Отмывание денег в странах Азии. Иллюстрация: Nyuk для GIJN.

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एशिया : सरकारी खजाने की लूट पर साझा खोजी पत्रकारिता

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अवैध धन का प्रवाह अब नियमित रूप से देशों की सीमाओं को पार कर रहा है। एशिया में भी इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। इस क्षेत्र के खोजी पत्रकारों ने इससे जुड़ी महत्वपूर्ण ख़बरें उजागर की हैं। इनमें सत्तावादी लुटेरों, जुए के एक नए केंद्र और अवैध धन को छिपाने के विशाल नेटवर्क सहित अन्य वित्तीय गड़बड़ियों का पर्दाफ़ाश हो रहा है।

एशिया में प्रेस स्वतंत्रता की वर्तमान स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण है। इसके बावजूद यहां ऐसी साझा खोजी पत्रकारिता हो रही है, जिसने भ्रष्टाचार का पर्दाफ़ाश करके सत्ता को जवाबदेह ठहराया है। इनमें से कुछ देशों की सरकारों ने स्थानीय मीडिया स्वामित्व पर मज़बूत पकड़ बना रखी है। संपादकीय निर्णयों में काफी हस्तक्षेप किया जाता है। गलत कामों को उजागर करने वाले विदेशी मीडिया संस्थानों को काली सूची में डाल दिया जाता है।

इन चुनौतियों के बावजूद खोजी रिपोर्टिंग की जटिल परियोजनाएं पूरे एशिया में धन शोधन और सरकारी भ्रष्टाचार को उजागर कर रही हैं। सीमाओं के पार जाकर सूचना हासिल करने संबंधी बाधाओं और अपनी सुरक्षा संबंधी तमाम खतरों के बावजूद भ्रष्टाचार का खुलासा कर रही हैं। एशिया महाद्वीप में कई खास रुझान दिखाई दे रहे हैं। अपने ही देश के सरकारी खजाने पर डाका डालने पर आमादा सत्तावादी लुटेरों का उदय हुआ है।  दक्षिण पूर्व एशिया में धन शोधन के लिए नए जुआ केंद्र बनाने वाले संगठित अपराधी भी देखने को मिल रहे हैं। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के 2024 के करप्शन परसेप्शन इन्डेक्स (सीपीआइ) के अनुसार एशिया प्रशांत क्षेत्र की सरकारें भ्रष्टाचार रोकने में विफल रही हैं। वर्षों के ठहराव के बाद वर्ष 2024 में इस क्षेत्र का औसत स्कोर एक अंक गिरकर 44 हो गया है।

जीआईजेएन ने एशिया में जांच परियोजनाओं का संचालन और समर्थन करने वाले कुछ पत्रकारों से चर्चा की। उनके अनुभवों और चुनौतियों के साथ ही सीमा पार सहयोग के महत्व पर बात की।

किर्गिस्तान : बढ़ते सरकारी दबाव के बीच रिपोर्टिंग

एक समय किर्गिज़स्तान की गिनती मध्य एशिया के सबसे लोकतांत्रिक गणराज्यों में होती थी। यहां वास्तविक चुनाव होते थे। एक सशक्त नागरिक समाज और एक जीवंत मीडिया परिदृश्य था। लेकिन एक लोकलुभावन और निरंकुश राष्ट्रपति के शासन में कई स्वतंत्र मीडिया संस्थानों पर भारी दबाव हैं। इनमें देश के दो प्रमुख खोजी संस्थान और जीआइजेएन के सदस्य, क्लूप और टेमिरोव लाइव भी शामिल हैं। प्रसारणकर्ता ‘अप्रैल टीवी’ जैसे कई मीडिया संगठनों को अपना काम बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। कई पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया है। कुछ पत्रकार निर्वासन में जाने के लिए मजबूर हो गए। लेकिन कुछ बहादुर पत्रकार अब भी आज़ाद हैं। उन्होंने अपने देश में अवैध धन और भ्रष्टाचार उजागर करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों के साथ साझेदारी की है।

