Illustration: Nodjadong Boonprasert
AI का उपयोग करके तैयार किए गए लेख का पता कैसे लगाएं
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दुनिया में तकनीक का तेजी से विकास हुआ है। सिगनल-टू-नॉइज़ अनुपात बेहद कम होता जा रहा है। गलत सूचना की गति तथ्यात्मक जानकारी के करीब पहुंच रही है। अब यह बताना मुश्किल होता जा रहा है कि कौन-सी चीज वास्तविक है। इस गाइड में पत्रकारों को एआई से बनी सामग्री की पहचान के तरीके बताए गए हैं। इसमें सात उन्नत पहचान श्रेणी दी गई है। हर रिपोर्टर को इस काम में महारत हासिल करनी चाहिए।
मैं गलत सूचनाओं से लड़ने में न्यूज़रूम की मदद करता हूं। मुझे इस बात की चिंता रहती है कि पारंपरिक तथ्य-जांच में काफी समय लगता है। जबकि एआई कोई गलत सूचना महज कुछ मिनटों में तैयार कर देता है।
वीडियो के जरिए गलत सूचना फैलाया जाना काफी समय से जारी है। यह आधुनिक एआई तकनीक के दशकों पहले से चलता आ रहा है। शुरुआती रिकॉर्डिंग उपकरणों में बुनियादी तकनीकी सीमाओं के बावजूद विनाशकारी गलत धारणा पैदा करने की जबरदस्त क्षमता रही है। 2003 में नानी क्लाउडिया मुरो को 29 महीने जेल में बिताने पड़े। उन्होंने कम फ्रेम दर वाले सुरक्षा कैमरे के जरिए सामान्य हरकतों को भी हिंसक बना दिया था। किसी ने उस फुटेज की पुष्टि करने के बारे में नहीं सोचा। जनवरी 2025 में ब्रिटेन की एक शिक्षिका चेरिल बेनेट का एक डीपफेक वीडियो बनाकर उन्हें नस्लवादी टिप्पणी करते हुए दिखाया गया। इसके कारण उन्हें अपने बचाव के लिए छुपने को मजबूर होना पड़ा।

एआई से बनी एक तस्वीर में पोप फ्रांसिस प्रथम को बालेंशियागा पफर जैकेट पहने दिखाया गया था। इमेज : मिडजर्नी, पाब्लो जेवियर
पोप फ्रांसिस प्रथम की इस वायरल तस्वीर ने सोशल मीडिया पर लाखों लोगों को बेवकूफ़ बना दिया। इसमें उन्हें सफ़ेद बालेंशियागा पफर कोट पहने दिखाया गया था। बाद में पता चला कि यह फोटो मिडजर्नी के टेक्स्ट-टू-इमेज प्रॉम्प्ट का उपयोग करके एआई द्वारा बनाई गई थी। कई चीजों से यह बात स्पष्ट हुई थी। उनके सीने पर लटका क्रूस का चिन्ह अस्वाभाविक तौर ऊपर उठा हुआ था। उसके चेन का दूसरा आधा हिस्सा जिस जगह पर होना चाहिए था, वहां सिर्फ़ एक सफ़ेद पफर जैकेट थी। तस्वीर बनाने वाले पाब्लो जेवियर ने बजफीड न्यूज से कहा – “मुझे पोप को एक अजीब जैकेट में देखना मज़ेदार लगा।”
कई बार किसी नकली वीडियो अथवा तस्वीर की जांच के लिए एआई की ज़रूरत नहीं होती। मई 2019 में हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी के एक वीडियो में छेड़डाड़ की गई। उस वीडियो की गति 75% तक धीमी कर दी गई। उन्हें नशे में दिखाने के लिए उनकी आवाज़ से भी छेड़छाड़ की गई।
एक अन्य मामला नवंबर 2018 का है। व्हाइट हाउस ने एक इंटर्न के साथ सीएनएन संवाददाता जिम अकोस्टा की बातचीत का एक वीडियो साझा किया। इसमें छेड़छाड़ की गई थी। उनके हाथ की गति को बढ़ाकर उन्हें आक्रामक दिखाने का प्रयास किया गया था।
पिछले दिनों मैंने अपने लंच ब्रेक के दौरान मात्र 28 मिनट में फर्जी वीडियो बना डाला। एक फर्जी राजनीतिक स्टोरी बनाई। इसमें न्यूज़ एंकर, नाराज नागरिकों के विरोध प्रदर्शन का वीडियो और एक काल्पनिक मेयर भी दिखाया गया। इसे बनाने में महज आठ डॉलर का खर्च आया। सिर्फ अट्ठाईस मिनट लगे। एक मनगढ़ंत राजनीतिक संकट का वीडियो बन गया। समय सीमा के दबाव में व्यस्त कोई भी संपादक इसे देखकर सच मान लेगा।
कुछ दिनों पहले एक अनुभवी तथ्य-जांचकर्ता ने एक एआई-जनित तस्वीर को असली घोषित कर दिया। उसने यह आकलन इस आधार पर किया कि उस तस्वीर के एक व्यक्ति के हाथ में पांच उंगलियां दिख रही थीं। पहले ऐसा समझा जाता था कि एआई से बनी तस्वीरों में पांच के बदले छह उंगलियां होती हैं। लेकिन अब ऐसी समस्या भी लगभग खत्म हो चुकी है।
अब एआई से बनी सामग्री की जांच करना आसान नहीं रहा। पहले जिन चीजों से इसकी आसानी से पहचान होती थी, वह चीजें अब बदल गई हैं। एआई से बनी तस्वीरों में पहले किसी व्यक्ति के हाथ खराब तरीके से बने होते थे। अतिरिक्त उंगलियाँ होती थीं। कई बार आपस में जुड़ी हुई उंगलियां होती थीं। एआई जनित तस्वीरों को पहचानने के लिए इन चीजों को देखा जाता था। वर्ष 2023 में “ट्रम्प की गिरफ्तारी” संबंधी नकली तस्वीरों की पहचान उनमें हाथ की त्रुटियों से उजागर हुईं। लेकिन अब मिडजर्नी और डेल-ई जैसे प्रमुख एआई मॉडल सही हाथों को वाली तस्वीरें बनाने लगे हैं। इसलिए हाथ अथवा उंगलियां अब एबाइ द्वारा निर्मित फोटो का पता लगाने का विश्वसनीय तरीका नहीं है। एआई कला की पहचान करने वालों को ऐसी सामग्री को पहचानने के लिए नए और सूक्ष्म संकेतों की तलाश करनी होगी।
टेक्स्ट रेंडरिंग क्रांति और भी तेज़ी से हुई। पहले एआई से बनी फोटो के टेक्स्ट में कुछ अक्षर खराब आते थे। लेकिन अब वह समस्या नहीं रही। अब कई एआई मॉडल में त्रुटिहीन टाइपोग्राफी मिलती है। ओपेन एआइ ने डेल-ई थ्री को विशेष रूप से टेक्स्ट सटीकता के लिए प्रशिक्षित किया है। मिडजर्नी वी-सिक्स ने “सटीक टेक्स्ट” को एक विपणन योग्य विशेषता के रूप में जोड़ा है। पहले टेक्स्ट की खराबी को एआई फोटो पहचानने का आसान तरीका समझा जाता था। लेकिन यह विधि अब शायद ही कभी काम करती है।
इसी तरह, किसी फोटो में बेमेल कान, अस्वाभाविक रूप से विषम आंखें, रंगे हुए दांत जैसी समस्या भी अब खत्म होती जा रही है। जनवरी 2023 में उत्पन्न पोर्ट्रेट छवियों में आसानी से पता लगाने योग्य कमियां दिखाई देती थीं। लेकिन अब विश्वसनीय चेहरे उत्पन्न हो रहे हैं।
यह पत्रकारों के लिए एक बुनियादी ख़तरा है। वर्ष 2023 की पहचान विधियों पर प्रशिक्षित एक पत्रकार, गलत आत्मविश्वास का शिकार हो सकता है। वह एआई से बनी सामग्री को असली मान सकता है क्योंकि वह पुराने परीक्षणों में पास हो गई है। यह गलत निश्चितता, ईमानदार अनिश्चितता से कहीं ज़्यादा ख़तरनाक है।
इमेज व्हिस्परर क्या है?

