

खोजी पत्रकारिता में साझेदारी का प्रचलन बढ़ रहा है। किसी एक देश अथवा अलग-अलग देशों के दो या अधिक मीडिया संगठन मिलकर किसी विषय की जांच करते हैं। कॉलोबरेशन (परस्पर सहयोग, साझेदारी) पर आधारित जांच ने दुनिया भर में खोजी पत्रकारिता के शानदार उदाहरण पेश किए हैं।
साझेदारी का आपको काफी लाभ मिल सकता है। इससे स्टोरी को अधिक प्रचार-प्रसार मिलता है। इसकी दृश्यता और प्रभाव में वृद्धि होती है। आपकी बढ़ी हुई क्षमता के कारण कठिन परिस्थितियों में काम करने वाले पत्रकारों को बेहतर सुरक्षा मिलती है।
लेकिन प्रत्येक साझेदारी अलग किस्म की होती है। एक ही शहर में किसी कहानी पर एक साथ काम करने वाले दो मीडिया संगठनों को अलग उपकरणों की जरूरत होगी। जबकि 20 देशों के 100 पत्रकारों द्वारा जांच के तरीके अलग होंगे। यह लंबे समय तक चलेगी। व्यापक क्षेत्र में फैली होगी। इसमें कई भाषाएं भी हो सकती हैं। ऐसी किसी एक साल की साझेदारी परियोजना के लिए पेशेवर नैतिकता और प्रथाओं की समझ भी अलग किस्म की होगी।
जांच की योजना बनाना – साझेदारी में किस सहयोगी की क्या भूमिका होगी, इस पर पारदर्शी तरीके से योजना बनाकर उसका निष्पक्ष रूप से संचालन जरूरी है। भले ही इस कॉलोबरेशन का आकार या प्रकृति कोई जैसी हो।
यह अध्याय खोजी पत्रकारिता में सहयोग पर सलाह देता है। कुछ केस स्टडी भी दी गई है।
खुद से पूछें – आप साझेदारी क्यों चाहते हैं। फिर अच्छी तरह पार्टनर चुनें।
यह सुनिश्चित करना होगा कि साझेदारी के कारण पड़ताल में कुछ अतिरिक्त तत्व आयें। सिर्फ फैशन के लिए साझेदारी करने के प्रलोभन से बचें। कुछ खोजी ख़बरें अकेले ही बेहतर ढंग से लिखी जा सकती हैं। इसलिए सहयोग के फायदे और नुकसान की एक सूची बनाएं। क्या आपका संभावित सहयोगी कोई दस्तावेज निकाल सकता है? क्या वह विदेशी भाषा में साक्षात्कार कर सकता है जो आप नहीं कर सकते? क्या उसके पास डाटा में विशेज्ञता अथवा कोई विशेष कौशल हैं जो आपके लिए पूरक हैं? क्या वह ऐस कौशल है, जो जांच के लिए महत्वपूर्ण हैं? क्या कहानी इतनी खतरनाक या जटिल है, जिसे आप अकेले नहीं कर सकेंगे?
साझेदारी के लिए प्रमुख निर्णय यह है कि आप किसे अपनी टीम का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करते हैं। व्यक्तिगत साझेदारों का चयन करते समय केवल पत्रकार की प्रचारित उपलब्धियों या रिपोर्टिंग कौशल ही नहीं, बल्कि उसके व्यक्तित्व को भी पूरी तरह से देखें। अपनी टीम के भरोसेमंद सहकर्मियों से पूछें कि उस व्यक्ति के साथ सहयोग में उनका अनुभव कैसा है। क्या वह पत्रकार किसी टीम का हिस्सा है? क्या वे लोग विविध समूह में अच्छी तरह से संवाद कर सकते हैं? तनावपूर्ण स्थितियों में वे कैसे प्रतिक्रिया करते हैं? वे छोटे मीडिया संगठनों के पत्रकारों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं? यदि साझेदारी में अकेला पत्रकार नहीं, बल्कि किसी समाचार संगठन की एक टीम शामिल हो, तो उस टीम के प्रभारी पत्रकार के संबंध में भी ऐसी जानकारी हासिल करें।
यदि आपको किसी साझेदारी में शामिल होने का आमंत्रित मिले, तो इसमें सावधानी के पहलुओं को लेकर सचेत रहें। क्या वह मीडिया संगठन आपको पूर्ण साझेदारी के लिए आमंत्रित कर रहा है? क्या वह केवल दस्तावेज जुटाने, साक्षात्कार लेने तथा अन्य काम के लिए आपको बुला रहा है? क्या वह आपके साथ सारी जानकारी, अनुभव और रिपोर्टिंग सामग्री साझा करने को इच्छुक है? क्या वह संगठन आपको सिर्फ दिखावे या शोभा के लिए आमंत्रित कर रहा है, ताकि एक बड़ी और वैश्विक साझेदारी दिखा सके?
