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खोजी और गैर-लाभकारी मीडिया संगठनों को अपने प्रोजेक्ट्स के लिए विभिन्न दानदाताओं की आर्थिक मदद पर निर्भर करना पड़ता है। लेकिन उन्हें सत्तावादी ताकतें, ट्रोल्स तथा अन्य आलोचकों द्वारा उन पर कई तरह के आरोप लगाए जाते हैं। मीडिया संगठनों पर हमला करने या उन्हें फंड देने से मना करने के लिए कई आरोप लगाए जाते हैं। कहा जाता है कि “आपका कवरेज समझौतापूर्ण या पक्षपातपूर्ण है क्योंकि आपको किसी अरबपति अथवा किसी सरकार या विदेशी संगठन द्वारा वित्त पोषित किया जाता है।“ कई बार कई बार स्वतंत्र मीडिया को अपने सामाजिक न्याय एजेंडे के कारण भी ऐसी आलोचना का शिकार बनाया जाता है।
हाल के दिनों में ट्रम्प प्रशासन ने यूएस-ऐड की संपूर्ण विदेशी सहायता निधि को निलंबित कर दिया। इसके बाद ऐसे दुष्प्रचार और बयानबाजी के हमले बढ़ गए। इसका कई मानवीय कार्यक्रमों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। इसके अलावा, दुनिया भर के कई स्वतंत्र और गैर-लाभकारी मीडिया संगठनों के लिए भी संकट पैदा हो गया है। दुर्भाग्यवश, फंडिंग रोकने के लिए ट्रम्प प्रशासन के ‘डीप-स्टेट‘ विरोधी प्रचार में दुनिया भर के तानाशाहों के षड्यंत्रकारी दावे भी शामिल हैं। इस माध्यम से स्थानीय, स्वतंत्र मीडिया संगठनों को ‘विदेशी एजेंट‘ के रूप में बदनाम किया जाता है । सिर्फ इस आधार पर, कि उन्हें विदेश के किसी समूह से वित्तीय सहायता मिलती है।
विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे हमले मीडिया संगठनों की विश्वसनीयता और स्थिरता को गलत तरीके से खत्म कर सकते हैं। इस प्रवृति के और बढ़ने की संभावना है। कारण यह है कि निर्वाचित तानाशाहों की बढ़ती संख्या के कारण हितों का टकराव बढ़ रहा है। ऐसे तानाशाह अपने आलोचकों पर समझौतावादी व्यवहार का आरोप लगाते हैं, जबकि वे खुद ऐसे व्यवहार में शामिल होते हैं।
गैर-लाभकारी मीडिया के सामने फंडिंग चुनौतियां हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके पीछे कुछ सरकारी अधिकारियों द्वारा चलाए गए दुष्प्रचार अभियान भी जिम्मेवार हैं। ऐसे अभियानों के जरिए दरअसल तथ्य-आधारित, स्वतंत्र पत्रकारिता को किसी पक्षपातपूर्ण या सामाजिक न्याय सक्रियता के साथ जोड़कर दिखाने की कोशिश की जाती है।
ऐसे हमलों का बुनियादी दावा यह होता है कि स्वतंत्र मीडिया दरअसल ‘स्वतंत्र‘ नहीं है। इसलिए मीडिया संगठनों को पारदर्शिता के साथ अपनी बात पर कायम रहने और अपनी स्वतंत्रता को अधिकतम करने का प्रयास करना होगा। अपनी इस भूमिका के बारे में जनता की बेहतर धारणा बनाने का प्रयास करना भी अब पहले से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है। भले ही निरंकुश सरकारों और दुष्प्रचार चलाने वालों को अपनी यह बात समझाना मुश्किल हो।
