

Mill Media founder and editor Joshi Herrmann speaking at the 2025 CIJ Summer Conference in London. Image: GIJN
सफल स्थानीय खोजी मीडिया संगठन कैसे चलाएं?
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सफल स्थानीय खोजी मीडिया संगठन चलाना आसान नहीं है। दिलचस्प खबरों के मामले में स्थानीय समाचार संगठनों की रैंकिंग अक्सर निचले पायदान पर होती है। ट्रेनों के विलंब से चलने और किसी की बिल्ली लापता होने जैसे स्थानीय समाचारों का अपना अलग महत्व है। लेकिन ऐसी खबरों के भरोसे आप बहुत आगे नहीं जा सकते। ऐसी खबरों के आधार पर आपको पुलित्ज़र जैसे बड़े पुरस्कार मिलने की संभावना कम है। कुछ युवा पत्रकारों के मन में चर्चित खबरें लिखने का बड़ा सपना होता है। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि कम ही लोग उन्हें पढ़ना चाहते हैं। यही कारण है कि विगत एक दशक में सैकड़ों स्थानीय अखबार बंद हो गए।
Mill Media में कुछ खास बातें हैं, जो उसे अलग बनाती हैं। इस मीडिया संगठन के ब्रिटेन में छह क्षेत्रीय अखबार और 17 रिपोर्टर हैं। ज़्यादातर युवा पत्रकार हैं। कुछ हाल ही में विश्वविद्यालय से निकले हैं। इसके संस्थापक जोशी हरमन हैं। उन्होंने वर्ष 2020 में इसे सबस्टैक न्यूज़लेटर के रूप में प्रारंभ किया था। सबस्टैक एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म होता है। यह पत्रकारों को अपने न्यूज के लिए भुगतान पाने की सुविधा देता है। जोशी हरमन ने सीआईजे समर कॉन्फ्रेंस 2025 में इससे जुड़े अनुभव सुनाए। अपने पहले ईमेल की जानकारी देते हुए कहा- “मैंने एक पोस्ट लिखी। इसमें मैंने एक नए अखबार के पक्ष में तर्क दिए थे। यह एक दुस्साहसिक प्रयास था। उस वक्त मैं एक अकेला व्यक्ति था। हमारा कोई कार्यालय नहीं था। कोई टीम नहीं थी। कोई फ्रीलांसर भी नहीं था।”
इस प्रयोग से पहले जोशी हरमन ने लगभग 12 साल तक पत्रकार के रूप में काम कर चुके थे। उन्होंने गहन फ़ीचर लेखन और खोजी कहानियों पर काम करने का आनंद लिया। इसके बाद उन्होंने स्थानीय समाचारों की पुरानी छवि को बदलकर उसे नया रूप देने का फैसला किया। नीरस कहानियों को छोड़कर लंबी रिपोर्टिंग की योजना बनाई। उन्होंने बताया- “मैंने स्थानीय समाचारों का एक ऐसा ब्रांड बनाने की कोशिश की, जो पहले से मौजूद खबरों से अलग लगे।”

मिल मीडिया के संस्थापक जोशी हरमन (बाएं से दूसरे) और उनकी संपादकीय टीम। स्टाफ लेखक जैक डुलहैंटी (बाएं), लेखिका डेनी कोल (दाएं बीच में) और वरिष्ठ संपादक सोफी एटकिंसन। इमेज: डेनी कोल
यह मॉडल बेहद सफल हुआ है। अब मैनचेस्टर, शेफ़ील्ड, लंदन, बर्मिंघम, लिवरपूल और ग्लासगो में 1,70,000 पाठक हैं। इनमें 11,000 सशुल्क ग्राहक हैं। हाल ही में उनकी दो खबरें ब्रिटेन के प्रतिष्ठित पॉल फुट पुरस्कार की दावेदार थीं। पहली स्टोरी एक लिवरपूल में चैरिटी आवास की खराब स्थिति को उजागर करने वाली चार खबरों की श्रृंखला थी। दूसरी खबर मैनचेस्टर शहर के एक अधिकारी द्वारा कोरोना महामारी में घोटाले संबंधी सात महीने की जांच पर आधारित थी।
