सोशल मीडिया के जरिये कैसे अपने पाठकों की संख्या बढ़ाएं
अगर आप किसी महत्वपूर्ण मीडिया संस्थान से जुड़े हैं, तो अपने दर्शकों का महत्व भी अच्छी तरह जानते होंगे। आप यह भी जानते होंगे कि आपके दर्शक कौन हैं, वे किन साइटों पर ऑनलाइन जाते हैं, और किस सामग्री का उपभोग करते हैं। दरअसल इन चीजों को स्पष्ट रूप से जानना किसी भी मीडिया संगठन के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है।
अपने पाठकों और दर्शकों से जुड़ी इन बातों को आप बखूबी जानते होंगे। फिर भी सीखने के लिए हमेशा कुछ नया होता है। यह मार्गदर्शिका उन मीडिया संगठनों के लिए है, जो अपने ऑनलाइन दर्शकों के बारे में अपनी समझ को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं। नए दर्शकों तक अपनी सामग्री पहुंचाने की कोशिश में भी यह मार्गदर्शिका आपकी मदद करेगी।
इस मार्गदर्शिका को पढ़ने से पहले ही एक बात पर गांठ बांध लें। आपको अपनी सामग्री (कंटेंट) के वितरण पर भी उतनी ही मेहनत करनी होगी, जितनी मेहनत से आप अपनी सामग्री बनाने हैं, या खबर लिखते हैं। आप एक शानदार न्यूज स्टोरी लिख सकते हैं, लेकिन इसके बाद अगर आप आराम से बैठकर आशा करते हैं कि पाठक आपकी बेवसाइट पर खुद आकर इसे पढ़ लेंगे, तो यह समय की बर्बादी है। आज के दौर में इंटरनेट पर इतना भारी ट्रैफिक है कि आपकी सामग्री गुम हो जाएगी। इसलिए अपनी खबरों को व्यापक लोगों तक पहुंचाने के लिए पाठकों के साथ दीर्घकालिक संबंध बनाना जरूरी है। तभी पाठक आपका नाम याद रखेंगे और आपकी वेबसाइट पर हमेशा आते रहेंगे।
आपका दर्शक कौन है? आपको किन सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का उपयोग करना चाहिए?
यह निर्धारित करने से पहले यह तय करना होगा कि आप किन दर्शकों तक पहुंचना चाहते हैं। क्या आप उस वर्ग से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जो अब तक आपकी पहुंच से दूर हैं। आपका टारगेट ग्रूप युवा वर्ग है या बुजुर्ग लोग?
दिलचस्प बात यह है कि कई मीडिया संगठनों के पास स्पष्ट सोच नहीं होती कि उन्हें किन लोगों तक पहुंचना है। किसी मीडिया संगठन से जब मैं पूछता हूं कि वे किस दर्शक तक पहुंचना चाहते हैं, तो मुझे अक्सर एक ही जवाब सुनने को मिलता है- ”ओह, हम सभी लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं! हम बड़ी संख्या में पाठक चाहते हैं।”
बेशक, हर संगठन बहुत सारे पाठक चाहता है। लेकिन आपको वास्तविक धरातल पर ही कोई उम्मीद करनी चाहिए। आपको यह समझना होगा कि आपकी सामग्री पढ़ने से वास्तव में किन लोगों को फायदा होगा। जिनकी रुचि होगी, वही आपसे जुड़ेंगे।
एक बार जब आप अपने दर्शकों के बारे में स्पष्ट समझ बना लेते हैं, तो यह तय कर सकते हैं कि आप किन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करेंगे। ऐसे अनगिनत प्लेटफॉर्म मिल जाएंगे, जहां आप अपनी स्टोरीज को पोस्ट कर सकते हैं। लेकिन आपके लिए हर किसी प्लेटफॉर्म पर जाने का कोई मतलब नहीं होगा। आपकी सामग्री के वास्तविक दर्शक कौन हैं, और आप किस क्षेत्र में काम करते हैं, उसके अनुसार सही प्लेटफॉर्म का चयन करना सबसे महत्वपूर्ण है।
अक्सर मीडिया संगठन पूछते हैं- ”क्या हमें फलां नए ट्रेंडिंग ऐप का भी उपयोग करना चाहिए?”