ग्लोबल फ़ोरम फ़ॉर मीडिया डेवलपमेंट (जीएफएमडी) की कार्यकारी निदेशक मीरा मिलोसेविक के अनुसार, “वर्तमान मीडिया परिदृश्य में गलत सूचना हावी है। एआई से जेनरेटेड अधूरे सच और बहुत कम सूचनात्मक मूल्य वाली सामग्री का बोलबाला है। ऐसे में स्वतंत्र मीडिया को आर्थिक सहयोग से वंचित किए जाने पर ‘समाचार रेगिस्तान‘ बनने का खतरा है। हमारे सदस्य संगठनों ने बार-बार दिखाया है कि उनकी रिपोर्टिंग स्वतंत्र रही है। उन पर यूएस-ऐड अधिकारियों का कोई दबाव नहीं रहा है। उनकी जाँच के परिणाम बताते हैं कि वे बिना किसी डर या पक्षपात के रिपोर्टिंग करते हैं।“
जीआईजेएन निदेशक मंडल ने भी फरवरी 2025 में यह बात स्पष्ट कही है। इसमें बताया गया है कि ऐसे मीडिया संगठन हमारे नेटवर्क का हिस्सा हैं। उन्हें जीआइजेएन की सदस्यता देने से पहले उनकी पारदर्शिता और स्वतंत्रता के बारे में समीक्षा की जाती है।
स्वतंत्र मीडिया संगठनों को धमकी और पक्षपात के गलत आरोपों का सामना करना जरूरी है। जीआइजेएन के विशेषज्ञों ने इसके लिए कई व्यावहारिक सुझाव दिए हैं। फंडिंग स्रोतों में विविधता लाने और निष्पक्षता की धारणा को बढ़ावा देने के उपाय बताए हैं।
अपनी स्वतंत्रता बढ़ाने के लिए फंडिंग में विविधता लाएं
सभी स्वतंत्र मीडिया संगठनों के लिए पूर्ण संपादकीय स्वतंत्रता निश्चित रूप से पवित्र चीज है। आपको किसी भी ऐसे दानदाता से अनुदान नहीं लेना चाहिए, जो आपकी रिपोर्टिंग में हस्तक्षेप करने का प्रयास करता हो।
स्वतंत्र पत्रकारिता संगठनों के काम में दानदाता का कोई हस्तक्षेप न हो। इसे ध्यान में रखना सबसे महत्वपूर्ण है। आपके संपादकीय मामलों में डोनर का दखल वर्जित है। स्टोरी प्रकाशन से पहले दानदाता को उसका ड्राफ्ट देखने की भी अनुमति नहीं है। यदि ‘प्रोजेक्ट अनुदान’ किसी खास विषय से जुड़ा हो, तो सीमाएं सामने आ सकती हैं। इसलिए आपको आवेदन करने से पहले यह तय करना होगा कि क्या यह अनुदान आपके कार्य से जुड़ा है? ऐसा करके आप संपादकीय स्वतंत्रता की रक्षा करते हुए यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि ताकि आपकी रिपोर्टिंग में कोई बाधा न आए।

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पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर अनुदान के प्रभाव का हाल ही में एक अध्ययन किया गया है। इसमें 16 लैटिन अमेरिकी देशों के 32 स्वतंत्र मीडिया आउटलेट्स की पत्रकारिता का अध्ययन किया गया। रॉयटर्स संस्थान की यह रिपोर्ट देखें। इसमें दानदाता के साथ मीडिया संस्थान के बीच टकराव का सिर्फ़ एक उदाहरण मिला। इसमें एक अनुदान संगठन ने लाभकारी स्वामियों की जाँच के लिए धन मुहैया कराया था। इसमें कथित तौर पर भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद दानदाता ने खबर प्रकाशित नहीं करने का अनुरोध किया।
मीडिया संगठनों के लिए अनुदान जुटाने वाले अधिकारियों की प्राथमिकता यह होती है कि उन्हें स्थानीय और निष्पक्ष परोपकारी फ़ाउंडेशन से दीर्घकालिक सामान्य अनुदान मिले। इससे उन्हें वेतन, किराए और परियोजना व्यय का भुगतान बिना शर्त करना संभव हो सकता है। हालाँकि, ऐसे दाता आसानी से नहीं मिलते। इसलिए अन्य फंडिंग मॉडल की भी आवश्यकता है।