फोटो – छवि: स्क्रीनशॉट, ओसीसीआरपी

‘ऑल द प्रेसिडेंट्स मेन’ – यह ओसीसीआरपी के साथ सहयोग पर आधारित खोजी रिपोर्टिंग है। इसमें यह जांच की गई कि कैसे वर्तमान राष्ट्रपति ने सरकार की ताकत दिखाने के लिए सरकारी परियोजनाओं संबंधी सार्वजनिक व्यय की पारदर्शिता को काफ़ी कम कर दिया है। टेमिरोव लाइव, क्लूप और ओसीसीआरपी ने एक हवाई अड्डे, एक राष्ट्रपति निवास और एक रेलवे सहित 11 प्रमुख सरकारी निर्माण कार्य की जाँच की। ऐसी पांच कंपनियों की पहचान हुई, जिन्हें इन परियोजनाओं के ठेके मिले। पांचों कंपनियां आपस में जुड़ी हुई थी। उनके मालिकों या निदेशकों के राष्ट्रपति या सरकार के किसी प्रमुख अधिकारी या राष्ट्रपति प्रशासनिक निदेशालय के प्रमुख से संबंध पाए गए। इनमें से सिर्फ़ छह परियोजनाओं की अनुमानित लागत 137 मिलियन अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा थी।

खरीद और खर्च संबंधी आधिकारिक डेटा प्राप्त करना यहां अब संभव नहीं है। इसलिए पत्रकारों ने उपलब्ध निगमन पत्रों और भूमि अभिलेखों की समीक्षा की। उन्होंने कुछ कंपनी मालिकों या प्रबंधकों द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए पोस्ट का भी विश्लेषण किया। इन चीजों से राष्ट्रपति निदेशालय प्रमुख के साथ उनके संबंध उजागर हुए। पत्रकारों ने एक एजेंसी के अंदरूनी कामकाज से परिचित अंदरूनी सूत्र का भी पता लगाया। इस अंदरूनी सूत्र ने बदले की कार्रवाई से बचने के लिए गुमनाम रहते हुए कुछ परियोजनाओं के प्रबंधन संबंधी आंतरिक विवरण प्रदान किए। रिपोर्टिंग टीम द्वारा इस खबर के बारे में पूछे गए विस्तृत सवालों का सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया। किर्गिज़ राष्ट्रपति और उनके निदेशालय प्रमुख ने सभी सवालों को नजरअंदाज कर दिया। इसके बावजूद यह साहसिक रिपोर्टिंग की गई।

बोलोट टेमिरोव ने 2020 में अपना खोजी यूट्यूब चैनल ‘टेमिरोव लाइव’ शुरू किया।  उनके अनुसार एशिया के पत्रकारों को बढ़ते दमन और घटती पारदर्शिता के बीच रचनात्मक होने की ज़रूरत है। खासकर किर्गिज़स्तान जैसे देशों में, जहां प्रेस की स्वतंत्रता तेज़ी से कम हो रही है। उल्लेखनीय है कि बोलोट टेमिरोव से उनकी किर्गिज़ नागरिकता छीन ली गई। उन्हें 2022 में निर्वासित कर दिया गया। उनकी खोजी पत्रकारिता से नाराज होकर उन्हें चुप कराने के लिए वर्तमान सरकार ने उनसे ऐसा बदला लिया

बोलोट टेमिरोव बताते हैं- “सरकारी संस्थाओं में होने वाले खर्च संबंधी सूचनाओं को छुपाया जा रहा है। इन्हें उजागर करने वाले खोजी पत्रकारों का व्यापक उत्पीड़न हो रहा है। ऐसी परिस्थितियों में जानकारी सामने लाना और उसकी पुष्टि करना बहुत मुश्किल हो जाता है। खासकर जब कई पत्रकारों को निर्वासन में जाने के लिए मजबूर किया जाता है। ऐसे में हमारे लिए सूत्रों और अंदरूनी सूत्रों का महत्व बढ़ जाता है। साथ ही सोशल मीडिया के विश्लेषण और सरकारी एजेंसियों से सूचना के लिए सीधे अनुरोध करने का महत्व भी बढ़ जाता है।”

