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A reporter holding a magnifying glass peers out of the Indian flag.

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कठिन सवाल, निर्भीक पत्रकारिता: ‘द रिपोर्टर्स कलेक्टिव’

आज ‘द रिपोर्टर्स कलेक्टिव’ में छह पूर्णकालिक कर्मचारी कार्यरत हैं। स्वतंत्र पत्रकारों का एक अच्छा नेटवर्क है। यह हर महीने दो से तीन लंबी जांच-पड़ताल पर ध्यान केंद्रित करता है। इसकी कार्यप्रणाली ‘मितव्ययी’ है। यह पूरी तरह से पाठकों द्वारा वित्त पोषित है। यह उनके दान पर निर्भर है। नितिन सेठी कहते हैं- “पहले दिन से ही हमारी 85% राशि का उपयोग खबरों के उत्पादन में लग रहा है।”

एशिया : सरकारी खजाने की लूट पर साझा खोजी पत्रकारिता

एक समय किर्गिज़स्तान की गिनती मध्य एशिया के सबसे लोकतांत्रिक गणराज्यों में होती थी। यहां वास्तविक चुनाव होते थे। एक सशक्त नागरिक समाज और एक जीवंत मीडिया परिदृश्य था। लेकिन एक लोकलुभावन और निरंकुश राष्ट्रपति के शासन में कई स्वतंत्र मीडिया संस्थानों पर भारी दबाव हैं।

Asia Focus environmental exploitation

एशिया में घटती प्रेस की स्वतंत्रता के बावजूद पर्यावरण अपराधों पर साझा पत्रकारिता कैसे हो रही है

पर्यावरण संबंधी ज़रूरी मुद्दे स्वाभाविक तौर पर देशों की सीमाओं से परे होते हैं। इसलिए अच्छी जांच के लिए विभिन्न देशों में काम करना आवश्यक है। लेकिन भाषा, दूरी, प्रेस की स्वतंत्रता से जुड़े मामलों और संसाधनों की कमी के कारण साझा पत्रकारिता काफी चुनौतीपूर्ण है। इसके बावजूद, स्थानीय स्तर पर कई महत्वपूर्ण विषयों पर खोजी पत्रकारिता के उदाहरण देखने को मिलते हैं।

Asia Focus, Kunda Dixit, Centre for Investigative Journalism - Nepal

‘प्रभाव अक्सर अवचेतन होता है’: नेपाली पत्रकारिता के अनुभवी कुंदा दीक्षित, अपने रिपोर्टिंग जीवन के उतार-चढ़ाव पर।

जीआईजेएन ने वर्ष 2016 में नेपाल की राजधानी काठमांडू में दूसरा ‘अनकवरिंग एशिया सम्मेलन’ आयोजित किया। यह सम्मेलन ऐतिहासिक था। इसे आयोजित करने वाले प्रमुख लोगों में कुंदा दीक्षित शामिल थे। लेकिन सम्मेलन शुरू होने से ठीक पहले कुछ घटनाओं का एक जटिल मोड़ आया। इसके कारण वह व्यक्तिगत रूप से सम्मेलन में शामिल नहीं हो सके। गिरफ़्तारी से बचने के लिए वह स्व-निर्वासन में चले गए।

Asia Focus main image

एशिया में खोजी पत्रकारिता : बढ़ती चुनौतियों के बीच प्रतिरोध, सहयोग और बदलाव

भारत में डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने ऐसी खबरों के लिए वैकल्पिक माध्यम तैयार किए हैं, जो वाकई जनता के लिए मायने रखती हैं। जीआईजेएन की सदस्य संस्था ‘द रिपोर्टर्स कलेक्टिव’ ने अपनी खोजी रिपोर्टिंग के लिए ख्याति प्राप्त की है। इसने चुनावी बॉन्ड के जरिए भ्रष्टाचार, सरकारी योजनाओं में अनियमितताओं और कॉर्पोरेट व राजनेताओं के बीच सांठगांठ जैसे मुद्दे उजागर किए हैं। ‘द स्क्रॉल’ और ‘द वायर’ ने निगरानी, पर्यावरण उल्लंघनों और राज्य सत्ता के दुरुपयोग जैसे मुद्दों की पड़ताल की है। ‘द कारवां’ पत्रिका ने सांप्रदायिक हिंसा, न्यायपालिका और राजनीतिक भ्रष्टाचार पर गहन लेख प्रस्तुत किए हैं। ‘न्यूज़लॉन्ड्री’ ने मीडिया की भूमिका पर ही ध्यान केंद्रित किया है और मीडिया स्वामित्व के पैटर्न, दुष्प्रचार और संपादकीय स्वतंत्रता में गिरावट की जांच की है।

The megayacht Eclipse, owned by Russian oligarch Roman Abramovich. Abramovich was forced to sell his ownership stake in the English football club Chelsea after Russia invaded Urkaine in early 2022, due to the billionaire's ties to Russian President Vladimir Putin. Image: Shutterstock

अमीरों के भ्रष्टाचार के नए तरीकों पर रिपोर्टिंग कैसे करें?