हालांकि फंडिंग हासिल करना और गहन जांच पर आधारित खबरों के लिए पाठक वर्ग तैयार करना बड़ी चुनौती है। मिल मीडिया की निगरानी और खोजपूर्ण रिपोर्टिंग के कारण अक्सर नए पाठकों और ग्राहकों की एक नई लहर पैदा करती है। जोशी हरमन ने कहा- “हम ऐसी सामग्री प्रकाशित करते हैं जिसे तैयार करने में कई महीने और कभी एक साल से भी ज़्यादा समय लगता है। ऐसी स्टोरी आने पर हमें काफी संख्या में नए पाठक मिलते हैं। यह एक अच्छा संकेत है। ऐसी पत्रकारिता हमें फ़ायदेमंद साबित होती है।”
अपने अनुभवों के आधार पर उन्होंने एक सफल स्थानीय खोजी मीडिया संस्थान चलाने संबंधी सुझाव दिए। यह भी बताया कि वफ़ादार पाठक वर्ग बनाने लायक प्रभावशाली कहानियां कैसे तैयार की जाएं।
कहानी सुनाने की कला
जोशी हरमन ने अपनी बात की शुरुआत एक ऐसी चीज़ से की, जो कई बार नज़रअंदाज़ हो जाती है। वह है, कहानी सुनाने की कला। खोजी पत्रकारों के पास दस्तावेज़ों और साक्षात्कारों का भंडार होता है। ऐसे में यह सोचना मुश्किल होता है कि कहानी कैसे बताई जाए, जिससे पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव पैदा हो। मिल मीडिया की लेखन और संपादन प्रक्रिया में यह पक्ष काफी महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा- “आप किसी उपन्यासकार या नेटफ्लिक्स निर्माता की तरह सोचें। वे सबसे पहले यही सोचेंगे कि कहानी क्या है? कहानी में घुमाव क्या है? इसमें तनाव या दिलचस्पी कैसे पैदा हो? इसे कैसे सुलझाया जाएगा? इस कहानी में किरदार कौन हैं? खोजी पत्रकारों के लिए अपनी हरेक कहानी को ऐसी आदर्श कहानी में ढालना मुश्किल हो सकता है। लेकिन पाठकों को ढेर सारी जानकारी देना पर्याप्त नहीं। रोचक तरीके से कहानी सुनाना पाठकों के लिए ज़्यादा आकर्षक और दिलचस्प होता है।”
जोशी हरमन ने इसकी तुलना दोस्तों की आपसी बातचीत में कहानी सुनाने से की। किसी एक बात से शुरूआत होती है। एक टीज़र होता है कि कुछ रोमांचक होने वाला है। फिर आखिरी जानकारी तब दी जाती है जब सब अपनी सीटों से चिपके होते हैं। शुरुआत में सभी ज़रूरी जानकारी बता देना बेहद असामान्य होगा। चाहे उपन्यासकार हों, वृत्तचित्र निर्माता हों, या ड्रिंक्स के साथ साझा की जाने वाली कहानियां, सबमें यह ध्यान रखना होगा। पत्रकारों को ऐसी तकनीक के बारे में सोचने की ज़रूरत है, जो काफी आकर्षक हो।
दृश्य का निर्माण करें
कहानी कहने का एक और दिलचस्प तरीका है। अपने विवरण से किसी मुख्य तत्व को उठाकर ‘दृश्य’ बना दें। उन्होंने बताया- “आपने पत्रकारिता स्कूल कई मानक चीजें सीखी होंगी। खबर के साथ उद्धरण देना, तथ्यों की पुष्टि करना वगैरह। इसके साथ ही आप अपने शब्दों से किसी दृश्य का निर्माण करें। ऐसा करके आप किसी कहानी या व्यक्ति के बारे में बेहतर ढंग से बता सकते हैं।”
कहानियों का संपादन करते समय भी दृश्य निर्माण का प्रयास करें। उन्होंने कहा- “आप यह बताएं कि घटना कहां हुई? वहां कितने लोग थे? माहौल कैसा था? लोगों ने क्या पहना था? लोगों को क्या असामान्य लगा? आप पाठक को कुछ ऐसी जानकारी देकर वहां के माहौल की जानकारी दे सकते हैं।”