ओसीसीआरपी ने इस परियोजना से पहले भी किर्गिज़ खोजी पत्रकारों के साथ साझा खोजी रिपोर्टिंग की है। वर्ष 2019 में ओसीसीआरपी, क्लूप और आरएफई/आरएल किर्गिज़ सर्विस ने एक संयुक्त जांच की थी। इसमें किर्गिज़स्तान और दुनिया भर में असंख्य संपत्तियों वाले एक व्यवसायी की संपत्ति के स्रोतों की जांच की गई थी। इस खुलासे से किर्गिज़स्तान की सीमा शुल्क सेवा में व्यापक भ्रष्टाचार उजागर हुआ। पूरे देश में व्यापक आक्रोश फैल गया और विरोध प्रदर्शन हुआ।

ओसीसीआरपी, आरएफई/आरएल उज़्बेक सर्विस, क्लूप और कज़ाकिस्तान के ‘व्लास्ट’ ने इससे आगे और जांच की। पता लगाया कि कैसे उसी व्यवसायी और उसके परिवार ने किर्गिस्तान से आगे मध्य एशिया में भी अपना प्रभाव और निवेश बढ़ाया है। ‘द शैडो इन्वेस्टर’ ने यह उजागर किया कि कैसे इन निवेशों का उज़्बेक और किर्गिज़ अधिकारियों ने स्वागत किया। इससे ताशकंद का क्षितिज बदल गया और बिश्केक के शहरी नवीनीकरण को गति मिली।

बोलोट टेमिरोव कहते हैं- “ओसीसीआरपी के साथ मिलकर जांच प्रकाशित करने से हमें जोखिमों को समझते हुए सही कदम उठाने और संदेश को व्यापक बनाने में मदद मिलती है। इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि अंतर्राष्ट्रीय पाठकों को किर्गिज़स्तान में भ्रष्टाचार के बारे में जानकारी मिले।”

पत्राचार लीक, कज़ाकिस्तान में भ्रष्टाचार उजागर

उत्तर-पश्चिमी कज़ाकिस्तान के एक गांव बेरेज़ोव्का में स्वास्थ्य और पर्यावरण की स्थिति पर यह जांच रिपोर्ट आई। यह आरएफई/आरएल कज़ाख सर्विस की एक नियमित रिपोर्ट थी। लेकिन यह मामला एक व्यापक जांच में बदल गया। इसमें आइसीआइजे और 26 अंतरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय मीडिया संस्थान शामिल हुए। इस तरह कैस्पियन कैबल्स परियोजना काफी सफल रही। इसमें जांच हुई कि 939 मील लंबी कैस्पियन पाइपलाइन ने पर्यावरण को किस तरह नुकसान पहुंचाए। इसमें कई तरह के वित्तीय भ्रष्टाचार के आरोप भी थे। यह पाइपलाइन कज़ाकिस्तान के विशाल कच्चे तेल भंडार से रूस होते हुए काला सागर तक जाती है।

इस अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टिंग टीम ने दो वर्षों में सैकड़ों स्रोतों का साक्षात्कार लिया। इनमें तेल उद्योग के अंदरूनी सूत्र और पूर्व अधिकारी शामिल थे। उन्होंने लीक हुए आंतरिक कॉर्पोरेट रिकॉर्ड, गोपनीय ईमेल, अनुबंध, ऑडिट, भूमि रिकॉर्ड और अदालती व नियामक दस्तावेज़ों की जांच की। पाइपलाइन की सह-स्वामित्व वाली और इसे आपूर्ति करने वाले तीन कज़ाख तेल क्षेत्रों का संचालन करने वाली पश्चिमी कंपनियों से जुड़ी कई जानकारियां सामने आईं। इन कंपनियों के साथ रूसी अभिजात वर्ग द्वारा नियंत्रित व्यवसायों और कज़ाखस्तान के एक पूर्व राष्ट्रपति के अरबपति दामाद के आंशिक स्वामित्व वाली एक कंपनी को करोड़ों डॉलर के अनुबंध देने का खुलासा हुआ।