फोटो: अमेरिका में बाढ़ से एक लड़की को बचाने का दावा करते हुए एआई से बनी एक तस्वीर का विश्लेषण। इमेज : हेंक वैन ऐस
मैंने सोचा कि क्या मैं इस लेख के लिए बोनस के तौर पर एआई सामग्री का एक सत्यापन सहायक बना सकता हूं। मैंने विशेषज्ञों को ईमेल करना शुरू किया। वैज्ञानिकों ने मुझे भौतिकी से जुड़ी कई जानकारी दी। जैसे, फूरियर रूपांतरण, तंत्रिका नेटवर्क की क्वांटम यांत्रिकी, मानव आंखों के लिए अदृश्य गणितीय संकेत। एक भौतिक विज्ञानी ने समझाया कि कैसे एआई कलाकृतियाँ केवल दृश्य गड़बड़ियां नहीं हैं, बल्कि वे आवृत्ति डोमेन फ़िंगरप्रिंट हैं।
लेकिन फिर वास्तविकता की परीक्षा हुई। एक विशेषज्ञ ने चेतावनी दी- “खुद कोई उपकरण मत बनाओ। आपको विशाल कंप्यूटिंग शक्ति और पीएचडी स्तर की टीमों की आवश्यकता होगी। उस बुनियादी ढाँचे के बिना, आप बुरी तरह विफल हो जाएंगे।”
तभी मुझे यह विचार आया। एआई से लड़ने का लिए खुद एआई का ही उपयोग किया जाए। लेकिन अलग तरीके से। अरबों डॉलर के डिटेक्शन सिस्टम को फिर से बनाने के बजाय मैं इस बड़े काम के लिए मौजूदा एआई के बुनियादी ढाँचे का ही उपयोग करूँगा।

फोटो: एआई से बनी एक तस्वीर का विश्लेषण, जिसमें बेलारूसी राष्ट्रपति को फ्राइज़ का एक कोन पकड़े हुए दिखाया गया है। इमेज : हेंक वैन एस
इमेज व्हिस्परर– इसे पहले Detectai.live नाम दिया गया था। यह इसी अंतर्दृष्टि से जन्मा था। यह टूल गूगल विजन प्रोसेसिंग के साथ-साथ समानांतर रूप से बड़े भाषा मॉडल विश्लेषण करता है। यह विशेषज्ञों द्वारा मुझे सिखाए गए भौतिकी के सिद्धांतों को लागू करते हुए पहले से उपलब्ध कम्प्यूटेशनल शक्ति का लाभ उठाता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अधिकांश एआई टूल्स के विपरीत, यह अनुमान लगाने के बजाय आपको बताता है कि उसे कब कुछ पता नहीं है। यह सबसे बेहतरीन सिस्टम बनने की कोशिश नहीं कर रहा है। यह सबसे ईमानदार बनने की कोशिश कर रहा है।
एआई पहचान की सात श्रेणियां
एआई क्रिएटर्स और एआई डिटेक्टर्स के बीच प्रतियोगिता जारी है। एआई क्रिएटर्स को वर्तमान में गति का लाभ मिल रहा है। डीपफेक क्या है और क्या नहीं, इसकी पहचान करना अब चूहे-बिल्ली का खेल बनता जा रहा है। डेवलपर्स इस तकनीक में सुधार कर रहे हैं। डीपफेक की सफलतापूर्वक पहचान करने के लिए कई पहचान विधियों का संयोजन जरूरी है। निरंतर सतर्कता के साथ यह स्वीकार करना होगा कि सही पहचान असंभव हो सकती है। सटीक उत्तरों की तलाश करने वाले पत्रकारों के लिए लक्ष्य अब निश्चित पहचान से हटकर संभावनाओं के आकलन और सूचित संपादकीय निर्णय की ओर स्थानांतरित हो गया है।
लेकिन बदलती तकनीक के साथ पत्रकारिता हमेशा खुद को भी उस अनुरूप ढालती रही है। हमने स्रोतों की पुष्टि करना तब सीखा, जब किसी के पास वेबसाइट बनाने के साधन थे। हमने सोशल मीडिया सत्यापन प्रोटोकॉल तब विकसित किए, जब हर कोई संभावित रिपोर्टर बन गया। अब हमें उस युग के लिए मानक विकसित करने होंगे, जब कोई भी विश्वसनीय दृश्य-श्रव्य साक्ष्य तैयार कर सकता हो।
श्रेणी 1: शारीरिक वेशवूषा और परिस्थिति : जब पूर्णता पर संदेह हो
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30 सेकंड का रेड फ्लैग चेक (ब्रेकिंग न्यूज़) : जब समय बेहद कम हो तो आपको किसी सामग्री के पूरी तरह पूर्ण होने का तुरंत आकलन करना चाहिए। क्या यह “ज़रूरत से से ज़्यादा सच लग रही है” ? ऐसे मामलों में पत्रिका-गुणवत्ता वाले सौंदर्यशास्त्र की तलाश करें, जहाँ उस स्तर का सौंदर्य-प्रसाधन असंभव या अनुचित हो। किसी आंदोलनकारी नेता के शानदार मेकअप पर ध्यान दें। किसी आपदा पीड़ित के बाल बिल्कुल संवरे हुए होना संदेह पैदा करेगा। किसी राजनीतिक अवसर पर हर कोई पेशेवर रूप से सजा-धजा दिखता है, तो आपको तुरंत संदेह होना चाहिए।
- पूर्णता की आंतरिक जांच – क्या कोई व्यक्ति उस परिस्थिति के लिए बहुत पॉसलिश्ड /परफेक्ट या सजा-संवरा लग रहा है?
- संदर्भ बेमेल स्कैन – किसी संकट या संघर्ष के अवसर पर किसी पत्रिका-स्तर की सुंदरता दिख रही है?
- त्वचा की वास्तविकता की जाँच – जहाँ प्राकृतिक बनावट होनी चाहिए, क्या वहाँ एयरब्रश से चिकनी त्वचा दिख रही है?
- समग्र सौंदर्य मूल्यांकन – क्या उस व्यक्ति का रूप-रंग परिदृश्य से मेल खाता है?
पाँच मिनट का तकनीकी सत्यापन (मानक कहानियां): यह गहन जाँच उन तकनीकी विवरणों पर केंद्रित है, जो कृत्रिम निर्माण को उजागर करते हैं। आधुनिक एआई शारीरिक रूप से सही चित्र बनाता है। लेकिन यह अक्सर एक अद्भुत पूर्णता प्रदर्शित करता है। जबकि वास्तविक फ़ोटोग्राफ़ी में यह बात नहीं होती है। वास्तविक चेहरों में सूक्ष्म विषमताएँ, प्राकृतिक घिसावट के पैटर्न और पर्यावरणीय प्रभाव होते हैं। लेकिन एआई इन चीजों को प्रामाणिक रूप से नहीं कर पाता है।
- चेहरों को 100% तक ज़ूम करें – प्राकृतिक त्वचा की बनावट, रोमछिद्रों और छोटी-मोटी विषमताओं पर ध्यान दें।
- वस्त्र भौतिकी मूल्यांकन – प्राकृतिक झुर्रियाँ, कपड़े की बनावट, घिसावट के पैटर्न मौजूद हैं?
- बालों के रेशों का विश्लेषण – अलग-अलग रेशे दिखाई दे रहे हैं? क्या यह चित्रित/रेंडर किया गया रूप है?
- आभूषण/सहायक उपकरण का यथार्थ – त्रि-आयामी रूप बनाम कंप्यूटर-ग्राफ़िक्स का सपाटपन देखें।
- दाँतों की जाँच – क्या दांतों में प्राकृतिक खामियाँ हैं, अथवा उनमें एक समान पूर्णता है?