याद रखें : जीवन बहुत छोटा है। अगंभीर लोगों की बातों में अपना समय और ऊर्जा बर्बाद न करें। भले भी वह कितनी ही आकर्षक लगती हो।
संचार और शेयरिंग के तरीकों पर बात हो
साझेदारी में मुख्यतः तीन चीजों के लिए उपकरण और प्लेटफॉर्म की जरूरत होगी – 1. आपस में संचार करना, 2. दस्तावेज़ साझा करना, 3. परियोजना का प्रबंधन।
सभी साझेदारों के पास एक जैसे संसाधन नहीं होंगे। इस संभावित असमानताओं के प्रति सावधान रहें। आपके संगठन के पास वाई-फाई, बिजली और पेशेवर फैक्ट-चेकर इत्यादि है। लेकिन संभव है कि सहयोगी संगठन के पास न हो। कुछ बेहतरीन खोजी पत्रकारों के पास कंप्यूटर या इंटरनेट तक नियमित पहुंच नहीं होती।
संचार और जांच संबंधी उपकरण किफायती और महंगे, दोनों प्रकार के आते हैं। इनका उपयोग करना सुरक्षित और जरूरी है।
टीम के बीच संचार
हमारा मानना है कि प्रत्येक रिपोर्टर को ‘सिग्नल‘ का उपयोग करना चाहिए। यह एक निःशुल्क ऐप है। यह आपको सहयोगियों के साथ सुरक्षित संवाद में मदद करता है। इसके चैट समूह में आप पूरी टीम को रिपोर्टिंग संबंधी अपडेट डाल सकते हैं। जैसे- ‘मैंने अभी श्रीमती एक्स के साथ साक्षात्कार पूरा कर लिया।‘ इसके ग्रुप में आप लॉजिस्टिक्स या व्यवस्था संबंधी बात कर सकते हैं। जैसे- ‘मेरी एक मेडिकल अपॉइंटमेंट है। क्या हम आज सुबह की मीटिंग का समय बदल सकते हैं?‘
लेकिन ‘सिग्नल‘ ग्रुप चैट कम लोगों के लिए है। पत्रकारों, संपादकों और टीम के अन्य सदस्यों के बड़े समूह के लिए यह व्यावहारिक नहीं, जिन्हें हर छोटी बात में शामिल करना जरूरी नहीं। कोई भी नहीं चाहता कि बार-बार आने वाले संदेशों से परेशान हो, जिसकी उसे जरूरत नहीं। यदि आपका प्रोजेक्ट बड़ा है और उसमें नियमित संदेश शामिल हैं, तो ‘प्रोजेक्ट मैनेजमेंट टूल‘ बेहतर है। इसके सबंध में नीचे चर्चा की गई है।
यदि आपका संचार विशेष रूप से संवेदनशील है, तो एन्क्रिप्टेड ईमेल का उपयोग करें। मेलवेलोप- Mailvelope एक निःशुल्क प्रोग्राम है। इसे आसानी से अपने मौजूदा जीमेल खाते में जोड़ सकते हैं। यदि आपके पास संसाधन हैं, तो ‘जीपीजी सुइट‘ या ऐसा कोई अन्य उपकरण खरीद सकते हैं।
जटिल चर्चा या एक समूह के रूप में संवाद के लिए ऑनलाइन मीटिंग कर सकते हैं। इसके लिए निःशुल्क और भुगतान आधारित, दोनों तरह के विकल्प हैं। ज़ूम की तरह ‘गूगल मीट‘ भी प्रभावी है। यदि सुरक्षा का गंभीर मामला हो, तो आप गो-टू-मीटिंग या जित्सी का उपयोग कर सकते हैं। यह अधिक सुरक्षित हैं।
यह विचार करें कि आपको कितनी बार कॉल पर बात करने की जरूरत पड़ेगी? इसका उद्देश्य क्या होगा? समुदाय की भावना विकसित करना और नियमित (साप्ताहिक, पाक्षिक) कॉल के माध्यम से टीम के सदस्यों को अपडेट करना काफी लाभदायक है। यदि आप कॉल आयोजित करते हैं, तो एजेंडा तैयार करके बैठक को कुशलतापूर्वक चलाने की जिम्मेदारी आपकी है। बैठक यदि खराब तरीके से आयोजित होगी, तो आपसी सहयोग की भावना खत्म हो सकती है।
दस्तावेज तथा अन्य जानकारी साझा करना
यदि इस जांच का डाटा (दस्तावेज, साक्षात्कार आदि) अत्यधिक संवेदनशील नहीं है, तो अपने काम को व्यवस्थित करने के लिए गूगल ड्राइव का उपयोग कर सकते हैं। आप दस्तावेज़ों के आधार पर फ़ोल्डर बना सकते हैं। जैसे- साक्षात्कार, फोटो, प्रकाशन हेतु दस्तावेज, ड्राफ्ट स्टोरी, फाइनल फैक्ट-चेक स्टोरी इत्यादि। ऐसे फ़ोल्डरों को साझेदारों या उन सदस्यों के साथ साझा कर सकते हैं, जिन्हें इनकी पहुंच की आवश्यकता है।
