facial recognition techniques panel GIJC23
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चेहरे की पहचान और अन्य तरीक़ों के जरिए खोजी पत्रकारिता

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खोजी पत्रकारिता के लिए उच्च तकनीकी उपकरणों और पारंपरिक अनुसंधान तकनीक का मिश्रण काफी उपयोगी है। इस मामले में तेजी से विकास हो रहा है। सर्वोत्तम उपकरण और तकनीक का उपयोग करके मीडिया संस्थानों और पत्रकारों को तेजी से आगे बढ़ने और प्रभावशाली खबरें निकालने में मदद मिल सकती है।

तेरहवीं ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म कांफ्रेंस (जीआइजेसी-23) (13th Global Investigative Journalism Conference) में अनुसंधान की अत्याधुनिक तकनीक (state-of-the-art research techniques) पर एक पैनल चर्चा हुई। पैनल इस प्रकार था:

पैनल ने हाल ही में हुई विभिन्न खोजी रिपोर्टिंग पर चर्चा की। चेहरे की पहचान सेवाओं और दस्तावेज वर्गीकरण पर भी चर्चा हुई। इन चीजों के लिए खोजी पत्रकारों के पसंदीदा तरीकों और उपकरणों पर भी विचार किया गया।

चेहरे की पहचान के साथ अन्य तकनीक का उपयोग

करीना शेड्रोफस्की ने रूस में शिक्षकों के बीच एक कथित क्रिप्टोकरेंसी घोटाले की जांच की थी। इससे जुड़े अनुभवों के आधार पर वह बताती हैं कि उन्होंने अपने एक पसंदीदा टूल का किस तरह उपयोग किया। उनके पास इस मामले से जुड़े एक संदिग्ध व्यक्ति की सिर्फ एक तस्वीर थी। इसके अलावा उनके पास कोई जानकारी नहीं थी। इसलिए उन्होंने रिवर्स इमेज सर्च सेवा ‘पिमआईज’ (PimEyes) का उपयोग किया। इस सर्विस में चेहरा पहचानने की क्षमता है।

PimEyes में उस व्यक्ति की तस्वीर की रिवर्स इमेज सर्च की गई। इसमें कई परिणाम और लिंक मिले। एक व्यक्ति का नाम भी मिला। संभवतः उसी व्यक्ति की एक अन्य तस्वीर भी मिली। इसके बाद अमेजॅन की Rekognition सर्विस का उपयोग किया गया। इसके जरिए उन दो तस्वीरों के चेहरों की तुलना करके यह पता लगाया गया कि दोनों फोटो वास्तव में एक ही व्यक्ति की है, अथवा नहीं। इसके नतीजे ने 98 प्रतिशत मिलान की पुष्टि की।

लेकिन करीना शेड्रोफस्की कहती हैं कि चेहरे की पहचान के परिणामों को सत्यापित करना बहुत जरूरी है। इन सेवाओं पर काफी भरोसा होने के बावजूद कई बार ऐसी सेवाएं विफल हो सकती हैं।

एक अन्य मामले में PimEyes से कोई संतोषजनक परिणाम नहीं मिला। तब  करीना शेड्रोफस्की ने  search4faces का उपयोग किया। यह एक लोकप्रिय रूसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘वीके’ (वीकोनटेक्ट) को इन्डेक्स करने वाली सेवा है। इसमें ऐसी संतोषजनक जानकारी मिल गई, जिसकी आवश्यकता थी।

ओसीसीआरपी की करीना शेड्रोफस्की ने चेहरा पहचानने वाली तकनीक का उपयोग करके अपनी कई खोजी रिपोर्टिंग पर चर्चा की। इमेज: जीआईजेएन के लिए स्मरंडा टोलोसानो।

तीसरा उदाहरण काफी दिलचस्प है। ओसीसीआरपी ने एक खोजी रिपोर्टिंग की थी। यह एक ऐसे व्यवसायी पर स्टोरी थी, जिसे एक प्रतिबंधित रूसी कुलीन व्यक्ति के प्रॉक्सी के रूप में काम करने वाला समझा जाता था। इस जांच के लिए एक पत्रकार ने करीना शेड्रोफस्की से उस व्यवसायी के बेटे की पहचान साबित करने में मदद मांगी थी।  उस रिपोर्टर के साथ बातचीत में बेटे ने इस बात से इनकार कर दिया था कि वह व्यक्ति उसका पिता है।

