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खोजी महिला पत्रकारों के लिए नौ सुझाव

रेखांकन: काटा मठ / रिमार्कर

ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म नेटवर्क की बारहवीं कॉन्फ्रेंस (#GIJC21) में महिला पत्रकारों पर एक सत्र रखा गया। विषय था- महिला और खोजी पत्रकारिता : नेतृत्व पर सुझाव। इसमें यह सर्वसम्मति बनी कि एक व्यवसाय के रूप में पत्रकारिता को महिलाओं के लिए कम अनुकूल क्षेत्र माना जाता रहा है। खासकर खोजी पत्रकारिता को तो महिलाओं के लिए अधिक प्रतिकूल समझा जाता है। ऐसे परिवेश में खोजी पत्रकारिता के क्षेत्र में महिला पत्रकारों को आगे बढ़कर नेतृत्वकारी भूमिका में आने के लिए नौ सुझावों पर चर्चा हुई।

इस पैनल में विश्व के इन अग्रणी खोजी पत्रकारिता संगठनों की संपादकों को शामिल किया गया। यूके स्थित ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म (टीबीआईजे) , नाइजीरिया के वोल सोयिंका सेंटर फॉर इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म, ताइवान की खोजी साइट ‘द रिपोर्टर‘, यूएसए का अनुदान दाता संगठन पुलित्जर सेंटर और जॉर्डन स्थित अरब रिपोर्टर्स फॉर इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म(एआरआईजे) के प्रतिनिधि संपादक इसमें शामिल रहे।

इन पैनलिस्टों ने दशकों के सामूहिक अनुभव के आधार पर बताया कि न्यूजरूम में महिलाओं के लिए विभिन्न चुनौतियों के बावजूद वे किस तरह शीर्ष पर पहुंचीं। उन्होंने ऐसे कदमों की जानकारी दी, जिनके जरिए उन्हें यहां तक पहुंचने का अवसर मिला। खोजी पत्रकारिता में आगे आने के लिए महिला पत्रकारों को किस तरह के कदम उठाने चाहिए, इस पर सुझाव भी दिए। उन्होंने खोजी पत्रकारिता के क्षेत्र में आगे आने वाली महिलाओं की पहचान के उपाय भी बताए। कार्यशाला में हुई चर्चा के आधार पर यहां नौ सुझाव प्रस्तुत हैं। पैनल का पूरा वीडियो भी नीचे लेख में दिया गया है।

1. अकेली योद्धा की मानसिकता से बाहर निकलें

टीबीआईजे की प्रबंध संपादक सह सीईओ रैचेल ओल्ड्रोयड ने ‘अकेली योद्धा‘ जैसी मानसिकता से बाहर निकलने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि यह पुरानी धारणा है कि आप खुद को एक ऐसी खोजी महिला रिपोर्टर समझ रही हैं, जो अकेले अपने दम पर काम करती हो। ऐसे विचार को छोड़कर यह कोशिश करें कि अपने संगठन के भीतर तथा बाहर की महिलाओं का सहयोग लेकर यह एहसास कराएं कि आपकी टीम में कई महिला खिलाड़ी हैं। इससे कई प्रकार के लाभ संभव हैं। खासकर परस्पर सहयोग आधारित खोजी पत्रकारिता में यह काफी उपयोगी होगा। उन्होंने कहा- “महिलाएं स्वाभाविक तौर पर अपने अनुभवों को साझा करने, आपसी सहयोग करने, नेटवर्किंग बनाने और एक-दूसरे की भावनों को समझने की दिशा में ज्यादा अच्छा काम कर सकती हैं। खोजी पत्रकारिता में ऐसे सभी कौशल काफी महत्वपूर्ण हैं। पत्रकारिता में ऐसे विचारों के महत्व पर भी महिला पत्रकारों को जोर देना चाहिए। इससे उन्हें आगे आने का अवसर मिलेगा।”

