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डीप इंटरनेट रिसर्च: ओपन सोर्स और सत्यापन तकनीक

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आज दुनिया में तरह-तरह की भरपूर जानकारी उपलब्ध है। लेकिन कुछ जानकारियां दुर्लभ भी हैं। इन्हें खोजना एक जटिल काम है। इसके लिए आपको डीप इंटरनेट रिसर्च सीखना होगा। गहन इंटरनेट अनुसंधान में कुशलता किसी गोपनीय रास्ते से निकलने जैसा है। इस अध्याय में उन्नत अनुसंधान तकनीक की जानकारी दी गई है। इसमें ओपन सोर्स टूल और सत्यापन के तरीके शामिल है। डेटा का प्रभावी ढंग से उपयोग करके इंटरनेट की विशाल पहेलियों को सुलझाने के तरीके भी बताए गए हैं। इन्हें सीखकर आप ओपन सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) का उपयोग कर सकेंगे। इससे आप अनुसंधान में महारत हासिल कर सकते हैं। सटीक विश्लेषण भी कर पाएंगे।

डीप इंटरनेट रिसर्च क्या है?

गहन इंटरनेट रिसर्च को ‘ऑनलाइन अनुसंधान‘ भी कहते हैं। यह इंटरनेट के भीतर छिपी किसी जानकारी की तलाश है। यह जानकारी अधिक गहन, व्यापक और संवेदनशील होती है। ऐसी जानकारी तक पहुंचने के लिए विशिष्ट उपकरण और तरीकों की जरूरत होती है। इसके लिए नैतिक सिद्धांतों के प्रति समर्पण भी आवश्यक है।

एडवांस्ड इंटरनेट रिसर्च में क्या खास है? इससे जांच प्रक्रिया में उल्लेखनीय सुधार आता है। सामान्य इंजनों के माध्यम से आसानी से उस जानकारी तक पहुंच संभव नहीं होती। लेकिन आप वेब क्रॉलर और डेटा माइनिंग टूल का उपयोग करके बड़ी मात्रा में डेटा निकाल सकते हैं। सामान्य सर्च इंजनों की पहुंच से परे जाकर आप वेबसाइटों से विशेष जानकारी निकाल सकते हैं। उसका इन्डेक्स बना सकते हैं।

किसी विषय पर व्यापक समझ के लिए विभिन्न स्रोतों से डेटा निकालकर उसका क्रॉस-रेफ़रेंस करते हुए आपसी संबंध स्थापित करना जरूरी है। यह प्रक्रिया हमारी जानकारी का सत्यापन करती है। इस दौरान किसी विसंगति को उजागर करना और गहरी अंतर्दृष्टि हासिल करना भी संभव होता है।

 

ओपन सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) शब्द का उपयोग नया नहीं है। उन्नीसवीं शताब्दी से खुफिया सेवाओं में इसका उपयोग होता आया है। लेकिन अब पत्रकारों और इंटरनेट जगत में यह शब्द लोकप्रिय हो गया है। जानकारी की गहराई और व्यापकता के कारण इसे एक महत्वपूर्ण संसाधन समझा जाता है। यह जानकारी तक पहुंचने और विश्लेषण का नए तरीका है।

फोरेंसिक पत्रकार एक विशेष खोजी पत्रकार होता है। वह किसी जानकारी को उजागर करने, सत्यापन और विश्लेषण के लिए इन तकनीकों का उपयोग करता है। ऐसे पत्रकार सार्वजनिक डेटा पर फोरेंसिक परिशुद्धता लागू करते हैं। वे सूचना की उत्पत्ति का पता लगाने, छिपे हुए पैटर्न को उजागर करने और जटिल जांच में तथ्यों को सत्यापित करने के लिए उन्नत उपकरणों और पद्धतियों का उपयोग करते हैं। ओपनसोर्स इंटेलिजेंस का उपयोग करके एक फोरेंसिक पत्रकार सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा में किसी सच की तलाश करता है। सोशल मीडिया, उपग्रह चित्र और ऑनलाइन डेटाबेस में उपलब्ध ऐसे डेटा की जांच करके घटनाओं, व्यक्तियों या संगठनों की सच्चाई उजागर करने वाली खबर निकालता है। इन तरीकों के बगैर वह जानकारी छिपी रह सकती है। यह दृष्टिकोण आज के जमाने में काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि गलत सूचनाएं बड़े पैमाने पर मौजूद हैं। सत्ता को जवाबदेह बनाए रखने के लिए पारदर्शिता महत्वपूर्ण है।

माल्टेगो और गेफी को विशेष ओपन सोर्स इंटेलिजेंस टूल समझा जाता है। इनका उपयोग करने से आपको डेटा का दृश्य प्रतिनिधित्व बनाने की सुविधा मिलती है। इसके कारण आप ऐसे पैटर्न, रुझान और कनेक्शन की पहचान कर सकते हैं, जो सामान्य तौर पर दिखाई नहीं देंगे।

योजना बनाकर जांच करना

अनुसंधान और जांच एक मानसिक प्रक्रिया है। अनुसंधान के लिए आपका लक्ष्य क्या है? इसके आधार पर उपकरण और तकनीक में लगातार विकास होता है। आपको एक मजबूत खोजी मानसिकता विकसित करनी होगी। निम्नलिखित कदमों का पालन करके शोध की योजना बनाकर उस पर काम करना होगा।

चरण एक: अनुसंधान का लक्ष्य स्पष्ट करें

अपनी जांच का उद्देश्य स्पष्ट तौर पर निर्धारित करें। जैसे, किसी की पृष्ठभूमि की जांच करना, किसी की पहचान की पुष्टि करना, या संभावित खतरों की जांच करना। शुरू से ही अपने लक्ष्यों की पहचान करके आप शोध प्रक्रिया को सुव्यवस्थित कर सकते हैं। आपको जो विशेष जानकारी चाहिए, उसके अनुसार परिणाम पर ध्यान केंद्रित करें।