ऐसे सवालों का कोई सीधा जवाब नहीं हो सकता। तत्काल उत्साहित होकर 50 किस्म के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर सोशल अकाउंट बनाने की जल्दबाजी न करें। इसके बजाय यह समझें कि लोगों द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्लेटफॉर्म हमेशा बदलते रहेंगे, लेकिन आपके द्वारा साझा की जाने वाली सामग्री वही रहेगी।
इसका मतलब यह है कि हर चमकदार नए ऐप का पीछा करना जरूरी नहीं। इसके बजाय अपने दर्शकों की पसंद को समझने और उस अनुरूप प्लेटफॉर्म के चयन का प्रयास करें। उदाहरण के लिए, एक समय लगता था कि स्नैपचैट ही भविष्य है। फेसबुक लाइव को भी हर मीडिया संगठन ने अपनाया था। लेकिन दोनों प्लेटफॉर्म का प्रभाव कम हो गया।
इसका मतलब यह नहीं है कि आपको किसी नए प्लेटफॉर्म को आजमाना नहीं चाहिए। लेकिन अपने समय का बेहतर उपयोग करके पहले से उपयोग किए जाने वाले उपकरणों को बेहतर बनाने में अधिक ऊर्जा लगाएं। उदाहरण के लिए, अपने न्यूजलेटर की सदस्यता को विस्तार देने का प्रयास करें। ऐसा करना एक नया इंस्टाग्राम खाता बनाने की तुलना में पाठकों को लंबे समय तक जोड़ने में ज्यादा कारगर हो सकता है।
कुल मिलाकर यह कि आप जिन लोगों तक वास्तव में पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, उन लोगों द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्लेटफॉर्म का उपयोग करें। ऑस्ट्रेलिया में किसी मीडिया संगठन के लिए जो प्लेटफॉर्म उपयोगी है, वह भारत में किसी मीडिया संगठन के लिए उसी तरह समान उपयोगी नहीं होगा। अगर आपके दर्शक वियतनाम में हैं और अगर वहां के लोग ट्विटर का उपयोग नहीं करते हों, तो आपको ट्विटर खाते की आवश्यकता नहीं है। अगर आप इटली में युवाओं तक पहुंचना चाहें, और वहां के युवा फेसबुक पर सक्रिय न हों, तो आपको फेसबुक की जरूरत नहीं। यदि आप सीमित संसाधनों वाले संगठन हैं, तो यह चीजें काफी मायने रखती हैं।
हर महीने, हर साल बहुत सारे नए प्लेटफॉर्म सामने आएंगे। आपको उन पर शोध करते हुए नजर रखनी होगी। अपने लक्षित क्षेत्र में उसका कितना उपयोग हो रहा है, इसका आकलन करना होगा। यदि आपके टारगेट वाले क्षेत्र में किसी ऐप में साइन अप करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती हो, तो आपके लिए वह उपयोगी होगा।
इसी तरह, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का चयन करते समय यह न देखें कि वे आपको किस प्रकार की सामग्री पोस्ट करने की सुविधा देते हैं। इसके बजाय, हरेक प्लेटफॉर्म द्वारा प्रदान किए जाने वाले संचार के ‘प्रकार‘ पर फोकस करें। इसे निम्नलिखित तरीके से विभाजित कर सकते हैं-
1. वन-वे कम्युनिकेशन या एकतरफा संचार
इसमें हम अपनी बात या सामग्री का ‘प्रसारण‘ करते हैं। यह काफी हद तक एकतरफा संचार है। इसमें हम कोई उत्तर मिलने की अपेक्षा नहीं कर रहे हैं। इन प्लेटफार्मों पर पाठकों को टिप्पणियों या प्रतिक्रिया देने का विकल्प देना चाहिए। दर्शकों से इस तरह से बात करनी चाहिए ताकि वे काफी सहज और खुलापन महसूस करें। लेकिन ये प्लेटफॉर्म तत्काल या दिखने लायक प्रतिक्रिया देने का अवसर प्रदान नहीं करते। ऐसे कुछ ऐप या तरीके हैं –
