

A 2019 protest in southern Africa against gender-based violence. Image: Shutterstock
यौन अपराधियों को बचाने वाले सिस्टम पर कैसे रिपोर्टिंग करें
इस मामले की शुरुआत एक दुखी मां की कहानी से होती है। मध्य इस्वातिनी में मात्सफा शहर के समीप एक छोटे-से दक्षिण अफ्रीकी साम्राज्य को पहले स्वाजीलैंड कहा जाता था। यहां रहने वाली जोडवा नकाम्बुले की बेटी के साथ हिंसक बलात्कार किया गया। इसके कारण वह चलने-फिरने में असमर्थ हो गई। उसे कई बार अस्पताल ले जाना पड़ा। अंततः उसकी मृत्यु हो गई। अपराधी को गिरफ्तार करने के बाद रिहा कर दिया गया। आरोपों की सुनवाई के बिना ही अपराधी की मृत्यु हो गई।
ऐसी अनगिनत दुखद कहानियां हैं। सेंटर फॉर कोलैबोरेटिव इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म (सीसीआईजे) ने इस्वातिनी में महिलाओं के खिलाफ प्रणालीगत हिंसा की जांच रिपोर्ट तैयार की है। इसका शीर्षक है- Without Justice: How Eswatini’s System Is Failing Victims of Gender-Based Violence। इस जांच के अनुसार छह महीने के दौरान ‘बलात्कार’ शब्द लगभग हर हफ्ते इस्वातिनी टाइम्स में दिखाई पड़ा। देश में बलात्कार की घटनाओं की दर अंतरराष्ट्रीय औसत से ऊपर पाई गई। जबकि अनगिनत मामलों को दर्ज भी नहीं किया जाता।
जोडवा नकाम्बुले की बेटी के साथ हुई घटना ऐसी जांच के लिए एक प्रारंभिक चिंगारी थी। यह बाद में बड़े पैमाने पर जांच का आधार बन गई। ऐसी हिंसा के मामलों को सिर्फ व्यक्तिगत घटनाओं या अपराधियों पर रिपोर्ट करने के बजाय इनसे जुड़े प्रणालीगत कारकों और संस्थानों पर ध्यान केंद्रित किया गया। उन पहलुओं की तलाश हुई, जिनसे इस्वातिनी में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न और हिंसा को बढ़ावा मिलता है। न्याय प्रणाली के द्वारा पीड़ित महिलाओं की अनदेखी के कारणों की भी जांच की गई। अदालती आंकड़े जुटाने और उनका विश्लेषण करके पत्रकारों ने एक व्यक्तिगत कहानी को एक व्यवस्थित समस्या के लिए साक्ष्य-आधारित जांच में बदल दिया। इन बिंदुओं पर लंबे समय से चर्चा हुई थी, लेकिन जिसकी वास्तविक सीमा से लोग अब तक वाकिफ नहीं थे।
सेंटर फॉर कोलैबोरेटिव इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म (सीसीआईजे) अपने मार्गदर्शन और संपादकीय संसाधनों के माध्यम से दुनिया भर में खोजी रिपोर्टिंग में सहयोग करती है। इसकी एक टीम ने ‘टाइम्स ऑफ इस्वातिनी‘ में अपराध रिपोर्टिंग के पैटर्न की समीक्षा की। साथ ही, परिवर्तन के लिए अभियान चलाने वाले कार्यकर्ताओं और ऐसे अपराधों की शिकार महिलाओं का साक्षात्कार लिया। ‘स्वाज़ीलैंड एक्शन ग्रुप अगेंस्ट एब्यूज‘ (स्वागा) नामक एनजीओ द्वारा एकत्र किए गए तीन वर्षों के डेटा की जांच की गई। इसके अलावा, उच्च न्यायालय से जुड़े 1977 से लेकर वर्तमान तक 4600 से अधिक अदालती मामलों का विश्लेषण किया गया। इनमें लिंग आधारित हिंसा संबंधी 330 से अधिक मामले पाए गए। इनमें बलात्कार संबंधी 253 मामले थे।