चरण दो: डेटा स्रोत निर्धारित करें

उन उपकरणों और तकनीकों की पहचान करें, जिनसे आवश्यक डेटा और जानकारी निकालने में मदद मिले। जैसे, आधिकारिक दस्तावेज़, सोशल मीडिया, अदालती रिकॉर्ड, अन्य प्रासंगिक स्रोत।

चरण तीन: कई तरीकों को जोड़कर सही राह चुनें

डेटा निकालने के लिए सही तरीकों और उपकरणों का चयन करना जरूरी है। इसके लिए कई ओपन सोर्स रिसर्च टूल उपयोगी हैं। वेब क्रॉलिंग और डेटा माइनिंग सॉफ़्टवेयर का उपयोग करें। जैसे, Scrapy । मेटाडेटा एक्सट्रेक्शन टूल, जैसे – EXIFTool। इनके अलावा ऐसे ब्राउज़र भी हैं, जिनके जरिए डार्क वेब तक पहुंच संभव है।

चरण चार: खुद की सर्च योजना डिज़ाइन करें

प्रत्येक जांच में अपने लक्ष्यों को पाने के लिए एक अनूठी योजना जरूरी है। यह योजना आपके पास मौजूद जानकारी और उपकरणों के साथ ही रास्ते में आपके द्वारा खोजे गए सुरागों के आधार पर अलग-अलग होगी। जांच के दौरान योजना के चरणों को समायोजित करने की आवश्यकता हो सकती है। नए साक्ष्य या अंतर्दृष्टि के अनुसार आप अपने दृष्टिकोण को परिष्कृत करके अपने उद्देश्यों पर बने रह सकते हैं। व्यक्तियों या स्थानों की पहचान करने के लिए आप सोशल मीडिया अनुसंधान से शुरुआत कर सकते हैं। ऐसा करके आप डेटाबेस, सदस्यता सेवाओं और अन्य छिपी हुई सामग्री तक पहुंच सकते हैं। अपनी पहचान उजागर किए बिना किसी गोपनीय जानकारी के लिए टोर ब्राउज़र का उपयोग करके डार्क वेब स्रोतों का पता लगा सकते हैं। डार्क वेब स्रोतों की खोज करने से पहले अपने संपादक से चर्चा करना या कानूनी सलाह लेना जरूरी है।

आप किसी जांच की शुरुआत एक कंपनी और उसके कर्मचारियों के सार्वजनिक रिकॉर्ड से कर सकते हैं। ऐसी जांच के बाद आपको अपराध रिपोर्ट और अदालती आदेशों की जांच करनी पड़ सकती है। प्रत्येक जांच में आगे का रास्ता कैसा होगा, यह प्रत्येक चरण में मिली जानकारी और संसाधनों पर निर्भर है।

व्यवसाय जांच योजना का उदाहरण। इमेज: लेखिका के सौजन्य से

चरण पांच: प्राप्त डेटा को क्रॉस-रेफरेंस करें

डेटा और जानकारी इकट्ठा करना आपकी जांच का अंतिम चरण नहीं है। अभी तो आप आधे रास्ते पर हैं। आपको मिली जानकारी की सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए डेटा को क्रॉस-रेफरेंस करना होगा। इस चरण में विभिन्न स्रोतों में दिनांक, नाम, स्थान और घटना इत्यादि विवरण का मिलान करना होगा। डेटा के सुसंगत होने की जांच आवश्यक है। इसमें किन्हीं विसंगतियों की पहचान करके आप उन त्रुटियों का पता लगा सकते हैं। उन पहलुओं का निर्धारण भी कर सकते हैं, जिन पर आगे की जांच जरूरी है। इस प्रक्रिया में सहायक साक्ष्य ढूंढना, स्रोतों की विश्वसनीयता का आकलन करना और मेटाडेटा और प्रासंगिक जानकारी का विश्लेषण करना भी शामिल है। जैसे, आप किसी वित्तीय धोखाधड़ी की जांच कर रहे हैं। इसमें विवरणों को सत्यापित करने और विसंगतियों की पहचान करें। इसके लिए बैंक लेनदेन रिकॉर्ड को कंपनी रिकॉर्ड और तीसरे पक्ष की पुष्टि के साथ सत्यापित करें।

चरण छह: डेटा विश्लेषण करके बिंदुओं को कनेक्ट करें

विभिन्न जानकारी मिलने और इसकी सटीकता सुनिश्चित करने के बाद अगला चरण शुरू होगा। इस डेटा का विश्लेषण करने और कच्चे डेटा को सार्थक अंतर्दृष्टि में बदलने के लिए अलग अलग बिंदुओं को जोड़ना होगा। इसके लिए पहले डेटा को व्यवस्थित और साफ़ करें। उसे एक संरचना में तैयार कर लें। इसके बाद आप प्रमुख पैटर्न और रुझानों की पहचान करके डेटा के विषयों और महत्वपूर्ण व्यवहारों को उजागर करना शुरू कर सकते हैं। यह प्रक्रिया आपको विभिन्न तत्वों को एक साथ जोड़ने में सक्षम बनाती है। इससे उन कनेक्शनों का खुलासा होता है जो पहले स्पष्ट नहीं दिख सकते हों।

चरण सात: निष्कर्ष को समझना

यह प्रक्रिया जांच के उद्देश्य संबंधी प्रमुख पहलुओं को दिखाने के लिए सभी विश्लेषण किए गए डेटा की समीक्षा से शुरू होती है। इसके बाद आप इन निष्कर्षों को जांच के व्यापक संदर्भ में रखते हैं। यह सुनिश्चित करते हैं कि वे प्रासंगिक और मूल्यवान दोनों हैं।