- समग्र पूर्णता ऑडिट – क्या सौंदर्य का स्तर दावा किए गए संदर्भ और सेटिंग से मेल खाता है?
गहन जाँच (बड़े दाव की रिपोर्टिंग): यदि किसी सामग्री में सटीकता सर्वोपरि है, तो यह व्यापक विश्लेषण छवि को फोरेंसिक जाँच की आवश्यकता वाले साक्ष्य के रूप में मानता है। इसका लक्ष्य कई सत्यापन बिंदुओं के आधार पर संभावना का आकलन तैयार करना है। यह समझना है कि निश्चित प्रमाण भले ही असंभव हो, लेकिन सूचित निर्णय प्राप्त किया जा सकता है।
- तुलनात्मक विश्लेषण – प्राकृतिक बनाम कृत्रिम पूर्णता के स्तरों की तुलना करने के लिए उसी व्यक्ति की अन्य तस्वीरें खोजें।
- तकनीकी जांच – गणितीय पैटर्न के लिए पिक्सेल स्तर पर त्वचा की बनावट की जाँच करने के लिए पेशेवर उपकरणों का उपयोग करें।
- संदर्भ सत्यापन – क्या व्यक्ति समान परिस्थितियों में आमतौर पर इतना परिष्कृत दिखाई देता है? यह जांचने के लिए कि उसकी अन्य तस्वीरों के साथ शोध और तुलना करें।
- पेशेवर परामर्श – उन्नत विश्लेषण के लिए फ़रीद हैनी जैसे डिजिटल फोरेंसिक विशेषज्ञों से संपर्क करें।
- बहु-कोण सत्यापन – एकरूपता की जाँच के लिए उसी घटना से जुड़ी अतिरिक्त तस्वीरें/वीडियो खोजें।
- ऐतिहासिक तुलना – समान समयावधि और संदर्भ से व्यक्ति की सत्यापित तस्वीरों से तुलना करें।
श्रेणी 2 : ज्यामितीय भौतिकी का उल्लंघन – प्राकृतिक नियमों की अनदेखी

फ़ोटो: वास्तविक तस्वीर के बगल में दूर जाती हुई रेल की पटरियों की एआई से बनी तस्वीर। इमेज: हेंक वैन एस
नरेशन: एआइ तस्वीरों को एक कोलाज कलाकार की तरह इकट्ठा करता है, न कि एक फोटोग्राफर की तरह। वह यह दृश्य तत्वों को समझता है, लेकिन उन ज्यामितीय और भौतिक नियमों को नहीं जानता, जो वास्तविक दुनिया में प्रकाश, परिप्रेक्ष्य और छायाओं के वास्तविक कार्य को नियंत्रित करते हैं। इन मूलभूत भौतिकी संबंधी कमियों को ठीक करना एआई के लिए कठिन है क्योंकि इसके लिए त्रि-आयामी स्थान और प्रकाश व्यवहार की समझ की आवश्यकता होती है।
एआई तस्वीरों में वास्तविक दुनिया की भौतिकी संबंधी समस्या: हम अब भी जनरेटिव एआई के शुरुआती दौर में हैं। आज की एआई से बनी तस्वीरें अपने परिप्रेक्ष्य में छाया और प्रतिबिंब में समस्या दिखती है। ओपन एआई के डेल-ई-टू का उपयोग करके बनी फोटो में असंगत छाया, असंभव रूप से बेमेल या अनुपस्थित प्रतिबिंब, और प्रतिबिंब में बिल्कुल गलत दिशा में उन्मुख छाया दिखती है।
लुप्त बिंदु विश्लेषण: वास्तविक इमारतें परिप्रेक्ष्य के नियमों का पालन करती हैं। समानांतर रेखाएं क्षितिज पर एक बिंदु की ओर अभिसरित होती हैं। लेकिन एआई अक्सर ऐसी इमारतें बनाता है जहाँ छत की रेखाएँ बाईं ओर जबकि खिड़कियों की रेखाएँ दाईं ओर इंगित करती हैं। इसमें एक भौतिक असंभवता दिखती है जो फ़ोटोग्राफ़िक कैप्चर के बजाय एल्गोरिथम संयोजन को प्रकट करती है। असली तस्वीरों में परिप्रेक्ष्य के सार को पकड़ने के लिए लुप्त बिंदु मौलिक हैं। नकली तस्वीरें अक्सर असंगतता प्रदर्शित करती हैं, जहाँ रेखाएँ सही लुप्त बिंदु पर नहीं मिलती हैं।
छाया संगति की जाँच: जहाँ प्रकाश है, वहाँ छाया हैं। किसी वस्तु, उसकी छाया और प्रकाश स्रोत के बीच का संबंध ज्यामितीय रूप से सरल है। किसी हेरफेर या नकली फोटो में इसे ठीक से चित्रित करना कठिन है। एकल-प्रकाश स्रोत वाले दृश्यों (जैसे सूर्य का प्रकाश) में सभी छायाएँ उस स्रोत से दूर होनी चाहिए। एआई अक्सर लोगों को एक सूर्य के बावजूद कई दिशाओं में छायाएँ डालते हुए दिखाता है। यह भौतिकी के मूल नियमों का उल्लंघन करता है।
शोध सत्यापन: अकादमिक शोध ने इन ज्यामितीय खामियों की पुष्टि की है। बाहरी चित्रों पर ग्रैडकैम विश्लेषण का उपयोग करके किए गए अध्ययनों से वाहनों की छाया की विभिन्न दिशाएं और लुप्त बिंदुओं के पास संरचनात्मक विकृतियाँ दिखाई देती हैं। जबकि आंतरिक दृश्य वस्तु-छाया बेमेल और कमरे की ज्यामिति में रेखाओं का गलत संरेखण दर्शाते हैं।
इस प्रकार की सूक्ष्म पहचान करना कमज़ोर दिल वालों के लिए संभव नहीं है। पहले रेखाओं को घूरने की आदत डालें।
30 सेकंड का रेड फ्लैग चेक:
- सीधी रेल पटरियों की कोई भी तस्वीर ढूंढें (गूगल पर “railroad tracks perspective” खोजें)।
- एमएस पेंट या कोई भी सामान्य इमेज एडिटर खोलें।
- दोनों पटरियों को क्षितिज की ओर बढ़ाते हुए, रेखा उपकरण का उपयोग करके रेखाएँ बनाएँ।
- जाँच करें कि वे एक बिंदु पर अभिसरित होती हैं या नहीं? ऐसा ही होना चाहिए।
अब आपके पास एक सही परिप्रेक्ष्य का दृश्य टेम्पलेट है।
पाँच मिनट का तकनीकी सत्यापन (मानक कहानियाँ):
परिप्रेक्ष्य परीक्षण:
- चित्र में से एक इमारत चुनें।
- विस्तारित छत रेखाएँ और खिड़की की पंक्तियाँ बनाने के लिए किसी भी इमेज एडिटर का उपयोग करें।
- जाँच करें कि क्या एक ही इमारत की रेखाएँ एक ही बिंदु पर मिलती हैं।
- एक संरचना के लिए एकाधिक लुप्त बिंदु होने का मतलब उसमें एआई असेंबली की त्रुटि है।
छाया विश्लेषण:
- प्राथमिक प्रकाश स्रोत (सबसे चमकीले हाइलाइट) की पहचान करें।
- प्रकाश स्रोत से वस्तु के शीर्ष से होते हुए छाया के अंत तक रेखाएँ खींचें।
- सत्यापित करें कि सभी छायाएँ एक ही दिशा में इंगित करती हैं।
- छाया की परस्पर विरोधी दिशाओं का मतलब उसमें भौतिकी के नियमों का उल्लंघन है।
गहन जाँच (बड़े दाव की रिपोर्टिंग):
परावर्तन सत्यापन: जब वस्तुएँ किसी समतल सतह पर परावर्तित होती हैं, तो वस्तु पर स्थित किसी बिंदु को परावर्तन में संबंधित बिंदु से जोड़ने वाली रेखाएँ एक एकल लुप्त बिंदु पर अभिसरित होनी चाहिए।
- किसी फोटो में परावर्तक सतहें ढूँढ़ें। जैसे, पानी, काँच, दर्पण।
- वस्तुओं को उनके परावर्तनों से जोड़ने वाली रेखाएँ बनाएँ।
- जाँचें कि रेखाएँ परावर्तक सतह से समकोण पर मिलती हैं या नहीं।