ऐसे अन्य मॉडलों में कुछ शर्तों पर आधारित परियोजना अनुदान शामिल हैं। इनमें दाता फ़ाउंडेशन किसी विशेष काम पर फ़ोकस से जुड़े विषयों के कवरेज के लिए अनुदान देते हैं। जैसे, जलवायु परिवर्तन या राजनीतिक दुष्प्रचार। ऐसी स्थितियाँ किसी मीडिया संस्थान के विषय मिश्रण को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए संस्थान को अपनी संपादकीय प्राथमिकताओं पर विचार करने के लिए आंतरिक मूल्यांकन करना चाहिए। संभावित दाताओं पर प्रारंभिक शोध करना चाहिए। आप उन डोनरों की पहचान कर सकते हैं, जो आपकी स्वतंत्रता को बनाए रख सकते हैं। ऐसे अनुदान अपने आप में मूल्यवान हो सकते हैं। लेकिन कभी-कभी वे मौके से चूक सकते हैं। सेंट्रो लैटिनो मेरिकानो डी इन्वेस्टिगेशन पीरियोडिस्टिका (एल क्लिप) की निदेशक मारिया रोंडेरोस के अनुसार, “हिटलर के जर्मनी के दौरान जलवायु परिवर्तन परियोजना के लिए अनुदान की कल्पना करें। यह महत्वपूर्ण हो सकता है लेकिन समाज के प्रति पत्रकारिता की नैतिक प्रतिबद्धता का विरूपण है।”
गैलाघर समूह की संस्थापक, मीडिया फंडरेजिंग गुरु ब्रिजेट गैलाघर कहती हैं- “गैर-लाभकारी संस्थाओं के बीच स्वतंत्रता को बढ़ावा देने में पहला कदम दानदाताओं को शिक्षित करना है। यह न केवल फंडिंग के लिए ‘हाथ की लंबाई’ शर्तों के महत्व को समझाने के बारे में है, बल्कि इस सत्य पर जोर देने के बारे में भी है। मीडिया अपने अनुदानकर्ताओं के संपादकीय विकल्पों के साथ जितनी अधिक दूरी रखेंगे, आपका अपना उपहार उतना ही अधिक मूल्यवान होगा।”
ब्रिजेट गैलाघर कहती हैं- “यह कोई नया सवाल नहीं है, लेकिन अब यह एक महत्वपूर्ण सवाल है। दशकों से, जैसे ही कोई गैर-लाभकारी संस्था जॉर्ज सोरोस का पैसा या ओपन सोसाइटी फाउंडेशन का फंड लेती थी, तो तुरंत ही आपके खिलाफ हथियार बनाकर यह दावा किया जाता था कि आप वामपंथी प्रचार मशीन हैं।”
ब्रिजेट गैलाघर कहती हैं- “कोई डोनर यदि स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करना चाहता है, तो इसका सबसे प्रभावी तरीका बिना शर्त वित्तपोषण है। इसमें कोई प्रतिबंध न रखा गया हो। इससे आपके द्वारा समर्थित मीडिया संस्थानों को अपनी संपादकीय अखंडता की रक्षा करने और उन कहानियों को सामने लाने में मदद मिलती है, जिन्हें बताने की आवश्यकता है।”
इस आलेख के आरंभ में रॉयटर्स इंस्टीट्यूट की एक स्टडी का उल्लेख किया गया है। उस स्टडी की लेखिका तथा रॉयटर्स की पत्रकारिता फेलो फ्रांसिस्का स्कोकनिक ने इस पर अनुभव बताए। उनके अनुसार किसी न्यूज़ वेबसाइट की समाचार अखंडता पर हमला करने के लिए बेहद आसानी से पूर्वाग्रह भरे तर्क सामने आ सकते हैं।
कुछ बरसों पहले फ्रांसिस्का स्कोकनिक ने ‘लाबोट’ नामक एक लैटिन अमेरिकी समाचार चैटबॉट का सह-निर्माण किया था। उसकी कोई वेबसाइट नहीं थी। इसलिए फंडिंग का खुलासा करने के लिए कोई ‘अबाउट’ या डोनर पेज नहीं था। फ्रांसिस्का स्कोकनिक के अनुसार इस पहल के बारे में कई निराधार बातें तुरंत सामने आने लगी। जबकि उन्होंने अपने चैटबॉट के माध्यम से पारदर्शिता के मानदंडों का पालन करते हुए अपने सोशल मीडिया परिचय में स्पष्ट बताया था कि “हमारी रिपोर्टिंग ओपन सोसाइटी और IWMF द्वारा समर्थित है।”
