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पत्रकारों के लिए आपातकालीन सहायता

वर्ष 1992 से अब तक दो हजार से भी अधिक पत्रकार मारे जा चुके हैं। हजारों पत्रकारों को हमले, धमकी, जेल और उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा है। इसलिए आपातकालीन स्थितियों में मदद संबंधी पूरी जानकारी पत्रकारों के पास होनी चाहिए। जीआईजेएन की इस मार्गदर्शिका में ऐसे दर्जनों संगठनों की जानकारी दी गई है।