खोजी पत्रकारिता के इच्छुक युवाओं के लिए ज़रूरी टिप्स
एक खोजी पत्रकार के रूप में नौकरी मिलना पहले भी कभी आसान नहीं रहा है। लेकिन अब यह और कठिन हो चुका है। दुनिया भर के मीडिया उद्योग में नौकरियों की कटौती होती जा रही है। पहले मीडिया संगठनों में बड़ी संख्या में पत्रकारों की नियुक्ति होती थी। अखबारों को काफी विज्ञापन भी मिलते थे। लेकिन ऐसे प्रकाशनों का युग अब समाप्त हो गया है। इसके बावजूद, खोजी या वॉचडॉग पत्रकारिता अब भी आकर्षक करियर बना हुआ है।
1970 के दशक में अमेरिका के वाटरगेट कांड के बाद से खोजी पत्रकारिता का महत्व काफी बढ़ गया। हाल के दिनों में पेंडोरा पेपर्स जैसे बड़े खुलासे हुए। इस तरह देखें, तो खोजी पत्रकार लंबे समय से दुनिया भर में भ्रष्टाचार और गलत कामों को उजागर करने में सबसे आगे रहे हैं। वे किसी भी लोकतंत्र का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। किसी निरंकुश और दमनकारी शासन में तो उनकी भूमिका और भी अधिक महत्वपूर्ण है। तमाम चुनौतियों के बावजूद इस पेशे में आने के लिए युवाओं में काफी उत्साह देखा जाता है। बारहवीं ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म कॉन्फ्रेंस 2021 में शामिल 44 फीसदी पत्रकार 35 वर्ष से कम आयु के थे।
खोजी पत्रकारिता को लेकर आम युवाओं के मन में काफी सवाल होते हैं। इस पेशे में आने का तरीका क्या है? क्या इसके लिए कोई डिग्री लेने की आवश्यकता है? क्या अपने अनुभवों से सीखते हुए कोई पत्रकारिता में सफल हो सकता है? इनके अलावा कुछ बुनियादी सवाल भी हैं। आज दुनिया भर में खोजी पत्रकारों को उत्पीड़न, सेंसरशिप, गिरफ्तारी व नजरबंदी, मुकदमों इत्यादि का सामना करना पड़ रहा है? ऐसे में एक खोजी पत्रकार के रूप में करियर बनाने में क्या चुनौतियाँ हैं?
सच तो यह है कि एक खोजी पत्रकार के रूप में अपनी पहचान बनाने का कोई एक ‘सही‘ तरीका नहीं है। कुछ पत्रकार किसी स्थानीय समाचारपत्र में इंटर्नशिप शुरू करते हैं। अन्य लोग स्वतंत्र पत्रकारों के रूप में शुरू करते हैं। कुछ लोग पत्रकारिता विश्वविद्यालय जाते हैं। कुछ लोग कानून या कंप्यूटर विज्ञान वगैरह की पढ़ाई के बाद पत्रकारिता में आते हैं। कुछ लोग खोजी पत्रकार बनने से पहले अन्य क्षेत्रों में सामान्य पत्रकार के रूप में प्रशिक्षण लेते हैं।
जीआईजेएन ने दुनिया भर के छह युवा पत्रकारों से बात की। उनसे पूछा कि उन्हें इस पेशे में ब्रेक कैसे मिला? नई शुरुआत करने वालों को उनकी क्या सलाह है? हमने कोई औपचारिक आयु वर्ग का चयन नहीं किया था, लेकिन इस साक्षात्कार में शामिल अधिकांश पत्रकार लगभग 30 वर्ष के हैं। उनके पास एक दशक से भी कम समय का अनुभव है। यहां उन छह युवा पत्रकारों के साक्षात्कार प्रस्तुत हैं-
महिमा जैन, भारत
महिमा जैन एक स्वतंत्र पत्रकार हैं। वह पर्यावरण, लिंग, स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर रिपोर्टिंग करती हैं। उनका काम हाशिए के लोगों के जीवन और भारत में प्रणालीगत मुद्दों पर केंद्रित है। वह ‘थॉमसन फाउंडेशन यंग जर्नलिस्ट अवार्ड 2021‘ की फाइनलिस्ट थीं। उनकी बायलाइन स्टोरीज कई भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशनों में प्रकाशित होती हैं। जैसे- द गार्जियन, डेर स्पीगल, द फुलर प्रोजेक्ट, मोंगाबे इत्यादि। पहले वह ‘द हिंदू‘ ग्रुप, ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन सेटलमेंट्स इन इंडिया‘ तथा ‘लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स‘ के साउथ एशिया सेंटर, यूके में संपादक रह चुकी हैं।
प्रश्न- खोजी पत्रकारिता में आपको ब्रेक कैसे मिला?