पाठकों तक अपने निष्कर्षों को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करना भी आवश्यक है। इसमें परिणामों को स्पष्ट और संक्षिप्त रूप से प्रस्तुत करना बेहतर है। आसानी से समझ के लिए चार्ट, ग्राफ़ और तालिकाओं का उपयोग करें। पाठकों के लिए समझने योग्य बनाने के लिए निष्कर्षों को सरल बनाएं। उन्हें तार्किक रूप से व्यवस्थित करें। सबसे महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि से शुरू करें। फिर अधिक विस्तृत अवलोकनों की ओर बढ़ें।

ओपन सोर्स डेटा को विज़ुअलाइज़ करने का उदाहरण: ग्राफ़ विज़ुअलाइज़ेशन का उपयोग करके व्यवसायों के बीच लिंक दिखाना। इमेज: स्क्रीनशॉट, कैम्ब्रिज इंटेलिजेंस

 

इंटरनेट डीप सर्च

आइए थोड़ा अभ्यास करें। अपनी ‘जासूसी‘ टोपी पहनें। उन स्थानों का नाम लिखें, जहां आप किसी खुफिया जानकारी के लिए जाएंगे।

आपने क्या लिखा? मैंने लिखा- गूगल, लिंक्डइन, टारगेट की वेबसाइट, एक्स/ट्वीटर, कंपनी पंजीकरण, अदालती रिकॉर्ड वेबसाइट। जानकारी निकालने के लिए कोई एक ही सही जगह पर्याप्त नहीं है।

ओपन सोर्स इंटेलिजेंस से तात्पर्य किसी व्यक्ति या संगठन के बारे में ऐसी जानकारी से है, जिसे हम कानूनी रूप से मुफ़्त, सार्वजनिक स्रोतों से एकत्र कर सकते हैं। इसमें पुस्तक, सार्वजनिक पुस्तकालय रिपोर्टों, मीडिया रिपोर्ट, प्रेस विज्ञप्ति और सोशल मीडिया की सार्वजनिक जानकारी भी शामिल है।

संपत्ति रिकॉर्ड, अदालती रिकॉर्ड, आपराधिक रिकॉर्ड और मतदान रिकॉर्ड सहित सार्वजनिक रिकॉर्ड मूल्यवान स्रोत हैं। भुगतान आधारित कुछ स्रोत अधिक जानकारी दे सकते हैं। साथ ही, कुछ उपकरण ओपन सोर्स के लिए अनुसार डिज़ाइन नहीं होने के बावजूद अब भी उपयोगी हैं। कुछ फ़ोरम, क्लासीफ़ाइड विज्ञापन और ब्लॉग पोस्ट इत्यादि के जरिए आपको टारगेट व्यक्ति या कंपनी के बारे में विस्तृत जानकारी मिल सकती है।

डीप सर्च की तकनीक और उपकरण

इंटरनेट पर गहन जांच के उपकरण लगातार विकसित हो रहे हैं। किसी में सबसे बड़ी पूंजी आपकी तकनीक और खोज योजना है। इसकी तकनीक आपके लक्ष्य के आधार पर तय होती है। आपको किसी व्यक्ति या व्यवसाय पर शोध करना हो, या किसी नकली दावे का सच उजागर करना हो, उस अनुसार तकनीक का उपयोग होगा।

व्यक्ति की खोज

व्यक्तियों की जानकारी के लिए कई रास्ते हैं। सार्वजनिक रिकॉर्ड, डेटाबेस, अदालती रिकॉर्ड, सोशल मीडिया खाते और उनकी ऑनलाइन गतिविधि प्रमुख स्रोत हैं। यहां प्रत्येक के बारे में गहराई से समझें।

सोशल मीडिया में व्यक्ति की खोज

सोशल मीडिया में आपको किसी व्यक्ति का पूरा इतिहास मिल सकता है। यह डेटा का खजाना है। सोशल मीडिया में आप अपने टारगेट के बारे में काफी व्यक्तिगत जानकारी पा सकते हैं। उसकी नौकरी की जानकारी, फोटो, वीडियो, पारिवारिक विवरण, फिटनेस ट्रैकर डेटा, वह कहां-कहां गया जैसी काफी जानकारी मिल सकती है।

यूजर नेम के जरिए आप सोशल मीडिया में उस व्यक्ति की पहचान कर सकते हैं। यह भी पता चल सकता है कि वह व्यक्ति कौन से सोशल मीडिया एप्लिकेशन का उपयोग कर रहा है। इसके लिए ‘नेम सीएचके डॉट कॉम’ (Namechk.com) और ‘यूजर-सर्चर’ (User-Searcher) जैसी वेबसाइट का उपयोग करें। इनसे पता चल जाएगा कि आपके टारगेट का कोई यूजर नेम उपलब्ध है, या नहीं। यह जांच करना होगा सोशल मीडिया का वह एकाउंट उसी व्यक्ति का है, अथवा नहीं। इसमें समान शब्द वाले तथा नकली खाते भी मिल सकते हैं।

इमेज: स्क्रीनशॉट, यूजर सर्चर

अपने टारगेट व्यक्ति के परिजनों और दोस्तों का सोशल मीडिया एकाउंट भी देखें। इसमें भी आपको उस व्यक्ति के बारे में उपयोगी जानकारी मिल सकती है। जैसे, उनके बच्चों के नाम, उनका स्थान, घर का पता, ईमेल पता, फोन नंबर, बैंकिंग जानकारी इत्यादि। अलग-अलग प्लेटफ़ॉर्म पर आपको कई प्रकार की सोशल मीडिया सामग्री मिलेगी, जो उपयोगी हो सकती है। इनमें उस व्यक्ति की पोस्ट या टिप्पणी, परिजनों या दोस्तों के उत्तर, सामाजिक संबंधों, कार्यक्रमों तथा उनकी पसंद इत्यादि की जानकारी देने वाले वीडियो या फोटो भी मिल सकते हैं। मेटाडेटा जैसा टाइम स्टैम्प भी मिल सकता है।