2. किसी भी कैरियर की राह आसान नहीं होती

मरीना वॉकर ग्वेरा ‘पुलित्जर सेंटर‘ की कार्यकारी संपादक हैं। लेकिन इस ऊंचाई तक पहुंचने का उनका रास्ता आसान नहीं था। पहले वह अर्जेंटीना के एक मीडिया संगठन में वरिष्ठ रिपोर्टर थीं। लेकिन उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका जाने का फैसला किया। वह इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे)  में इन्टर्न बन गई। उस वक्त परिजनों ने इसे पीछे की ओर जाने वाला गलत कदम बताया। सबको लगता था कि एक हाई-प्रोफाइल रिपोर्टिंग पद को छोड़कर वह एक मामूली इन्टर्न बन रही हैं। लेकिन धीरे-धीरे उनकी पदोन्नति होती गई। कुछ बरसों बाद आईसीआईजे के उप-निदेशक बन गईं। फिर वह इस संगठन की रणनीतिक पहल और नेटवर्क की निदेशक बन गईं। मरीना वॉकर ग्वेरा ने अपने अनुभवों के आधार पर महिला पत्रकारों को सुझाव दिया कि लोगों का कैरियर हमेशा अनुमानित नहीं होता। यह जरूरी नहीं कि यह किसी एक सरल रेखा में चले। कोई जरूरी नहीं कि हम हमेशा किसी एक सीधे रास्ते पर चलते रहें या उसी दिशा में जारी रहें। यदि आप जोखिम लेकर कोई दांव लगाते हैं, तो उसका बड़ा लाभ मिल सकता है।

3. अपनी बात पुरजोर तरीके से रखें

रैचेल ओल्ड्रोयड ने महिला पत्रकारों को सुझाव दिया कि यदि वह अपने संस्थान में अकेली महिला हों, तो चुप रहने के बजाय अपनी बात पुरजोर तरीके से रखें। अकेली महिला होने के नाते आपके दृष्टिकोण को अवश्य सुना जाएगा। यदि आप महिलाओं पर केंद्रित स्टोरीज करेंगी, तो काफी सफलता की संभावना होगी क्योंकि ऐसी सामग्री को अब तक उचित प्रमुखता नहीं दी गई है। रैचेल ओल्ड्रोयड ने कहा कि अब समय बदल रहा है। महिलाओं के आसपास केंद्रित स्टोरीज और उनके अनुभवों को पुरस्कार मिल रहे हैं और बड़ी संख्या में दर्शक उन्हें क्लिक कर रहे हैं। ऐसी पुरस्कार विजेता स्टोरीज एक मॉडल के रूप में काम कर सकती हैं। पत्रकारों द्वारा इसी तरह के काम करने के लिए एक उदाहरण के रूप में इन स्टोरीज का इस्तेमाल किया जा सकता है।

4. महिलाओं के पक्ष में डेटा का उपयोग करें

वोल सोयिंका सेंटर फॉर इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म की कार्यकारी निदेशक सह सीईओ मोटुनरायो अलाका ने महिला मुद्दों को आगे बढ़ाने के लिए डेटा के उपयोग का सुझाव दिया। उन्होंने ‘न्यूज रूम में पुरूष वर्चस्व‘ विषय पर एक शोध किया था। इससे पता चला कि नाइजीरिया के मीडिया संगठनों में प्रबंधन स्तर पर प्रत्येक दस पुरुषों की तुलना में मात्र दो महिलाएं हैं। बोर्ड स्तर पर हर सात पुरुषों के एवज में महज दो महिलाएं हैं। मोटुनरायो अलाका ने इन आंकड़ों के आधार पर प्रबंधन की नीतियों को चुनौती दी। इसके कारण उन्हें नैतिक और आर्थिक कारणों के आधार पर मीडिया संगठनों में अधिक महिलाओं की नियुक्ति की वकालत करने का भी अवसर मिला।

5. सहायता की मांग निःसंकोच करें

रैचेल ओल्ड्रोयड ने कहा कि महिला पत्रकारों को अपनी रिपोर्टिंग के सिलसिले में आवश्यक सहायता की मांग निःसंकोच करनी चाहिए। खासकर यदि शक्तिशाली पुरुषों के संबंध में या “मी-टू“ जैसे किसी संवेदनशील उत्पीड़न की जांच कर रही हों, तो आवश्यक सुरक्षा और अन्य सहयोग लेने में न हिचकें। महिला-केंद्रित स्टोरीज अक्सर काफी जटिल होती हैं। इनके लिए अतिरिक्त सहयोग की आवश्यकता होती है क्योंकि आप बहुत कमजोर स्रोतों से बात कर रही होती हैं। जैसे, किसी बलात्कार पीड़िता या “मी-टू“ आंदोलन से जुड़ी महिला से बात करना। ऐसी पीड़िताओं से बात करने के कारण खुद महिला पत्रकारों को भी भावनात्मक आघात का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए ऐसे मामलों पर स्टोरीज करते वक्त आपको अपने लिए जरूरी सहयोग की मांग पूरे अधिकार के साथ करनी चाहिए।