ऑनलाइन मीडिया संस्थान ‘व्लास्ट’ ने इस खोजी परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह 2012 से प्रारंभ कज़ाखस्तान का अग्रणी खोजी संस्थान है। यह अंतर्राष्ट्रीय खोजी नेटवर्क का नियमित मध्य एशियाई भागीदार है। इसके सह-संस्थापक व्याचेस्लाव अब्रामोव कहते हैं- “भ्रष्ट अधिकारी और उनके सहयोगी कानूनी खामियों का लाभ उठाकर अपनी संपत्ति छिपाने में माहिर हो गए हैं। कज़ाकिस्तान की भूमि रजिस्ट्री ऐसे प्रतिबंधों का एक ज्वलंत उदाहरण है। कानूनी संस्थाओं के नाम से पंजीकृत जमीन के स्वामित्व संबंधी जानकारी मिल सकती है।  लेकिन निजी व्यक्तियों के रिकॉर्ड को गोपनीयता की रक्षा के बहाने छिपाया जाता है। पत्रकारों को यह पता लगाना मुश्किल है कि ज़मीन के बड़े हिस्से पर किसका नियंत्रण है और स्वामित्व के पैटर्न क्या है।”

वर्तमान कज़ाख राष्ट्रपति ने पिछली सरकार के प्रमुख नूरसुल्तान नज़रबायेव की सत्तावादी व्यवस्था खत्म करने का वादा किया था। लेकिन उन्होंने भी प्रेस की स्वतंत्रता और सूचना तक पहुंच को सीमित करना शुरू कर दिया। अधिकारियों की संपत्ति की घोषणा जैसे अभिलेखों को दबाने के कारण कज़ाखस्तान में खोजी पत्रकारिता के लिए कड़ी चुनौतियां हैं। इसलिए लीक हुए आंतरिक दस्तावेज़ों तक पहुंच और उनका विश्लेषण करना खोजी रिपोर्टिंग के लिए और भी महत्वपूर्ण हो गया है।

ऐसा ही एक अन्य लीक का उदाहरण देखें। स्विस नियामक फिनमा और निजी बैंक रेयल इंटेसा सैनपाओलो के बीच पत्राचार लीक होकर सामने आया। इससे पता पला कि इस बैंक ने निरंकुश शासन से जुड़े संदिग्ध ग्राहकों को लुभाने का प्रयास किया जा रहा है। कज़ाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति की बेटी भी इस बैंक की ग्राहक है। पूर्व राष्ट्रपति ने दो दशकों की अपनी सत्ता के दौरान अपने परिवार के लिए अकूत संपत्ति अर्जित की। उज़्बेकिस्तान के लंबे समय तक सत्ता में रहे शासक के दामाद का नाम भी बैंक के ग्राहकों की सूची में शामिल था। ओसीसीआरपी द्वारा संचालित इस जांच ( ……. ) से पता चला है कि मध्य एशिया में सरकार से जुड़े अभिजात वर्ग अपने देशों के संसाधनों को किस तरह विदेशी बैंकों में जमा करते हैं। ओसीसीआरपी की रिपोर्ट के विशिष्ट मामलों पर निजी बैंक रेयल इंटेसा सैनपाओलो ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। लेकिन बैंक ने कहा कि वह “निगरानी अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग कर रहा है और सभी लागू नियमों के अनुपालन को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।”