‘मैनचेस्टर के सबसे अच्छे शेफ हैं साइमन मार्टिन। लेकिन क्या वह एक खराब बॉस हैं?’ – जोशी हरमन ने वर्ष 2022 में मिल मीडिया के मैनचेस्टर संस्करण में प्रकाशित इस स्टोरी का उदाहरण दिया। इसमें 16 सूत्रों ने कार्यस्थल पर साइमन मार्टिन के अपमानजनक व्यवहार संबंधी शिकायत की। खबर के अनुसार साइमन मार्टिन एक शानदार शेफ हैं। वह मैनचेस्टर के एक शीर्ष रेस्टोरेंट का नेतृत्व करते हैं। लेकिन साथ ही वह एक अत्याचारी भी हैं। यह स्टोरी आने के बाद साइमन मार्टिन ने उन सभी 16 शिकायतकर्ताओं को अविश्वसनीय और असंतुष्ट पूर्व कर्मचारी बताकर खारिज कर दिया। कहा कि यह सारे लोग मेरे कैरियर को कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं।
इस कहानी में एक महत्वपूर्ण क्षण का वर्णन किया गया था। इसमें साइमन मार्टिन यह दिखावा कर रहे थे कि वह मोबाइल पर रेने रेडज़ेपी नामक डेनिश मिशेलिन-स्टार शेफ के साथ बात कर रहे हैं। इतने बड़े शेफ के साथ साइमन मार्टिन को बात करते देखना उनके कर्मचारियों के लिए गर्व की बात थी। लेकिन इसी बीच एक स्टाफ़ ने देखा कि साइमन मार्टिन के मोबाइल से किसी अन्य मोबाइल पर कोई बात नहीं हो रही। यह सिर्फ नौटंकी थी। दरअसल साइमन मार्टिन किसी से भी बात नहीं कर रहे थे। साइमन मार्टिन की कोई भी व्याख्या इस छोटी-सी तस्वीर जितनी अजीबोगरीब बात को बखूबी बयां नहीं कर सकती।
अपने किरदारों की तलाश
जोशी हरमन के अनुसार ऐसे किरदारों को खोजना ज़रूरी है, जो आपकी कहानी को दिलचस्प बना सकते हैं। अच्छी कहानी महान किरदारों पर टिकी होती हैं। खोजी पत्रकारों के लिए यह कोई पारंपरिक बात नहीं है। हमारी दिलचस्प कहानियों में एक बेहद मज़बूत केंद्रीय व्यक्ति होता है। लोग जब कोई कहानी पढ़ते हैं, तो जानना चाहते हैं कि कुछ खास परिस्थितियों का किसी व्यक्ति ने किस तरह सामना किया।
गुरपाल जज का शानदार उदय और पतन – जोशी हरमन ने अपनी इस स्टोरी का भी उदाहरण दिया। शेयर बाज़ार में निवेश और सामाजिक आवास क्षेत्र के अनुबंधों से जुड़ी एक स्टोरी पर काम चल रहा था। इस दौरान एक केंद्रीय चरित्र की तलाश की गई। एक ऐसा व्यक्ति, जो लोगों को एक जटिल कहानी की ओर आकर्षित कर सके। इस स्टोरी में गुरपाल जज नामक एक प्रॉपर्टी डीलर को केंद्रीय चरित्र बनाया गया। उसे एक बौद्ध आश्रम में एक प्रेरणा मिली कि बेघरों की समस्या का समाधान करना है। वह एक साधारण प्रॉपर्टी एजेंट था। लेकिन सामाजिक आवास क्षेत्र में एक प्रमुख हस्ती बन गया। जांच से पता चलता है कि गुरपाल की कंपनियां अंततः दिवालिया हो गईं।

लिवरपूल पोस्ट की रिपोर्टर अबी व्हिस्टेंस को यूके के पॉल फ़ुट पुरस्कार के लिए चुना गया था। उन्होंने एक हाउसिंग चैरिटी की जाँच की थी, जिसने निवासियों के लिए मुश्किल हालात पैदा किए। इमेज: स्क्रीनशॉट, यू-ट्यूब
जोशी हरमन ने कहा- “आपको यह देखना होगा कि बैकस्टोरी क्या है। वह आदमी कैसा है? क्या वह नेक इरादे वाला है जिसने नेकनीयती से काम किया, लेकिन बाद में कुछ गड़बड़ हो गई? पता चलता है कि वह कुछ ऐसा कर रहा था जिसके कारण लोग नरक जैसी आवासीय परिस्थितियों में रह रहे थे। उसके एक फ्लैट में एक महिला की मौत हो गई। लोग यह जानना चाहते हैं, क्योंकि यह एक चरित्र की कहानी है। कोई चरित्र आपको यह बताने की सुविधा देता है।”