- टेलीग्राम: इसमें एक बड़े दर्शक वर्ग का निर्माण करने की क्षमता है, लेकिन प्रतिक्रिया की सुविधा नहीं।
- व्हाट्सएप ब्राडकास्ट: इसमें सीमित लेकिन लक्षित समूह तक पहुंच की सुविधा है।
- न्यूज लेटर्स: इसे अग्रेषित (फॉरवर्ड) किया जा सकता है।
2. एकतरफा संवाद, लेकिन टिप्पणियों के साथ
इसमें आप अपनी सामग्री एक ऐसे मंच पर साझा कर रहे हैं, जहां आपको टिप्पणी (कमेंट बॉक्स) में दर्शकों की प्रतिक्रिया दिखाई देगी, बशर्ते कि आपने टिप्पणी का विकल्प चालू रखा हो। ऐसी टिप्पणियाँ आपके द्वारा पोस्ट की गई सामग्री पर पाठकों के विचारों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव भी डाल सकती है। इसलिए उन टिप्पणियों की निगरानी करना और पढ़ना महत्वपूर्ण है। इसके कुछ उदाहरण हैं-
- इंस्टाग्राम ग्रिड
- वीडियो /यूट्यूब
- लिंक्ड-इन
3. दोतरफा संवाद
इसमें आप ऑनलाइन पोस्ट करते हैं और दर्शकों से तत्काल जुड़ाव की उम्मीद कर सकते हैं। इन प्लेटफार्मों पर आपसी संवाद की भावना बहुत अधिक होती है। इसमें दर्शकों से त्वरित प्रतिक्रिया देने की उम्मीद की जाती है। इसके कुछ उदाहरण हैं-
- ट्विटर
- इंस्टाग्राम लाइव
- व्हाट्सएप ग्रूप
यह आकलन करना होगा कि क्या आपके संगठन में संवाद की निगरानी करने की क्षमता है? उदाहरण के लिए, क्या आपके पास सोशल मीडिया एडिटर या ऑडियंस एडिटर रखने के लिए पैसे हैं? यदि हां, तभी आपको सोशल मीडिया के ऐसे विभिन्न प्लेटफॉर्म का उपयोग करना चाहिए। जैसे, एक सक्रिय ट्विटर अकाउंट और एक इंस्टाग्राम पेज, जिनमें टिप्पणियों पर लगातार नजर रखी जाए एवं उनका तत्काल जवाब दिया जाए। लेकिन अगर आपके पास संसाधन सीमित हैं, तो अधिक समझदारी से काम लेते हुए कुछ चीजों पर ही फोकस करें। वैसी स्थिति में एकतरफा संवाद के मंच का उपयोग बेहतर होगा। जैसे एक शानदार न्यूजलेटर, या टेलीग्राम चैनल।
प्रत्येक प्लेटफॉर्म का एक अलग लक्ष्य होता है। सही तरीके से उपयोग नहीं किया किए जाने से वह बेकार है। उदाहरण के लिए, ट्विटर का उपयोग अपने दर्शकों को जवाब देने और संवाद में शामिल करने के लिए करें। आपको ट्विटर का उपयोग एकतरफा प्रसारण के लिए नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह इसके लिए नहीं बना है।
यह मत सोचिए कि आपके दर्शकों की रूचि और समझ का पता लगाने के लिए दोतरफा संवाद प्लेटफॉर्म ही जरूरी है। एक-तरफा संचार प्लेटफॉर्म में भी यह पता लगाना संभव है। जैसे, न्यूजलेटर्स में अब लोकप्रिय आइटम दिखाने के लिए क्लिक करने का विकल्प है। किस क्षेत्र में इसे खोला गया है, इसका पता भी चल सकता है।