धनसंग्रह के सदाबहार तरीके
जीआईजेएन ने धन उगाहने के सदाबहार नियमों के संबंध में कुछ साक्षात्कार किए। विशेषज्ञों का कहना है कि धन उगाहने के बुनियादी नैतिक नियमों का पालन करना गैर-लाभकारी न्यूज़रूम के लिए अब भी महत्वपूर्ण है। अमेरिकन प्रेस इंस्टिट्यूट ने प्रारंभ में निम्नलिखित मानदंड निर्धारित किए थे:
- मीडिया संस्थानों को पूर्ण संपादकीय नियंत्रण बनाए रखना चाहिए। स्रोतों, कहानी के कोण और जवाबदेही लक्ष्यों पर अपने विकल्पों का निर्धारण भी आप स्वयं करें। सम्पूर्ण कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी भी आपको उठानी चाहिए।
- दानकर्ताओं को किसी भी परिस्थिति में स्टोरी के प्रकाशन से पहले उसकी समीक्षा की अनुमति नहीं देनी चाहिए।
- गैर-लाभकारी न्यूज़रूम को अपने दानकर्ताओं के बारे में जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए। किसी बेहद खास मामले में आप कोई गोपनीय अथवा गुमनाम दान स्वीकार कर सकते हैं। लेकिन इस गुमनामी की राशि और इसके कारणों का खुलासा करना चाहिए।
- आप किसी दानकर्ता को पहले से ही किसी परिणाम का वादा न करें। चाहे वह कहानी की संख्या का मामला हो, अथवा उसके प्रभाव के मामले में हो।
- मीडिया संस्थानों को खुले तौर पर जनता को यह बताना चाहिए कि शिकायत कैसे दर्ज करें। संपादकीय त्रुटियों की रिपोर्ट कैसे करें, यह भी बताएं। आप पाठकों की आलोचना का ईमानदारी से मूल्यांकन करने के लिए प्रतिबद्ध हों। किसी भी भूल सुधार या सुझाव को प्रमुखता से प्रकाशित करें।
- समाचार संगठनों में एक निर्धारित समीक्षा प्रक्रिया होनी चाहिए। इसमें आदर्श रूप से बाहरी सलाहकार शामिल हों, ताकि यह मूल्यांकन किया जा सके कि सीमित संपादकीय उद्देश्यों के लिए धन स्वीकार करना है या नहीं। जैसे , किसी दानकर्ता की रुचि के विषय के कवरेज के लिए अनुदान लेना।
किसी मीडिया द्वारा गैर-लाभकारी अनुदान के प्रकटीकरण का कोई बेहतरीन उदाहरण कौन-सा है? यह पूछे जाने पर, ब्रिजेट गैलाघर ने ग्लोबल प्रेस के ड्यू डिलिजेंस पेज का हवाला दिया। वह कहती हैं- “उनकी वेबसाइट पर एक पूरा ड्यू डिलिजेंस सेक्शन है। यह इस बात का बेहतरीन उदाहरण है कि मिशन, प्रभाव और वित्तीय और शासन संबंधी विवरणों को कैसे पैकेज किया जाए। यह संभावित दानकर्ताओं को संगठन और उसके नेतृत्व के बारे में समझने में मदद करता है।”
अफ्रीका में खोजी पत्रकारिता के लिए धन जुटाने के लिए विशेषज्ञ सुझावों पर जीआईजेएन ने एक वेबिनार किया। इसमें इंटरनेशनल फंड फॉर पब्लिक इंटरेस्ट मीडिया (IFPIM) के अफ्रीका और मध्य पूर्व के क्षेत्रीय निदेशक, मकमीद कामारा ने महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने कहा कि फंडिंग अक्सर स्वाभाविक रूप से मीडिया साइट के पहले से मौजूद संपादकीय फोकस का अनुसरण करती हैं। वह कहते हैं- “यह इस बारे में है कि आप कैसे सुनिश्चित करते हैं कि आप जो भी खोजी लेख लिखना चाहते हैं, वह सामाजिक मूल्य का हो। यह सिर्फ़ आपके संस्थागत अहंकार के अनुकूल न हो। जब आप मुद्दे और सामाजिक मूल्य पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो पैसा आएगा। फंड देने वाले आपके पास आएंगे। एक खोजी इकाई के रूप में, आपको संख्या पर नहीं, बल्कि गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना होगा।”
