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ग्लोबल इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज़्म नेटवर्क खोजी पत्रकारों के संगठनों का अंतर्राष्ट्रीय संघ है। हमारा मुख्य उद्देश्य वाच-डॉग यानि निगरानी की भूमिका निभा रहे इनवेस्टिगेटिव और डेटा जर्नलिज़्म करने वाले पत्रकारों का प्रशिक्षण और उनके बीच जानकारी का सहजता से आदान-प्रदान सुनिश्चित करना है। हम खोजी पत्रकारिता के उत्कृष्ट संसाधनों, खबरों और अवसरों का वैश्विक केंद्र हैं।

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GIJC27 announcement VVOJ co-host, Netherlands

खोजी पत्रकारों का 15वाँ वैश्विक सम्मेलन नीदरलैंड में 2027 में होगा

VVOJ उन संस्थानों में से है जो न्यूज़रूम में इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग को प्राथमिकता दिलाने की वकालत करता है। संस्था का एक अन्य पुरस्कार “फ्लाइवील अवॉर्ड” विशेष रूप से उन संपादकों को सम्मानित करता है जो रिपोर्टरों को रोज़मर्रा की खबरों से समय निकालने और गहन जांच पर काम करने का अवसर देते हैं।

Investigations from x, y, z, and a were recognized at the Global Shining Light Award ceremony at GIJC25

अवार्ड

2025 के ग्लोबल शाइनिंग लाइट अवॉर्ड (GSLA) चार संस्थानों को

पाँच महाद्वीपों के खोजी संपादकों की पाँच-सदस्यीय समिति ने 13 उत्कृष्ट फाइनलिस्टों में से विजेताओं का चयन किया। बड़े  मीडिया संस्थानों की श्रेणी में दो विजेताओं को चुना गया। इसी तरह छोटी और मध्यम संस्थाओं (20 या इससे कम स्टाफ, फ्रीलांसर शामिल) की श्रेणी में एक विजेता घोषित किया गया। अफ्रीका से एक विशेष प्रविष्टि को विशेष प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।

नई तकनीक और एआई पर चर्चा के साथ खोजी पत्रकारों के वैश्विक सम्मेलन की शुरुआत

इन सबके बावजूद, पत्रकारों के सामने एक नाजुक जिम्मेदारी, नफरत को अनजाने में बढ़ावा न देने की है। पैनलिस्टों ने सुझाव दिया कि पत्रकारों को नफरत भरे संदेशों को संदर्भ सहित रिपोर्ट करना चाहिए। उनका प्रसार कम से कम रखना चाहिए। निशाने पर आए समुदायों की आवाज़ को प्रमुखता देनी चाहिए और गालियों या नफरत भरी भाषा को सीधे दोहराने से बचना चाहिए।

A reporter holding a magnifying glass peers out of the Indian flag.

सदस्यों के बारे में

कठिन सवाल, निर्भीक पत्रकारिता: ‘द रिपोर्टर्स कलेक्टिव’

आज ‘द रिपोर्टर्स कलेक्टिव’ में छह पूर्णकालिक कर्मचारी कार्यरत हैं। स्वतंत्र पत्रकारों का एक अच्छा नेटवर्क है। यह हर महीने दो से तीन लंबी जांच-पड़ताल पर ध्यान केंद्रित करता है। इसकी कार्यप्रणाली ‘मितव्ययी’ है। यह पूरी तरह से पाठकों द्वारा वित्त पोषित है। यह उनके दान पर निर्भर है। नितिन सेठी कहते हैं- “पहले दिन से ही हमारी 85% राशि का उपयोग खबरों के उत्पादन में लग रहा है।”