सुरक्षा संबंधी चेतावनी। कोई जानकारी किसी एक देश में संवेदनशील हो सकती है, जबकि दूसरे में नहीं। एक देश में राष्ट्रपति के बारे में कोई दस्तावेज़ रखने के कारण पत्रकार को गिरफ्तार किया जा सकता है। लेकिन किसी अन्य देश का पत्रकार बिना किसी जोखिम के वही दस्तावेज़ प्राप्त कर सकता है। सुरक्षा के लिए इस फर्क को समझना होगा।
यदि आपको अधिक उन्नत तकनीक की आवश्यकता है, तो भुगतान आधारित उपकरणों का उपयोग कर सकते हैं। जैसे- रिमोट वर्कस्पेस – Confluence। दस्तावेज़ और संसाधन प्रबंधक – Document Cloud। ऐप-बिल्डिंग प्लेटफ़ॉर्म – Airtable।
आपको इन उपकरणों के उपयोग का तरीका सीखने में समय लग सकता है। इसलिए जांच की जटिलता, आपके डाटा और टीम के अनुभव के आधार पर आपको यह तय करना होगा कि ऐसे उपकरण का प्रयोग करना बेहतर होगा या नहीं। कहीं इससे आपका समय बर्बाद होने और परेशानी बढ़ने की स्थिति तो नहीं आएगी?
Aleph – यह एक ओपेनसोर्स प्लेटफॉर्म है। ‘ओरगेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट‘ (ओसीसीआरपी) द्वारा इसका प्रबंधन किया जाता है। यह दस्तावेजों के संग्रह और विश्लेषण में आपकी मदद कर सकता है। इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) द्वारा बनाया गया ‘डेटाशेयर‘ भी उपयोगी है। यह आपको दस्तावेज़ों को आपके कंप्यूटर पर, ऑफ़लाइन और सर्वर के माध्यम से संग्रह और विश्लेषण करने की सुविधा देता है।
ऊपर बताए गए संचार और दस्तावेज़ प्रबंधन प्लेटफ़ॉर्म किसी साझेदारी जांच परियोजना के समग्र प्रबंधन में मदद करेंगे।

फोटो – एलेफ दस्तावेजों के संग्रह और विश्लेषण करने में मदद करता है। यह डाटाबेस और शोध सामग्री के अभिलेखागार तक पहुंच प्रदान करके पत्रकारों को धन-प्रवाह की जांच में मदद कर सकता है। इमेज : स्क्रीनशॉट, ओसीसीआरपी
तय करें- आप क्या करना चाहते हैं? क्या नहीं करना चाहते? क्या साझा करना चाहते हैं?
कई सफल साझेदारी मामूली कारणों से लगभग विफल हो चुकी हैं। आपस में किस तरह के सहयोग की अपेक्षा है, इसे लेकर गलतफहमी अथवा मामूली गुस्से के कारण ऐसी समस्या आती है।
एक रिपोर्टर साक्षात्कार का विवरण, गोपनीय दस्तावेज, फ़ोटो और अधूरे ड्राफ्ट सहित सब कुछ साझा करने को तैयार होगा। लेकिन दूसरा पत्रकार वैसी ही जानकारी साझा करने में सहज महसूस नहीं कर रहा होगा। उसके पास इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। जैसे, कुछ फ़ोटोग्राफ़र केवल अपने प्रत्यक्ष नियोक्ता को ही अपनी तस्वीरें प्रकाशित करने की अनुमति देते हैं।
कुछ नियम पत्थर की लकीर के समान होंगे। इनमें कोई बदलाव संभव नहीं होगा। लेकिन अन्य मामले बातचीत के आधार पर तय हो सकते हैं। कई बार कुछ मीडिया संगठन कुछ बिंदुओं को मानने से साफ इंकार करते हुए कहते हैं कि हम ऐसा नहीं कर सकते। लेकिन परियोजना समन्वयक यह बताता है कि ऐसा करना करना किस तरह सबके लिए फायदेमंद है। इसके बाद वही मीडिया संगठन तैयार होकर कहते हैं कि हम ऐसा करने में खुश हैं।
जितनी जल्दी हो सके, अपने भागीदारों के साथ सभी प्रमुख नियमों पर स्पष्ट बात कर लें। किन चीजों पर आप लचीले होंगे, किन पर नहीं, यह भी स्पष्ट हो। (साझेदारी के समझौते का उदाहरण नीचे देखें)।
साझेदारी में आप जितनी अधिक उदारता और खुलापन दिखाएंगे, अन्य भागीदार आपके प्रति उतना ही अधिक खुलेंगे और आपके शोध का समर्थन करेंगे। आप भविष्य की परियोजनाओं के लिए सद्भावना भी बनाएंगे।
साझेदारी का प्रबंधन कौन करेगा? किसी क्या भूमिका होगी?