- असंभव परावर्तन स्थितियाँ होने का मतलब उसमें ज्यामिती के नियमों का पालन नहीं हुआ है।
श्रेणी 3 : तकनीकी फ़िंगरप्रिंट और पिक्सेल विश्लेषण – गणितीय डीएनए

वर्ष 2004 की एक अमेरिकी सैनिक की वायरल, डिजिटल रूप से परिवर्तित तस्वीर। तस्वीर में “DOING THE WORK OF” पैच के साथ-साथ रूसी, जर्मन और फ़्रांसीसी झंडे भी जोड़े गए हैं। यह टूल आपको परिवर्तन के संभावित क्षेत्र और उसके परिवर्तन की संभावना दिखाता है। चित्र: हेंक वैन एस
नरेटिव: एआई जब कोई फोटो बनाता है, तो वह फ़ाइल में छिपे हुए सुराग छोड़ जाता है। एक गणितीय हस्ताक्षर की तरह, जो अदृश्य उंगलियों के निशान की तरह होते हैं। विशेष उपकरण इसे पहचान सकते हैं। ये सुराग पिक्सेल की व्यवस्था और फ़ाइल के संपीड़न के तरीके में पाए जाते हैं। इसे डीएनए साक्ष्य की तरह समझें जो साबित करता है कि कोई चीज़ किसी वास्तविक कैमरे द्वारा कैप्चर की गई न होकर एआई द्वारा बनाई गई है।
खामियों के पैटर्न की जांच: वास्तविक कैमरे के द्वारा प्राकृतिक, अव्यवस्थित खामियों वाली तस्वीरें मिलती हैं। जैसे, कैमरा सेंसर से निकले छोटे-छोटे बेतरतीब धब्बे। एआई की तस्वीरों में अस्वाभाविक रूप से परिपूर्ण पैटर्न होते हैं। जब विशेषज्ञ विशेष सॉफ़्टवेयर से इन पैटर्न का विश्लेषण करते हैं, तो उन्हें विशिष्ट तारे जैसे आकार दिखाई देते हैं। यह किसी वास्तविक तस्वीर में कभी नहीं दिखाई देंगे। यह एक पुराने टीवी पर वास्तव में बेतरतीब स्थिर और उस बेतरतीबी को नकली बनाने की कोशिश कर रहे कंप्यूटर के बीच के अंतर जैसा है। नकली संस्करण में एक छिपा हुआ क्रम होता है जो इसे उजागर कर देता है। इसके लिए आपके पास उचित उपकरण होना चाहिए।
कॉपी-पेस्ट डिटेक्शन: जब एआई किसी व्यक्ति की फोटो की नकल करता है, तो वह असामान्य पिक्सेल सहसंबंध बनाता है। विभिन्न क्षेत्र प्राकृतिक स्थानिक अतिरेक से परे संदिग्ध रूप से समान हो जाते हैं। इससे पता लगाने योग्य पैटर्न या गणितीय हस्ताक्षर बनते हैं।
कंप्रेशन आर्टिफेक्ट एनालिसिस: एआई से बनी फोटो अक्सर अप्राकृतिक कंप्रेशन पैटर्न दिखाती है। यह कैमरे द्वारा ली गई रॉ फ़ाइलों से भिन्न होती है। इससे ऑप्टिकल मूल के बजाय एल्गोरिथम मूल का पता चलता है।
पेशेवर पहचान उपकरण: ट्रू-मीडिया डॉट ओआरजी ( TrueMedia.org’s ) की तकनीक संदिग्ध मीडिया का विश्लेषण करने और ऑडियो, छवियों और वीडियो में डीपफेक की पहचान करने की क्षमता रखती है। इसने कई डीपफेक तस्वीरों की पहचानद की। डोनाल्ड ट्रम्प की कथित गिरफ्तारी की तस्वीर और राष्ट्रपति बाइडेन की शीर्ष सैन्य कर्मियों के साथ फर्जी तस्वीर की पहचान इसने की।
30 सेकंड की रेड फ्लैग जाँच:
संदिग्ध फोटो का विश्लेषण करने से पहले किसी ठोस चीज़ का अभ्यास करें:
- अपनी तस्वीर इमेज वेरिफिकेशन असिस्टेंट पर अपलोड करें।
- यह तकनीक जालसाजी की संभावना का एक दर प्रदान करेगी।
- जब जालसाजी की संभावना 70% या उससे अधिक हो, तो छवि पर और शोध करें।
पांच मिनट का तकनीकी सत्यापन:
- दृश्य बनावट जाँच: त्वचा या आकाश जैसे क्षेत्रों पर 100% तक ज़ूम इन करें। बनावट को ध्यान से देखें। क्या इसमें वास्तविक जीवन की बेतरतीब, अनियमित गुणवत्ता है? क्या यह बहुत चिकनी और गणितीय रूप से परिपूर्ण दिखती है? असली तस्वीरों में स्वाभाविक रूप से अराजकता होती है। एआइ अक्सर ऐसे पैटर्न बनाता है जो संदिग्ध रूप से एक समान होते हैं।
- स्वचालित पहचान उपकरण: निःशुल्क वेबसाइट ट्रू-मीडिया डॉट ओआरजी (org’s ) पर किसी फोटो को अपलोड करें। यह सॉफ़्टवेयर के माध्यम से फोटो की पहचान करता है। उन छिपे हुए गणितीय संकेतों का विश्लेषण करता है, जिनके बारे में हमने पहले बात की थी। यह बताता है कि इस फोटो के एआइ से बने होने की कितनी संभावना है।
- फ़ाइल की छिपी जानकारी की जाँच करें : इमेज फ़ाइल पर राइट-क्लिक करें। कंप्यूटर पर काम कर रहे हों, तो “प्रोपर्टीज” पर क्लिक करें। मैक पर काम कर रहे हों, तो “गेट इन्फो” पर क्लिक करें। इसके बाइ उसका मेटाडेटा देखें। यह बताएगा कि वह फ़ाइल किस सॉफ़्टवेयर ने और कब बनाई। एआई इमेज में अक्सर एडिटिंग सॉफ़्टवेयर के टाइम स्टैम्प या निर्माण टूल दिखता है। इससे पता चल सकता है कि फ़ोटो कब और कैसे ली गई। यह बात इस फोटो की कथित कहानी से मेल खाती है या नहीं, इसकी जांच आप कर सकते हैं।
- सतह की चिकनाई का विश्लेषण : यह बनावट की जाँच के चरण से अलग तरीका है। यहाँ आप उन सतहों को देख रहे हैं जो स्वाभाविक रूप से अपूर्ण होनी चाहिए। जैसे दीवारें, कपड़ा, या पानी। एआई इन सतहों को “एयरब्रश” करके बनाता है। इसके कारण वे अस्वाभाविक रूप से चिकनी हो जाती हैं। जबकि किसी वास्तविक फ़ोटो में छोटे-छोटे उभार, भिन्नताएँ या घिसाव दिखाई देते हैं।
प्रत्येक चरण में आप एआई की विभिन्न प्रकार की गलतियों को पकड़ सकते हैं। ऐसा करके आप अपने निष्कर्ष के बारे में कई अलग-अलग परीक्षणों का उपयोग कर सकते हैं।
गहन जाँच (बड़े दाव की रिपोर्टिंग):
फोरेंसिकली – यह फ़्रीक्वेंसी डोमेन विज़ुअलाइज़ेशन के साथ मुफ़्त, व्यापक शोर विश्लेषण के उपकरण का एक सेट है।
फ़्रीक्वेंसी डोमेन विश्लेषण – एआइ के लिए यह गणितीय पैटर्न की तकनीकी जांच का शानदार उपकरण है।
श्रेणी 4: ऑडियो – कृत्रिम सामग्री की असलियत

डोनाल्ड ट्रम्प के एआइ जनित ऑडियो डीपफेक का विश्लेषण। इमेज – यूट्यूब, हेंक वैन एस के माध्यम से
नरेटिव: वॉइस क्लोनिंग तकनीक कुछ सेकंड के ऑडियो से किसी की आवाज़ की नकल कर सकती है। लेकिन यह भाषण के पैटर्न, भावनात्मक प्रामाणिकता और ध्वनि संबंधी विशेषताओं में कृत्रिम निर्माण के निशान छोड़ जाती है। यह काफी सटीकता लगने के बावजूद इसमें कृत्रिम आवाज़ें कुछ सूक्ष्म मानवीय तत्वों की नकल नहीं कर पाती हैं। इसके कारण भाषण वास्तव में प्रामाणिक नहीं बन पाते।
