

Image: Jamillah Knowles & Reset.Tech Australia. Used with the permission of Better Images of AI and republished under a creative commons 4.0 license
इंसान में किसी ख़तरे से खुद को बचाने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। गर्म चूल्हे से हाथ हटाना, ख़तरनाक जगहों से बचना और शारीरिक ख़तरों से भागना जैसी चीजें सहज हैं। लेकिन अब डिजिटल खतरा एक नई चीज है। इससे बचाव के लिए इंसान में सहज प्रवृत्ति का अब तक समुचित विकास नहीं हो पाया है।
‘नाइट सेंटर फ़ॉर जर्नलिज्म इन द अमेरिका’ और ‘ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म नेटवर्क’ (जीआइजेएन) ने एक नया कोर्स प्रारंभ किया – ‘संकट के दौरान पत्रकारों के लिए डिजिटल सुरक्षा।’ सात जुलाई से तीन अगस्त 2025 तक यह निशुल्क कोर्स ऑनलाइन आयोजित किया गया। इसके प्रशिक्षक लुइस असार्डो (डिजिटल सुरक्षा प्रशिक्षक और खोजी डेटा पत्रकार) कहते हैं- “इंटरनेट में कई बार हम ऐसे काम करते हैं, जिसके ख़तरे का अंदाज़ा नहीं होता। हमारे पास इसके लिए ज़रूरी ज्ञान नहीं है। इसलिए साइबर खतरों से बचने का कौशल या ऐसी सहज प्रवृत्ति अब तक विकसित नहीं हुई है।”
लैटम जर्नलिज्म रिव्यू (एलजेआर) के साथ बातचीत में लुइस असार्डो ने पत्रकारों द्वारा की जाने वाली सामान्य गलतियों की चर्चा की। कहा कि पत्रकारों को अपनी डिजिटल सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए। हमेशा मौजूद रहेंगे। लेकिन उन्हें कम करने के लिए साइबर खतरों की पहचान करना ज़रूरी है।
1. सार्वजनिक वाई-फ़ाई का उपयोग न करें
दुनिया के कई हिस्सों में डिजिटल विभाजन अब भी मौजूद है। हर जगह और सबके लिए इंटरनेट डेटा पर्याप्त उपलब्ध नहीं है। उदाहरण के लिए, जीएसएमए इंटेलिजेंस के अनुसार लगभग 28% लैटिन अमेरिकी कम मोबाइल ब्रॉडबैंड कवरेज वाले क्षेत्रों में रहते हैं। इसलिए पत्रकार कई बार जोखिम उठाकर रेस्टोरेंट, होटल या हवाई अड्डों पर सार्वजनिक वाई-फ़ाई नेटवर्क से जुड़ते हैं।

लुइस असार्डो (डिजिटल सुरक्षा प्रशिक्षक और खोजी डेटा पत्रकार) : ‘नाइट सेंटर फ़ॉर जर्नलिज्म इन द अमेरिका’ और ‘ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म नेटवर्क’ (जीआइजेएन) ने नए कोर्स के प्रशिक्षक। चित्र: जीआइजेएन
लुइस असार्डो के अनुसार सार्वजनिक वाई-फ़ाई नेटवर्क का उपयोग नहीं करना ही बेहतर होगा। लेकिन यदि कोई विकल्प नहीं है, तो वीपीएन (VPN) का उपयोग करें। एक वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क, जो डिवाइस और रिमोट सर्वर के बीच एक एन्क्रिप्टेड कनेक्शन बनाता है। इसके कारण आइपी (IP) पता छिप जाता है। इंटरनेट ट्रैफ़िक उस सर्वर के माध्यम से रूट हो जाता है। इससे आपने कहां से उसे भेजा है, यह पता नहीं लग सकेगा। अज्ञात वाई-फ़ाई का उपयोग करते समय ऑनलाइन खरीदारी से भी बचना चाहिए। इंटरनेट का उपयोग पूरा होने के बाद अपने डिवाइस से वाई-फ़ाई कनेक्शन को तुरंत हटा दें।
लुइस असार्डो ने कहा- “यह समस्या मुझे किसी भी पत्रकार का वाई-फ़ाई खोलते समय देखने को मिलती है। मुझे सैकड़ों पुराने वाई-फ़ाई कनेक्शन मिलते हैं, जो अब काम के नहीं हैं। इनके कारण कोई भी जान सकता है कि आप फलां रेस्टोरेंट में थे। कोई आपके वाई-फ़ाई की जानकारी को क्लोन कर सकता है।”
2. डेटा गोपनीयता की सुरक्षा करें