साझेदारी छोटी हो या बड़ी, हरेक के प्रबंधन के लिए एक जिम्मेदार व्यक्ति को नियुक्त करना जरूरी है। वह व्यक्ति किसी भी विवाद को सुलझाने में भी महत्वपूर्ण होगा (नीचे देखें)।
यह व्यक्ति कोई संपादक या प्रबंधक हो सकता है। कुछ मामलों में परियोजना के प्रमुख पत्रकारों में किसी एक को यह दायित्व दिया जा सकता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कौन है। यह सुनिश्चित करें कि प्रभारी व्यक्ति इस बात को समझता हो कि इस भूमिका में अक्सर उबाऊ रूटीन काम शामिल होते हैं। इसमें बैठकें आयोजित करना, एजेंडा सेट करना, निष्क्रिय भागीदारों का पीछा करना, फंडिंग के लिए आवेदन करना, समय सीमा का ध्यान रखना और संभावित कानूनी मामलों के बारे में कड़ाई के साथ बातचीत करना शामिल है।
कॉलोबरेशन के आकार, इसमें शामिल कौशल और भाषाओं के आधार पर आपके प्रोजेक्ट में क्षेत्रीय प्रबंधक या कहानी-आधारित प्रबंधक भी शामिल हो सकते हैं। जैसे, आईसीआईजे ने विशिष्ट आवश्यकता वाले क्षेत्रों के पत्रकारों की मदद के लिए अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और यूरोप में साझेदारी समन्वयकों का उपयोग किया।
संयुक्त जांच की सफलता में ‘साझेदारी प्रबंधक‘ महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनमें भावनात्मक बुद्धिमत्ता और संगठनात्मक कौशल की आवश्यकता है। उनमें जांच की सामग्री की गहन समझ और संस्कृतियों में अच्छी तरह से संवाद करने की क्षमता भी होनी चाहिए। उनका काम काफी कठिन होता है। इसलिए अपने साझेदारी प्रबंधक के प्रति दयालु और उत्तरदायी रहें।
हमारा अनुभव कहता है कि योजना, रिपोर्टिंग और संपादन में प्रत्येक भागीदार संगठन से एक या अधिक लोगों को जरूर शामिल करें। हमने ऐसे भी उदाहरण देखे हैं जिनमें एक रिपोर्टर किसी परियोजना में शामिल होने के लिए सहमत हो गया लेकिन उसने संपादक को कभी नहीं बताया। जब संपादक को इस साझेदारी के बारे में पता चला, तो नाराज होकर रिपोर्टर को परियोजना से हटा दिया। किसी सहयोग में शामिल होने से पहले अपने संपादक का समर्थन जरूर हासिल कर लें।

फोटो – जीआईजेएन द्वारा चयनित कवरेज – कुछ खोजी साझेदारी सीमा पार परियोजनाएं। इमेज : स्क्रीनशॉट, जीआईजेएन
संयुक्त प्रकाशन तिथि निर्धारित करें
हाल के दिनों में कई सफल जांचों में सभी भागीदारों ने अपनी पहली कहानी एक ही दिन, एक साथ प्रकाशित की। इस तरह का समन्वय बहुत बड़े दर्शकों तक पहुंचने में मदद करता है। इससे साझेदारी की भावना भी दिखती है।
संयुक्त प्रकाशन तिथि के लिए अपनी इच्छा के प्रति पारदर्शी रहें। इसमें किसी बदलाव के लिए भी तैयार रहें। यदि आप किसी अन्य देश में साझेदारों के साथ काम कर रहे हैं, तो संभावित उतार-चढ़ाव के प्रति सचेत रहें। संभव है, आपने जिस दिन का प्रस्ताव रखा हो, उस दिन वहां कोई स्थानीय चुनाव या धार्मिक अवकाश हो। ऐसी स्थिति में आपके सहयोगी संगठन के लिए इसे स्वीकार करना मुश्किल होगा।
यदि साझेदारी में कई कहानियां शामिल हैं, तो अपने भागीदारों के साथ चर्चा करें। पहली कहानी के अलावा, क्या अन्य कहानियां, वीडियो या सामग्री हैं जिन्हें समन्वय के आधार पर प्रकाशित करना चाहिए? क्या प्रोजेक्ट के आधिकारिक तौर पर लॉन्च होने के बाद हरेक पार्टनर अपनी गति से स्टोरी प्रकाशित करने के लिए स्वतंत्र हैं? इन मामलों पर जितनी जल्दी बात करके ठोस सहमति बना लेंगे, उतना बेहतर होगा। इससे अन्य साझेदारों के लिए कोई बात अचानक थोपी हुई नहीं लगेगी।