स्वतंत्रता की धारणा को बढ़ावा देने के संबंधी नए विचार
जीआईजेएन को मिली विशेषज्ञ सलाह के अनुसार समाचार संगठनों को अपनी स्वतंत्रता को अवधारणाओं को मजबूत बनाने के लिए कुछ अतिरिक्त कदम उठाने होंगे-
- ऐसे संभावित दानदाताओं की तलाश करें, जो आपके समाचार मूल्यों और प्राथमिकताओं के प्रति सहमत हों।
- खुद से पूछें : “क्या इस फंडिंग को लेने के कारण हमें असहज स्थिति का सामना करना पड़ सकता है?” ब्रिजेट गैलाघर कहती हैं।
- फंडिंग के नए-नए और नैतिक, मॉडलों का पता लगाएं। अफ्रीकन इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म कॉन्फ्रेंस (एआईजेसी) के संयोजक ब्यूरेगार्ड ट्रॉम्प और एल क्लिप की मारिया टेरेसा रोंडेरोस ने इस संदर्भ में अनुभव साझा किए। दोनों ने बताया कि इंटरनेशनल फंड फॉर पब्लिक इंटरेस्ट मीडिया (आईएफपीआईएम) के फंडिंग मॉडल को सबसे अच्छा और नया प्रयोग बताया। यह परोपकारी, सरकारी कॉर्पोरेट फंडों को जोड़ता है, जिसे बिना किसी शर्त के मीडिया को वितरित किया जाता है।
- अपनी वेबसाइट के ‘हमारे बारे में’ (अबाउट अस) खंड में “उपहार स्वीकृति नीति” या “हितों के टकराव की नीति” का खुलासा करना भी उपयोगी होगा।
- व्यक्तिगत लोगों से छोटे दान लेने पर विचार करें। कुछ संगठन अपने पाठकों से मिलने वाले छोटे व्यक्तिगत दान के माध्यम से अपने बजट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कवर करने में सक्षम होते हैं।
- विशेष दानकर्ता अनुरोध पर चर्चा करें। जैसे, आपके बोर्ड में कोई सीट। ब्रिजेट गैलाघर कहती हैं- “किसी निश्चित राशि के उपहार के जवाब में फाउंडेशन द्वारा बोर्ड सीट मांगना असामान्य नहीं है। वे स्वीकृति के अन्य रूपों का सुझाव दे सकते हैं। जैसे, आपकी वेबसाइट और वार्षिक रिपोर्ट पर नाम और लोगो। ये ऐसे प्रश्न हैं जिनका उत्तर प्रत्येक संगठन को स्वयं देना है।”
- यदि आप एक मजबूत संगठन हैं, तो कम ब्याज वाले ऋण लेने पर विचार करें। मिलोसेविक कहते हैं- “मीडिया के अनुकूल ऋण और वैकल्पिक वित्तपोषण बड़े, अधिक स्थिर आउटलेट के लिए एक विकल्प हो सकता है। आप कुछ दानदाताओं, प्रभाव निवेश निधि या यहां तक कि सहकारी स्वामित्व मॉडल के साथ राजस्व-साझाकरण समझौतों का पता लगा सकते हैं। हालांकि, छोटे मीडिया संस्थान के लिए ऋण लेना जोखिम भरा और संभवतः अस्थिर है।” न्यूज़रूम थॉमसन रॉयटर्स फ़ाउंडेशन की ट्रस्टलॉ सेवा का उपयोग करके संयुक्त उपक्रम और ब्रिज लोन जैसी चीज़ों पर निःशुल्क कानूनी सलाह के लिए आवेदन कर सकते हैं।