महिमा जैन – प्रारंभ से ही मेरी दिलचस्पी अपने आसपास मौजूद प्रणालीगत असमानताओं पर सवाल उठाने में रही है। ऐसी चीजों की जांच-पड़ताल करना मुझे काफी अच्छा लगता था। बड़े घोटालों, कॉरपोरेट के गलत कामों और भ्रष्टाचार के बड़े खुलासे करना निश्चित रूप से महत्वपूर्ण और बहुत आवश्यक काम है। लेकिन मैंने अपनी पत्रकारिता को इस बात पर केंद्रित किया कि असमानता को क्यों स्वीकार किया जाता है? ऐसी असमानता को स्वीकृति देने में समाज, सरकार और सार्वजनिक संस्थान कैसे योगदान करते हैं? हमारे आसपास की बड़ी प्रणालियों में इस समस्या का क्या स्थान है, इसे समझना मेरी दिलचस्पी का विषय रहा।
उदाहरण के लिए, भारत में लिंग आधारित हिंसा को महज आपराधिक न्याय के मामले तक सीमित करके देखा गया है। इसके कारण महिलाओं के खिलाफ हिंसा को अपराध और सजा के मुद्दे के रूप में देखने की सार्वजनिक धारणा है। ऐसे मामलों से निपटने के लिए सख्त कानून और अधिक सजा पर ही सबका फोकस है। लेकिन महिलाओं के खिलाफ हिंसा के व्यापक सामाजिक और व्यवस्थागत मुद्दे गौण हो जाते हैं। इन विषयों पर रिपोर्टिंग के दौरान मैंने पाया कि इसने स्वास्थ्य सेवा तक महिलाओं की पहुंच को बाधित किया है। इस मुद्दे से निपटने में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों की भूमिका को दरकिनार कर दिया गया है।
प्रश्न – खोजी पत्रकारिता के पेशे में आने को इच्छुक युवाओं के लिए आप कोई एक सुझाव दें।
महिमा जैन – मुझे लगता है कि अच्छी स्टोरीज के लिए गहरे संवाद की जरूरत होती है। बार-बार सवाल पूछने और उस पर स्पष्टता हासिल करके उसे फिर से बनाने और फिर से सवाल पूछने की जरूरत है। समाज के उपेक्षित लोगों से बात करना दरअसल अन्याय और असमानता की कोई अनकही कहानी तलाशने का सबसे अच्छा तरीका है। मैं दृढ़ता के साथ महसूस करती हूं कि आम लोगों के पास असाधारण कहानियां होती हैं। हमें यह जानने की जरूरत है कि उसे सनसनीखेज बनाए बगैर संवेदनशील और भावनात्मक तरीके से कैसे रिपोर्ट किया जाए।
मनीषा गांगुली, यूनाइटेड किंगडम
मनीषा गांगुली एक खोजी पत्रकार और वृत्तचित्र फिल्म निर्माता हैं। वह संघर्ष और युद्ध में मानवाधिकारों के हनन को उजागर करने के लिए ओपनसोर्स और पारंपरिक खोजी रिपोर्टिंग तकनीकों के मिश्रण का उपयोग करती हैं। बीबीसी के लिए उनकी खोजी खबर को एमनेस्टी मीडिया अवार्ड सहित कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। वह वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय में पीएचडी कर रही हैं। विषय है: खोजी पत्रकारिता पर ओपनसोर्स ऑटोमेटेड और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल्स के प्रभाव का अध्ययन।
प्रश्न- खोजी पत्रकारिता में आपको ब्रेक कैसे मिला?