कई सफल साझेदारी में काफी लचीले आधार पर स्टोरी प्रकाशन के प्रयोग भी देखे गए हैं। लेकिन हमने संयुक्त प्रकाशन तिथि को हमेशा उपयोगी पाया है। यह तारीख कौन सी होगी, इस पर सामूहिक निर्णय लेना होगा। आप व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से, कब और किस गति से प्रकाशित करना चाहते हैं, इस पर शुरू से ही भागीदारों के साथ संवाद करके सहमति बना लें।

फोटो – पुलित्जर सेंटर ओसीन रिपोर्टिंग नेटवर्क के सदस्य – बार्सिलोना के बंदरगाह में। यह टीम ओसीन डिकेट कान्फ्रेंस में शामिल होने के लिए अप्रैल 2024 में एकत्रित हुई। इमेज : पुलित्जर सेंटर के सौजन्य से
खर्च और कानूनी मामलों पर चर्चा करें
पैसे और कानूनी मामलों पर आपसी विवाद होना काफी कष्टदायक होगा। इसलिए इसके प्रति सचेत रहें। साझेदारी की शुरुआत में ही हरेक से अपेक्षा को सुनिश्चित करें। कोई सहयोगी अच्छे संसाधन वाला हो और कोई कम संसाधन वाला, तो हरेक खर्च के लिए जिम्मेवारी तय कर लें। यात्रा व्यय, फोटोकॉपी, दस्तावेज़ पुनर्प्राप्ति, जांच के समय के लिए टीम को भुगतान जैसे मामले तय कर लें।
किसी की टिप्पणी लेने के लिए अनुरोध पत्र कौन भेजेगा? क्या सभी सहयोगी एक समान अनुरोध भेजेंगे, या अलग होगा? क्या सभी भागीदार अपने स्वयं के अनुरोध भेजेंगे? उन पत्रों पर प्रतिक्रिया को कैसे साझा किया जाएगा?
ध्यान रहे कि कुछ मामलों में सांस्कृतिक मतभेद भी होते हैं। कुछ देशों में पत्रकारों को प्रकाशन से कुछ हफ़्ते पहले विस्तृत प्रश्न भेजने पड़ते हैं। अन्य देशों के पत्रकारों के पास टिप्पणी मांगने में देरी के लिए वैध सुरक्षा कारण हो सकते हैं। इसलिए एक समूह के रूप में आप ‘कौन, कब, कैसे और क्यों‘ पर चर्चा करके सबकी भूमिका और सबसे अपेक्षा का निर्धारण कर लें।
साझेदारों के पास वकील होंगे, जो प्रकाशन से पहले कहानियों की समीक्षा करते हैं। क्या एक मीडिया संस्थान के वकीलों को साझेदार के वकीलों से बात करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे सभी एकमत हैं?
साझेदारी का लिखित दस्तावेज हो
एक बार जब आप साझेदारी के बुनियादी नियमों पर चर्चा कर लें, तो उन्हें दिशानिर्देश के दस्तावेज के रूप में लिखित बना लें।
‘साझेदारी समझौता‘ में उन चीजों की सूची होगी, जिन्हें करने के लिए सभी भागीदार सहमत हैं। जैसे, संवाद करना, रिपोर्टिंग साझा करना, गोपनीयता का सम्मान करना। साथ ही, क्या नहीं करना है, यह भी लिखित होगा। जैसे, दूसरों की सहमति के बगैर प्रकाशित नहीं करना। अधिक संभावना है कि इसे कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते के रूप में नहीं लिखा जाएगा। हालांकि वकीलों के साथ कुछ बड़े समाचार कक्ष ऐसा कानूनी समझौता पसंद कर सकते हैं। हमारा सुझाव है कि समझौते को सरल और मैत्रीपूर्ण बनाएं। साझेदारी एक सकारात्मक उद्यम हो, कोई ख़तरा नहीं।
यहां एक समझौते का उदाहरण दिया गया है।
साझेदारी समझौता
‘ए, बी और सी (साझेदार) के बीच यह समझौता इस तारीख से लागू होगा। यह समझौता एक रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट पर सहयोग करने के उद्देश्य से किया गया है। इसमें जांच का संक्षिप्त विवरण यहां प्रस्तुत है।
इस दस्तावेज़ का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भागीदार रिपोर्टिंग की सभी सामग्री, वीडियो, चित्र इत्यादि आपस में साझा करने के लिए सहमत हैं। सभी सहयोगी प्रकाशित स्टोरी में एक-दूसरे को उचित श्रेय देंगे। सभी भागीदार प्रकाशन संबंधी प्रतिबंधों का पालन करेंगे। साझेदार निम्न बिंदुओं पर सहमत हैं-