मानस कैयरतैउली (आरएफई/आरएल कज़ाख सर्विस के पत्रकार)  कहते हैं – “अंतर्राष्ट्रीय खोजी नेटवर्कों के साथ सहयोग काफी अच्छा कदम है। इससे कज़ाकिस्तान में स्वतंत्र और खोजी रिपोर्टिंग को मज़बूत करने में मदद मिलती है। साझा रिपोर्टिंग की शुरूआत से ही इसमें शामिल होने पर हमें नए तकनीकी कौशल तक ज़्यादा पहुंच मिलती है। कहानियों के संयुक्त प्रकाशन और वितरण में बेहतर सुविधा मिलती है। इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि इन जांचों में कज़ाकिस्तान का स्थानीय दृष्टिकोण भी शामिल हो।”

मानस कैयरतैउली ने ‘द कैस्पियन कैबल्स’ जांच परियोजना में योगदान दिया है। उन्होंने विदेशी समाचार सहयोगियों से कज़ाकिस्तान में अंतर्राष्ट्रीय जांच की शुरुआत से ही स्थानीय पत्रकारों को शामिल करने का अनुरोध किया। उन्होंने सी-फोर-एडीएस के साथ भी काम किया है। यह एक गैर-लाभकारी संस्था है। इसका मिशन वैश्विक अवैध नेटवर्क और भ्रष्टाचार से लड़ना है

दुबई में संपत्ति खरीद रहे बांग्लादेशी धनकुबेर

बांग्लादेश की लंबे समय से सत्ताधारी अवामी लीग को अगस्त 2024 में छात्रों के विद्रोह ने सत्ता से बेदखल कर दिया। नए राजनीतिक माहौल ने देश के खोजी मीडिया संस्थानों के लिए नए अवसर पैदा किए हैं। यह जांच का विषय है कि पिछली सरकार की प्रमुख हस्तियों ने किस तरह सरकारी खजाने और बैंकिंग प्रणाली को लूटने के लिए अपने पदों का दुरुपयोग किया। दिसंबर 2024 के एक श्वेतपत्र में अनुमान लगाया गया कि पिछली सरकार के दौरान हर साल बांग्लादेश से औसतन 16 अरब अमेरिकी डॉलर अवैध रूप से निकाले गए। लूट के तरीके मध्य एशियाई तानाशाहों द्वारा अपनाए गए तरीकों से मिलते-जुलते थे। भारी कर छूट, बढ़ा-चढ़ाकर सरकारी अनुबंध और रिश्वत के अलावा संदिग्ध ज़मीन ख़रीद जैसे भ्रष्ट तरीके। इनके जरिए सरकार से जुड़ी कंपनियों और व्यक्तियों को फ़ायदा  पहुंचाया जाता था।

यह सारा सार्वजनिक धन कहां गया। इसकी जांच से उन खामियों का पता चला, जिनका फायदा निरंकुश शासन और भ्रष्ट अधिकारी अपने ही देश को लूटने के लिए उठाते हैं।

बांग्लादेश के ‘द डेली स्टार’ ने इस पर शानदार जांच की। इसके लिए दुबई भूमि विभाग के रिकॉर्ड और सी-फोर-एडीएस डेटासेट का उपयोग किया। साथ ही, ओसीसीआरपी की ‘दुबई अनलॉक्ड इन्वेस्टिगेशन 2024’ को भी अपनी जांच का आधार बनाया। इस जांच में ‘द डेली स्टार’ ने पाया कि 461 बांग्लादेशियों के पास दुबई में 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर की 929 संपत्तियां हैं। इस अचल संपत्ति के मालिकों में बांग्लादेश के पूर्व भूमि मंत्री, अवामी लीग के कई सांसद और देश के कुछ उद्योगपति शामिल थे। इनमें से कई लोगों पर भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, अपनी कंपनियों के खिलाफ वित्तीय कदाचार और बांग्लादेश में लाखों डॉलर के बकाया ऋण जैसे आरोप हैं।