ऑडियो धोखाधड़ी के उदाहरण: मार्च 2019 में एक ब्रिटिश ऊर्जा कंपनी के सीईओ को उनके “बॉस” का एकदम सही जर्मन लहजे में एक कॉल आया। इसमें बड़ी रकम ट्रांसफर करने का अनुरोध किया गया था। एक ऑस्ट्रियाई नंबर से आए एक संदिग्ध नंबर से आए कॉल से ही एआई धोखाधड़ी का पता चला। पिछले दिनों एक अन्य मामला सामने आया। राजनीतिक सलाहकार स्टीवन क्रेमर ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का रूप धारण करते हुए एक डीपफेक रोबोकॉल बनाने के लिए 150 डॉलर का भुगतान किया। इसमें लोगों से न्यू हैम्पशायर के 2024 के डेमोक्रेटिक प्राइमरी में वोट न देने का आग्रह किया गया था।
ऑडियो फेक की गति और लागत: स्टीवन क्रेमर के खिलाफ मुकदमे के अनुसार डीपफेक बनाने में 20 मिनट से भी कम समय लगा। इसकी लागत केवल एक डॉलर थी। स्टीवन क्रेमर ने सीबीएस न्यूज को बताया कि उन्हें अपने प्रयासों के लिए “पांच मिलियन डॉलर का प्रचार” मिला।
भाषण पैटर्न के संदेह योग्य चीजें: लिंडसे गोर्मन ने दुष्प्रचार की नई तकनीकों पर गहन अध्ययन किया है। उन्होंने एनबीसी न्यूज़ को बताया कि डीपफेक में अक्सर कई संकेत मिलते हैं। खासकर भाषण के अंत में शब्दों के उच्चारण की लय और ताल अप्राकृतिक और रोबोटिक लगती है। इससे किसी ऑडियो सामग्री के संभावित रूप से नकली होने का संकेत मिलता है। जैसे-
- सामान्य झिझक का अभाव, सांस लेने की गति के बिना अप्राकृतिक गति होती है।
- प्राकृतिक भाषण में कुछ खामियां रह जाती हैं जबकि नकली ऑडियो में त्रुटिहीन उच्चारण मिलता है।
- कुछ शब्दों या वाक्यांशों में रोबोटिक स्वर मिलता है।
- पर्यावरणीय पृष्ठभूमि शोर का अभाव रहता है जबकि असली ऑडियो में ऐसी चीजें मौजूद होनी चाहिए।
- ऐसे वाक्यांश या शब्दावली, जिनका कोई व्यक्ति वास्तव में कभी उपयोग नहीं करेगा।
भाषाई तर्क की विफलता: एक पुराने डीपफेक मामले में एआई द्वारा “पाउंड 35,000” कहने का खुलासा हुआ। मुद्रा के प्रकार को संख्याओं से पहले अप्राकृतिक तरीके से बोले जाने के कारण इसके कृत्रिम होने का पर्दाफाश हुआ।
30 सेकंड में संदिग्ध बिंदुओं की जांच:
हिया डीपफेक वॉइस डिटेक्टर पर एक नज़र डालें। यह एक आसान क्रोम प्लगइन है। आप इसे महीने में 20 बार इस्तेमाल कर सकते हैं। इसने ट्रम्प-बाइडेन वीडियो टेस्ट पास कर लिया है:
यह एक क्रोम एक्सटेंशन है। यह रीयल-टाइम में ऑडियो का विश्लेषण करके यह पता लगाता है कि आप जो सुन रहे हैं वह असली इंसानी आवाज़ है या उसे एआई के द्वारा बनाया गया है।
यह क्या काम करता है:
- यह आपके क्रोम ब्राउज़र में चल रहे वीडियो और ऑडियो में आवाज़ों का विश्लेषण करता है।
- यह तुरंत काम करता है। इसे निर्णय लेने के लिए केवल एक सेकंड के ऑडियो की आवश्यकता होती है।
- यह सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म, समाचार साइट, वीडियो प्लेटफ़ॉर्म तथा किसी भी वेबसाइट पर काम कर सकता है।
- यह सभी प्रमुख एआई वॉइस सिंथेसिस टूल्स द्वारा बनाई गई मानव जैसी आवाज़ का पता लगाता है।
- यह कई भाषाओं में काम कर सकता है।
- यह आपके ब्राउज़ करते समय रीयल-टाइम में चलता है।
चेतावनी: यह प्लगइन संभावित एल्गोरिदम का उपयोग करता है। इसलिए यह हर मामले में 100% सटीक नहीं होगा।
पाँच मिनट का तकनीकी सत्यापन
- किसी ऑडियो की जांच के लिए उसकी आवाज़ की स्वाभाविकता पर ध्यान दें। क्या उसकी गति और उच्चारण मानवीय है?
- उपलब्धता की पुष्टि करें। क्या इस व्यक्ति ने वास्तव में यह बयान दिया था, जब दावा किया गया था? अन्य खबरों के आधार पर उसकी जांच करें।
- भावनात्मक प्रामाणिकता की जाँच करें। क्या भावनाएँ सामग्री और संदर्भ से मेल खाती हैं?
- किसी भी ज़रूरी ऑडियो अनुरोध की पुष्टि के लिए आधिकारिक नंबर पर वापस कॉल करें।
- ऐसे प्रासंगिक प्रश्न पूछें, जो केवल वास्तविक व्यक्ति ही जान सकता है।
गहन जाँच (बड़े दाव की रिपोर्टिंग):
- पूरा ऑडियो अंश डाउनलोड करें।
- इसे ai को भेजें और उसे एक ट्रांसक्रिप्ट लिखने दें।
- जब आप प्रतीक्षा कर रहे हों, तो क्लाउड को उसी व्यक्ति या ट्रांसक्रिप्ट के पाँच से छह सत्यापित ऑडियो अंश भेजें।
- उसे अर्थगत विश्लेषण करने और विषयों, भाषण पैटर्न, व्याकरण के प्रयोग, शैली और स्वर को वर्गीकृत करने के लिए कहें।
- फिर उस ऑडियो की ट्रांसक्रिप्ट अपलोड करें जिस पर आपको भरोसा नहीं है। क्लाउड से विसंगतियों के लिए उसकी तुलना करने के लिए कहें।
श्रेणी 5 : मौजूदा काल और प्रासंगिक तर्क – जब एआई पूरी बात समझे बिना सामग्री बनाए

एआई द्वारा उत्पन्न यह फोटो पेरिस जलवायु विरोध प्रदर्शन का समाचार दिखाने का दावा करती है। इमेज: हेंक वैन एस
नरेटिव: एआई वास्तविक दुनिया के संदर्भ, मौजूदा काल संबंधी तर्क या परिस्थितिजन्य उपयुक्तता को समझे बिना दृश्य पैटर्न के आधार पर सामग्री तैयार करता है। इससे बनी सामग्री अलग-अलग देखने पर विश्वसनीय लगती है, लेकिन समझदारी से जांच करने पर सच सामने आ जाता है।
ईरान जेल का फर्जी वीडियो: एआई से बने एक वीडियो में ईरान की एविन जेल पर इज़राइली मिसाइल हमले का दावा किया गया। लेकिन यह 2023 की एक तस्वीर से बनाया गया था। बेमेल मौसम के कारण इसका सच उजागर हुआ। इसके कथित ग्रीष्मकालीन फुटेज में बिना पत्ती की झाड़ियाँ देखने को मिलीं। सटीक विवरण मिलान करने पर इसमें असंभव समय काल होने का संकेत मिला।
30 सेकंड में संदेहों की जांच: एआई देखने में विश्वसनीय सामग्री बना सकता है। लेकिन अक्सर समय, स्थान और परिस्थिति के बीच मूलभूत तार्किक संबंधों को नज़रअंदाज़ कर देता है। ब्रेकिंग न्यूज़ के मामलों में आप दुनिया के बारे में अपने ज्ञान पर भरोसा करें। आप कुछ असंभव चीजों को पहचान कर उनकी पुष्टि के लिए विश्लेषण कर सकते हैं।
- मौसम संबंधी जांच – यह जांच करें कि क्या वनस्पति, वस्त्र या प्रकाश व्यवस्था कथित तिथि और स्थान से मेल खाती है?