- किसी भी महत्वपूर्ण निष्कर्ष और विकासक्रम के बारे में सभी सहयोगियों को अद्यतन करते हुए नियमित संवाद करेंगे।
- प्रासंगिक जानकारी, डेटा, वीडियो, फोटो, विश्लेषण, साक्षात्कार सामग्री, संपर्क इत्यादि साझा करेंगे।
- गोपनीयता का सम्मान करेंगे। भागीदार इस परियोजना के लिए प्राप्त या बनाई गई किसी भी रिपोर्टिंग, डेटा या अन्य जानकारी को उन लोगों की सहमति के बिना साझा नहीं करेंगे जिन्होंने इसे प्राप्त किया है।
- हरेक स्टोरी के प्रकाशन में अन्य साझेदारों को समुचित श्रेय दिया जाएगा। (हम स्टोरी में सहयोग का वर्णन करने के लिए पसंदीदा भाषा पर सहमत होने की सलाह देते हैं।)
- हर साझेदार के पास अलग-अलग कहानियां प्रकाशित करने के लिए पूर्ण संपादकीय स्वतंत्रता होगी। अपने द्वारा प्रकाशित कहानियों और अन्य सामग्री के लिए वही जिम्मेदार होंगे।
- प्रत्येक भागीदार इस सहयोग से संबंधित किसी भी सामग्री को (यहां प्रकाशन का दिन और समय डालें) से पहले प्रकाशित नहीं करने के लिए सहमत है।
(यहां आपके समाचार संगठन की ओर से हस्ताक्षर करें)
इस समझौते का उद्देश्य सभी संभावित घटनाओं को कवर करना नहीं, बल्कि आपसी जुड़ाव के बुनियादी नियम बनाना है। इसमें से हर उदाहरण आपकी हर जांच पर लागू नहीं होंगे। निश्चित रूप से अन्य बिंदु भी होंगे जिन्हें आप जोड़ना चाहेंगे। प्रत्येक संभावना के लिए योजना बनाएं। विचार करें कि आप यह कर सकते हैं या नहीं।
विवादों को शीघ्र निपटाएं
किसी भी अच्छी या बुरी साझेदारी में कुछ आपसी विवाद उत्पन्न होंगे। एक साझेदारी प्रबंधक यानी परियोजना समन्वयक होने से मदद मिलेगी। इसकी आवश्यकता पहले बताई गई है। आपके पास एक साझेदारी समझौता है। उसके मुख्य बिंदुओं के अनुसार विवादों का हल कर सकते हैं।
जितना संभव हो, जोखिमों का पूर्वानुमान लगाने का प्रयास करें। संभावनाएं अनंत हैं। यहां अपने अनुभवों से हम कुछ उदाहरण दे रहे हैं।
- क्या आप किसी व्हिसल ब्लोअर, स्रोत, या प्रमुख विशेषज्ञ से मिले दस्तावेजों पर काम कर रहे हैं? स्पष्ट रहें कि कौन उनसे संपर्क करेगा, और कौन नहीं। कोई भी व्यक्ति एक ही सवाल के लिए बीस अलग-अलग पत्रकारों से बात नहीं करना चाहेगा।
- यदि संवेदनशील फ़ाइलें हों तो तुरंत उनकी पहचान करें। तय करें कि ऐसी फ़ाइलों को कैसे सुरक्षित और साझा किया जाएगा।
- परियोजना में शामिल सभी पत्रकारों से पूछ लें कि वे स्टोरी के प्रकाशन के समय अपना नाम देने के इच्छुक हैं या नहीं। सुरक्षा कारणों से कुछ पत्रकारों का नाम नहीं दिया जाना चाहिए।
- यदि कोई भागीदार जांच के बारे में किसी अन्य की प्रेस विज्ञप्ति या इंस्टाग्राम पोस्ट प्रकाशित करना चाहता है, पहले इसकी समीक्षा साझेदारी प्रबंधक द्वारा की जाएगी। इस बात पर भी सहमति होनी चाहिए कि ऐसी जानकारी कब जारी की जा सकती है। वरना इससे स्टोरी को लेकर भ्रम पैदा हो सकता है।
- यदि परियोजना के दौरान कोई समस्या आए, तो उत्तेजना अथवा प्रतिक्रिया का शिकार न हों। आप और आपके साथी गलतियां करेंगे। लेकिन इनमें ज्यादातर चीजें छोटी होंगी। उनका हल भी निकल आएगा। हमारे अनुभव में कई उदाहरण हैं। एक टीज़र वीडियो को निधारित समय से कुछ घंटे पहले प्रसारित कर दिया गया। एक अन्य जांच में टारगेट से टिप्पणी कब लेनी है, इस पर मतभेद हो गया। एक पार्टनर के वकील ने अनावश्यक सवालों से परेशान कर दिया। ऐसी बाधाओं के बावजूद आप साझेदारी से बड़ी स्टोरी निकालते हैं।