सोशल मीडिया के किस प्लेटफॉर्म का उपयोग करना है, यह सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। उदाहरण के लिए, यदि आपके क्षेत्र में फेसबुक ज्यादा लोकप्रिय है, लेकिन आप सेंसरशिप का सामना कर रहे हैं या सामग्री को रोका जा रहा है, तो आप न्यूजलेटर या टेलीग्राम चैनल का उपयोग करें। इसका मतलब यह नहीं कि इनमें सेंसरशिप नहीं होगी, लेकिन आपके पास दर्शकों तक पहुँचने के लिए नए विकल्प मौजूद होंगे।
दुनिया के अधिकांश हिस्से में कम या अधिक, विभिन्न प्रकार की सेंसरशिप है। इसलिए आपको वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क, जो उपयोगकर्ता की पहचान और ब्राउजिंग गतिविधि को ट्रैक होने से बचा सकता है) जैसे अतिरिक्त उपायों की आवश्यकता पड़ सकती है। किसी देश में अगर यदि कठोर सेंसरशिप लागू हो, तो आप गुमनाम रूप से अपनी सामग्री पोस्ट कर सकते हैं। यह देखना होगा कि आपके देश में कौन से प्लेटफॉर्म इसके लिए सुरक्षित हैं। (यह गाइड चीन के प्लेटफार्मों या सेंसरशिप से जुड़ी अनूठी चुनौतियों का समाधान नहीं करता है।)
अपने दर्शकों तक पहुंचने के लिए उनकी आर्थिक क्षमता को ध्यान में रखना भी जरूरी है। यदि आप निम्न-आय वर्ग तक पहुँचना चाहते हैं, तो याद रखना होगा कि उनके पास तेज ब्रॉडबैंड नहीं है। यू-ट्यूब चैनल पर आप ऐसे वीडियो डालेंगे, जो लोड और बफर होने में काफी समय और डेटा लेते हैं, तो आपको सफलता नहीं मिलेगी। तब शायद एक टेक्स्ट संदेश या एमएमएस भेजना बेहतर होगा। यह ज्यादा सहज है। जिन ऐप्स और प्लेटफॉर्म में उपयोग के लिए भुगतान करना पड़ता हो, उनकी समीक्षा करें। जैसे, पेवॉल जैसे किसी ऐप को साइन-अप करते समय यदि उपयोगकर्ता को भुगतान करना पड़े, तो क्या यह आपके लक्षित दर्शक के लिए संभव है?
यहां विभिन्न संगठनों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सोशल मीडिया प्लेटफार्मों और उनकी वितरण विधियों का विवरण प्रस्तुत है। उनके उपयोग संबंधी लेख के लिंक भी दिए गए हैं। अधिकांश प्लेटफॉर्म का निशुल्क उपयोग किया जा सकता है। जिनका उपयोग करने के लिए शुल्क का भुगतान करना होगा, उनके साथ ‘डॉलर’ का निशान दिया गया है।
अपनी सामग्री प्रस्तुत करने के प्रमुख तरीके
सवाल यह है कि आपके संगठन के लिए कौन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बेहतर हों, तो इसका कोई एक स्पष्ट उत्तर नहीं होता है। यह इस पर निर्भर है कि आप दुनिया किस क्षेत्र में हैं, आपके पास स्टाफ की क्या क्षमता है, और अपने दर्शकों के बारे में आप कितना जानते हैं। बस याद रखें, आपको सीमित नहीं बल्कि व्यापक फैलने की जरूरत है। रणनीतिक रूप से सोचें कि कौन से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आपके लिए उपयुक्त हैं, और कौन से नहीं।
आपको इस बात का आकलन करना होगा कि आपके दर्शक कौन हैं। दुनिया के किस हिस्से में उन तक पहुंचने के लिए कौन से प्लेटफॉर्म बेहतर होंगे, इसकी भी ठोस समझ जरूरी है। इसके साथ ही यह भी समझना जरूरी है कि कि उन लोगों तक आप अपने कंटेंट को किस तरह संप्रेषित कर सकते हैं।
