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वन्यजीव तस्करी पर खोजी रिपोर्टिंग करने के टिप्स

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वन्यजीव अपराधों को अधिकारियों और पत्रकारों द्वारा प्रायः गंभीरता से नहीं लिया जाता। फोटो: गेरान डी क्लेर्क/अनस्प्लेश

बारहवीं ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म कॉन्फ्रेंस  में ‘वन्यजीव तस्करों की निगरानी‘ विषय पर एक सत्र का आयोजन हुआ। इसमें वन्यजीवन पर रिपोर्टिंग करने वाले दुनिया भर के कई अनुभवी पत्रकारों ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए। यहां वन्यजीव तस्करी कवर करने के लिए उपयोगी सुझाव प्रस्तुत हैं।

जीआइजेसी-21 के विशेष सत्र में नेशनल ज्योग्राफिक एनिमल डेस्क की कार्यकारी संपादक राचेल बेल कहती हैं- “वन्यजीवों की तस्करी एक बड़ा अपराध है। लेकिन मीडिया द्वारा इसे कवर नहीं किया जाना भी एक अपराध है।“

राचेल बेल कहती हैं कि वन्यप्राणी तस्करी के कारण न केवल गैंडों तथा अन्य संरक्षित प्रजातियों पर बुरा असर होता है, बल्कि इससे क्षेत्रीय सुरक्षा भी कमजोर होती है। इससे अवैध कार्यों और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों और मीडिया द्वारा इन चीजों को गंभीरता से नहीं लिया जाता है। इन विषयों पर रिपोर्ट करके आप कानूनों को लागू करने और अपराध रोकने के लिए सिस्टम को उत्तरदायी बना सकते हैं।

राचेल बेल ने वन्यप्राणी रिपोर्टिंग के तीन चरणों पर प्रकाश डाला:

वन्यप्राणी रिपोर्टिंग के आधार

  1. अपने वन्य जीवन को समझें: सबसे पहले तो आपको अपने पारिस्थितिकी तंत्र को अच्छी तरह जानना होगा। यह सोचकर शुरू करें कि आपके पाठक या दर्शक कौन हैं? उनके लिए किस तरह की चीजें महत्वपूर्ण हैं? क्या राष्ट्रीय उद्यान या रिजर्व फोरेस्ट के मामलों में उनकी दिलचस्पी है? क्या आपके देश में किसी जीव जंतु की विशेष या देशज प्रजाति है, जिसका कोई सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व हो? राचेल बेल ने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र को समझने से रिपोर्टर को स्टोरी आइडिया विकसित करने में मदद मिलती है। ऐसी स्टोरी स्थानीय समुदाय के लिए भी प्रासंगिक होगी और वैश्विक समुदाय की रुचि भी जगा सकेगी।
  2. वन्यप्राणी व्यापार और कानूनों को जानें: आपके देश में वन्यजीवों की तस्करी किस तरह हो रही है, इसे अच्छी तरह समझें। यह भी पता लगाएं कि इन्हें रोकने के लिए आपके देश में किस प्रकार के कानून हैं। इससे पत्रकारों को यह बात भी समझ में आएगी कि कौन सी एजेंसियां कानूनों को लागू करती हैं। उन कानूनों का उल्लंघन करने वालों को क्या सजा मिलेगी? वन्यजीवों के आयात, निर्यात, प्रजनन, प्रदर्शन, पुनर्वास इत्यादि के लिए आवश्यक परमिट देने का सिस्टम क्या है? उसका प्रशासनिक तंत्र कैसा है? ऐसे बिंदुओं की पूरी जानकारी होने पर आप वन्यजीव अपराधों को अच्छी तरह समझ सकेंगे। साथ ही, इन्हें रोकने में सरकारी एजेंसियों की खामियों को भी पहचान सकेंगे।

    जीआईजेएन वेबिनार में राचेल बेल ने वन्यजीवों पर रिपोर्टिंग के स्रोतों की जानकारी दी। फोटो: स्क्रीनशॉट, जीआईजेएन।