रिपोर्ट के अनुसार, इस जांच से कमियों की एक श्रृंखला का पता चला। पीड़ित महिलाओं को जवाबदेही प्रक्रिया के दौरान कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह पैटर्न एक न्याय प्रणाली को इंगित करता है। ऐसे अपराधों की व्यापकता पर लगाम के लिए 2018 में पारित नए कानून Sexual Offences and Domestic Violence Act (SODV) का उल्लेख किया गया।
प्रणाली में प्रमुख खामियां इस प्रकार देखने को मिलीं-
- पीड़ित महिलाएं अपने साथ हुए उत्पीड़न को रिपोर्ट करने से बहुत डरती हैं। रिपोर्ट करने के बाद उन पर अपनी शिकायत वापस लेने का दबाव डाला जाता है।
- अदालत की सुनवाई लिस्ट से मामले गायब हो जाते हैं। प्रक्रियागत त्रुटियों के कारण बहाने काफी मामले खारिज कर दिए जाते हैं।
- न्यायाधीश कानून का गलत इस्तेमाल करते हैं या मामले वर्षों तक लटकाए रखते हैं।
सीसीआईजे श्रृंखला की तत्कालीन संपादक कैरोलिन थॉम्पसन और डेटा संपादक सोटिरिस साइडरिस ने दस चरण की यह मार्गदर्शिका बनाई है। इसमें बताया गया है कि कैसे उनकी टीम ने सही डेटा निकालकर व्याख्या की एक पद्धति स्थापित की। इसमें यह भी बताया गया है कि न्याय की व्यवस्थित विफलता को उजागर करने में उनकी टीम कैसे सक्षम हुई।

फोटो – सीसीआईजे श्रृंखला संपादक कैरोलिन थॉम्पसन (बीच में) डेटा संपादक सोटिरिस साइडरिस (दाएं) और सीसीआईजे अफ्रीका संपादक अजीबोला अमज़त के साथ iMEdDIJF24 में। इमेज : थॉम्पसन के सौजन्य से
1. एक केंद्रित परिकल्पना से शुरू करें
यह जांच एक साधारण धारणा के साथ शुरू हुई। थॉम्पसन कहते हैं- “हम फ्रेमिंग का उपयोग करना पसंद करते हैं। कोई व्यक्ति अगर कुछ कर रहा है, तो इसका कोई कारण है।“ उनकी टीम की परिकल्पना यह थी कि इस्वातिनी सरकार दरअसल एसओडीवी (SODV) सहित अन्य प्रासंगिक कानूनों को लागू करने में विफल रही है। साथ ही, जनता को इस मुद्दे के बारे में जागरूक नहीं किया गया। सरकार ने यौन हिंसा मामलों को रोकने की उपेक्षा की है। इस परिकल्पना की जांच करके इसे सिद्ध करने के लिए बिंदुओं की पहचान करने की आवश्यकता थी।
2. अब तक उपलब्ध जानकारी इकट्ठा करें
जांच की शुरुआत में उन सभी सबूतों को इकट्ठा करें जिन्हें आप पहले से जानते हैं। ऐसी जानकारियों को एक मार्गदर्शक दस्तावेज़ में एकत्र करें। ह्यूमन राइट्स वॉच और यूएनएफपीए जैसे गैर सरकारी संगठनों के अनुसार, इस्वातिनी में एक तिहाई से अधिक महिलाओं को 18 वर्ष की होने से पहले किसी रूप में यौन हिंसा का शिकार होना पड़ा। इस जानकारी के आधार पर सीसीआईजे टीम ने सोचा कि इसे साबित करने के लिए उन्हें किस जानकारी की आवश्यकता है। ऐसे मामलों में अपराधियों को सजा नहीं मिल पाती है।
3. सूचना का मानचित्र बनाएं
अपनी जांच के लिए सबसे उपयोगी जानकारी कहां मिलेगी? इसके लिए आपको यह पता लगाना होगा कि कहां खोजना है। थॉम्पसन कहते हैं- “परिकल्पना के बारे में सोचें। जानकारी कहां से एकत्र की जाएगी? यह कहां होगी?“