मैं एक कंपनी के निदेशक की जांच कर कर रही थी। इस दौरान एक साइट पर मुझे देखने को मिला कि वह अपने दोस्तों के साथ फंतासी फुटबॉल की बात कर रहा था। इस साइट पर लोग वास्तविक खिलाड़ियों के आधार पर काल्पनिक टीमें बनाकर दोस्तों के साथ प्रतियोगिता करते हैं। इस साइट के कारण मुझे काफी उपयोगी जानकारी मिल गई। पता चल गया कि वह निदेशक हर गुरुवार की रात को कहाँ जाता है। उसके दोस्तों का विवरण भी मिल गया। सार्वजनिक रूप से साझा की गई तस्वीरों, वीडियो और दस्तावेज़ों में जानकारी के कई स्रोत थे। यह सारी चीजें मेरी जांच के लिए उपयोगी थी।

सोशल मीडिया पोस्ट की जांच के दौरान थ्रेड्स की गहराई में जाएं। केवल मूल पोस्ट के बजाय पूरी बातचीत की जांच करें। इससे आपको अधिक प्रासंगिक जानकारी मिल सकती है। सामाजिक अंतःक्रिया में कई तरह की गतिविधियां शामिल हो सकती हैं।

एक उदाहरण देखें। एक महिला ने सोशल मीडिया पर अपनी नई कार और लाइसेंस प्लेट की तस्वीर डाली। कैप्शन में लिखा- ‘अलविदा, कैलिफ़ोर्निया! नमस्ते, न्यू हैम्पशायर।‘ वह महिला उत्साह के साथ अपने सोशल नेटवर्क के लोगों को अपनी पहली कार दिखाना चाहती थी। हालांकि, मेरे ओपन सोर्स जांच दिमाग ने अनजाने में साझा की गई जानकारी का खजाना देख लिया। उस महिला ने सार्वजनिक रूप से दो राज्यों की जानकारी दी थी। वहां के सार्वजनिक रिकॉर्ड से उस महिला के बारे में अतिरिक्त जानकारी मिल सकती है। एक सामान्य पासवर्ड रीसेट प्रश्न का उत्तर : आपकी पहली कार का मेक और मॉडल या रंग क्या है? डीएमवी रिकॉर्ड को क्रॉस-रेफरेंस करने के लिए एक लाइसेंस प्लेट। फोटो में जियोलोकेशन डेटा उसके नए घर की ओर इशारा करता है। ऐसी जानकारी जिसका उपयोग किसी नकल के लिए किया जा सकता है।

फोटो में मौजूद जीपीएस कोर्डिनेट में मेटाडेटा मिल सकता है। तस्वीरों के छोटे विवरण भी मूल्यवान हो सकते हैं। स्मार्टफ़ोन या आधुनिक कैमरे से ली गई तस्वीरों के बारे में जानकारी निकालने के लिए ईएक्सआईएफ फ़ॉर्मेटिंग का उपयोग होता है। इसमें डेटा की जांच करके शटर गति, एक्सपोज़र मुआवजा, टाइमस्टैम्प और तस्वीर कैसे ली गई तथा अन्य तकनीकी जानकारी मिल सकती है। यदि कैमरे में जीपीएस है, तो अधिकांश स्मार्टफ़ोन की तरह आपको लेटीट्यूड और लोंगीट्यूड की सही जानकारी भी मिल सकती है।

डेटा एग्रीगेटर वेबसाइट में व्यक्ति की खोज

कुछ वेबसाइट विभिन्न स्रोतों से व्यक्तिगत डेटा एकत्र करती हैं। डेटा को ऐसे व्यवस्थित प्रारूप में प्रस्तुत करती हैं, जिससे किसी व्यक्ति की जांच करने में सहायता मिलती है। Pipl और  Spokeo कुछ फीस लेकर यह काम करती है। Radaris और ज़बासर्च ZabaSearch में अमेरिकी निवासियों के बारे में सार्वजनिक और निजी डेटाबेस के जरिए पृष्ठभूमि जांच, संपर्क तथा अन्य जानकारी मिल सकती है।

इमेज: स्क्रीनशॉट, पीआईपीएल

इमेज: स्क्रीनशॉट, रैडारिस

इमेज: स्क्रीनशॉट, ज़बासर्च

कंपनी या संगठन की जानकारी निकालना

किसी कंपनी या संगठन को विभिन्न कानूनों के तहत सरकारी एजेंसियों के पास अपने कई विवरण एवं दस्तावेज जमा कराना आवश्यक होता है। वित्तीय संगठनों में अतिरिक्त फाइलिंग करनी पड़ती है। ऐसे दस्तावेज आम तौर पर जनता के लिए निःशुल्क उपलब्ध होते हैं। ये दस्तावेज़ उस कंपनी या संगठन के संस्थापकों या अधिकारियों के बारे में विवरण प्रदान करते हैं। अपनी जांच में आप इनका उपयोग कर सकते हैं।

इमेज: स्क्रीनशॉट, कंपनी हाउस/जीओवी डॉट यूके

विभिन्न देशों की वेबसाइटें ऐसे दस्तावेज़ प्रकाशित करती हैं। यूके में Companies House और स्विट्जरलैंड में DNB का उदाहरण देख सकते हैं। कई देशों में कंपनियों की जानकारी के लिए अतिरिक्त संसाधन हैं। ओसीसीआरपी जांच डैशबोर्ड या मुफ्त सेवा Open Corporates भी उपयोगी हैं। भारत में एमसीए डॉट जीओवी डॉट इन पर कंपनियों की जानकारी मिल सकती है। भारत में नीति आयोग के एनजीओ दर्पण में स्वयंसेवी संगठनों का डेटा मिल सकता है।

