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पंद्रहवीं ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज़्म कॉन्फ्रेंस (GIJC27) साल 2027 में नीदरलैंड में आयोजित की जाएगी। इस बात की घोषणा यहाँ कुआलालंपुर, मलेशिया में आयोजित 14वीं ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज़्म कॉन्फ्रेंस (GIJC25) के दौरान की गई। इस प्रतिष्ठित वैश्विक पत्रकारिता सम्मेलन की मेज़बानी ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज़्म नेटवर्क और “डी वेरिनिगिंग वान ओंडेर्खसजर्नालिस्टेन (VVOJ)” डच-फ़्लेमिश एसोसिएशन ऑफ़ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स मिलकर करेंगे।
अगले सम्मलेन की घोषणा GIJC25 के समापन पर की गई, जहाँ ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज़्म नेटवर्क बोर्ड ने एक चयन प्रक्रिया के बाद VVOJ को सह-मेज़बान के रूप में चुना। उल्लेखनीय है कि VVOJ इससे पहले भी वर्ष 2005 में आयोजित दूसरी ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज़्म कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर चुका है। अगला सम्मेलन किस डच शहर में होगा, इसका ऐलान जल्द किया जाएगा।
VVOJ के कोऑर्डिनेटर रिक वान डाइक ने बताया कि VVOJ ने यूरोपियन जर्नलिज़्म सेंटर और फ्री प्रेस अनलिमिटेड जैसे संगठनों के साथ साझेदारी की है, जो वैश्विक सम्मेलन के आयोजन में मदद करेंगे।
VVOJ के 700 से अधिक सदस्य नीदरलैंड और फ़्लैंडर्स के प्रसिद्ध खोजी पत्रकार हैं। यह संस्था उच्च-स्तरीय इन्वेस्टिगेटिव पत्रकारिता, अत्याधुनिक पद्धतियों और बेहतर स्टोरी टेलिंग को प्रोत्साहित करती है और हर साल अपना बड़ा सम्मेलन भी आयोजित करती है। वर्ष 2002 में स्थापित यह संस्था सम्मेलन के दौरान अपना 25वां वर्ष भी मनाएगी।
सम्मेलन की घोषणा करते हुए जीआईजेएन की कार्यकारी निदेशक एमीलिया डिआज़-स्ट्रक ने कहा “हम VVOJ, यूरोपियन जर्नलिज़्म सेंटर और फ्री प्रेस अनलिमिटेड के साथ मिलकर GIJC27 पर काम करने को लेकर बेहद उत्साहित हैं।” उन्होंने बताया कि “VVOJ को खोजी पत्रकारिता सम्मेलनों के आयोजन का गहरा अनुभव है वह वैश्विक खोजी पत्रकार समुदाय को मजबूत बनाने में लगातार योगदान देता रहा है। हमें 2027 में सभी से मिलने का इंतज़ार है और दुनिया भर में खोजी पत्रकारिता के भविष्य के लिए मिलकर काम जारी रखने की खुशी भी।”
कार्यक्रम के दौरान यह भी बताया गया कि VVOJ का प्रमुख पत्रकारिता सम्मान “डी लूप अवॉर्ड 2024” उन साहसी खोजी रिपोर्टरों को दिया गया, जिन्होंने ज़ेलैंड में रूस की गुप्त तेल टैंकर गतिविधियों को उजागर करने वाली रिपोर्ट “पूतिन रिफ्यूल्स इन ज़ीलैंड” तैयार की। इस जांच में रिपोर्टरों ने सैटेलाइट इमेजरी, शिप रजिस्टर और प्रतिबंधों से जुड़े डेटा का विश्लेषण कर रूस के “शैडो फ्लीट” का खुलासा किया। इसी वर्ष VVOJ के प्रतिष्ठित “मैग्नीफ़ाइंग ग्लास अवॉर्ड” का एक हिस्सा “क्लास जस्टिस इन द नीदरलैंड्स” नामक सहयोगी परियोजना को मिला, जिसने डेटा विश्लेषण के आधार पर दिखाया कि आपराधिक मामलों में प्रवासी समुदाय को अनुपातहीन रूप से अधिक दंड मिलते हैं।