जैसे, यौन हिंसा के अपराधों से जुड़ी जानकारी कहां मिलेगी? इसके लिए मेडिकल रिकॉर्ड, पुलिस रिपोर्ट, मानसिक स्वास्थ्य सहायता डेटा से जानकारी मिल सकती है। सोशल मीडिया में पीड़ितों ने अपनी कहानी सुनाई होगी। हम जानकारी के ऐसे स्रोतों का चयन करें, जिन्हें बुद्धिमानी से जुटाया गया है। थॉम्पसन कहते हैं- “हमें अपनी सूची में सब कुछ इकट्ठा नहीं कर लेना है। हमारा लक्ष्य उन स्थानों के बारे में सोचना है जहां संभावित डेटा मौजूद हो सकता है। फिर तय करें कि रिपोर्ट को प्रासंगिक बनाने में क्या मदद मिल सकती है।“
4. डेटा स्रोत खोजें
खोजी पत्रकारों के लिए आवश्यक डेटा स्रोत ढूंढ़ने की कई विधियां हैं। सबसे आसान तरीका है ऑनलाइन जानकारी खोजना। सीसीआईजे टीम ने अपनी रिपोर्ट के लिए इंटरनेट सर्च में फ़ाइल के प्रकार ‘पीडीएफ‘ की सर्च की। गूगल सर्च के दौरान ‘इस्वातिनी‘ तथा ‘कोर्ट‘ जैसे शब्दों का उपयोग किया। ऑनलाइन सर्च में ऐसे सरल तरीकों का उपयोग किया गया।
साइडरिस कहते हैं- “हम भाग्यशाली थे। हमें स्वातिनी सर्वोच्च न्यायालय का एक सार्वजनिक डेटाबेस मिल गया।“ हालांकि ऐसी सफलता हमेशा नहीं मिल सकती है। डेटा स्रोत खोजने के अन्य तरीके सार्वजनिक डेटा के लिए वेब स्क्रैपिंग का उपयोग कर सकते हैं। भुगतान करके बंद डेटा तक पहुंच हासिल करना, जानकारी एकत्र करना और अपना स्वयं का डेटा बनाना भी उपयोगी है। सूचना का अधिकार कानून के जरिए सूचना मांगना तथा विशेषज्ञों से बात करके जानकारी का अनुरोध करना भी उपयोगी हो सकता है।

फ़ाइल प्रकार के लिए गूगल सर्च : पीडीएफ, इस्वातिनी और कोर्ट। इमेज : स्क्रीनशॉट, सीसीआईजे के सौजन्य से
5. डेटा निकालकर क्रमबद्ध और विश्लेषण करें
सीसीआईजे टीम को लाखों प्रविष्टियों वाला एक सार्वजनिक डेटाबेस मिल गया। इसके बाद पत्रकारों को यह पता लगाना था कि किस डेटा में उनकी जांच के लिए सबसे उपयोगी जानकारी है। उन्होंने डेटा को ‘बलात्कार‘ और ‘यौन उत्पीड़न‘ जैसे कीवर्ड के आधार पर फ़िल्टर किया। डेटा तक पहुंच के लिए वेब-स्क्रैपिंग का उपयोग किया। साइडरिस के अनुसार अब इस मैन्युअल चयन प्रक्रिया से गुजरने की जरूरत नहीं। टीम को बाद में पता चला कि एक एपीआई है, जिससे यह डेटा आसानी से मिल सकता है।“
इसलिए मैनुअल प्रक्रिया के बजाय किसी प्रोग्राम या एआई की तलाश करें जो डेटा को स्क्रैप करने में मदद कर सके। स्क्रैपिंग के बाद टीम ने कुछ प्रासंगिक जानकारी को जोड़कर एक स्प्रेडशीट बनाई। जैसे घटना की तारीख। दुर्गम फ़ाइलों के लिए टीम ने अपने डेटासेट में दस्तावेज़ टेक्स्ट जोड़ने में सक्षम होने के लिए अमेज़ॅन टेक्स्टट्रैक्ट का उपयोग किया।

डेटा को स्क्रैप करना। इमेज : स्क्रीनशॉट, सीसीआईजे के सौजन्य से
6. डेटा का आकलन करें
बिना खोए डेटा का आकलन करने के लिए आपको परिकल्पना पर वापस जाना होगा। सोचना होगा कि आप क्या साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। आपकी परिकल्पना क्या है? डेटा किस प्रकार इन प्रश्नों का उत्तर देने में मदद कर सकता है?