मीडिया में व्हाट्सएप का बहुत इस्तेमाल होता है। पत्रकार इसका उपयोग अपने पाठकों से जुड़ने के साथ ही स्रोतों से जुड़ने के लिए भी करते हैं। व्हाट्सएप एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का उपयोग करता है। इसलिए केवल मूल प्रेषक और अंतिम प्राप्तकर्ता ही संदेश देख सकता है। हालांकि इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फ़ाउंडेशन की निगरानी आत्मरक्षा (एसएसडी) गाइड के अनुसार व्हाट्सएप और उसकी मूल कंपनी मेटा की गोपनीयता नीतियां चिंताजनक हैं।
लुइस असार्डो बताते हैं कि सुरक्षा और गोपनीयता में अंतर है। व्हाट्सएप सुरक्षित है। लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि निजी हो। बातचीत तक पहुंच के बिना यह जानना संभव है कि आपने किससे बात की। मेटा, गूगल, अमेज़न और सभी बड़े तकनीकी साम्राज्य डेटा ब्रोकर हैं। वे डेटा प्राप्त करना चाहते हैं। मूल रूप से वे इसी का व्यापार करते हैं। यह उनके व्यवसाय मॉडल का हिस्सा है। हम उन पर पूरी तरह भरोसा नहीं कर सकते। इसलिए पत्रकारों को सिग्नल ( Signal), थ्रीमा ( Threema), सेशन (Session) या वायर (Wire) जैसे अन्य अधिक सुरक्षित एप्लिकेशन का उपयोग करना चाहिए।
3. डिवाइस को अपडेट करते रहें
डिवाइस और एप्लिकेशन की सुरक्षा और प्रदर्शन बनाए रखने के लिए सॉफ़्टवेयर को अपडेट करना आवश्यक है। अपडेट आपको साइबर खतरों से सुरक्षा प्रदान करता है। यह आपके अनुभव को बेहतर बनाता है। साथ ही, अपडेट के कारण अन्य सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर के साथ संगतता भी सुनिश्चित होती है। अपडेट न करने से कमज़ोरियों की संभावना बनी रहती है।
लुइस असार्डो ने कहा- “मैं ऐसे पत्रकारों से मिला हूं, जिन्होंने दो-तीन साल से अपने डिवाइस को कभी अपडेट नहीं किया है। आपके पास एक सुरक्षित पासवर्ड हो सकता है। लेकिन सॉफ़्टवेयर को अपडेट नहीं करने पर कोई भी हमलावर डिवाइस तक पहुँच सकता है। वह आपके डिवाइस से कुछ भी ले सकता है। जो चाहे कर सकता है। आपको कभी पता भी नहीं चलेगा।”
4. अपने डेटा का बैकअप लेते रहें
एक रिपोर्टर का एक काम जानकारी इकट्ठा करना या किसी स्टोरी के लिए यात्रा करना होता है। इस प्रक्रिया में उनके डिवाइस चोरी होने या अधिकारियों द्वारा जांच के कारण ख़तरे में पड़ सकते हैं। खासकर जिन देशों में सुरक्षा या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दांव पर हो, वहां यह जोखिम ज्यादा है। इसलिए अपने डेटा का बैकअप लेकर उसकी एक सुरक्षा कॉपी बनाना एक आसान उपाय है। यह पत्रकारों को खतरों से निपटने और कमज़ोरियों का प्रभाव कम करने में मदद करता है। आपको बैकअप लेने में कितना समय लगेगा? एक घंटा? आप बैकअप प्रारंभ करके लंच पर जा सकते हैं। इसके कई समाधान हैं। आप पहले से योजना बना सकते हैं। भले ही आपके पास ज़्यादा संसाधन न हों।
5. हमलावरों के बहकावे में न आएं
पत्रकारों के खिलाफ सुनियोजित तरीके से ऑनलाइन उत्पीड़न किया जाता है। इसमें सोशल मीडिया पर आपसे उलझने टकराव और बदनाम करने का अभियान जैसी चीजें शामिल हैं। लुइस असार्डो ने कहा कि ऐसे हमलों का इस्तेमाल पत्रकारों को बदनाम करने के साथ ही उनका ध्यान असल समस्याओं से हटाने के लिए भी किया जाता है। इसके अलावा कानूनी उत्पीड़न, निगरानी या वित्तीय उत्पीड़न का शिकार भी बनाया जा सकता है। इसलिए हमलावरों के उकसावे में आकर आवेगपूर्ण प्रतिक्रिया या कार्रवाई से बचना ज़रूरी है।
“आजकल पत्रकारों पर ऑनलाइन उत्पीड़न के साथ ही कानूनी उत्पीड़न के लिए भी हमले होते हैं। संभव है कि वे एक या एक से ज़्यादा मुकदमे दायर कर रहे हों। वे आपका ध्यान भटकाना चाहते हों। किसी ट्रोल के चक्कर में उलझा सकते हैं। आपको अपने वकील के साथ ऐसे कानूनी मुद्दों को समझने ज़रूरत होगी।” लुइस असार्डो ने कहा।
6. अनावश्यक डाउनलोड या क्लिक न करें