यह मत सोचिए कि सरकारी जानकारी हमेशा उपलब्ध रहेगी। जिस देश में लोकतंत्र के कमजोर होने का खतरा हो, वहां आपको अपने रिकॉर्ड बनाने के लिए डेटा पत्रकारिता रणनीति का उपयोग करना चाहिए। रूस, कुछ अरब देशों और वेनेज़ुएला में ऐसे मामले देखने को मिल रहे हैं।

Mill Media founder and editor Joshi Herrmann speaking at the 2025 CIJ Summer Conference in London. Image: GIJN

सफल स्थानीय खोजी मीडिया संगठन कैसे चलाएं?

सफल स्थानीय खोजी मीडिया संगठन चलाना आसान नहीं है। दिलचस्प खबरों के मामले में स्थानीय समाचार संगठनों की रैंकिंग अक्सर निचले पायदान पर होती है। ट्रेनों के विलंब से चलने और किसी की बिल्ली लापता होने जैसे स्थानीय समाचारों का अपना अलग महत्व है। लेकिन ऐसी खबरों के भरोसे आप बहुत आगे नहीं जा सकते। ऐसी खबरों के आधार पर आपको पुलित्ज़र जैसे बड़े पुरस्कार मिलने की संभावना कम है।

गाइड संसाधन

भूमि संबंधी विवादों पर खोजी ख़बरें लिखने के लिए गाइड

दक्षिण एशिया के कई देशों में वर्ग और जातिगत विभाजन काफी अधिक है। मनमाने नियमों के कारण प्राकृतिक संसाधनों तक पहुंच और नियंत्रण के मामले में काफी असमानता और अनियमितता देखने को मिलती है। इसके कारण धन का अत्यधिक संकेंद्रण हुआ है। समाज का एक बड़ा वर्ग संसाधनों तथा आजीविका से वंचित रह गया है। ऐसे लोग सामाजिक-आर्थिक हाशिये पर चले गए हैं। साथ ही, जलवायु परिवर्तन, भोजन और पानी की कमी, आपदा, महामारी, युद्ध और मानवाधिकारों के उल्लंघन जैसे उभरते खतरों का भी इन कमजोर वर्गों पर ज्यादा असर होता है।

गाइड संसाधन

जातिगत भेदभाव पर रिपोर्टिंग कैसे करें?

किसी व्यक्ति या समुदाय की जाति जानने से उनकी राजनीतिक संबद्धता का अनुमान लगाने में भी मदद मिल सकती है। उच्च जाति के उदारवादी या मध्यमार्गी हिंदू का कांग्रेस समर्थक होने की संभावना अधिक होगी। उच्च जाति के रूढ़िवादी या दक्षिणपंथी हिंदू लोग प्राय: भारतीय जनता पार्टी के मतदाता होंगे। हिंदी पट्टी के अधिक संपन्न ओबीसी लोग समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता पार्टी, या जनता दल यूनाइटेड जैसी समाजवादी पार्टियों में से किसी एक के मतदाता होंगे।

Turning Unreadable Text into Evidence, Henk van Ess, Digital Digging

इंटरनेट पर अस्पष्ट और अपठनीय सामग्री से साक्ष्य कैसे निकालें?

ओपन सोर्स इंटेलिजेंस में लोग अपने पसंदीदा टूल से प्यार करते हैं। किसी भी विशेषज्ञ से पूछें तो वह आपको अपनी पसंद के कई टूल का नाम बता देंगे। कहेंगे कि टोपाज़ गीगापिक्सल प्रो का उपयोग करो। कोई आपको जाइरो-आधारित न्यूरल सिंगल इमेज डेब्लरिंग टूल का सुझाव देगा। यहां ऐसे सभी टूल की सूची दी गई है। लेकिन असली समाधान सिर्फ आपके पसंदीदा सॉफ़्टवेयर से नहीं निकलता है। पहले आपको यह स्वीकार करना होगा कि आप सब कुछ नहीं जानते हैं।