प्रत्येक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में कुछ अलग खासियत होती है। प्रत्येक साइट एक विशेष प्रारूप के लिए प्रसिद्ध होती है। सबमें अलग-अलग विशेषताएं होती हैं। उदाहरण के लिए, ‘इंस्टाग्राम‘ दृश्य-सामग्री (विजुअल) के लिए सबसे अच्छा है। साथ ही, यह ऑडियो क्लिप के लिए भी बहुत अच्छा हो सकता है। ‘ट्विटर‘ पर आप केवल शीर्षक और एक लिंक ट्वीट करने की तक सीमित रहने की जरूरत नहीं है। आप चाहें तो कई ‘ट्वीट‘ के थ्रेड बनाकर पूरी कहानी सुना सकते हैं। इसी तरह, दैनिक अपडेट प्रसारित करने के लिए ‘टेलीग्राम‘ बहुत अच्छा है। यह वीडियो एम्बेड करने के लिए भी काफी उपयोगी है।
अपने काम को कैसे व्यापक लोगों तक पहुंचाने के लिए आपको रचनात्मक रूप से सोचना होगा। इसका मतलब यह नहीं है कि यदि आपके पास कोई अच्छी स्टोरी है, तो अचानक किसी ‘टिकटोक‘ पोस्ट में फेंकना शुरू कर दें। हर काम के साथ आपको विभिन्न तरीकों के बारे में सोचने की जरूरत है जिनसे इसे ऑनलाइन प्रसारित किया जा सके। अपनी साइट पर लोगों को लंबे लेख पढ़ने का विकल्प दें, लेकिन यह भी विचार करें कि उस लेख की महत्वपूर्ण जानकारी संक्षेप में देकर नए पाठकों तक पहुंचने और उसे आगे प्रसारित करने के तरीके क्या हों।
अपनी मूल स्टोरी को प्रकाशित करते समय किन चीजों पर विचार करना है, इसके लिए यहां विभिन्न तत्वों की सूची दी गई है:
- टेक्स्ट: स्टोरी की लंबाई को आप कैसे संपादित करते हैं, किस तरह स्पष्टता जोड़ते हैं, टोन को कैसे आकार देते हैं और आपकी सामग्री का स्वर क्या होगा, यह सब आप पर निर्भर है।
- ऑडियो: ऑडियो का मतलब सिर्फ ‘पॉडकास्ट‘ नहीं है। आप वेबिनार से ऑडियो क्लिप लेकर ‘ट्विटर‘ पर अपलोड कर सकते हैं। आप ऑडियो क्लिप को टेक्स्ट के साथ ओवरलैप कर सकते हैं। फेसबुक पर ग्राफिक ऑडियो-आधारित वीडियो में भी बदल सकते हैं।
- फोटो: विभिन्न प्रकार की तस्वीरों, ग्राफिक डिजाइन, ग्राफ, चित्रण इत्यादि का उपयोग करें। ऐसे काफी लोग हैं, जो विजुअल पोस्ट को ज्यादा पसंद करते हैं।
- वीडियो: मिनी डॉक्स, शॉर्ट फॉर्म वीडियो एक्सप्लेनर।
अपने कंटेंट को साझा करने के लिए सोशल मीडिया के सदुपयोग पर विचार करते समय अन्य मीडिया समूहों की देखादेखी करने की जरूरत नहीं। विभिन्न निजी कंपनियों और स्वयंसेवी संस्थाओं से लेकर उद्योग जगत के लोगों द्वारा काफी रचनात्मक तरीके से अपनी सूचनाओं को प्रभावी ढंग से साझा किया जाता है। आप उनसे भी प्रेरणा ले सकते हैं।
अपने काम का प्रभाव मापने के लिए मेट्रिक्स का उपयोग कैसे करें
अपने दर्शकों को बेहतर ढंग से समझने के लिए ‘एनालिटिक्स‘ काफी उपयोगी है। लेकिन यदि आपने स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित नहीं किया हो, तो इसका कोई मतलब नहीं है। इसलिए अपने काम को देखने, लाइक और कमेंट करने वाले लोगों की संख्या देखने से पहले आपको यह तय करना होगा कि आप किस चीज को अपनी सफलता मानते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपका संगठन छोटा है, तो क्या आपका लक्ष्य प्रति माह अपना वेबसाइट विजिट करने वालों की संख्या बढ़ाना है, या 3000 नए न्यूजलेटर सब्सक्राइबर हासिल करना है? यदि आप एक बड़ी कंपनी हैं, तो क्या आप अपनी साइट पर पाठकों की निरंतर उपस्थिति चाहते हैं, या फॉलोअर्स की लक्षित संख्या निर्धारित करना चाहते हैं? मतलब यह, कि दो कंपनियों के लिए सफलता का पैमाना एक नहीं होगा, बल्कि सबके लिए सफलता का मापदंड अलग होगा। इसलिए यह विचार करना होगा कि आपका लक्ष्य क्या है।