- जहां संभव हो, संचार के अपने चुने हुए माध्यम से ही परियोजना के सदस्यों के साथ मुद्दों का समाधान करें। ईमेल या संदेशों के बजाय प्रत्यक्ष बातचीत या सिग्नल/ज़ूम कॉल आपको तेजी से हल करने में मदद कर सकता है। जांच परियोजना के दौरान छोटी चीजें भी आपको बहुत बड़ी लगती है। लेकिन साझेदारी की सफलता के बाद उनका महत्व नहीं रह जाता।
सुझाव : किसी भी आपसी विवाद को तेजी से और सक्रिय रूप से निपटाएं। अपने अहंकार को दरवाजे पर छोड़ दें।
केस स्टडी
यहां कुछ उदाहरण देखें। पत्रकारों ने सहयोगी टीम बनाकर ऐसी जांच की, जो अकेले असंभव थी। साझेदारी के दशकों के अनुभवी पत्रकारों से लेकर पहली बार साझेदारी करने वाले पत्रकारों ने कई व्यावहारिक सुझाव दिए हैं।

इमेज : स्क्रीनशॉट, आईसीआईजे
‘शैडो डिप्लोमेट‘ नामक इस साझेदारी जांच में आईसीआईजे, प्रोपब्लिका तथा अन्य मीडिया पार्टनर शामिल थे। इसमें 46 देशों के 160 पत्रकारों ने जांच में हिस्सा लिया। पत्रकारों ने लगभग 500 वर्तमान एवं भूतपूर्व मानद काउंसलों के गलत कामों का पहला डेटाबेस बनाया। इससे विदेशी सरकारों के हितों को बढ़ावा देने के लिए अपने देशों से काम करने वाले स्वयंसेवी राजनयिकों का पर्दाफाश हुआ।
सभी मीडिया पार्टनर एक साथ समान जांच प्रकाशित पर सहमत हुए। विभिन्न देशों के समाचार संगठनों ने डेटाबेस पर आधारित अपनी जांच प्रकाशित की, जो सभी भागीदारों के लिए उपलब्ध था। इस जांच के कारण आठ देशों ने कार्रवाई की। कई मानद काउंसलों (ओननरी काउंसल) को उनके पदों से हटा दिया अथवा जरूरी सुधारों की घोषणा की।
सुझाव : डाटा की तथ्य-जांच का काम केंद्रित रूप से करें। सारे परिणाम सभी पार्टनरों के साथ साझा करें। आईसीआईजे और प्रोपब्लिका ने डाटाबेस की प्रत्येक प्रविष्टि की जांच की। इसके कारण मीडिया पार्टनरों को इस जांच रिपोर्ट का उपयोग करने की प्रेरणा मिली। उन्हें अपने पाठकों के लिए प्रासंगिक कहानी प्रकाशित करने हेतु अपना समय और ऊर्जा लगाने का आत्मविश्वास मिला।

इमेज : स्क्रीनशॉट, पुलित्जर सेंटर
करोल इलागन और एंड्रयू लेहरन – पुलित्जर सेंटर के दो ‘रेनफॉरेस्ट इन्वेस्टिगेटिव फेलो‘ ने यह पहल की। पुलित्जर सेंटर, फिलीपीन सेंटर फॉर इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म (पीसीआईजे) और एनबीसी न्यूज ने साझेदारी जांच परियोजना बनाई। फिलीपीन के रेनफॉरेस्ट में अमेरिकी कार बैटरी के लिए खनन के कारण नुकसान को उजागर किया। पत्रकारों ने फिलीपींस में पलावन द्वीप के खतरे वाले वर्षावनों से लेकर जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका तक निकेल को हर चरण पर ट्रैक करने के लिए डाटा, उपग्रह इमेजरी और पारंपरिक रिपोर्टिंग का उपयोग किया। जिन क्षेत्रों में उच्च मांग वाले खनिज का उपयोग टेस्ला, टोयोटा और अन्य कार कंपनियां द्वारा किया जाता है, वहां जांच की गई।