इसके बाद कई मीडिया संगठनों ने बांग्लादेश के पूर्व भूमि मंत्री के भ्रष्टाचार पर गहन जांच की। ‘अल जज़ीरा’ की जांच को हाल ही में ‘डीआईजी पुरस्कार’ मिला। ‘द गार्जियन’ ने भी महत्वपूर्ण जांच की। ऐसी खबरों से पता चला कि उस पूर्व भूमि मंत्री का आधिकारिक सरकारी वेतन केवल 13,000 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष था। लेकिन उसने यूनाइटेड किंगडम में 360 संपत्तियां बना लीं। इसकी कीमत 320 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक थी। उसने बांग्लादेश के आयकर विभाग को इन संपत्तियों की कोई जानकारी नहीं दी।

बांग्लादेशी प्रेस द्वारा इसे व्यापक रूप से कवर किया गया। इसके कारण बांग्लादेश सरकार ने ब्रिटेन पर इन संपत्तियों को ज़ब्त करने और चुराए गए सार्वजनिक धन को वापस बांग्लादेश भेजने का अनुरोध किया। पूर्व भूमि मंत्री ने ‘अल जज़ीरा’ को बताया कि उन्होंने ऐसी संपत्तियां विदेश में अपने वैध व्यवसाय से कमाए धन से खरीदी है।

फोटो : स्क्रीनशॉट, अल जज़ीरा इन्वेस्टिगेटिव यूनिट

फखरुल इस्लाम हारून (बांग्लादेशी खोजी पत्रकार, प्रोथोम अलो) कहते हैं- “हमारे देश के पत्रकार अंतर्राष्ट्रीय खोजी पत्रकारिता संस्थाओं से और अधिक मदद चाहते हैं। उन्हें इसकी ज़रूरत भी है।”

यह बात एशिया के अंदर और बाहर के सभी पत्रकारों के लिए महत्वपूर्ण है। हमने इस स्टोरी में तीन खोजी परियोजनाओं का उदाहरण खास तौर पर पेश किया है-

  1. ऑल द प्रेसिडेंट्स मेन
  2. द मिनिस्टर्स मिलियंस
  3. कैस्पियन कैबल्स।

इन जांचों से स्पष्ट है कि वित्तीय भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए सहयोग आधारित रिपोर्टिंग करने से बड़ी और बेहतर कहानियाँ सामने आती हैं। इनका अधिक प्रभाव होता है और सार्वजनिक जवाबदेही की स्थिति पैदा होती है। कोई तानाशाह चाहे जितने भी शातिर तरीके से काम करे, जब खोजी पत्रकार एक साथ मिलकर काम करते हैं, तो वे अवैध धन का पता लगाने का कोई-न-कोई रास्ता निकाल ही लेते हैं।


शेर खाशिमोव, ताजिकिस्तान के स्वतंत्र पत्रकार और शोधकर्ता हैं। वह प्रेस की स्वतंत्रता, डिजिटल राजनीति, श्रमिक प्रवास और पूर्वी यूरोप, मध्य एशिया और काकेशस में क्षेत्रीय संघर्षों पर रिपोर्टिंग करते हैं। उनका काम अल जज़ीरा, फॉरेन पॉलिसी, न्यू लाइन्स मैगज़ीन, कोडा स्टोरी, मेडुज़ा और कई अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित हुआ है।


न्युक का जन्म 2000 में दक्षिण कोरिया में हुआ। वह हानयांग विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ एप्लाइड आर्ट (सियोल, दक्षिण कोरिया) में अध्ययनरत हैं। यहां वह एक चित्रकार के बतौर कार्यरत भी हैं। उन्होंने 2021 में हिडन प्लेस में प्रदर्शनी तथा अन्य चित्रण प्रदर्शनियों में भाग लिया है। उनकी मुख्य रुचि हस्त चित्रकला में है, जो कला के प्रति समर्पण का प्रतीक है।

अनुवाद : डॉ. विष्णु राजगढ़िया