इमेज: स्क्रीनशॉट, ओसीसीआरपी

इमेज: स्क्रीनशॉट, ओपन कॉरपोरेट्स

किसी व्यवसाय पर शोध में भी सोशल मीडिया उपयोगी है। अधिकांश कंपनियां सोशल नेटवर्क पर अपनी आधिकारिक उपस्थिति बनाए रखती हैं। किसी सोशल मीडिया अकाउंट की प्रामाणिकता पर संदेह हो, तो उस कंपनी की वेबसाइट पर उसके आधिकारिक सोशल मीडिया पेज के लिंक मिल जाएंगे। इनमें वीडियो, फोटो और पोस्ट की जांच करें। अतिरिक्त जानकारी के लिए टिप्पणी थ्रेड और समीक्षाओं पर विशेष ध्यान दें।

अभ्यास : Companies House में जाकर एक कंपनी की जानकारी निकालें। ‘ब्रोस ब्रदर्स इंटरनेशनल लिमिटेड‘ एक सक्रिय कंपनी है या नहीं? इस पर प्रमुख नियंत्रण रखने वाले व्यक्ति कौन हैं? भारत में इस तरह की जानकारी एमसीए डॉट जीओवी डॉट इन पर उपलब्ध हो सकती है। 

किसी संगठन के इतिहास संबंधी पुराने व्यावसायिक रिकॉर्ड में आमतौर पर काफी मूल्यवान ओपन सोर्स डेटा होता है। इसमें संस्थापक अपने व्यक्तिगत डेटा जैसे फ़ोन नंबर, भौतिक पते और ईमेल पते का उपयोग करते हैं। किसी संगठन के आरंभ में ऐसी सूचनाओं की गोपनीयता अक्सर उनकी प्राथमिकता नहीं होती है। इसलिए एक खोजी पत्रकार को इन सूचनाओं का लाभ मिल सकता है।

कर्मचारी खोज

किसी संगठन का ओपनसोर्स डेटा देखने के लिए कई उपयोगी साइटें हैं। जैसे- Glassdoor, डन और ब्रैडस्ट्रीट, हूवर्स। यूएस पेटेंट, ट्रेडमार्क ऑफिस, बेटर बिजनेस ब्यूरो भी देख सकते हैं।

इमेज: स्क्रीनशॉट, ग्लासडोर

लिंक्डइन काफी शक्तिशाली सर्च इंजन है। एक वेबसाइट के रूप में यह कर्मचारी अनुसंधान के लिए तैयार है। इसके सर्च फ़ॉर्म में आपको नाम, स्थान, विश्वविद्यालय, उद्योग और आपसी संपर्कों के आधार पर खोजने की सुविधा है।

इमेज: स्क्रीनशॉट, लिंक्डइन

अभ्यास: युगांडा में यूएनएचसीआर से जुड़े डॉक्टरों को खोजने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करें।

सार्वजनिक रिकॉर्ड और डेटाबेस

सार्वजनिक रिकॉर्ड और डेटाबेस जानकारी के संग्रह तक कोई भी पहुंच सकता है। इसे आमतौर पर सरकारी निकायों, विश्वविद्यालयों या अन्य संगठनों द्वारा प्रबंधित किया जाता है। इनमें अदालती रिकॉर्ड, संपत्ति दस्तावेज, कंपनी की वित्तीय रिपोर्ट, अकादमिक शोध जैसे दस्तावेज़ शामिल हैं। ये स्रोत खोजी पत्रकारिता के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह तथ्यों की जांच करने, छिपे हुए विवरणों की खोज करने और ठोस कहानियां बनाने में मदद करते हैं।

कई अकादमिक डेटाबेस में शोधपत्र मिल जाते हैं। इनमें ऐतिहासिक अंतर्दृष्टि और गहन विश्लेषण उपलब्ध है। जैसे –JSTOR, ProQuest और Google Scholar। कुछ न्यूज आर्काइव या अभिलेखागार भी उपयोगी हैं। आप वर्षों के मीडिया कवरेज के जरिए लोगों, कंपनियों या घटनाओं का इतिहास जान सकते हैं। जैसे- LexisNexis और Factiva

अदालती दस्तावेज़ों के लिए सार्वजनिक रिकॉर्ड PACER उपलब्ध है। इसमें प्रति पृष्ठ शुल्क लगता है। CourtListener नामक साइट पर लाखों रिकॉर्ड मुफ़्त उपलब्ध हैं।

कंपनी के वित्त के लिए अमेरिकी सुरक्षा और विनिमय आयोग (एसईसी) फाइलिंग में कानूनी और कॉरपोरेट गतिविधियों की जानकारी मिलती है। कुछ देशों में आप अनुरोध करके ऐसे डेटाबेस तक पहुंच सकते हैं। यूके में सरकारी वेबसाइट में ऐसी पहुंच के लिए आवेदन कर सकते हैं। स्थानीय सरकारी साइटें संपत्ति लेनदेन और व्यवसाय लाइसेंस जैसे महत्वपूर्ण रिकॉर्ड भी उपलब्ध कराती हैं। किसी सच को उजागर करने में पत्रकारों के लिए ये उपकरण अमूल्य हैं।

अभ्यास : अमेरिका में वर्ष 2022 में नैट रहन नामक अदालती मामला किस कंपनी के खिलाफ दायर किया गया था? पता लगाएं।

गूगल डॉर्किंग

‘गूगल डॉर्किंग‘ या ‘गूगल हैकिंग‘ शब्द का उपयोग एडवांस सर्च के लिए किया जाता है। ऐसी जानकारी, जो सामान्य सर्च में नहीं मिल पाती। इसमें छिपी हुई या ठीक से सुरक्षित न की गई जानकारी का पता लगाने के लिए सटीक खोज क्वेरी लिखना पड़ता है। इस तरह विस्तृत जानकारी एकत्र की जाती है, जो खोजी रिपोर्टिंग के लिए महत्वपूर्ण है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि डॉर्किंग अवैध नहीं है।

एक उदाहरण देखें। डॉर्किंग में आपकी खोज को सटीक बनाने के लिए कमांड का उपयोग करना शामिल हैः