VVOJ उन संस्थानों में से है जो न्यूज़रूम में इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग को प्राथमिकता दिलाने की वकालत करता है। संस्था का एक अन्य पुरस्कार “फ्लाइवील अवॉर्ड” विशेष रूप से उन संपादकों को सम्मानित करता है जो रिपोर्टरों को रोज़मर्रा की खबरों से समय निकालने और गहन जांच पर काम करने का अवसर देते हैं।
VVOJ की पूर्व निदेशक और डच पब्लिक ब्रॉडकास्टर NPO की ओम्बुड्सपर्सन, मारगो स्मिट ने कहा, “आमतौर पर केवल रिपोर्टरों को श्रेय मिलता है, लेकिन अगर संपादक और प्रकाशक उनका साथ न दें तो ऐसी जांच संभव ही नहीं हो सकती। दुख की बात है कि न्यूज़रूम पर जैसे ही बजट का दबाव आता है, सबसे पहले जांच-पड़ताल वाली टीमों को ही काटा जाता है, और यह बेहद चिंताजनक है।”
नीदरलैंड दुनिया में मानवाधिकार और न्याय के मजबूत केंद्रों में से माना जाता है, लेकिन वान डाइक ने कहा कि वहाँ भी SLAPP मुकदमों जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं और सरकारी डेटा तक पहुंच अभी भी मुश्किल है। VVOJ इन चुनौतियों से निपटने के लिए अपने पार्टनर SPOON के साथ मिलकर काम कर रहा है, जो नीदरलैंड के ओपन गवर्नमेंट एक्ट (Woo) पर आधारित सूचना-प्राप्ति के संसाधन उपलब्ध कराता है, ताकि पत्रकारों को सही जानकारी प्राप्त करने में सहायता मिल सके।
“हम उतने खुले नहीं हैं जितना आप सोचते हैं,” मारगो स्मिट चेतावनी देती हैं। वे बताती हैं कि एक चिंताजनक नई प्रवृत्ति उभर रही है, जिसमें कुछ सरकारी अधिकारी माँगी गई जानकारी जारी करने के बजाय जुर्माना भरना ज़्यादा आसान समझते हैं। अपने व्यापक शोध के आधार पर स्मिट का मानना है कि फ्री प्रेस वाले देशों में खोजी पत्रकारिता की मज़बूती को तीन सिद्धांतों से परखा जा सकता है: दृढ़ता, प्राथमिकता और सहयोग।

अपनी पत्रकारिता पुरस्कार श्रृंखला के हिस्से के रूप में, VVOJ का ‘फ्लाइवील अवॉर्ड’ विशेष रूप से उन संपादकों को सम्मानित करता है जो बीट रिपोर्टरों को रोज़मर्रा की खबरों से हटकर गहन खोजी रिपोर्टिंग करने का अवसर देते हैं। चित्र: VVOJ
स्मिट बताती हैं, “पिछले 15 वर्षों में सहयोग में काफी सुधार हुआ है; पनामा पेपर्स और पैराडाइज़ पेपर्स जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स ने मीडिया संगठनों को यह समझा दिया कि सीमा-पार परियोजनाओं और सहयोगों में शामिल होना उनके ही हित में है। लेकिन प्राथमिकता तय करना और दृढ़ता दिखाना अब भी बड़ी चुनौतियाँ हैं।
VVOJ के पास 10 सदस्यों का सक्रिय बोर्ड है, लेकिन उल्लेखनीय बात यह है कि संगठन में सिर्फ दो पार्ट-टाइम वेतनभोगी कर्मचारी हैं, और लगभग दर्जन भर बेहद समर्पित वालंटियर। स्मिट कहती हैं, “VVOJ को खास बनाता है उसका स्वयंसेवी तंत्र। यही बात 2005 की ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज़्म कॉन्फ्रेंस में भी विशेष थी, जिसे हमने पूरी तरह स्वयंसेवकों के दम पर आयोजित किया था। इस बार भी, संगठन में सिर्फ एक या दो वेतनभोगी लोग होंगे। यह अविश्वसनीय है कि इतने लोग पूरे समर्पण के साथ इस प्रोजेक्ट में जुड़े रहते हैं। यही इसकी असली ताकत है।”
रोवन फिलिप, जीआईजेएन के वैश्विक रिपोर्टर और इम्पैक्ट एडिटर हैं। पहले दक्षिण अफ्रीका के संडे टाइम्स के मुख्य संवाददाता थे। एक विदेशी संवाददाता के रूप में उन्होंने दुनिया भर के दो दर्जन से ज़्यादा देशों से समाचार, राजनीति, भ्रष्टाचार और संघर्ष पर रिपोर्टिंग की है।