मनीषा गांगुली – मुझे पहला ब्रेक देने के लिए ‘द टेलीग्राफ‘ (यूके) की इन्वेस्टिेशन एडिटर क्लेयर नेवेल को धन्यवाद। उन्होंने मेरे कुछ प्रकाशित फ्रीलांस काम को देखकर मुझे एक इंटर्नशिप दी। फिर एक खोजी पत्रकार के रूप में मुझे पहला अनुबंध मिला। इससे पहले मैं छोटे प्रकाशनों के लिए या अपने ब्लॉग पर अपने दम पर जांच और रिपोर्टिंग कर रही थी। मेरे जैसी अप्रवासी महिलाओं के सामने काफी चुनौतियां होती हैं। लेकिन इसके कारण एक खोजी पत्रकार बनने का सपना मैंने नहीं छोड़ा।
प्रश्न – खोजी पत्रकारिता के पेशे में आने को इच्छुक युवाओं के लिए आप कोई एक सुझाव दें।
मनीषा गांगुली – इस पेशे में आपके किसी प्रस्ताव को अस्वीकार किया जाना एक सामान्य बात है। लेकिन आपको यह समझना होगा कि ‘ना‘ को ‘हां‘ में कैसे बदलना है। फिर चाहे यह किसी ‘स्रोत‘ से जानकारी लेने का मामला हो, या किसी वृत्तचित्र के लिए आर्थिक सहयोग लेने का। अपनी दृढ़ता के जरिए ही आप ऐसी अस्वीकृति का मुकाबला कर सकते हैं। इसलिए, हार न मानें! अधिकतम प्रयास करें और रचनात्मक रूप से सोचें। कल्पनाशील होना खोजी पत्रकारिता का अनिवार्य हिस्सा है। लेकिन अब तक इसे पर्याप्त महत्व नहीं दिया गया। आप ऐसा करेंगे, तो आगे बढ़ेंगे।
करीना शेड्रोफ्स्की, बोस्निया-हर्जेगोविना
करीना शेड्रोफ्स्की आठ देशों में शोध टीम का नेतृत्व करती हैं। वह ‘ओर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) के पत्रकारों को दुनिया भर में कंपनियों और लोगों तथा उनकी संपत्तियों को ट्रैक करने में मदद करती हैं। उन्होंने ओसीसीआरपी की कई परियोजनाओं के तहत अनुसंधान में योगदान दिया है। इनमें पैराडाइज पेपर्स और डाफ्ने प्रोजेक्ट शामिल है। उन्होंने अजरबैजान के शासक परिवार की गुप्त संपत्ति उजागर करने में भी सहयोग किया। ओसीसीआरपी में शामिल होने से पहले उन्होंने यूएसए टुडे के लिए काम किया। वहां उन्होंने स्वास्थ्य के अलावा अमेरिका में 2016 के राष्ट्रपति चुनाव को कवर किया।
प्रश्न- खोजी पत्रकारिता में आपको ब्रेक कैसे मिला?
करीना शेड्रोफ्स्की – मैं न्यूयॉर्क में एक लीगल न्यूज वायर में नौकरी शुरू करने वाली थी। लेकिन तभी मुझे साराजेवो में ओसीसीआरपी के लिए एक दैनिक समाचार इंटर्नशिप संबंधी अवसर का पता चला। मैंने इसमें आने का फैसला कर लिया। इस इंटर्नशिप में मेरा दायित्व खोजी पत्रकारिता करना नहीं था। लेकिन इसने मुझे दुनिया के कुछ बेहतरीन खोजी पत्रकारों के साथ काम करने का अवसर दिया। मैंने जिस हद तक संभव हो, उन्हें सहयोग किया। इस इंटर्नशिप के आधार पर मुझे ओसीसीआरपी की शोध टीम में नौकरी मिली। ‘ओसीसीआरपी आईडी‘ नामक एक शोध सहायता डेस्क है। इसमें खोजी पत्रकारों को मदद की जाती है। यहां काम करते हुए मैंने खोजी अनुसंधान की मूल बातें सीखी। मुझे ओसीसीआरपी केंद्र के 50 से अधिक पत्रकारों के साथ सहयोग करने का अवसर मिला।
प्रश्न – खोजी पत्रकारिता के पेशे में आने को इच्छुक युवाओं के लिए आप कोई एक सुझाव दें।
करीना शेड्रोफ्स्की – एक खोजपूर्ण शोध के लिए आपको यह जानना जरूरी है कि आपके विषय और जरूरत के अनुरूप कौन-सी जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है। उसका पता लगाना और उसे कैसे प्राप्त करें, यह जानना जरूरी है। ओसीसीआरपी के माध्यम से हम दुनिया भर के उन पत्रकारों की मदद कर रहे हैं जिनके पास स्थानीय संस्थानों से जानकारी प्राप्त करने के लिए भाषा और क्षेत्रीय विशेषज्ञता है। खोजपूर्ण शोध करना एक पहेली सुलझाने जैसा है, लेकिन यह बहुत महत्वपूर्ण काम है।
