
ग्लोबल इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज़्म नेटवर्क खोजी पत्रकारों के संगठनों का अंतर्राष्ट्रीय संघ है। हमारा मुख्य उद्देश्य वाच-डॉग यानि निगरानी की भूमिका निभा रहे इनवेस्टिगेटिव और डेटा जर्नलिज़्म करने वाले पत्रकारों का प्रशिक्षण और उनके बीच जानकारी का सहजता से आदान-प्रदान सुनिश्चित करना है। हम खोजी पत्रकारिता के उत्कृष्ट संसाधनों, खबरों और अवसरों का वैश्विक केंद्र हैं।
खोजी रिपोर्टिंग की प्रभावी लेखन शैली के लिए नौ सुझाव
बड़ी खोजी खबरें लिखते समय अक्सर यह बात समझ में नहीं आती कि कहां से शुरू करें। ऐसी बहुत सी जगहें हैं जहाँ से आप शुरुआत कर सकते हैं। जैसे, एक डूबता हुआ शहर। शहर के लोगों ने शहर डूबने के रूप में लेवी का भुगतान किया। व्यवसाय से बाहर जा रहे किसान। लोग बहुत सारा पैसा कमा रहे हैं। ऐसे अनगिनत कोण हैं। ऐसे मामले में यह तय करना आसान नहीं होता कि आपको अपनी स्टोरी किस बात पर फोकस करके शुरू करना चाहिए।
पर्यावरण पर इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग के लिए रिमोट सेंसिंग और डेटा टूल्स
पृथ्वी पर जल और जमीन की सतहों में आने वाले बदलावों का पता लगाने और उनकी माप-जोख करने में भी यह उपकरण खोजी रिपोर्टरों की मदद कर सकता है। पिछले साल ईआईएफ ने बुल्गारिया की वर्ना झील और उसके पास की खाड़ी में गंदे पानी (वेस्ट वॉटर) के एक बड़े रिसाव से हुए नुकसान की जांच की। यह काला सागर से जुड़ा हुआ मछली पकड़ने और पर्यटन का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। टीम ने झील पर शैवाल के फैलने का पता लगाने के लिए सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग करने का निर्णय लिया।
जियो-लोकेशन और ओपन सोर्स डेटा के माध्यम से इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग पर 10 टिप्स
टीम ने टिकटॉक पर दिखाए गए एक फुटेज को सत्यापित करने के लिए सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग किया। इस वीडियो में खारकीव के पास गोलाबारी होती हुई दिख रही थी। ‘एक ऐसी जगह, जिसपर फरवरी के अंत में बमबारी हुई थी।’ एक साथ काम करते हुए, उन्होंने पहचान लिया कि गोले कहाँ से दागे गए होंगे, जबकि उस समय तक यह स्पष्ट नहीं था कि जमीन पर चल क्या रहा है।
जीआईजेएन का जर्नलिज्म सिक्युरिटी असेसमेंट टूल (JSAT) जारी
महिला पत्रकारों और फ्रीलांसरों का ऑनलाइन उत्पीड़न के बढ़ने के साथ ही डिजिटल निगरानी भी एक नया खतरा है। रूना सैंडविक के अनुसार पत्रकारों को हर स्तर पर बेहतर सुरक्षा के लिए एक सुलभ रोडमैप की आवश्यकता है। यह उपकरण टीम वर्क को सबसे अच्छे समाधान के रूप में प्रस्तुत करता है।
मीडिया को डराने के लिए बढ़ते डिजिटल हमले
हाल के वर्षों में ऐसे डिजिटल हमलों को संख्या, आवृत्ति और गंभीरता बढ़ी है। ऐसे हमलों के नए-नए तरीके भी सामने आ रहे हैं। कुछ साइबर हमले काफी घातक होजे हैं और किसी कवरेज को रोकने में भी प्रभावी होते हैं। ऐसे हमलावरों को एक अतिरिक्त लाभ मिलता है, क्योंकि ऐसे अपराधी वीपीएन के पीछे छिपे होते हैं उनकी पहचान को सामने लाना मुश्किल होता हे।