- तकनीकी समयरेखा स्कैन – क्या कोई उपकरण, वाहन या बुनियादी ढाँचा इस समयावधि से संबंधित नहीं है?
- भौगोलिक जाँच – क्या वास्तुकला, संकेत और परिदृश्य दावा किए गए स्थान से मेल खाते हैं?
- स्रोत विश्वसनीयता का त्वरित मूल्यांकन – क्या सामग्री का मूल उसकी परिष्कृतता और पहुँच आवश्यकताओं के अनुरूप है?
पांच मिनट का तकनीकी सत्यापन: इस गहन विश्लेषण में आप शोध कौशल का उपयोग करें। दावों को सत्यापन योग्य तथ्यों के साथ जोड़कर देखें। एआई वास्तविक दुनिया की घटनाओं की परस्पर संबद्ध प्रकृति के साथ संघर्ष करता है। यह ऐसी सामग्री का निर्माण करता है जो दृश्य निरीक्षण में तो सच लगती है, लेकिन बाह्य डेटा स्रोतों की तुलना में तार्किक जांच में विफल हो जाती है।
- ऐतिहासिक मौसम सत्यापन – दावा की गई तिथि/स्थान के लिए मौसम डेटा संबंधी दृश्य की जांच करें।
- वास्तुशिल्पीय स्थलचिह्न देखें – सत्यापित करें कि दावा किए गए स्थान पर दृश्यमान इमारतें, चिह्न और बुनियादी ढाँचा मौजूद है।
- सांस्कृतिक तत्वों का ऑडिट – जांच करें कि कपड़ों की शैलियाँ, व्यवहार और सामाजिक गतिशीलता भौगोलिक तथा सांस्कृतिक संदर्भ से मेल खाते हैं।
- समयरेखा की संभावना का आकलन – शोध करें कि क्या दावा की गई घटनाएँ तार्किक रूप से एक साथ घटित हो सकती हैं।
- स्रोत पैटर्न विश्लेषण – समान घटनाओं के लिए विशिष्ट वितरण पैटर्न की तुलना में सामग्री के प्रसार का मानचित्र बनाएँ।
- बहु-कोणीय खोज – स्वतंत्र स्रोतों से उसी घटना के अन्य दस्तावेज़ों की तलाश करें।
गहन जाँच (बड़े दाव की रिपोर्टिंग): किसी संदेहास्पद महत्वपूर्ण सामग्री की गहन जांच करनी होगी। इसके लिए प्रासंगिक सुरागों को एक फोरेंसिक पहेली के टुकड़ों के रूप में मानें। इसके तहत उस सामग्री के प्रत्येक हिस्से की स्थापित तथ्यों के आधार पर व्यवस्थित सत्यापन की आवश्यकता होती है। यह व्यापक दृष्टिकोण किसी एक निश्चित प्रमाण पर निर्भर नहीं कर सकता। यह कई तार्किक विसंगतियों पर आधारित संभावनाओं का मैट्रिक्स बनाता है।
- व्यापक समयरेखा पुनर्निर्माण – दावा की गई घटनाओं का विस्तृत कालक्रम बनाएं। सभी दृश्य तत्वों के परस्पर संदर्भ की जांच करें।
- भौगोलिक खुफिया सत्यापन – स्थान विवरण की पुष्टि के लिए उपग्रह इमेजरी, सड़क दृश्य और स्थानीय विशेषज्ञता का उपयोग करें।
- मौसम और पर्यावरण की फोरेंसिक जांच – पर्यावरण की स्थितियों के बारे में वनस्पति विशेषज्ञों, मौसम विज्ञानियों और स्थानीय स्रोतों से परामर्श करें।
- सांस्कृतिक प्रामाणिकता मूल्यांकन – सामग्री में दिखाई देने वाले व्यवहार संबंधी मानदंडों, ड्रेस कोड और सामाजिक रीति-रिवाजों के बारे में क्षेत्रीय विशेषज्ञों से बात करें।
- प्रौद्योगिकी कालक्रम विश्लेषण – सत्यापित करें कि सभी दृश्यमान उपकरण, वाहन, बुनियादी ढाँचा दावा किए गए समय और स्थान पर मौजूद थे।
- स्रोत श्रृंखला जाँच – संपूर्ण वितरण इतिहास का पता लगाएं। समान प्रामाणिक घटनाओं के ज्ञात पैटर्न से तुलना करें।
- विशेषज्ञ परामर्श नेटवर्क – दावा किए गए स्थान या स्थिति से परिचित स्थानीय पत्रकारों, शिक्षाविदों और अधिकारियों को शामिल करें।
- संभाव्यता मैट्रिक्स निर्माण – प्रत्येक तार्किक तत्व को स्कोर करें। सामग्री की प्रामाणिकता का एक व्यापक मूल्यांकन तैयार करें।
श्रेणी 6 : व्यवहार पैटर्न की पहचान – जब एआई गलत पहचान कर ले

एआई से बनी इस तस्वीर में एक सड़क पर प्रदर्शनकारियों को मार्च करते हुए दिखाया गया है। इमेज : हेंक वैन एस
नरेटिव: एआई मानवीय रूप-रंग की नकल कर सकता है। लेकिन वास्तविक मानवीय व्यवहार, सामाजिक गतिशीलता और स्वाभाविक अंतःक्रियात्मक पैटर्न के मामले में इसे दिक्कत आती है। इसके कारण भीड़ के दृश्यों, समूह गतिशीलता और व्यक्तिगत व्यवहार में पहचानी जा सकने वाली विसंगतियाँ पैदा होती हैं। इन खमियों को कोई कुशल पर्यवेक्षक पहचान सकता है।
30 सेकंड की जांच (ब्रेकिंग न्यूज़): एआई के द्वारा बनाई गई भीड़ पहली नज़र में वास्तविक लगती है। लेकिन अप्राकृतिक व्यवहार पैटर्न के कारण उसके बनावटी होने का पता चल सकता है। ब्रेकिंग न्यूज़ के मामलों में इस बात पर ध्यान दें कि क्या लोग दी गई परिस्थितियों में वास्तविक मनुष्यों की तरह व्यवहार कर रहे हैं, न कि प्रोग्राम किए गए व्यवहारों का पालन करने वाले डिजिटल अभिनेताओं की तरह।
- भीड़ की एकरूपता की जांच करें – क्या भीड़ में एक समान उम्र, रूप-रंग या पहनावे के बहुत सारे लोग हैं?
- लोगों की निगाहों और ध्यान के पैटर्न की जांच – क्या सभी लोग एक ही दिशा में या कैमरे की ओर देख रहे हैं? क्या ध्यान में स्वाभाविक तौर पर मिलने वाली भिन्नता है?