  3. अपने बीट की अलग पहचान बनाएं: अन्य विषयों की बीट की तरह आप वन्यप्राणी बीट की भी अलग पहचान बनाएं। आप ऐसी स्थिति तैयार करें जहां लोग खुद आपको ऐसे मामलों की जानकारी देने लगेंगे। वन्यजीवन संबंधी सभी एजेंसियों और संस्थाओं की प्रेस विज्ञप्ति पाने के लिए साइन अप करें। इनमें सरकारी एजेंसियां, गैर सरकारी संगठन, शैक्षणिक संस्थान इत्यादि सभी शामिल हों। ऐसे संगठनों के जनसंपर्क विभाग के लोगों के साथ संपर्क बनाएं। संभव है कि शुरू में आपको महत्वपूर्ण या दिलचस्प खबरें न मिलें। लेकिन इससे आपके लिए भविष्य के स्रोतों का रास्ता खुल जाएगा। कुछ स्टोरीज के बाद उनका विश्वास हासिल होगा और बड़ी खबरें भी मिलेंगी। यहां तक कि आपको विशेष मौकों या अभियानों के लिए आमंत्रित किया जाएगा। किसी प्रकार की जब्ती या शिकारियों और तस्करों की गिरफ्तारी इत्यादि मौकों पर तत्काल सूचना मिल जाएगी।

राचेल बेल कहती हैं: “वन्यजीव तस्करी और उनका अवैध व्यापार एक व्यापक मुद्दा है। वन्यजीव अपराध पर रिपोर्टिंग के लिए आपके पास अनगिनत विषय हैं। जैसे, आपूर्ति श्रृंखला, परिवहन, कानून प्रवर्तन एजेंसियों की भूमिका। हरेक के पास बताने के लिए एक स्टोरी है।

पांच सवालों पर गौर करें

‘फिलीपीन डेली इन्क्वायरर‘  की भूतपूर्व पर्यावरण रिपोर्टर जेसेट थ्रिना एनानो ने भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से विविध महाद्वीपों से वन्यजीवन पर रिपोर्टिंग का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इससे पत्रकारों को वन्यजीव अपराधों और तस्करी की पूरी श्रृंखला पर रिपोर्टिंग में मदद मिलेगी। उन्होंने वन्यजीव अपराधों की जांच के लिए पांच सवालों पर गौर करने का सुझाव दिया:

  1. क्या आपके देश की सीमाएं असुरक्षित हैं? जिन देशों की सीमाओं पर कड़ी निगरानी नहीं होती, वहां वन्यजीव तस्करी आसानी से होती है। जेसेट थ्रिना एनानो के अनुसार फिलीपींस में सीमाएँ काफी छिद्रपूर्ण हैं। इसलिए वहां अधिकांश वन्यजीव और पौधों की तस्करी हो रही है। अक्सर अन्य देशों से इन्हें लाया जाता है। अनियंत्रित सीमाओं वाले कई देश ऐसी तस्करी के लिए आवागमन बिंदु बन जाते हैं। इसलिए वन्यजीव अपराध की जांच के लिए सीमा की चैकियों, बंदरगाहों और कस्टम की जांच करना महत्वपूर्ण है।
  2. क्या आपको वन्य जीवन की जानकारी है? वन्यजीव पत्रकारों को यह बात अच्छी तरह समझनी होगी कि वन्यजीव क्या है। अभी कुछ बिंदुओं पर कवरेज होता है, लेकिन व्यापक विषय छूट जाते हैं। जेसेट थ्रिना एनानो कहती हैं- “आमतौर पर चील, गैंडे, बाघ या हाथियों जैसे कुछ खास प्राणियों पर ही ध्यान दिया जाता है। अन्य सभी प्रजातियों की अनदेखी होती है। वन्यजीव अपराध रिपोर्टिंग में सभी जानवरों और पौधों को देखना महत्वपूर्ण है। हमें सिर्फ उन जानवरों या पौधों की जांच तक सीमित नहीं रहना चाहिए, जो खतरे में या कमजोर स्थिति में हैं। किसी भी जानवर या पौधे का अवैध व्यापार या शोषण हमारे कवरेज के योग्य है।“

    फिलीपींस में वन्यजीव तस्करी पर जेसेट थ्रिना एनानो की कुछ खबरें। फोटो: स्क्रीनशॉट/ट्विटर