  • साइट : एक्जाम्पल डॉट कॉम पर site:example.com “confidential” – ऐसे पेज ढूंढता है जिनमें ‘कॉन्फीडेंशियल‘ शब्द शामिल हो।
  • फ़ाइल टाइप : filetype:pdf “financial report” – यह ‘वित्तीय रिपोर्ट‘ की ऐसी पीडीएफ फाइल ढूंढती है, जिसमें ‘फाइनेंसियल रिपोर्ट‘ लिखा हो।
  • आईएनयूआरएल : inurl:admin – यह किसी यूआरएल में ‘एडमिन‘ वाले पेज खोजता है, जो वेबसाइट के प्रशासनिक अनुभागों से संबंधित होते हैं।
  • इनटाइटल :  intitle:”index of” – यह फ़ाइलों की डायरेक्टरी और लिस्ट ढूंढता है।

खोजी पत्रकारिता के लिए ‘गूगल डॉर्किंग‘ एक शक्तिशाली तकनीक है। यह पत्रकारों को ऐसा डेटा खोजने की सुविधा देती है, जो अन्यथा छिपा रहता। इन उपकरणों का जिम्मेदारी से उपयोग करें। यह सुनिश्चित करें कि प्राप्त जानकारी का उपयोग कानूनी और नैतिक तरीके से हो।

डार्क वेब

‘डार्क वेब‘ सूचना का खजाना है। यह ऐसे डेटा, पासवर्ड और विवरणों से भरी साइटें होती हैं, जिन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाना था। इन्हें साइबर अपराधियों का केंद्र समझा जाता है। लेकिन ओपन सोर्स इंटेलिजेंस जांच करने वालों के लिए भी यह सुलभ है। हालांकि डार्क वेब का उपयोग करते समय बेहद सतर्क रहना आवश्यक है। यह अवैध गतिविधियों से भरा काम है। एक गलत क्लिक से गंभीर कानूनी मामले आ सकते हैं। आपकी साइबर सुरक्षा पर खतरा आ सकता है।

डार्क वेब को सुरक्षित रूप से नेविगेट करने के लिए ‘टोर‘ जैसा ब्राउज़र उपयोगी है। यह आपके ट्रैफ़िक को दुनिया भर के कई प्रॉक्सी सर्वरों के माध्यम से रूट करता है। इसके कारण आपकी गतिविधि को ट्रैक करना लगभग असंभव हो जाता है।

एक उदाहरण देखें। कोई खोजी पत्रकार एक राजनीतिक भ्रष्टाचार की जांच कर रहा है। संभव है कि वह किसी ऐसे फ़ोरम पर पहुंच जाएं, जहां व्हिसल ब्लोअर उस मामले संबंधी गोपनीय फ़ाइलें डार्क वेब पर साझा कर रहा हो। यह फाइलें उस पत्रकार के काम आएंगी।

लेकिन ऐसी जानकारी प्राप्त करना खतरे से खाली नहीं है। एक विकल्प Hunchly Report की निःशुल्क सदस्यता लेना है। इसमें आपको सक्रिय छिपी हुई सेवाओं और लिंक की दैनिक सूची मिलती है। इस तरह आपको डार्क वेब पर नेविगेट करने में घंटों खर्च नहीं करना पड़ेगा। इसमें सफल होने के लिए आपको खुले विचारों वाला तथा रचनात्मक होना चाहिए। आपको अपने खोजी कौशल का उपयोग करना होगा। इस रास्ते पर जाने से पहले किसी वकील या अपने संपादक से परामर्श जरूरी है।

प्राप्त जानकारी का सत्यापन

सोशल मीडिया के जमाने में आज हम गलत सूचनाओं और दुष्प्रचार से घिरे हुए हैं। कुछ सूचनाएं तथ्यों को विकृत करके जनता को गुमराह करती है। कुछ मामलों में हिंसा को बढ़ावा मिलता है। आज पत्रकारिता सत्य खोजने और समाचारों की पुष्टि करने पर केंद्रित है। इसलिए हमें प्राप्त सामग्री की गुणवत्ता का सत्यापन और आकलन करने की कला सीखनी होगी।

रेखांकन: शेरीन शेरिफ़ फ़हमी यूसुफ़

सत्यापन में चार मुख्य पहलू हैं:

  • स्रोत : क्या यह स्रोत भरोसेमंद है?
  • प्रामाणिकता : क्या यह सामग्री वास्तविक है?
  • स्थान : क्या यह स्थान सटीक है?
  • समय : क्या दावा की गई तारीख सही है?

फोटो का सत्यापन

चरण एक: रिवर्स इमेज सर्च

कई बार कोई फोटो एडिट करके बदली गई होती है। असली और नकली फोटो का फर्क करना जरूरी है। कोई तस्वीर नई है या पहले इंटरनेट पर प्रकाशित हो चुकी है, इसका पता लगाया जा सकता है। इसके लिए गूगल इमेजेज, बिंग तथा अन्य सर्च इंजन पर ‘रिवर्स इमेज सर्च‘ कर सकते हैं। इनमें आप कोई फोटो अपलोड कर सकते हैं। वह नई है या पुरानी, इसका पता चल सकता है। उसे जिस मामले से संबंधित बताया गया है, वह सही है या गलत, यह पता चल ताएगा। यदि वह किसी अन्य घटना या स्थान की फोटो हो, तब भी पता लग सकता है। रिवर्स इमेज सर्च केवल तभी काम करता है, जब फोटो ऑनलाइन मौजूद हो।

चरण दो: यह कहां है?