- भावनात्मक प्रामाणिकता की जांच – क्या चेहरे के भाव घटना के अनुमानित मूड और तीव्रता से मेल खाते हैं?
- गति यथार्थवाद मूल्यांकन – कृत्रिम स्थिति के बजाय प्राकृतिक मानवीय अंतराल और शारीरिक भाषा की जांच करें।
पाँच मिनट का तकनीकी सत्यापन: आप यह विश्लेषण मानव सामाजिक गतिशीलता की अपनी समझ के आधार पर कर सकते हैं। वास्तविक समूह व्यवहार की नकल करने में एआई ने किस तरह की गल्तियां की हैं, इसे आप पहचान सकते हैं। वास्तविक भीड़ जटिल सामाजिक पैटर्न प्रदर्शित करती है। एआई प्रशिक्षण डेटा इसे पूरी तरह से नहीं बना पाता। एआइ से बनी फोटो में किसी सभा या भीड़ के लोगों में दिखने वाली कृत्रिम एकरूपता का पता लगाया जा सकता है।
- जनसांख्यिकीय विविधता की जांच – भीड़ के लोगों की आयु सीमा, वस्त्र शैली, जातीय प्रतिनिधित्व बनाम कृत्रिम एकरूपता की जांच करें।
- सामाजिक संपर्क मानचित्रण – वास्तविक बातचीत, संबंधों और समूह गतिशीलता बनाम मंचित स्थिति की पहचान करें।
- पर्यावरण संबंधी प्रतिक्रिया की जांच – लोग मौसम, प्रकाश, शोर के स्तर पर किस तरह का व्यवहार कर रहे हैं अथवा कैसी प्रतिक्रिया दे रहे हैं, इसकी जांच करें।
- सांस्कृतिक व्यवहार की जांच – क्या सामाजिक मानदंड, व्यक्तिगत स्थान और बातचीत शैलियाँ दावा की गई सेटिंग से मेल खाती हैं?
- लोगों की व्यक्तिगत अभिव्यक्ति का विश्लेषण – एक समान या सामान्य प्रतिक्रियाओं के बजाय अद्वितीय चेहरे के भाव और वास्तविक भावनाओं की तलाश करें।
- गति पैटर्न का मूल्यांकन – क्या सहज गति के बजाय प्राकृतिक विषमताएँ और व्यक्तिगत विचित्रताएँ हैं, इसकी जांच करें।
गहन जांच: जटिल मामलों की जांच के लिए मनुष्य के व्यवहार का उपयोग मानवशास्त्रीय साक्ष्य के रूप में करें। इसके लिए सामाजिक प्रतिमानों के व्यवस्थित विश्लेषण की आवश्यकता होती है। यह व्यापक दृष्टिकोण इस बात की जांच करता है कि क्या मानवीय अंतःक्रियाओं का जटिल जाल कथित परिस्थितियों में प्रामाणिक रूप से घटित हो सकता है।
- भीड़ का समाजशास्त्रीय विश्लेषण – घटना जिस प्रकार की हो, उसके अनुसार यथार्थवादी समूह गतिशीलता की जांच करें। इसके लिए भीड़ मनोविज्ञान के विशेषज्ञों से परामर्श करें।
- सांस्कृतिक प्रामाणिकता का सत्यापन – उपयुक्त सामाजिक व्यवहार, वेशभूषा और अंतःक्रिया पैटर्न के बारे में क्षेत्रीय विशेषज्ञों का साक्षात्कार लें।
- जनसांख्यिकी संबंधी संभावना का मूल्यांकन – शोध करें कि क्या भीड़ की संरचना समान आयोजनों के लिए विशिष्ट उपस्थिति पैटर्न से मेल खाती है।
- व्यक्तिगत व्यवहार की फोरेंसिक जांच – सुसंगत व्यक्तित्व, संबंधों और प्रामाणिक भावनात्मक प्रतिक्रियाओं के लिए विशिष्ट लोगों का विश्लेषण करें।
- पर्यावरण अनुकूलन अध्ययन – सत्यापित करें कि मौसम, ध्वनि और वस्तुओं के प्रति भीड़ की प्रतिक्रिया वास्तविक दुनिया के पैटर्न से मेल खाती हैं।
- ऐतिहासिक तुलनात्मक अनुसंधान – समान क्षेत्र या सांस्कृतिक संदर्भ में समान प्रामाणिक घटनाओं के सत्यापित फुटेज या फ़ोटो से तुलना करें।
- विशेषज्ञ परामर्श नेटवर्क – क्षेत्रीय सामाजिक गतिशीलता की जांच करें। इसके जानकार मानवविज्ञानी, समाजशास्त्री और स्थानीय पत्रकारों से बात करें।
- सूक्ष्म-अभिव्यक्ति विश्लेषण – कृत्रिम निर्माण बनाम प्रामाणिक भावनात्मक प्रतिक्रियाओं के लिए चेहरे के भावों की जाँच करने हेतु विशेषज्ञों से परामर्श लें।
- सामाजिक नेटवर्क मानचित्रण – समूह निर्माण बनाम कृत्रिम एकत्रीकरण की प्रामाणिकता को सत्यापित करने के लिए व्यक्तियों के बीच संबंधों का पता लगाएँ।
श्रेणी 7: सहज पैटर्न की पहचान – पहचान की पुरानी प्रणाली

एआई से बनी इस फोटो में बेलारूसी राष्ट्रपति को एक बैठक में फ्राइज़ का एक कोन पकड़े हुए दिखाया गया है। इमेज : हेंक वैन एस
नरेटिव: हमारे मस्तिष्क ने लाखों वर्षों में पैटर्न पहचान विकसित की है। लेकिन एआई का पैटर्न उसे मिले प्रशिक्षण, डेटा और एल्गोरिथम प्रक्रिया से आते हैं। जब कोई चीज़ मानवीय धारणा की स्वाभाविक अपेक्षाओं का उल्लंघन करती है, तो उसकी सहज अनुभूति हाना स्वाभाविक है। यह चीज उसककी तकनीकी जांच से पहले ही मनुष्य के सहज भाव में उत्पन्न हो सकती है।
सक्सेस स्टोरीज: वर्ष 2019 में फ्लोरेंस तूफान के दौरान सोशल मीडिया में एक “स्ट्रीट शार्क” की फोटो वायरल हुई। यह तकनीकी रूप से वास्तविक दिख् रही थी। इसके बावजूद दर्शकों को यह स्थिति के अनुसार गलत लग रही थी। लोगों की सहज प्रवृत्ति सही साबित हुई। रिवर्स सर्च से उस फोटो के बनावटी होने का खुलासा हुआ। अनुभवी पत्रकार यह भांप लेते हैं कि शौकिया फुटेज संदिग्ध रूप से बनावटी है। किसी स्वतःस्फूर्त घटना के लिए सही दस्तावेज़ीकरण मौजूद है अथवा नहीं, इसकी जांच से यह पता लग सकता है।
दिलचस्प तथ्य: विगत एक दशक में कई तूफानों में ऐसे अनगिनत मामलों की जांच की गई। लेकिन एक उदाहरण ऐसा था जिसकी पुष्टि हुई।
30 सेकंड की रेड फ्लैग चेक: कम समय में जांच करनी हो, तो अपने विकासवादी पैटर्न पहचान पर भरोसा करें। उत्पादन की गुणवत्ता के विरोधाभास पर ध्यान दें। क्या शौकिया स्रोत ने हॉलीवुड-स्तरीय सामग्री तैयार की है। समय के दबाव पर भी ध्यान दें, जहां किसी हंगामेदार घटना का पूरी तरह से दस्तावेज़ीकरण किया गया हो। वास्तव में ऐसी उच्चस्तरीय सामग्री का निर्माण स्वाभाविक रूप से नहीं होता। इसलिए पत्रकार अपनी प्राचीन जांच प्रणाली के जरिए इन गड़बड़ियों का पता लगा लेते हैं। भले ही तकनीकी विश्लेषण द्वारा बाद में उनके आकलन की पुष्टि हो।
- पहली नजर की प्रतिक्रिया – क्या यह वास्तविक सामग्री लगती है या बनावटी? मनुष्य के कृत्रिम चित्रण की जांच के लिए अपनी बेचैनी की भावनाओं को याद करें। क्या उस फोटो या वीडियो में कोई अजीब तरह की भावना दिख रही है?
