें। इतना ही नहीं, टेक्नोलॉजी के माध्यम से उनकी जासूसी और उन्हें अलग-अलग तरीकों से प्रताड़ित किया जा रहा है। उनकी खबरों और उनके काम को ‘आईटी सेल’ के प्रोपोगंडा और अधकचरी जानकारी के माध्यम से कमतर साबित किया जा रहा है। अधिनायकवादी सरकारों द्वारा लगातार स्वतंत्र पत्रकारों के प्रति समाज में घृणा फैलाई जा रही है और स्वतंत्र पत्रकारिता के प्रति समाज के भरोसे को निरंतर कम किया जा रहा है।
इस तरह के विपरीत वातावरण में जब पत्रकारों को राजनीतिक विरोध का सामना करना पड़ रहा है, तब वह अपने आप को कैसे बचाए रखें और स्वतंत्र पत्रकारिता करें। यह बड़ा सवाल बन गया है। रूस में स्वतंत्र मीडिया संस्थानों को अब ‘देश-विरोधी’ होने का तमगा दिया जा रहा है और मीडिया की आवश्यकता पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। पत्रकारों को विदेशी एजेंट तक कहा जा रहा है जिसके कारण लगातार वे देश छोड़कर जाने को मजबूर हैं।
ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म नेटवर्क, स्वतंत्र और खोजी पत्रकारिता के विकास को लेकर प्रतिबद्ध है। इसी कड़ी में साल 2021 के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता पत्रकार दिमित्री मुरातोव के साथ एक विस्तृत संवाद का आयोजन किया गया है।
मुरातोव, रूस के नोवाया गैज़ेटा समाचार पत्र के प्रधान संपादक हैं। नोवाया गैज़ेटा वहां का प्रमुख स्वतंत्र अखबार है जो भ्रष्टाचार, मानवाधिकारों, चुनावी गड़बड़ियां, पुलिस हिंसा और ताकतवर लोगों द्वारा सत्ता के दुरुपयोग की खबरें लगातार लिखता रहता है। रूस में स्वतंत्र अखबारों को लगातार समाप्त किया जा रहा है और मीडिया संस्थानों को सरकारी खबरें दिखाने को मजबूर किया जा रहा है। वर्ष 2000 से लेकर अब तक नोवाया गैज़ेटा के 5 पत्रकारों की हत्या की जा चुकी है, जिसमें अन्ना पोलितकोवयस्का प्रमुख हैं।
मुरातोव को इस वर्ष का शांति का नोबेल पुरस्कार फिलीपींस की पत्रकार मारिया रेसा के साथ दिया गया है। दोनों पत्रकारों को यह पुरस्कार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा में उनके प्रयासों के सम्मान में दिया गया है। नोबेल पुरस्कार समिति मानती है कि “स्वतंत्र पत्रकारिता, लोकतंत्र और स्थायी शांति के लिए आवश्यक तत्व है।”
बातचीत का संचालन जीआईजेन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डेविड ई कपलान और डिप्टी डायरेक्टर गैब्रिलिया मनुली संयुक्त रुप से करेंगी। इस संवाद का प्रसारण अंग्रेजी, रूसी, अरबी और फ्रेंच भाषाओं में एक साथ किया जाएगा। यह बातचीत एक घंटे चलेगी जिसमें दर्शक सवाल भी पूछ सकेंगे।
अधिक जानकारी के लिए हमारे ट्विटर हैंडल @gijn और न्यूज़लेटर को देखें।
कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए रजिस्टर करें !
दिनांक: मंगलवार 14 दिसम्बर 2021
समय:
9:00 AM (वॉशिंगटन, डीसी, टोरोंटो)
14:00 (लंदन)
15:00 (बर्लिन, पेरिस, ट्यूनिस )
16:00 (अम्मान, काहिरा, जोहनेसबर्ग )
17:00 (इस्तांबुल, मॉस्को, कंपाला, नैरोबी )
19:00 (इस्लामाबाद)
19:30 (दिल्ली)
20:00 (ढाका)
21:00 (बैंकॉक, हनोई, जाकर्ता)
22:00 (हांग कांग, क्वालालम्पुर, मनीला )
23:00 (सोल, टोक्यो)
01:00 दिसंबर 15 (सिडनी)