सुझाव : आपूर्ति श्रृंखला और पूरक स्थानों पर नज़र रखते समय स्थानीय भाषा का ज्ञान और अनुसंधान कौशल आवश्यक है। पत्रकार करोल इलागन ने फिलीपींस में स्थानीय दस्तावेज निकाले। सहयोगी पत्रकार पालावान में फील्ड रिपोर्टिंग की। एंड्रयू लेहरन ने आपूर्ति श्रृंखलाओं पर नज़र रखी तथा अस्पष्ट व्यावसायिक दस्तावेजों का विश्लेषण किया। इसके कारण यह जांच अमेरिकी बाजार तक पहुंची। कई दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की तरह फिलीपींस में आपूर्ति श्रृंखला की जानकारी उपलब्ध नहीं थी। पत्रकार जापान के माध्यम से फिलीपींस और अमेरिका के बीच संबंध स्थापित करने में सक्षम थे, जहां खनिज प्रसंस्करण होता है। लेहरेन और इलागन के मीडिया संगठनों तथा पाठकों ने भी योगदान किया। जांच रिपोर्ट का फिलीपींस और अमेरिका के ब्रॉडकास्ट और डिजिटल मीडिया में एक साथ प्रकाशन हुआ।

इमेज : स्क्रीनशॉट, द एक्जामिनेशन
चीन की सरकारी कंपनी ‘चाइना नेशनल टोबैको कॉरपोरेशन‘ के संबंध में यह साझेदारी जांच रिपोर्ट की गई। इसमें सिगरेट और तंबाकू के कारण चीन और पूरी दुनिया में बीमारी और मृत्यु संबंधी भयावह आंकड़े सामने आए। यह जांच ‘द एग्जामिनेशन‘ (गैर-लाभकारी न्यूजरूम), इनिटियम मीडिया (सिंगापुर स्थित चीनी भाषा का मीडिया संगठन) के साथ ही दो जर्मन साझेदार (पेपर ट्रेल मीडिया तथा डेर स्पीगल) ने मिलकर की।
पत्रकारों ने दस्तावेज निकाले। कॉरपोरेट रिकॉर्ड और अस्पष्ट अनुवादों को खंगाला। इससे चीनी अधिकारियों द्वारा धूम्रपान रोकने की ऐतिहासिक वैश्विक संधि को कमजोर करने का खुलासा हुआ। पत्रकारों ने चीन के अंदर रिपोर्टिंग करते हुए भारी जोखिम उठाकर अरबों डॉलर की कंपनी का पर्दाफाश किया।
सुझाव : ‘द एग्जामिनेशन‘ के रिपोर्टर जेसन मैकक्लर कहते हैं- “साझेदारी चर्चा को लंबा न करें। संभावित साझेदार को यह बताने में कुछ भी गलत नहीं है कि आपको तत्काल निर्णय की आवश्यकता है। यदि आप फलां तारीख तक साझेदारी के लिए अपना फैसला नहीं सुनाते, तो हम मान लेंगे कि आप बाहर हैं। हम आगे बढ़ जाएंगे।“

फोटो – कैप फेरट फ्रांस के दक्षिण में है। यहां टैक्स हेवन वाली कई कंपनियों की संपत्ति है। इमेज : शटरस्टॉक
‘ले नोवेल ऑब्ज़र्वेटर‘ और ‘बेलिंगकैट‘ के फ्रीलांस पत्रकारों ने यह जांच की। इसमें फ्रांस के मानवाधिकार का हनन करने वाले भ्रष्ट शक्तिशाली तानाशाही लोगों द्वारा लगभग 200 संदिग्ध रियल एस्टेट सौदों का खुलासा हुआ। पत्रकारों ने सार्वजनिक डाटा के आधार पर यह जांच की। अंतरराष्ट्रीय संगठनों की चेतावनी है कि रियल एस्टेट के क्षेत्र में मनी लॉन्ड्रिंग की अत्यधिक संभावना है। इसके बावजूद फ्रांसीसी अधिकारियों ने इस पर नियंत्रण नहीं किया।
सुझाव : इस जांच प्रोजेक्ट के प्रमुख रिपोर्टर इमैनुएल फ्रायडेन्थल कहते हैं- “टीम के हर सदस्य की भूमिका स्पष्ट रूप से परिभाषित करें। टीम में उन्हीं लोगों को चुनें जो इस प्रोजेक्ट से प्रेरित हों। हमारी टीम में हर सदस्य जानता था कि उसका कार्य क्या है। साथ ही, वे किसी नए दायित्व के लिए भी तैयार थे।“
विल फिट्ज़गिब्बन – ‘द एग्जामिनेशन‘ में रिपोर्टर और वैश्विक साझेदारी समन्वयक हैं। यह एक गैर-लाभकारी न्यूज़रूम है, जो कॉरपोरेट के गलत कामों, बीमारी और मौत की जांच करता है। इससे पहले विल ने आईसीआईजे में रिपोर्टर तथा साझेदारी समन्वयक (अफ्रीका और मध्य पूर्व) के बतौर काम किया। पनामा पेपर्स और पेंडोरा पेपर्स जैसी जांच में केंद्रीय भूमिका निभाई।
मरीना वॉकर ग्वेरा – पुलित्जर सेंटर की कार्यकारी संपादक हैं। यह विश्व स्तर पर गहन पत्रकारिता और नागरिक जुड़ाव का समर्थन करने वाली गैर-लाभकारी संस्था है। मरीना ने पनामा पेपर्स और पैराडाइज़ पेपर्स सहित कुछ बेहद महत्वाकांक्षी पत्रकारिता साझेदारी का प्रबंधन किया है।
अनुवाद : डॉ. विष्णु राजगढ़िया