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जीआईजेएन

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केस स्टडी समाचार और विश्लेषण

पत्रकारिता की रक्षा: खोजी पत्रकारिता का भविष्य

जीआईजेएन कई स्तरों पर क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण और उपकरण प्रदान करने के साथ ही खोजी पत्रकारों का नेटवर्क मजबूत करने पर काम करता है। हम दुनिया भर के पत्रकारों को सैटेलाइट इमेजरी और डिजिटल फोरेंसिक जैसी अत्याधुनिक तकनीकों की जानकारी देते हैं। हम स्थानीय और वंचित समुदायों को निगरानी पत्रकारिता क्षमता निर्माण करने में मदद करते हैं। हमारे हेल्प डेस्क ने पिछले एक साल में सहायता के लिए 2,400 अनुरोधों का जवाब दिया।

रिपोर्टिंग टूल्स और टिप्स

कुछ स्टोरी आईडिया जिन्हें पत्रकार हर देश में दोहरा सकते हैं

कुछ विषय हैं, जो दुनिया के कमोबेश हर कोने में पाए जाते  हैं। जैसे, भ्रष्टाचार, अवैध कार्य, सत्ता का दुरुपयोग जैसी बातें अधिकांश देशों में मौजूद हैं। इनमें कई की कार्यप्रणाली भी लगभग एक जैसी होती हैं। इसलिए अन्य देशों के प्रमुख खोजी पत्रकारों के अनुभवों के आधार पर यहां कुछ ऐसी खोजपूर्ण खबरों के बारे में जानकारी प्रस्तुत है, जिन्हें दुनिया भर में दोहराया जा सकता है।

रिपोर्टिंग टूल्स और टिप्स

उपकरण जो खोजी पत्रकार पसंद करते हैं

जीआईजेएन ने अपने एक लेख में खोजी पत्रकारिता से जुड़े कई अहम बिंदुओं और तकनीकों को साझा किया था, जिन्हें इस्तेमाल करना आमतौर पर खोजी पत्रकारों को काफी पसंद होता है। इसमें खोजी पत्रकारिता की ऐसी कई तकनीकें हैं जो पत्रकारों को आसानी से हाथ न आने वाले स्रोतों और डेटा तक पहुंचने में मदद करती हैं।

रिपोर्टिंग टूल्स और टिप्स

पत्रकारों के लिए बहुत उपयोगी है इंटरनेट का यह वेब इंस्पेक्टर !

इस web inspector tool (‘वेब इंस्पेक्टर‘ टूल) का अभी बेहद कम उपयोग किया जा रहा है। जबकि यह किसी वेबसाइट के ‘सोर्स-कोड‘ में छिपी हुई जानकारी का खजाना निकाल सकता है। यह किसी ग्राफिक्स का कच्चा डेटा भी निकाल सकता है। यह उन तस्वीरों और वीडियो को डाउनलोड भी कर सकता है, जिनके बारे में हमें लगता है कि इन्हें ‘सेव‘ नहीं किया जा सकता। ‘वेब इंस्पेक्टर‘ टूल और HTML basics (एचटीएमएल बेसिक्स) की सामान्य समझ हो तो पत्रकार किसी भी वेब-पेज से डेटा स्क्रैप कर सकता है। इसके लिए कंप्यूटर विज्ञान में पारंगत होने की आवश्यकता नहीं है।

समाचार और विश्लेषण

आपकी जासूसी या पीछा किया जा रहा है तो क्या करें?

कोई भी जासूस आपकी निगरानी के लिए पहले से किसी स्थान की योजना तभी बना सकेगा, जब उसे आपका शेड्यूल मालूम हो। इसलिए अपना शेड्यूल हमेशा गोपनीय रखें। आप ‘सिग्नल‘ और ‘प्रोटॉनमेल‘ जैसे एन्क्रिप्टेड संचार प्लेटफॉर्म का उपयोग करें। अपने डिजिटल पासवर्ड पर दो-चरण प्रमाणीकरण का उपयोग करें। यदि आप डिजिटल सुरक्षा रखेंगे, तो किसी जासूस के पास आपके संचार और शेड्यूल की जानकारी नहीं होगी। तब वह पहले से कोई योजना नहीं बना सकेगा। ऐसे में वह सिर्फ आपकी शारीरिक गतिविधियों और परिवहन के अनुसार पीछा करने को मजबूर हैं।