मार्टिन लिएंड्रो अमाया कैमाचो, पेरू
मार्टिन लिएंड्रो अमाया कैमाचो एक डिजिटल पत्रिका न्यूब रोजा के संस्थापक हैं। वह ‘थॉमसन फाउंडेशन यंग जर्नलिस्ट अवार्ड 2020‘ के विजेता हैं। उन्होंने सांस्कृतिक पत्रिका ‘मालोस हैबिटोस‘ की शुरुआत करके संपादन भी किया। फिलहाल वह पेरू में खास तौर पर चुनाव संबंधी भ्रष्टाचार, कृषि निर्यात उद्योग और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर रिपोर्टिंग कर रहे हैं।
प्रश्न- खोजी पत्रकारिता में आपको ब्रेक कैसे मिला?
मार्टिन लिएंड्रो अमाया कैमाचो – मैंने पत्रकारिता को हमेशा जनसेवा का एक रूप समझा है। मुझे पूरी उम्मीद है कि पत्रकारिता के जरिए हम समाज के नकारात्मक पहलुओं को सुधार सकते हैं। जैसे, भ्रष्टाचार से लैटिन अमेरिका बुरी तरह प्रभावित है। इसी सोच के तहत मैंने अपने शहर के प्रमुख अखबार ‘पिउरा’ को छोड़कर एक स्वतंत्र रिपोर्टर बनने का फैसला किया। मैंने उन विषयों को कवर करना शुरू किया, जिसे मुख्यधारा का मीडिया आमतौर पर नहीं देखता है। इसी काम को आगे बढ़ाने के लिए मैंने ‘न्यूब रोजा‘ पत्रिका शुरू की।
हमारे पास युवा पत्रकारों की एक बड़ी टीम है। इस परियोजना को पहले ही तीन महत्वपूर्ण पुरस्कार मिल चुके हैं। पेरू के प्रमुख समाचार पत्रों में जांच आधारित पत्रकारिता गायब हो गई है। इसलिए एक स्वतंत्र मीडिया संगठन के रूप में हम उस शून्य को भरने की कोशिश कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य ऐसे विषयों पर खोजी पत्रकारिता करना है, जिसे मुख्यधारा की पत्रकारिता में नजरअंदाज किया जाता है। ऐसे विषय सत्ता में बैठे लोगों को असहज करते हैं। खोजी पत्रकारिता सच्चाई की खोज है। इसके जरिए हम व्यवस्था और हमारे लोकतंत्र को आम जनता के करीब लाते हैं।
प्रश्न – खोजी पत्रकारिता के पेशे में आने को इच्छुक युवाओं के लिए आप कोई एक सुझाव दें।
मार्टिन लिएंड्रो अमाया कैमाचो – किसी भी चीज के आधिकारिक संस्करण पर भरोसा न करें, क्योंकि हर चीज के कई स्पष्टीकरण होते हैं। यह समझना महत्वपूर्ण है कि गुणवत्ता पत्रकारिता का मतलब केवल रिपोर्टिंग करना नहीं है, बल्कि इसमें डेटा की व्याख्या एक जरूरी काम है। आंकड़े देने के साथ हम एक मानवीय चेहरे का उपयोग करते हैं, क्योंकि यह वे लोग ही हैं, जो हमारे द्वारा कवर की जाने वाली घटनाओं से प्रभावित होते हैं। पाठकों के लिए विश्वसनीय और सच्ची जानकारी लाने के लिए हमें विभिन्न दृष्टिकोणों से देखने, अपने पूर्वाग्रहों को पीछे छोड़ने और कई मुद्दों और विषयों, यहां तक कि सांख्यिकी और गणित का भी जानकार होने की आवश्यकता है।
एनडिस्वा मटीकींका, दक्षिण अफ्रीका
एनडिस्वा मटीकींका पर्यावरण रिपोर्टिंग और डेटा पत्रकारिता में रुचि रखने वाली एक पुरस्कार विजेता पत्रकार हैं। वह अफ्रीका वानाडाटा कोड की फैलो हैं। वर्तमान में वह ऑक्सपेकर्स इन्वेस्टिगेटिव एनवायरनमेंटल जर्नलिज्म के तहत #MineAlert का प्रबंधन करती हैं। उन्होंने इस प्लेटफॉर्म द्वारा सोर्स किए गए डेटा के आधार पर कई जांच की है। उनमें से एक जांच को 2019 में क्वाजुलु-नताल क्षेत्र के लिए वोडाकॉम रीजनल यंग जर्नलिस्ट अवार्ड मिला।
प्रश्न- खोजी पत्रकारिता में आपको ब्रेक कैसे मिला?