साइडरिस कहते हैं- “एकत्रित किए जाने वाले डेटा की पहचान करें। उसके सुसंगत होने के लिए एक कार्यप्रणाली बनाएं।“ टीम ने सरल डेटा बिंदुओं को व्याख्यात्मक मूल्यांकन के साथ जोड़कर ऐसा किया। जैसे, अपराध का यह मामला सजा योग्य है या नहीं।
थॉम्पसन कहते हैं- “आदर्श तरीका स्पष्ट डेटा बनाना और परिणामों को जोड़कर उसमें व्याख्या की एक परत जोड़ना है। इसका उद्देश्य आपके खोजी सवालों का जवाब देना हो।“ यदि डेटा सरल है तो आप इसे स्प्रेडशीट में स्वचालित रूप से कर सकते हैं। जैसे, दिनांक प्रारूप का उपयोग करना। यदि डेटा व्याख्यात्मक है तो मैन्युअल कर सकते हैं। यदि डेटा अर्ध-व्याख्यात्मक है तो एआई का उपयोग कर सकते हैं, जो बहुत तेज़ है।
7. अपनी एक कार्यप्रणाली बनाएं
टीम ने डेटा की व्याख्या करने के लिए चैट जीपीटी-4 का उपयोग किया। इसके लिए उन्हें एक विस्तृत संकेत लिखने की ज़रूरत थी। इसमें एआई को क्या करना चाहिए, इस पर स्पष्ट निर्देश दिए गए थे।
साइडरिस बताते हैं- “एक पद्धति तीन तरह से मदद करती है। इसका मतलब है कि हर चीज संरेखित है। इसलिए सभी डेटा एक ही तरह से भरे गए हैं। इसे प्रकाशित किया जा सकता है ताकि अन्य लोग आपके तरीकों और विकल्पों की समीक्षा कर सकें। इसे एआई टूल में फीड किया जा सकता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आप क्या चाहते हैं। लेकिन विचार प्रक्रिया अब भी पत्रकार को स्वयं करनी चाहिए। एआई और ऑटोमेशन का उपयोग एक शोध उपकरण या फिल्टर के रूप में करें, व्याख्या के लिए नहीं।“

चैट जीपीटी-4 प्रॉम्प्ट और कार्यप्रणाली। इमेज : स्क्रीनशॉट, सीसीआईजे के सौजन्य से
8. विशेषज्ञों से मिलकर अपने तरीकों की पुष्टि करें
याद रखें, हम पत्रकार हैं, डेटा वैज्ञानिक नहीं। अपनी कार्यप्रणाली की दोबारा जांच करने के लिए किसी विशेषज्ञ के साथ काम करना जरूरी है। थॉम्पसन के अनुसारए ऐसे विशेषज्ञ उन महत्वपूर्ण संदर्भों को जानेंगे जिन्हें आप भूल सकते हैं। क्या वैसा ही कोई अन्य अथवा समान शोध मौजूद है? विशेषज्ञ आपको पैटर्न का पता लगाने में मदद करेंगे। वे यह बताने में सक्षम होंगे कि क्या आप किसी डेटा को अधिक सरल बना रहे हैं या गलत व्याख्या कर रहे हैं।
9. डेटा की मैन्युअल जांच करें
थॉम्पसन चेतावनी देते हैं- “यदि आप स्वचालन या एआई का उपयोग करते हैं, तब भी मैन्युअल पुष्टि जरूरी है। खुद की जांच के बिना कोई परिणाम प्रकाशित न करें।“ पत्रकारों को कभी भी एआई पर पूरा भरोसा नहीं करना चाहिए। किसी भी गलती या छूटे हुए डेटा बिंदुओं के लिए हमेशा दोबारा जांच करनी चाहिए। थॉम्पसन कहते हैं- “यदि आप एआई टूल का उपयोग करते हैं, तो उसे यह साबित करने के लिए कहें कि उसने आपके तथ्य-जांच को सुविधाजनक बनाने के लिए क्या पाया है। कभी-कभी मैन्युअल तथ्य-जांच सबसे अच्छा तरीका होता है।