“अगर आप चाहते हैं कि लोग शनिवार की सुबह बीस मिनट आपकी खबरें पढ़ें, तो बेहतर होगा कि आप उन्हें जल्दी से अपनी कहानी से जोड़ लें। आपको लोगों का ध्यान आकर्षित करना होगा। मुझे लगता है कि एक केंद्रीय चरित्र को कहानी के प्रारंभ में ही एक मानवीय चरित्र के रूप में पेश करना लोगों को कहानी से जोड् रखने का एक शानदार तरीका है।”
पाठकों को पर्दे के पीछे ले जाएं
क्या साचा लॉर्ड ने कोरोना फंड में चार लाख पाउंड की धोखाधड़ी की? – मिल मीडिया के मैनचेस्टर संस्करण में यह महत्वपूर्ण स्टोरी प्रकाशित हुई। मैनचेस्टर शहर के आर्थिक अधिकारी साचा लॉर्ड के बारे में एक गुप्त सूचना मिली। एक व्यक्ति ने दावा किया कि वह लॉर्ड की एक कंपनी में काम करता था। उसके पास इस बात के सबूत थे कि साचा लॉर्ड से जुड़ी कंपनी ने कोरोना महामारी के दौरान सरकार से लगभग चार लाख पाउंड की अवैध कमाई की थी। ‘द मिल’ ने इस पर कहानी प्रकाशित की। अगले ही दिन साचा लॉर्ड ने एक वकील के माध्यम से नोटिस भेज दी। कहानी को तथ्यात्मक रूप से गलत बताते हुए ‘द मिल’ पर मानहानि का मुकदमा करने की धमकी दी।

एक अधिकारी द्वारा मानहानि के मुकदमे की धमकी के बाद मैनचेस्टर मिल की पाठकों से अपील। इमेज: स्क्रीनशॉट, मैनचेस्टर मिल
‘द मिल’ ने कानूनी नोटिस का जवाब भेजने के बजाय इस धमकी को सार्वजनिक करने का फैसला लिया। नागरिकों से ‘तथ्य-जांच’ के लिए सूचना के अधिकार से मिले दस्तावेज़ अपने ग्राहकों के साथ साझा कर दिया जोशी हरमन ने कहा- “अपने पाठकों को इस प्रक्रिया में शामिल करना बहुत ज़रूरी है। मुझे लगा कि उनकी धमकियों के बारे में सार्वजनिक रूप से बताकर ही हम यह लड़ाई जीत सकते हैं। उनके पास काफी पैसा है। उन्हें मैनचेस्टर के मेयर एंडी बर्नहैम का समर्थन हासिल है। हमने अपने पाठकों से कहा- यह रहा दस्तावेज़। हमारी मदद करें।”
इसके बाद पाठकों ने ढेरों सुझाव भेजे। आने वाली जानकारियों पर पत्रकारों की टीम काम करती रही। इसमें अन्य क्षेत्रीय अखबारों के पत्रकार भी शामिल थे। तीन दिनों तक लगातार इस बारे में और ज़्यादा निंदनीय विवरण प्रकाशित किया गया। इससे स्पष्ट हो गया कि कैसे उन्होंने संबंधित संस्था को गुमराह किया था। अंततः साचा लॉर्ड ने अपनी क़ानूनी धमकी वापस ले ली।
“हम अपने दर्शकों को जोड़ने में सक्षम थे। हमने इस दौरान बहुत कुछ सीखा है। मैं फिर से ऐसा करना चाहूंगा। मुझे लगता है कि हम लोगों ने पूरा गणित ही बदल दिया। हम अचानक सार्वजनिक हो गए। यह उनके लिए बहुत शर्मनाक था। कोई भी ऐसा नहीं दिखना चाहता कि वह किसी स्वतंत्र मीडिया कंपनी को धमका रहा है।”
स्थानीय खोजी पत्रकारिता के भविष्य पर भी जोशी हरमन ने महत्वपूर्ण सलाह दी। कहा कि पत्रकारों को स्थानीय समाचारों के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलना होगा। भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए हमें स्थानीय पत्रकारिता के क्षेत्र में एक तरह के पुनर्जागरण करना होगा। हम जमीनी स्तर पर ऐसा होता देख रहे हैं। यह देखना वाकई बहुत अच्छा है।
एमिली ओ’सुलिवन: जीआईजेएन संसाधन केंद्र की शोधकर्ता हैं। उन्होंने बीबीसी पैनोरमा के लिए एक खोजी शोधकर्ता और बीबीसी न्यूज़नाइट के लिए सहायक निर्माता के रूप में काम किया है। उन्होंने सिटी, लंदन विश्वविद्यालय से खोजी पत्रकारिता में एमए किया है।
अनुवाद: डॉ. विष्णु राजगढ़िया