एनडिस्वा मटीकींका – स्नातक करने के कुछ समय बाद ही मुझे 2018 में ऑक्सपेकर्स में खोजी पत्रकारिता करने का बड़ा ब्रेक मिला। उन्हें एक भू-पत्रकारिता मंच ‘माइन एलर्ट‘ के लिए एक इंटर्न की तलाश थी। यह अपने उपयोगकर्ताओं को खनन लाइसेंसों को ट्रैक करने और साझा करने में मदद करता है। यह दक्षिण अफ्रीका में खनन से संबंधित जल-उपयोग लाइसेंस के आंकड़े भी एकत्र करता है। इसमें फीड करने के लिए एकत्र किए गए डेटा का उपयोग कई जांचों में किया जाता है। मैं उसी वर्ष इसकी प्रोजेक्ट मैनेजर बन गई।
प्रश्न – खोजी पत्रकारिता के पेशे में आने को इच्छुक युवाओं के लिए आप कोई एक सुझाव दें।
एनडिस्वा मटीकींका – मैं कहूंगी कि किसी भी युवा, उभरते हुए खोजी पत्रकार को अपने काम और समग्र करियर के प्रति सचेत और सक्रिय होना जरूरी है। यह आपको इस पेशे में आने वाली हर स्थिति को संभालने में सक्षम बनाता है। आप अपने ‘स्रोत‘ से निराश हो सकते हैं, किसी स्टोरी पर काम करते समय घुमावदार रास्ते में उलझ सकते हैं। लेकिन यदि आप ‘सक्रिय‘ हैं, तो किसी भी हालात को संभालने के लिए बेहतर स्थिति में होंगे। जब भी आपके सामने कोई काम होगा, आप अपना सर्वश्रेष्ठ देंगे।
बैंजो डेमिलोला, नाइजीरिया
बैंजो डेमिलोला शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय पर रिपोर्टिंग करने वाली खोजी पत्रकार हैं। वह 2018 में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के युवा पत्रकारों में से एक थीं। उन्होंने जमफारा राज्य में डाकुओं द्वारा हत्याओं और अपहरण की खोजी खबर की थी। इसके कारण बेहतर सुरक्षा की मांग पर देशव्यापी विरोध हुआ। उन्होंने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार की भी जांच की है। वह पुलिस, अदालतों और जेल सेवा में खराबी का दस्तावेजीकरण भी कर चुकी हैं। उनका काम नाइजीरिया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बीबीसी जैसे प्रमुख समाचार प्लेटफार्मों पर प्रकाशित हुआ है। उन्होंने जीआईजेएन के वैश्विक खोजी पत्रकारिता सम्मेलन 2021 को भी कवर किया है।
प्रश्न- खोजी पत्रकारिता में आपको ब्रेक कैसे मिला?
