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संबंधित संसाधन
		
	सोशल मीडिया एल्गोरिदम की जांच कैसे करें
		
	भूमि संबंधी विवादों पर खोजी ख़बरें लिखने के लिए गाइड
		
	जातिगत भेदभाव पर रिपोर्टिंग कैसे करें?
		
	डिजिटल खतरों की जांच : जीआईजेएन गाइड
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	कठिन सवाल, निर्भीक पत्रकारिता: ‘द रिपोर्टर्स कलेक्टिव’
		
	एशिया में डेटा पत्रकारिता : मीडिया, समुदाय और साक्ष्यों के नए रिश्ते
		
	एशिया : सरकारी खजाने की लूट पर साझा खोजी पत्रकारिता
		
	एशिया में घटती प्रेस की स्वतंत्रता के बावजूद पर्यावरण अपराधों पर साझा पत्रकारिता कैसे हो रही है
यह कार्य लाइसेंस के अन्तर्गत है क्रिएटिव कॉमन्स एट्रिब्यूशन-नोडेरिवेटिव्स 4.0 अंतर्राष्ट्रीय लाइसेंस
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कठिन सवाल, निर्भीक पत्रकारिता: ‘द रिपोर्टर्स कलेक्टिव’
आज ‘द रिपोर्टर्स कलेक्टिव’ में छह पूर्णकालिक कर्मचारी कार्यरत हैं। स्वतंत्र पत्रकारों का एक अच्छा नेटवर्क है। यह हर महीने दो से तीन लंबी जांच-पड़ताल पर ध्यान केंद्रित करता है। इसकी कार्यप्रणाली ‘मितव्ययी’ है। यह पूरी तरह से पाठकों द्वारा वित्त पोषित है। यह उनके दान पर निर्भर है। नितिन सेठी कहते हैं- “पहले दिन से ही हमारी 85% राशि का उपयोग खबरों के उत्पादन में लग रहा है।”
		
	एशिया में डेटा पत्रकारिता : मीडिया, समुदाय और साक्ष्यों के नए रिश्ते
इंडिया-स्पेंड धीमे और धैर्यपूर्ण डेटा कार्य की ताकत को दर्शाता है। लेकिन एल्गोरिदम की गति डेटा पत्रकारिता में एक कमज़ोर बिंदु को उजागर करती है। रॉयटर्स 2025 फ़ेलो और बूम लाइव की उप-संपादक, करेन रेबेलो कहती हैं – “एल्गोरिदम के सामाजिक प्रभाव पर अधिकांश डेटा-संचालित शोध अनुदान-वित्त पोषित हैं। मुख्यधारा के समाचार संस्थान इसमें कोई निवेश नहीं कर रहे हैं।”
		
	एशिया : सरकारी खजाने की लूट पर साझा खोजी पत्रकारिता
एक समय किर्गिज़स्तान की गिनती मध्य एशिया के सबसे लोकतांत्रिक गणराज्यों में होती थी। यहां वास्तविक चुनाव होते थे। एक सशक्त नागरिक समाज और एक जीवंत मीडिया परिदृश्य था। लेकिन एक लोकलुभावन और निरंकुश राष्ट्रपति के शासन में कई स्वतंत्र मीडिया संस्थानों पर भारी दबाव हैं।
		
	एशिया में घटती प्रेस की स्वतंत्रता के बावजूद पर्यावरण अपराधों पर साझा पत्रकारिता कैसे हो रही है
पर्यावरण संबंधी ज़रूरी मुद्दे स्वाभाविक तौर पर देशों की सीमाओं से परे होते हैं। इसलिए अच्छी जांच के लिए विभिन्न देशों में काम करना आवश्यक है। लेकिन भाषा, दूरी, प्रेस की स्वतंत्रता से जुड़े मामलों और संसाधनों की कमी के कारण साझा पत्रकारिता काफी चुनौतीपूर्ण है। इसके बावजूद, स्थानीय स्तर पर कई महत्वपूर्ण विषयों पर खोजी पत्रकारिता के उदाहरण देखने को मिलते हैं।