“ अपनी जांच में, उन्हें कई विवरण मिले जो चैट-जीपीटी-4 में छूट गए थे। उनमें से किसी ने भी अपने निष्कर्ष नहीं बदले। लेकिन एआई त्रुटियों की पहचान करने से उनकी कहानी को मजबूत बनाने में मदद मिली। साइडरिस कहते हैं- “चैट-जीपीटी-4 सिर्फ एक उपकरण है। यह मतिभ्रम कर सकता है। झूठी या भ्रामक प्रतिक्रिया उत्पन्न कर सकता है। कुछ चीजें छूट जाएंगी, या संदर्भ का अभाव होगा।“

चैट-जीपीटी-4 की दोबारा जाँच करें। इमेज : स्क्रीनशॉट, सीसीआईजे के सौजन्य से
10. कहानी को पहचानें
डेटा का विश्लेषण करने और त्रुटियों की जांच करने के बाद अब आपको खबर निकालनी है। आप उन कहानियों को खोज सकते हैं जो आपके डेटा से निकल रही है। हालांकि आपको हमेशा आत्म-चिंतन करना चाहिए। डेटा की व्याख्या करने में खुद अपने संभावित पूर्वाग्रहों के बारे में सोचना चाहिए। थॉम्पसन कहते हैं- “अक्सर जब आप पैटर्न देखते हैं तो एक कथानक पर आधारित आपकी धारणाएं सटीक नहीं होती हैं।“ आप डेटा को समझने के लिए टैग को फ़िल्टर के रूप में उपयोग कर सकते हैं। किसी विशेषज्ञ से अपने निष्कर्षों को समझने में मदद लें। उनसे वह संदर्भ प्रदान करने के लिए कहें जो शायद आपसे छूट गया हो।
इस जांच में, सीसीआईजे टीम यह साबित करने में सक्षम थी कि कैसे एस्वातिनी अदालतें यौन हिंसा के पीड़ितों को न्याय देने में व्यवस्थित रूप से विफल हो रही हैं। पत्रकारों ने युगांडा, ज़िम्बाब्वे और इथियोपिया की कहानियों पर रिपोर्ट करने के लिए भी इसी पद्धति का उपयोग किया। वहां उन्होंने उलझे हुए बाल वाले लोगों के खिलाफ भेदभाव, बाल विवाह और धार्मिक संबद्धता के बीच संबंध और सैन्य सहयोग से जुड़े हथियारबंद बलात्कार के मामलों की जांच की।
पत्रकारों के लिए साइडरिस की अंतिम सलाह – “पारदर्शिता के लिए जांच के साथ अपने तरीकों और निष्कर्षों को भी प्रकाशित करें।“ ऐसा करने पर अन्य पत्रकारों को शोध और क्रॉस-चेक के लिए डेटासेट का उपयोग करने के तरीकों की जानकारी होगी। उन्हें आपकी जांच तकनीकों से सीखने का अवसर मिलेगा।
(संपादकीय टिप्पणी : आप पूरा डेटासेट यहां देख सकते हैं। कई अन्य अफ्रीकी देशों के डिजिटल अदालती रिकॉर्ड यहां उपलब्ध हैं।)
सारा उलरिच जीआईजेएन की जर्मन भाषा की संपादक हैं। वह नेटज़वर्क रेचेर्चे की मदद से जीआईजेएन डॉयचे की संपादक हैं। वह एक खोजी पत्रकार भी हैं। उनका काम सत्ता के दुरुपयोग, श्रम के शोषण, दक्षिणपंथी हिंसा और लिंग आधारित उत्पीड़न पर केंद्रित है।
अनुवाद : डॉ विष्णु राजगढ़िया