बैंजो डेमिलोला – मैं एक ऐसी भाग्यशाली हूं, जिसे शुरुआत में ही मीडिया संगठन ने जांच के लिए प्रोत्साहित किया। मेरी पहली खोजी रिपोर्ट दक्षिण-पश्चिम नाइजीरिया के एक राज्य में सरकारी स्कूलों की जीर्ण-शीर्ण स्थिति के बारे में थी। राज्य के राज्यपाल मीडिया में लगातार झूठ बोल रहे थे कि शिक्षा में उन्होंने काफी सुधार किया है। यह सरासर झूठ था। मुझे लगा कि इसका सच बताना जरूरी है। लोगों को यह दिखाना चाहिए कि वास्तविक स्थिति क्या है। इसलिए, मैं स्कूलों की वास्तविक स्थिति दिखाने के लिए गुप्त रूप से चली गई। जब मेरी रिपोर्ट प्रकाशित हुई, तो इसे खूब सराहना मिली। इससे मैं बहुत उत्साहित हुई। राज्य सरकार ने एक स्कूल को अच्छी जगह पर स्थानांतरित कर दिया। उस पहली जांच ने मेरा मनोबल बढ़ाया, जिसकी मुझे जरूरत थी।
प्रश्न – खोजी पत्रकारिता के पेशे में आने को इच्छुक युवाओं के लिए आप कोई एक सुझाव दें।
बैंजो डेमिलोला – नियमित समाचारों के काम में उलझ जाना आपके लिए बेहद आसान है। लेकिन ऐसा करने से आप कुछ खास नहीं कर पाएंगे। इसलिए खोजी पत्रकारिता के इच्छुक युवा पत्रकारों के लिए समय प्रबंधन महत्वपूर्ण है। न्यूज रूम में नए व्यक्ति के रूप में आप प्रेस कॉन्फ्रेंस और घटनाओं को कवर करने में व्यस्त हो सकते हैं। लेकिन साथ ही अपनी रुचि का एक विषय खोजें और खाली समय में उस पर शोध करें। हर दिन दो घंटे लगाएं। समाचार कक्ष में किसी दिन काफी काम होगा, किसी दिन कम। जिस दिन काम का दबाव थोड़ा कम हो, अपनी जांच-पड़ताल को बेहतर बनाने के लिए अपने समय का इस्तेमाल करें।
साथ ही, आपको लचीला बनना होगा। जांचपूर्ण रिपोर्ट करना कठिन काम है। कई बाधाएं होंगी। आपके स्रोत कई बार खामोश हो जाएंगे। आपका संपर्क अचानक आपकी कॉल उठाना बंद कर देगा। सरकारी अधिकारी आपके सवालों का समय पर जवाब नहीं देंगे। ऐसी कई चीजें आपको निराश करेंगी। ऐसे में आप एक कदम पीछे हटकर अपने संपादक या अनुभवी खोजी पत्रकार से बात करें। वरिष्ठ सहयोगियों और संपादकों के पास अनुभव का खजाना है। उनका मार्गदर्शन लें।
और हां, आप बहादुर बनो, लेकिन मूर्ख नहीं। मेरे एक वरिष्ठ सहयोगी हैं। वह बेहद लापरवाही के साथ बहादुरी दिखाने में भरोसा करते हैं। लेकिन एक अच्छे खोजी पत्रकार को संतुलन रखना जरूरी है। खोजी पत्रकारिता के जरिए काफी बड़े बदलाव लाना संभव है। लेकिन अपने काम में सुरक्षा की अनदेखी करने से पत्रकार को नुकसान भी पहुंच सकता है। लापरवाह जोखिम न लें।
आपको तकनीक के उपयोग का कौशल भी सीखना होगा। आपको यह जानना होगा कि इतनी सारी चीजें कैसे करें। एक अच्छा लेखक होना पर्याप्त नहीं है। आपको यह भी पता होना चाहिए कि वीडियो कैसे शूट और संपादित करना है। आपको गुणवत्तापूर्ण ऑडियो लाने में भी सक्षम होना चाहिए, डिजिटल टूल का उपयोग जानना चाहिए और हरदम सीखने की भावना होनी चाहिए।
अतिरिक्त संसाधन
The Collaboration That Matched Award-Winning Reporters with University Students
The Teenage Investigative Reporters Taking on Corruption in Kyrgyzstan
GIJN Resource Center: Grants and Fellowships for Journalists, and Investigative Journalism Manuals
एमिली ओ सुलीवन जीआईजेएन की संपादकीय सहायक हैं। उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय से खोजी पत्रकारिता में एमए किया है। वह बर्मिंघम स्थित एक मीडिया समूह के उपसंपादक के बतौर काम कर चुकी हैं। उन्होंने कई खोजी पत्रकारिता परियोजनाओं के लिए एक शोध सहायक के रूप में भी काम किया है।