- उत्पादन-लागत संबंधी विरोधाभास की जांच करें – क्या किसी शौकिया स्रोत द्वारा बनाई गई सामग्री काफी अच्छी गुणवत्ता वाली है? अब पेशेवर दिखने वाले राजनीतिक घोटाले का कोई वीडियो मात्र आठ डॉलर में बन सकता है।
- कम समय में बनी सामग्री की जाँच – क्या किसी घटना का सही दस्तावेज़ीकरण सामान्य रिकॉर्डिंग की तुलना में बहुत कम समय के भीतर कर लिया गया है?
- भावनात्मक हेरफेर का परीक्षण – यह विचार करें कि कोई क्या सामग्री पाठकों को सूचित करने के बजाय भावनात्मक प्रतिक्रिया और तत्काल वायरल करने के लिए उकसाने वाली है?
पाँच मिनट का तकनीकी सत्यापन: अपनी पैटर्न पहचान क्षमता को सक्रिय करें। विशिष्ट तत्वों की जाँच करके सहज भावनाओं को व्यवस्थित सत्यापन में बदलें। क्या आपका अंतर्ज्ञान कहता है कि कुछ गड़बड़ है? अगर हां, तो उसे तर्कसंगत बनाने के लिए पहचानें कि क्या विशेष रूप से प्राकृतिक अपेक्षाओं का उल्लंघन करता है।
- संदर्भ के तर्क की गहन जांच करें – क्या वास्तविक दुनिया के ज्ञान के आधार पर परिदृश्य व्यावहारिक रूप से समझ में आता है, इसकी जांच करें।
- स्रोत विश्वसनीयता की जांच – यह विचार करें कि क्या मूल सामग्री की परिष्कृतता और पहुंच आवश्यकताओं से मेल खाता है?
- कहानी के तथ्यों का विश्लेषण – क्या कहानियाँ वर्तमान राजनीतिक या सामाजिक तनावों से पूरी तरह मेल खाती हैं?
- तकनीकी असंगति की जांच – क्या गुणवत्ता, प्रकाश व्यवस्था या ऑडियो कथित परिस्थितियों से मेल खाते हैं?
- पैटर्न उल्लंघन की सूची बनाएं – उन विशिष्ट तत्वों का दस्तावेज़ीकरण करें जो संदिग्ध भावनाओं या प्रासंगिक असंभवता का संकेत देते हैं।
- स्रोत-सामग्री के बेमेल होने का मूल्यांकन – बिना किसी स्पष्टीकरण के शौकिया या अनाम स्रोतों से प्राप्त परिष्कृत सामग्री को चिह्नित करें।
गहन जांच: किसी जटिल सामग्री की जांच के लिए उसका व्यापक सत्यापन करें। इसके लिए अपने सहज ज्ञान से पहचान को शुरुआती बिंदु मानें। पैटर्न पहचान के जरिए विसंगतियों की पहचान करें। अब साक्ष्य-आधारित मूल्यांकन बनाने के लिए संदेह पैदा करने वाले प्रत्येक तत्व की व्यवस्थित जांच करें।
- अंतर्ज्ञान की फोरेंसिक जांच – अजीब लगने वाले हरेक तत्व की सूची बनाएं। अब शोध करें कि प्रत्येक तत्व प्राकृतिक अपेक्षाओं का उल्लंघन क्यों करता है।
- उत्पादन विरोधाभास की जांच – एक शौकिया की अनुमानित क्षमता की तुलना में आवश्यक वास्तविक संसाधनों की गणना करें।
- प्रासंगिक असंभवता का विश्लेषण – वास्तविक दुनिया के ज्ञान और विशेषज्ञ परामर्श से प्राप्त अंतर्दृष्टि के विरुद्ध परिदृश्यों की जांच करें।
- भावनात्मक हेरफेर का मूल्यांकन – डिज़ाइन किए गए वायरल ट्रिगर बनाम जैविक सूचना साझाकरण के लिए सामग्री संरचना का विश्लेषण करें।
- तकनीकी असंगति का गहन विश्लेषण – गुणवत्ता, प्रकाश व्यवस्था और ऑडियो बेमेल का फ्रेम-दर-फ्रेम विश्लेषण करें।
- स्रोत प्रामाणिकता का सत्यापन – जाँच करें कि क्या दावा किए गए स्रोत वास्तविक रूप से इस सामग्री का उत्पादन कर सकते हैं।
- कथात्मक इंजीनियरिंग का पता लगाएं – कृत्रिम सुविधा बनाम प्राकृतिक घटना विकास के लिए कहानी निर्माण की जाँच करें।
- पैटर्न उल्लंघन पर विशेषज्ञ से बात करें – स्वतंत्र, सहज आकलन में अनुभवी लोगों को शामिल करें।
- विश्वास सीमा का विश्लेषण – जब कई तत्व “अजीब” लगते हैं तो उनका दस्तावेज़ीकरण करें। तकनीकी क्षमता के बावजूद सामग्री को अस्वीकार करने का औचित्य सिद्ध करें।
अपने अंतर्ज्ञान पर कब भरोसा करें :
- यदि कई तत्व “असंगत” लगते हैं, भले ही आप विशिष्ट समस्याओं की पहचान न कर पाएं।
- जब सामग्री तत्काल भावनात्मक प्रतिक्रिया उत्पन्न करती है, तो उसे विश्लेषण से बचने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- यदि स्रोत, समय या संदर्भ तार्किक रूप से संदेह पैदा करते हों।
- जब तकनीकी गुणवत्ता निर्माता के अनुभव स्तर से मेल नहीं खाती।
- यदि आपका मस्तिष्क उत्पादन गुणवत्ता विरोधाभास या समय के दबाव का पता लगाता है जो आपके प्रयोग द्वारा प्रदर्शित किया गया है।
वास्तविक स्थिति: कोई पूर्ण समाधान नहीं
सारांश: एआई पहचान की इन सात श्रेणियों और नए उपकरण से आप यह जांच कर सकते हैं। इसमें किसी फोटो या वीडियो के लोगों की शारीरिक विफलताएँ, भौतिक उल्लंघन, तकनीकी फ़िंगरप्रिंट, ध्वनि कलाकृतियाँ, प्रासंगिक तर्क, व्यवहार पैटर्न और सहज ज्ञान युक्त पहचान शामिल है। इसमें आपको कम समय में सामग्री की जांच के लिए एक व्यापक टूलकिट मिलता है। पेशेवर पहचान उपकरणों और नए संपादकीय मानकों के साथ हम विश्वसनीयता बनाए रख सकते हैं। आग का जवाब आग से दें। एआई का पता लगाने के लिए एआई का उपयोग करें। लोहे को लोहे से काटें। हमारी साझा वास्तविकता को बचाए रखने में मदद करें।
हेंक वैन एस डेटा में कहानियां खोजने के लिए एआई का उपयोग करते हैं। वह इसे खोजी शोध में लागू करते हैं। सर्चव्हिस्परर और एआई रिसर्चर जैसे सार्वजनिक उपयोग के लिए उपकरण बनाते हैं। वाशिंगटन पोस्ट, एक्सल स्प्रिंगर, बीबीसी और डीपीजी सहित दुनिया भर के न्यूज़रूम में प्रशिक्षक, डिजिटल डिगिंग चलाते हैं, जहाँ ओपन सोर्स इंटेलिजेंस एआई से मिलता है। वह पॉइंटर के अंतर्राष्ट्रीय तथ्य-जांच नेटवर्क (IFCN) और यूरोपीय तथ्य-जांच मानक नेटवर्क (EFCSN) के लिए एक मूल्यांकनकर्ता के रूप में भी कार्य करते हैं।
अनुवाद : डॉ. विष्णु राजगढ़िया