- निजी व्यवसाय समर्थन की नई नीतियों पर बहुत सावधानी से विचार करें। मिलोसेविक कहते हैं- “कुछ आउटलेट कॉर्पोरेट फंडिंग के बारे में अपनी नैतिकता नीतियों का पुनर्मूल्यांकन करेंगे। जबकि यह बहुत ज़रूरी राजस्व प्रदान कर सकता है। संपादकीय प्रभाव के जोखिम का मतलब है कि पारदर्शिता महत्वपूर्ण होगी।” ब्रिजेट गैलाघर कहती हैं- “कॉर्पोरेट फ़ाउंडेशन और खोजी समाचार संगठनों के बीच एक बेमेल है। यह पैसे का एक ऐसा स्रोत है जो बहुत उपयोगी हो सकता है। लेकिन यह निगमों के लिए बहुत आकर्षक नहीं है क्योंकि खोजी संस्थान गलत कामों और आलोचनात्मक विषयों पर रिपोर्ट करने की प्रवृत्ति रखती हैं। यह ब्रांड के अनुकूल होने की संभावना नहीं है।”
- पाठकों को समझाएँ कि आपकी पत्रकारिता एक सार्वजनिक वस्तु क्यों है। यह क्यों महंगी और वित्तपोषित करने में कठिन है। कारणों में अक्सर यह तथ्य शामिल होता है कि जवाबदेही की कहानियों के लिए गहन संसाधनों की आवश्यकता होती है और उनकी आवृत्ति कम होती है। कई पारंपरिक मीडिया फंडर नहीं चाहते कि उनके नाम या विज्ञापन आलोचनात्मक रिपोर्टिंग के पास दिखाई दें।
हार न मानें
मीडिया संगठनों को अधिक पारदर्शी होने के कारण आलोचना का अनुमान भी लगाना चाहिए। ब्रिजेट गैलाघर चेतावनी देती हैं कि उन्हें भविष्य के आलोचकों की चापलूसी करने और अपने लैंडिंग पेजों पर कई फंडिंग नैतिकता प्रकटीकरण करने की आवश्यकता नहीं है।
“यदि आपके दर्शक वास्तव में आपके फंडिंग के स्रोतों के बारे में जानना चाहते हैं, तो उन पर शोध करने की जरूरत है। कोई दाता किस बात का प्रतिनिधित्व करता है या नहीं करता है, यह आपके ऊपर निर्भर नहीं करता है। एक मीडिया संगठन के रूप में आपको अपने दाता के मिशन के किन स्तंभों को पूरा करना है, इसकी बहुत अधिक तुलना करने की आवश्यकता नहीं है। समाचार उपभोक्ता आपके दानदाता के नामों के लिएआपकी साइट पर क्लिक कर सकते हैं।”
कोई भी दाता एजेंडा-मुक्त नहीं होता है। सार्वजनिक हित को सबसे बड़ा नुकसान आपकी चुप्पी से है।
ब्रिजेट गैलाघर कहती हैं- “हां, कभी-कभी हमें ऐसे पैसे स्वीकार करने पड़ते हैं जो हमें 100% सहज महसूस नहीं कराते। लेकिन यह काम एक आवश्यक सार्वजनिक भलाई का काम है। यही कारण है कि पारदर्शिता और स्पष्टीकरण इतना महत्वपूर्ण है।”
मिलोसेविक कहते हैं- “फंडिंग के विविध प्रकार के मॉडल आवश्यक हैं। पाठक से योगदान लेना, सदस्यता और क्राउडफंडिंग महत्वपूर्ण है। हालांकि यह मॉडल पहले से जुड़े हुए दर्शकों के साथ सम्पन्न क्षेत्रों में बेहतर काम करेंगे। कम आय वाले देशों में, हाइब्रिड मॉडल कारगर होगा। जैसे, प्रवासी लोगों के जरिये वित्तपोषित पत्रकारिता का प्रयोग अधिक व्यवहार्य मार्ग प्रदान कर सकते हैं।”
वह आगे कहती हैं- “आखिरकार, अस्तित्व के लिए नए फंडिंग स्रोतों, मजबूत दाता समन्वय और साहसिक प्रयोग के मिश्रण की आवश्यकता होगी।”
रोवन फिलिप जीआईजेएन के वरिष्ठ रिपोर्टर हैं। वे पहले दक्षिण अफ्रीका के संडे टाइम्स के मुख्य रिपोर्टर थे। एक विदेशी संवाददाता के रूप में उन्होंने दुनिया भर के दो दर्जन से अधिक देशों से समाचार, राजनीति, भ्रष्टाचार और संघर्ष पर रिपोर्टिंग की है।
अनुवाद : डॉ विष्णु राजगढ़िया