Chapter 7: Stories by Female-Identifying Journalists

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अध्याय 7: महिला विषयक खोजी पत्रकारिता

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यहां प्रस्तुत अधिकांश खबरें वर्ष 2023 और 2022 में प्रकाशित हुईं। यह महिला पत्रकारों अथवा महिला मुद्दे कवर करने वाले पत्रकारों द्वारा लिखी गईं हैं। इन खबरों से यह समझना आसान होगा कि महिला विषयों से जुड़ी खोजी पत्रकारिता में कितनी संभावनाएं हैं।

2022 और उससे पहले की स्टोरीज

नारीवादी मीडिया संगठनों को फॉलो करें

  • 50.50 openDemocracy – यह ओपन डेमोक्रेसी का न्यूज़रूम है। इसमें नारीवादी खोजी पत्रकारिता और फ्रंटलाइन रिपोर्टिंग शामिल है। यह एलजीबीटीआईक्यू अधिकार, महिला विरोधी प्रतिक्रिया पर नजर रखना और मीडिया में महिलाओं की कम भागीदारी जैसे विषयों पर केंद्रित है।
  • Women Rule by Politico– पोलिटिको द्वारा संचालित। यह राजनीति, नीति और सत्ता को नया आकार देने वाली महिलाओं पर केंद्रित है।
  • वाशिंगटन पोस्ट ने महिलाओं पर प्रकाशित होने वाले Gender & Identity खंड के the Lily को अपनी मुख्य वेबसाइट पर स्थानांतरित कर दिया। इसमें गर्भपात संबंधी बहसों  से लेकर एलजीबीटीक्यू संस्कृति और महिलाओं पर महामारी के प्रभाव जैसी खबरें शामिल हैं।

अनुवाद : डॉ. विष्णु राजगढ़िया

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A reporter holding a magnifying glass peers out of the Indian flag.

सदस्यों के बारे में

कठिन सवाल, निर्भीक पत्रकारिता: ‘द रिपोर्टर्स कलेक्टिव’

आज ‘द रिपोर्टर्स कलेक्टिव’ में छह पूर्णकालिक कर्मचारी कार्यरत हैं। स्वतंत्र पत्रकारों का एक अच्छा नेटवर्क है। यह हर महीने दो से तीन लंबी जांच-पड़ताल पर ध्यान केंद्रित करता है। इसकी कार्यप्रणाली ‘मितव्ययी’ है। यह पूरी तरह से पाठकों द्वारा वित्त पोषित है। यह उनके दान पर निर्भर है। नितिन सेठी कहते हैं- “पहले दिन से ही हमारी 85% राशि का उपयोग खबरों के उत्पादन में लग रहा है।”

An illustration shows the shadows of four reporters in the choppy seas of data journalism, making their way towards a lighthouse.

एशिया में डेटा पत्रकारिता : मीडिया, समुदाय और साक्ष्यों के नए रिश्ते

इंडिया-स्पेंड धीमे और धैर्यपूर्ण डेटा कार्य की ताकत को दर्शाता है। लेकिन एल्गोरिदम की गति डेटा पत्रकारिता में एक कमज़ोर बिंदु को उजागर करती है। रॉयटर्स 2025 फ़ेलो और बूम लाइव की उप-संपादक, करेन रेबेलो कहती हैं – “एल्गोरिदम के सामाजिक प्रभाव पर अधिकांश डेटा-संचालित शोध अनुदान-वित्त पोषित हैं। मुख्यधारा के समाचार संस्थान इसमें कोई निवेश नहीं कर रहे हैं।”

एशिया : सरकारी खजाने की लूट पर साझा खोजी पत्रकारिता

एक समय किर्गिज़स्तान की गिनती मध्य एशिया के सबसे लोकतांत्रिक गणराज्यों में होती थी। यहां वास्तविक चुनाव होते थे। एक सशक्त नागरिक समाज और एक जीवंत मीडिया परिदृश्य था। लेकिन एक लोकलुभावन और निरंकुश राष्ट्रपति के शासन में कई स्वतंत्र मीडिया संस्थानों पर भारी दबाव हैं।

Asia Focus environmental exploitation

एशिया में घटती प्रेस की स्वतंत्रता के बावजूद पर्यावरण अपराधों पर साझा पत्रकारिता कैसे हो रही है

पर्यावरण संबंधी ज़रूरी मुद्दे स्वाभाविक तौर पर देशों की सीमाओं से परे होते हैं। इसलिए अच्छी जांच के लिए विभिन्न देशों में काम करना आवश्यक है। लेकिन भाषा, दूरी, प्रेस की स्वतंत्रता से जुड़े मामलों और संसाधनों की कमी के कारण साझा पत्रकारिता काफी चुनौतीपूर्ण है। इसके बावजूद, स्थानीय स्तर पर कई महत्वपूर्ण विषयों पर खोजी पत्रकारिता के उदाहरण देखने को मिलते हैं।