  3. आपूर्ति और मांग क्या हैं? जेसेट थ्रिना एनानो कहती हैं- “वन्यजीव तस्करी में आपूर्ति और मांग के पैटर्न को समझना भी जरूरी है। किन जानवरों की अधिक जब्ती हुई है, इसका पता लगाएं। इससे उपभोक्ताओं की मांग और आपूर्ति की जानकारी मिल सकती है। यह देखें कि तस्करी कौन कर रहा है? क्या चीज कहाँ जा रही है, क्यों जा रही है? यह तस्करी कैसे हो रही है? किसी विशेष क्षेत्र में इन पैटनों की जांच करने से पत्रकारों को यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि कौन सी प्रजातियों की ज्यादा तस्करी हो रही है। इससे यह समझने में भी मदद मिलेगी कि उस प्रजाति की इतनी तस्करी क्यों हो रही है? इसके पीछे अपराधी कौन हैं?“
  4. अन्य अपराधों से क्या संबंध है? वन्यजीव तस्करी और वन्यजीव अपराधों पर रिपोर्टिंग करते हुए आपको सामान्य अपराधों पर भी नजर रखनी चाहिए। जेसेट थ्रिना एनानो कहती हैं- “दोनों के बीच हमेशा एक संबंध होता है। वन्यजीव अपराध की कहानियां वन्यजीवों पर केंद्रित हैं, लेकिन ऐसे अपराध अंततः आपके देश और समाज में भ्रष्टाचार और असफल संस्थानों की ही कहानी सुनाते हैं। इसलिए आप इन्हें अलग करके नहीं देख सकते। हम इन संस्थानों पर गौर करें कि वे किस तरह काम कर रही हैं, और वन्यजीव अपराधों से उनका क्या रिश्ता है?“
  5. हमें वन्यजीवों की परवाह क्यों करनी चाहिए? कई बार लोग वन्यजीवों की परवाह नहीं करते हैं। उन्हें इससे अपना कोई सीधा संबंध नहीं दिखता। इसलिए वन्यजीवों और पौधों पर रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार के लिए यह एक चुनौती है। हम वन्यजीव अपराधों की रिपोर्टिंग को सिर्फ वन्यजीवों तक सीमित न रखें। पाठकों को बताएं कि हमें वन्यजीवों की परवाह क्यों करनी चाहिए? ऐसे अपराध हमारे जीवन के अन्य पहलुओं को कैसे प्रभावित करते हैं, इसकी व्यापक तस्वीर दिखाएं। हमारे स्वास्थ्य, संस्कृति पर इसके असर की जानकारी दें। ऐसी चीजें वनस्पतियों और जीवों के अवैध शिकार और तस्करी के बारे में लोगों को सोचने के लिए मजबूर कर सकती हैं। जेसेट थ्रिना एनानो कहती हैं- “अगर पाठक अपने दैनिक जीवन पर इसका कुप्रभाव समझ लेंगे तो ऐसे मामलों की देखभाल करना भी आसान होगा। इसका एक सामयिक उदाहरण भी है। वन्यजीवों के मांस की बिक्री के कारण पशुओं से मनुष्य में रोग फैलने का खतरा बढ़ा है। इन चीजों का लोगों के जीवन से सीधा संबंध है।“

दुनिया भर में अवैध वन्यजीव तस्करी की बरामदगी, गिरफ्तारी, अदालती मामलों और सजा का विवरण। फोटो: स्क्रीनशॉट

आम लोगों से डेटा मंगाओ

पर्यावरण अपराध और भ्रष्टाचार पर रिपोर्टिंग करने वाले मोजाम्बिक के पत्रकार और फोटोग्राफर एस्टासियो वालोई  ने आम लोगों से डेटा मंगाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि एक प्रभावी जांच के लिए महत्वपूर्ण डेटा जरूरी है। इसे पाने के लिए व्यापक लोगों का नेटवर्क तैयार करना चाहिए। दूसरे शब्दों में कहें तो क्राउडसोर्स करके जानकारी हासिल करें। ठोस और विश्वसनीय डेटा प्राप्त करना हर वन्यजीव खोजी पत्रकार के सामने एक चुनौती है।

एक गैर-लाभकारी संगठन ऑक्सपेकर्स ने पर्यावरण पत्रकारों का एक समूह बनाकर ‘वाइल्डआई‘  तैयार किया। यह काफी उपयोगी डिजिटल टूल है। इसमें  वन्यजीव तस्करी से संबंधित जब्ती, गिरफ्तारी, अदालती मामलों और सजा की जानकारी मिलती है। इसमें पत्रकारों सभी जानकारी निशुल्क मिलती है। इसके अनुसंधान के आधार पर पत्रकार अपनी जांच को आगे बढ़ा सकते हैं।

एस्टासियो वालोई ने इस मंच का उपयोग किया है। उन्होंने कहा कि एक रिपोर्टर यदि वन्यजीव अपराध को अच्छी तरह कवर करना चाहे, तो व्यापक सोर्सिंग जरूरी है। आम समुदाय और वन्यजीव संरक्षण से जुड़े लोगों से मदद लेना जरूरी है। डेटा का संग्रह सामुदायिक स्तर पर शुरू होता है। किसी पार्क या जंगल के पास रहने वाले लोग समझते हैं कि वहां क्या होता है, और उसमें कौन लोग शामिल हैं।

इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए जीआईजेएन की अवैध वन्यप्राणी तस्करी गाइड देखें।

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