किसी फोटो की असलियत जानने के लिए यह समझना जरूरी है कि वह किस लोकेशन की है। फोटो के दृश्य पर ध्यान देकर तथा सर्च करके पता लगाने का प्रयास करें कि फ़ोटो कहाँ ली गई थी। इमेज में कोई संकेत, चिन्ह या शब्द हो, तो उसका मतलब समझने की कोशिश करें। अन्य भाषा का शब्द हो तो उसका अनुवाद करने से भी इस प्रक्रिया में मदद मिल सकती है।

अभ्यास: नीचे एक मूर्ति की तस्वीर है। इसका सटीक स्थान ढूंढने का प्रयास करें। कृपया उस स्थान के कॉर्डिनेट्स का पता लगाएं, जहां यह फोटो ली गई।

इमेज: शटरस्टॉक

चरण तीन: फोटो की प्रामाणिकता जांचें

अब काफी तस्वीरें फ़ोटोशॉप करके बनाई गई होती हैं। आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस (एआई) से भी फोटो बनती है। नई तकनीक के जरिए किसी भी इमेज में हेरफेर किया जा सकता है। एआई से जेनरेट किया जा सकता है। इस लिंक में एक उदाहरण पढ़ें । एफिल टॉवर में आग लगने की फर्जी तस्वीर वायरल हो गई।

कोई फोटो असली है, या फर्जी? इसका पता लगाने के लिए उस फोटो को इस वेबसाइट पर अपलोड करें – https://fotoforensics.com/

एक अन्य वेबसाइट भी उपयोगी है- https://www.fakeimagedetector.com/#google_vignette

इमेज: स्क्रीनशॉट, फेक इमेज डिटेक्टर

नीचे एक उदाहरण देखें। इसमें बच्चे के हाथ में छह उंगलियां हैं। इससे लगता है कि यह इमेज प्रामाणिक नहीं है। छह उंगलियों वाले लोग बहुत कम होते हैं। इसके अलावा, शर्ट पर दिख रहा फ़िलिस्तीनी झंडा भी सटीक नहीं है।

चेहरे की पहचान

किसी जांच में आपको चेहरे का सत्यापन करने की आवश्यकता पड़ सकती है। कोई फोटो जिस व्यक्ति की बताई जा रही है, वह वास्तव में उसी व्यक्ति की है या नहीं, इसका पता लगाना होगा। इसके लिए आप Pimeyes.com में बायोमेट्रिक फेसियल सर्च कर सकते हैं। search4faces.com तथा ‘Facecheck.id जैसे मुफ़्त विकल्प भी हैं।

इस अध्याय की लेखिका की फोटो सर्च का उदाहरण देखें।

इमेज: शेरीन शेरिफ फहमी यूसुफ

इमेज: स्क्रीनशॉट, पिमआइज

बायोमेट्रिक खोज के दौरान विभिन्न फ़ोटो का उपयोग करें। फोटो के ब्राइटनेस, कंट्रास्ट और शार्पनेस को एडजस्ट करें। साथ ही, मूल स्रोत से बेहतर गुणवत्ता वाली तस्वीर खोजें।

अभ्यास : यह आदमी कौन है?

इस फोटो को अपने डेस्कटॉप पर डाउनलोड करें। इसके बाद Facecheck.id से पता लगाएं कि यह किसकी फोटो है।

दो फोटो में चेहरे की तुलना

 

किसी जांच में आपको यह पता लगाना पड़ सकता है कि दो फोटो किसी एक ही व्यक्ति की है, अथवा नहीं। यह दो चेहरों की तुलना करना है। इसके लिए आप उपयोगी टूल हैं- Amazon Rekognition, FacePlusPlus, MXFace । हालांकि इन सेवाओं में शुल्क शामिल हो सकता है। यदि दो तस्वीरों के बीच समानता 80 प्रतिशत से ऊपर है, तो आप परिणामों का उपयोग करने में आश्वस्त हो सकते हैं।

पत्रकारिता में यह सॉफ़्टवेयर काफी उपयोगी है। इसका एक उदाहरण बीबीसी के इस लेख में देखें। इसमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की वर्ष 2016 की एक फोटो है। इसमें वह एक नाव पर मछली पकड़ने वालों जैसी पोशाक पहने लोगों के साथ हैं। उन्हीं लोगों के साथ एक व्लादिमीर पुतिन की एक अन्य फोटो वर्ष 2017 में चर्च सेवा के दौरान भी खींची गई। चेहरे की पहचान करने वाले सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके दोनों फोटो की जांच की गई। नाव पर मौजूद लोगों के चेहरों और चर्च में मौजूद चेहरों की तुलना की गई। दोनों फोटो में सभी चार पुरुषों और सभी महिलाओं के लिए 99 प्रतिशत से अधिक समानता स्कोर प्राप्त हुआ। इससे साबित हुआ कि पुतिन ने विभिन्न अवसरों पर कुछ खास लोगों का उपयोग अलग-अलग भूमिका में किया।

इमेज: स्क्रीनशॉट, बीबीसी

वीडियो का सत्यापन

वीडियो सत्यापित करने में इन प्रश्नों का उत्तर खोजना है- कौन? क्या? कब? कहाँ? क्यों? कैसे?

Youtube DataViewer के द्वारा स्वचालित रूप से यू-ट्यूब वीडियो का विश्लेषण हो सकता है। हालांकि, कई ओपनसोर्स इंटेलिजेंस टूल की तरह इसे बंद कर दिया गया है। लेकिन प्लग-इन के रूप में एक समान टूल उपलब्ध है। उसे आप अपने इंटरनेट ब्राउज़र में जोड़ सकते हैं – InVID Verification Plugin यह प्लग-इन वीडियो को रिवर्स कर सकता है। यह कई जानकारी प्रदान कर सकता है। जैसे- वीडियो का मेटाडेटा। इसका उपयोग फोटो के लिए भी हो सकता है।

दूसरा तरीका वीडियो से मुख्य फ्रेमों के स्क्रीनशॉट लेकर रिवर्स इमेज सर्च करना है। इसके लिए Google Images का उपयोग करें। इससे पता चल सकता है कि वीडियो पहली बार कब सामने आया? क्या यह किसी अन्य स्थान या घटना से जुड़ा है?  यह जानकारी मिलने के बाद आप वीडियो में ही सुराग ढूंढना शुरू कर सकते हैं। इससे स्थान और समय की पुष्टि करने में मदद कर सकती है।

एक उदाहरण देखें। बीबीसी की ओर से हमने इस वीडियो का सत्यापन किया। इसे लीबिया में आई बाढ़ वीडियो बताया गया था। हमें इसका सत्यापन करना और इसके स्थान का पता लगाना था।

इसके सत्यापन के लिए हमारे पास क्या सुराग था?