करीना शेड्रोफस्की ने इस जांच में मदद की। उस व्यवसायी के नाम और बेटे की जन्मतिथि की जानकारी थी। यह भी मालूम था कि बेटा एक रूसी सरकारी बैंक में काम करता है। इस जांच के लिए ‘पिपल’ (Pipl) का उपयोग किया गया। यह एक ऐसा उपकरण है जो किसी व्यक्ति की भौतिक उपस्थिति को उनकी ऑनलाइन उपस्थिति के साथ जोड़ने में बहुत कारगर है। किसी का ईमेल पता या फोन नंबर दर्ज करने से उसके सोशल मीडिया खाते या भौतिक पते की जानकारी मिल सकती है।

बेटे का नाम काफी सामान्य होने के कारण खोज में काफी परिणाम मिले। इसलिए सही व्यक्ति तक पहुंचना आसान नहीं था। लेकिन एक परिणाम में उसके बैंक के डोमेन वाला ईमेल पता मिला। इसके बाद एक फेसबुक अकाउंट मिला जिसके बारे में ऐसा लगा कि यह उसी का है। लेकिन यह एक निजी अकाउंट था, जिसमें कोई जानकारी नहीं दिख रही थी। इसके कारण आगे की जांच मुश्किल लग रही थी। लेकिन करीना शेड्रोफस्की एक महत्वपूर्ण तरीका जानती थी। किसी निजी फेसबुक खाते पर आप प्रोफाइल पेज के दाहिने कोने में तीन बिंदुओं पर क्लिक करके आप उसकी  टाइमलाइन पर सार्वजनिक रूप से पोस्ट की गई कोई भी चीज खोज सकते हैं।

करीना शेड्रोफस्की ने इसमें जाकर उस बेटे का जन्मदिन, प्रासंगिक नाम इत्यादि खोजना शुरू किया। इस प्रोफाइल पर उसी तारीख को जन्मदिन के संदेश आए थे, जो उस बेटे का जन्मदिन था।

इससे पूरा विश्वास हो गया कि यह उसके बेटे की सही प्रोफाइल है। इसमें ‘लव’ शब्द की खोज करने पर उसकी पत्नी का नाम मालूम हुआ। फिर उनके नाम और उपनाम के साथ गूगल सर्च की गई। इसमें उस फोटोग्राफी कंपनी की वेबसाइट मिली जिसने उनकी शादी को शूट किया था। दिलचस्प बात यह है कि कंपनी ने उनकी शादी का पूरा एल्बम पोस्ट किया था। इस एलबम में उस व्यक्ति की तस्वीर मिल गई जिस पर उसका पिता होने का संदेह था। फिर दोनों फोटो की ‘पिमआईज’ में जांच करने पर दोनों एक ही व्यक्ति की फोटो होने की बात सामने आई।

करीना शेड्रोफस्की के अनुसार ओसीसीआरपी के एलेफ (OCCRP’s Aleph) डेटाबेस के अलावा ‘ओपेनकारपोरेट्स’ (OpenCorporates) उनका पसंदीदा उपकरण हैं। साथ ही, ‘ट्रूकॉलर’ (Truecaller) और ‘रॉकेट्रैक’ (Rocketreach) ऐप भी किसी व्यक्ति की जानकारी पाने के लिए उपयोगी हैं।

पत्रकारिता के बुनियादी नियमों के साथ अत्याधुनिक उपकरणों का संयोजन

आईसीआईजे (इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स) की प्रशिक्षण प्रबंधक जेलेना कोसिक ने भी अपने अनुभव साझा किए। वह बताती हैं कि किस तरह वह आधुनिक उपकरणों के साथ पत्रकारिता के बुनियादी नियमों और पुराने स्कूल की तकनीकों का संयोजन करती हैं। उन्होंने आईसीआईजे की एक नई खोजी रिपोर्टिंग परियोजना का उदाहरण दिया। यह वनों की कटाई (Deforestation Inc) मामले की एक सीमा पार जांच थी। इसने ‘सस्टेनेबुल’ का पर्यावरण प्रमाणपत्र लेकर ब्रांडेड कंपनियों द्वारा जंगल नष्ट किए जाने को उजागर किया। इन कंपनियों पर वन का विनाश करने और मानवाधिकार हनन का आरोप था। यह कोई आसान परियोजना नहीं थी। इस जांच के लिए पत्रकारों ने निम्नलिखित प्रमुख स्रोतों का उपयोग करके अपना स्वयं का डेटाबेस बनायाा:

  • कंपनी प्रमाणपत्र देने वाले संस्थान और लेखा परीक्षक।
  • ईयूटीआर (ईयू टिम्बर रेगुलेशन) के उल्लंघन की देश आधारित सूची।
  • पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन पर सरकार और विभिन्न एनजीओ की रिपोर्ट।
  • इम्पोर्टजीनियस (ImportGenius) से व्यापार डेटा।
  • सूचना का अधिकार से प्राप्त जानकारी, कॉरपोरेट दस्तावेज, मार्केटिंग और प्रचार सामग्री, अदालतों में फाइल किए गए दस्तावेज।
  • ऑर्बिस और फैक्टिवा के माध्यम से मूल कंपनियों के डेटा निकालना।

ऐसे सभी डेटासेटों को सुसंगत बनाकर उनके माध्यम से आवश्यक सूचना तक पहुंचना काफी उपयोगी तरीका है। इस तरह आवश्यक जानकारी को एक ही मास्टर डेटाबेस से एक्सेस किया जा सकता है। जेलेना कोसिक कहती हैं कि इस प्रकार की जांच शुरू करने से पहले यह निर्णय लेना जरूरी है कि आपके लिए कौन-सी अनुसंधान पद्धति बेहतर होगी।

जेलेना कॉसिक बताती हैं कि उनका सर्वाधिक पसंदीदा टूल आईसीआईजे का डेटाशेयर (ICIJ’s Datashare) है। यह अपलोड किए गए दस्तावेजों को सर्च करनेयोग्य बनाने के लिए उन पर ओसीआर (ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन) तकनीक का उपयोग करता है। यह स्वचालित रूप से लोगों, संगठनों और स्थानों के आधार पर दस्तावेजों का पता लगाकर फिल्टर भी करता है। इसके कारण यह सर्च काफी कारगर हो जाती है।

यह विज्ञान से अधिक कला है

पैनल चर्चा में दोनों पत्रकारों ने खोजी पत्रकारिता की विभिन्न चुनौतियों पर बात की। करीना शेड्रोफस्की कहती हैं कि यह क्षेत्र विज्ञान से अधिक कला है, और लगातार बदल रहा है। बढ़ते अपराधों की खोजी रिपोर्टिंग करने के लिए आपको भी निरंतर आगे बढ़ना होगा।

जेलेना कोसिक ने चीन से जानकारी प्राप्त करने में आने वाली कठिनाइयों की जानकारी दी। उन्होंने यूरोपीय संघ के डेटा संरक्षण विनियमन संगठन ‘जीडीपीआर’ के नियमों के कारण उत्पन्न सीमाओं का भी उल्लेख किया। उन्होंने अपतटीय (ऑफशोर) डेटा और डोमेन पंजीकरण जटिलताओं का हल निकालने की भी जरूरत बताई।

दोनों पत्रकारों ने कहा कि ऐसे मामलों में खोजी रिपोर्टिंग में आगे रहने के कई तरीके हैं। उन्होंने खोजी पत्रकारों के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए:

  • स्प्रेडशीट आपके सबसे अच्छे दोस्त हैं। अपने डेटा को व्यवस्थित करने के लिए उनका उपयोग करें।
  • बेहतर डेटा प्रबंधन के लिए डेटा विशेषज्ञों से मार्गदर्शन लें।
  • डाउनलोड किए गए दस्तावेजों को अलग-अलग फोल्डर बनाकर व्यवस्थित रूप से रखें।
  • संपूर्ण वेब पृष्ठों को कैप्चर करने के लिए क्रोम ऐड-ऑन का उपयोग करें। सर्च इतिहास संरक्षण के लिए वेबैक मशीन ऐड-ऑन का उपयोग करें।
  • दस्तावेजों के प्रभावी वर्गीकरण के लिए संरचना बनाकर टैग करें।
  • अन्य पत्रकारों से स्रोत से सहयोग लेने के दौरान डेटा की सुरक्षा का ध्यान रखें। इसके लिए डबल-एन्क्रिप्टेड ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म का उपयोग करें।
  • खोजी पत्रकारिता में विविध कौशल और पृष्ठभूमि का काफी महत्व है। इसलिए जिस विषय पर रिपोर्टिंग करनी हो, उससे जुड़े विविध लोगों की मदद लें।

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