6. आपकी प्रबंधन शैली स्पष्ट हो

‘द रिपोर्टर‘ (ताइवान) की प्रधान संपादक शेरी ली  ने दिलचस्प अनुभव सुनाए। उन्होंने कहा कि यदि कोई महिला किसी मीडिया संस्थान में उच्च पद पर हो, तो उनके लिए कुछ अपमानजनक या नकारात्मक शब्दावली का प्रयोग किया जाता है। भले ही वह कोई सामान्य दिखने वाला शब्द हो। जबकि पुरुषों को ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता। उन्होंने कहा कि किसी महिला के लिए ‘बॉसी‘ या ‘भावुक‘ इत्यादि विशेषणों का उपयोग करना आम है। एक बार एक पुरूष सहयोगी ने शेरी ली से कहा- “शेरी, तुम एक बुरे पुलिसवाले की भूमिका बहुत अच्छी तरह से निभाती हो।“ उस वक्त शेरी ली को यह समझ में नहीं आया कि इस पर कैसे प्रतिक्रिया देनी है। लेकिन जब एक अन्य सहकर्मी ने उन्हीं शब्दों का इस्तेमाल किया, तो वह जानती थी कि इससे निपटना है। उन्होंने साफ कहा कि टीम लीडर के रूप में उनका काम जिम्मेदारी लेना है, और वह अपना यही काम कर रही हैं। शेरी ली ने दोबारा किसी को ऐसे शब्दों का उपयोग न करने की स्पष्ट चेतावनी दी। इस तरह उन्होंने एक स्पष्ट सीमा रेखा खींच दी। शेरी ली का मानना है कि हरेक महिला की अपनी अलग प्रबंधन शैली  होती है। न्यूज रूम के पूर्वाग्रहों के आधार पर इसे बदलने के बजाय अपने ढंग से अपनी शैली को लागू कराने का प्रयास करना चाहिए।

7. ‘लचीलापन‘ और ‘योजना‘ दोनों जरूरी

मरीना वॉकर ग्वेरा ने व्यक्तिगत स्तर पर लचीलापन अपनाने पर जोर दिया। दूसरी ओर, एआरआईजे की महानिदेशक रावन डेमन ने संगठनात्मक और पेशेवर स्तर पर अनुकूलन क्षमता और लचीलेपन को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को हमेशा योजना बनानी पड़ती है, और उन्हें परिस्थितियों के अनुकूल उसे बदलने में भी सक्षम होना चाहिए। डेमन ने कहा कि ‘लचीलापन‘ और ‘योजना‘ दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इसलिए आपको काफी योजनाएं बनाने और बहुत सी चीजों को आत्मगत या स्वीकार करने की जरूरत है।

8. अत्यधिक काम के दबाव को ‘न‘ कहें

मरीना वॉकर ग्वेरा ने कहा- “कई अध्ययन से पता चला है कि अत्यधिक काम के दबाव से थककर चूर होना (बर्नआउट) पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है। पुरुषों और महिलाओं द्वारा अपनी प्राथमिकताओं के निर्धारण में फर्क के कारण ऐसा होना संभव है। एक बार मेरी टी-शर्ट पर लिखा था- ‘असफलता कोई विकल्प नहीं है।‘ लेकिन इस दबाव में मुझे काम के बोझ तले दबना पड़ सकता था। इसलिए मैंने ‘नहीं‘ शब्द बोलने का मतलब समझा। फिर मैंने उस ‘नहीं‘ शब्द का उपयोग करके कई सीमाओं का निर्धारण किया। उन सीमाओं को मैंने साफ तौर पर संप्रेषित भी कर दिया।“

9. नेतृत्व की अगली पंक्ति तैयार करें

मोटुनरायो अलाका ने कहा कि आपको अपने मुद्दों की वकालत के साथ ही अन्य महिला पत्रकारों को आगे लाने की कोशिश भी करनी चाहिए। उन्हें प्रोत्साहित करना और सलाह देना काफी महत्वपूर्ण है। किसी पद पर नियुक्ति के लिए रिक्तियां हों, तो योग्य महिला पत्रकारों को आवेदन करने के लिए प्रेरित करें। स्टोरी के माध्यम से भी संभावित महिला उम्मीदवारों की तलाश करनी चाहिए। उन्होंने कहा- “जब एक महिला जीतती है, तो सभी महिलाएं जीतती हैं, क्योंकि आप दूसरों के लिए रास्ता बनाने में सक्षम होते हैं।“

जीआइजेसी-21 की साइट पर वक्ताओं प्रस्तुतीकरण और टिपशीट देखें। अधिक जानकारी के लिए जीआईजेसी-19 से यह स्टोरी पढ़ें: खोजी महिला पत्रकारों का काम और निजी जीवन इसके अतिरिक्त जीआइजेएन का महिला पत्रकारों के लिए संसाधन भी उपयोगी है।

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