माइक्रोसॉफ्ट के अनुसार फ़िशिंग एक बड़ा खतरा है। यह इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को ईमेल या वेबसाइट के ज़रिए उकसाते हुए उनकी निजी या वित्तीय जानकारी हासिल करने का एक तरीका है। फ़िशिंग घोटाला किसी ऐसे ईमेल से शुरू होता है, जो किसी विश्वसनीय स्रोत, जैसे बैंक या क्रेडिट कार्ड कंपनी की आधिकारिक सूचना जैसा दिखता है। ईमेल के जरिए आपको किसी धोखाधड़ी वाली वेबसाइट पर भेजा जाता है। वहां आपकी व्यक्तिगत जानकारी, जैसे खाता संख्या या पासवर्ड, मांगी जाती है। इस जानकारी का इस्तेमाल आमतौर पर पहचान की चोरी के लिए किया जाता है। फ़िशिंग का इस्तेमाल किसी डिवाइस को दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर से संक्रमित करने के इरादे से भी किया जा सकता है। फ़िशिंग का शिकार होने वाला पत्रकार रिपोर्ट या स्रोतों से जुड़ी गोपनीय जानकारी खो सकता है।
इसलिए पत्रकारों को अपने डिवाइस पर स्रोतों द्वारा दी गई यूएसबी ड्राइव का इस्तेमाल करते समय भी सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि उनमें दुर्भावनापूर्ण कोड छिपे हो सकते हैं। मीडिया संस्थान में एक ऐसा कंप्यूटर होना चाहिए, जो इंटरनेट से जुड़ा न हो। उसका उपयोग केवल ऐसी स्थितियों में महत्वपूर्ण जानकारी डाउनलोड करने के लिए हो।
7. कागज़ पर पासवर्ड न लिखें
कुछ लोग अपना पासवर्ड किसी कागज़ या डायरी में लिख देते हैं। यह किसी को मिल सकता है। डिजिटल सुरक्षा विशेषज्ञों के लिए यह सबसे ज़्यादा डराने वाली चीज है। इसलिए कागज़ पर पासवर्ड लिखना बिल्कुल मना है।
“मैं अपनी कार्यशाला में हमेशा लोगों से पूछता हूं कि क्या आप अपने घर की चाबी पहचानते हैं? हर कोई कहता है कि वह अपनी चाबी को नहीं पहचान सकता। वह दरअसल चाबी के छल्ले यानी रिंग को पहचानता है। पत्रकार को भी अपनी चाबी के रिंग की ज़रूरत है। यही काम एक पासवर्ड मैनेजर करता है। यह आपको किसी भी दरवाज़े में कुशलतापूर्वक प्रवेश करने की अनुमति देता है। कई मुफ़्त और सशुल्क पासवर्ड मैनेजर विकल्प उपलब्ध हैं। जैसे, लास्टपास (LastPass), वन पासवर्ड ( 1Password), या नॉर्डपास ( NordPass) ।” लुइस असार्डो ने कहा।
8. तकनीकी कंपनियों के पास डेटा स्टोर न करें
लुइस असार्डो की अंतिम सिफ़ारिश यह है कि बड़ी तकनीकी कंपनियों के स्वामित्व वाले प्लेटफ़ॉर्म पर संवेदनशील जानकारी न रखें। वे डेटा एन्क्रिप्शन की सुविधा देते हैं। फिर भी डेटा के लीक होने की संभावना ज़्यादा होती है। उदाहरण के लिए, आप किसी गिरोह के सदस्यों की जांच कर रहे हैं। आपके पास कुछ स्रोतों से बहुत संवेदनशील जानकारी है। आप इसे कभी भी ड्राइव पर मत डालें। आप इसके लिए क्रिप्टी (Cryptee) या ट्रेसोरिट (Tresorit) जैसे अन्य टूल का उपयोग करें। इनमें आप जानकारी को एन्क्रिप्ट कर सकते हैं। कोई भी उस तक पहुँच नहीं सकेगा।
लुइस असार्डो ने यह कहकर निष्कर्ष निकाला कि डिजिटल साक्षरता और सुरक्षा केवल कुछ लोगों के लिए नहीं है। इस ज्ञान को संदर्भ, स्तर और उपलब्ध संसाधनों के अनुसार अनुकूलित किया जा सकता है।
यह स्टोरी मूल रूप से ‘लैटम जर्नलिज़्म रिव्यू’ द्वारा प्रकाशित की गई थी। अनुमति लेकर यहां पुनर्प्रकाशित की गई है।
कैथरीन पेनाचियो: एक वेनेज़ुएला की पत्रकार हैं। यूनिडाड एडिटोरियल और रे जुआन कार्लोस यूनिवर्सिटी ऑफ मैड्रिड से खोजी, डेटा और विज़ुअलाइज़ेशन पत्रकारिता में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की है। डेटा विश्लेषण का शौक है। वर्तमान में एक फ्रीलांसर के रूप में कार्यरत हैं।
अनुवाद : डॉ. विष्णु राजगढ़िया