ट्वीटर पर पोस्ट किए गए इस वीडियो में ‘डर्ना‘ तथा ‘अल मगहर‘ नामक स्थान का उल्लेख किया गया है। इसलिए हमने अपनी जांच के लिए इसे पहला सुराग माना। इस स्थान की जांच के लिए मानचित्र को देखकर शुरुआत की। इसके बाद हमने ऐसे व्यावसायिक ठिकानों की तलाश की जिनमें न्यूनतम 31 सुरक्षा कैमरे लगे हों। वीडियो शॉट्स आप में देख सकते हैं कि यह 31वें नंबर पर है।

क्या यह डर्ना मेडिकल सेंटर है?

उनके पास सुरक्षा कैमरे हैं।

 

फेसबुक फोटो 

अन्य सुरागों का मिलान किया गया। जैसे सीढ़ियां, सफ़ेद और काला संगमरमर, सीढ़ी की रेलिंग।

 

अभ्यास : इस लिंक के वीडियो का सत्यापन करें।

https://x.com/M_I_S_R_I/status/1758608074145763569?s=46&t=nkmvHV0exAXoP2Nuj3-oPw

ध्यान रहे कि सत्यापन कौशल विकसित करने और इसकी तकनीक से परिचित होने के लिए आपको अभ्यास करना होगा।

इन उपकरणों के उपयोग कैसे करें? पत्रकारिता में इनका उपयोग कैसे हो? इस पर कुछ अन्य जानकारी नीचे दी गई है। जरूरत हो तो आप कुछ लेखों का अंग्रेजी में गूगल अनुवाद कर सकते हैं।

फ़िलिस्तीनी ने बताया कि इज़रायली सेना ने उसके कपड़े उतारकर भगा दिया गया 

ट्रम्प ने गलत दावा किया कि हैरिस की भीड़ नकली थी )।

बीबीसी ने दक्षिण गाजा के ‘सुरक्षित‘ इलाकों में हमलों की पुष्टि की

बीबीसी वेरिफाई ने रूस में यूक्रेन की घुसपैठ के फ़ुटेज का विश्लेषण किया

गाजा अस्पताल में मिली सामूहिक कब्रों के बारे में क्या पता चला ? (पुर्तगाली में)

अल-शिफा कॉम्प्लेक्स में कैदियों की तस्वीरों और सर्जिकल बिल्डिंग पर बमबारी का सच? (अरबी में)

इस आखिरी लेख का उदाहरण देखें। तस्वीरों में गाजा के अल-शिफा अस्पताल में डॉक्टरों और नर्सों को इजरायली सैनिकों द्वारा गिरफ्तार करके कपड़े उतारने के बाद दिखाया गया है। लेकिन यह सच नहीं है। ये तस्वीरें गाजा के उत्तर में बेत लाहिया में इंडोनेशियाई अस्पताल के पास, कुवैत हाईस्कूल फॉर गर्ल्स के अंदर एक इजरायली सैनिक द्वारा ली गई थीं।

हमने उसी घटना की एक अन्य तस्वीर के जरिए उस जगह की विशेषताओं की जांच की।

अंतिम सुझाव

  • अन्य स्रोतों से मिली जानकारी को हमेशा दो-तीन बार जांचें।
  • यदि किसी कंपनी या व्यक्ति की इंटरनेट में खास उपस्थिति नहीं, तो निराश न हों। यदि आपका टारगेट कोई संगठन है, तो उससे जुड़ा कोई व्यक्ति ऐसी जानकारी पोस्ट कर सकता है, जो आपके लिए उपयोगी हो। आपको बस लगातार सर्च करते रहना होगा। व्यक्तियों पर शोध करते समय, मुझे कई बार लोगों की इंटरनेट में उपस्थिति बेहद कम मिली। उस दौरान मैं सोचती थी कि शायद मैं किसी भूत का पीछा कर रही हूं। इसके बावजूद यदि आप ध्यान से देखेंगे तो जानकारी के छोटे-छोटे टुकड़े मिल सकते हैं।
  • खुद से पूछते रहें कि यह डेटा आपको टारगेट के बारे में क्या बताता है। जानकारी के टुकड़े इस पहेली में कैसे फिट होते हैं? प्रत्येक व्यक्ति अलग है। यदि आप डेटा को खुद से बात करने दें तो वह अपनी कहानी बता सकता है।
  • आप जब ओपन सोर्स इंटेलिजेंस का उपयोग शुरू करते हैं, तो एक लॉगशिट बनाएं। उपयोगी स्रोतों की सूची बनाना अच्छा तरीका है। BBC Africa Eye द्वारा संकलित ओपनसोर्स इंटेलिजेंस की सूची देखें।

शेरीन शेरिफ़ फ़हमी यूसुफ बीबीसी की वरिष्ठ खोजी पत्रकार हैं। वह खोजी पत्रकारिता में ओएसआइएनटी इंटेलिजेंस टूल्स और डेटा विश्लेषण के उपयोग में विशेषज्ञ हैं। शेफ़ील्ड विश्वविद्यालय से संचार, पत्रकारिता और संबंधित कार्यक्रमों में मास्टर डिग्री की है। वर्तमान में बीबीसी न्यूज़ अरबी में एक वरिष्ठ फोरेंसिक ब्रॉडकास्ट पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। इससे पहले उन्होंने सूडान में युद्ध पर केंद्रित डिजिटल और प्रसारण सामग्री निर्माण टीम में वरिष्ठ निर्माता के बतौर कार्य किया।

अनुवाद: डॉ. विष्णु राजगढ़िया

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