ट्रैफिक के बारे में एक नोट: जब वेबसाइट एनालिटिक्स की बात आती है, तो दर्शकों के बारे में समझने के कई अन्य तरीके उपलब्ध हैं। आप देख सकते हैं कि पाठक किसी पेज पर कितना समय बिताते हैं। इससे पता चल सकता है कि उस सामग्री से पाठक का गहराई से जुड़ाव हुआ अथवा नहीं। इसके अलावा, आपकी साइट पर उच्च ट्रैफिक मिलना बहुत अच्छा हो सकता है, लेकिन यह आपके प्रभाव या स्थायी ऑडियंस का प्रमाण नहीं है। पाठकों के साथ गहरा संबंध बनाने के लिए बहुत कुछ करना होगा ताकि वे वापस आते रहें। आपके संगठन का नाम उनके दिमाग में एक विश्वसनीय, जाने-माने स्रोत के रूप में स्थापित करना जरूरी है। महत्वपूर्ण मेट्रिक्स पर अधिक गहराई से जानकारी देखें: Beyond Metrics: A Beginners Guide to Metrics that Matter.)
यदि आपके पास अपने ‘मेट्रिक्स टूल्स‘ बनाने के लिए फंड है, तो यह बहुत अच्छी बात है। लेकिन इसके लिए काफी पैसे खर्च होते हैं, जो हर संस्थान के लिए संभव नहीं। इसलिए आपकी मदद के लिए कई अन्य उपकरण मौजूद हैं। इनमें कई मुफ्त हैं। कुछेक में गैर-लाभकारी संस्थाओं के लिए छूट मिलती है। कुछ उपकरणों में सीमित सेवाओं के साथ मुफ्त संस्करण उपलब्ध हैं। यहां ऐसे विकल्प, उनके उपयोग एवं शुल्क की जानकारी दी गई है:
बफर: यह एक ऐसा उपकरण है जिसका उपयोग सामाजिक नेटवर्क एकाउंट्स का प्रबंधन करने के लिए किया जा सकता है। यह ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, इंस्टाग्राम स्टोरीज, पिनटेरेस्ट और लिंक्डइन पर पोस्ट शेड्यूल करने की सुविधा देता है। यह उनके परिणामों का विश्लेषण और समुदाय के साथ जुड़ाव में भी उपयोगी है। यह ‘शुल्क-आधारित‘ सेवा है, लेकिन गैर-लाभकारी संगठनों के लिए कुछ छूट मिलती है।
लेटर: यह इंस्टाग्राम और सोशल मीडिया पोस्ट के परिणामों की योजना बनाने, शेड्यूल करने, प्रकाशित करने और मापने की सुविधा देता है। यह ‘शुल्क-आधारित‘ सेवा है।
स्प्राउट सोशल: यह एक सोशल मीडिया मैनेजमेंट और ऑप्टिमाइजेशन प्लेटफॉर्म है। यह सभी सामाजिक प्रोफाइल में सोशल मीडिया प्रकाशन, विश्लेषण और जुड़ाव के लिए हब देता है। यह ‘शुल्क-आधारित‘ सेवा है।
मेलचिम्प: यह अपने प्रदर्शन का विश्लेषण करने के लिए विभिन्न टूल प्रदान करता है। दर्शकों के बारे में अधिक जानने और अपनी मार्केटिंग सुधारने में यह उपयोगी है। इसमें ए/बी परीक्षण शामिल है जो किसी वेबपेज या ऐप के दो संस्करणों की तुलना करने की सुविधा देता है। इससे पता लग सकता है कि कौन सा संस्करण बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। यह ‘शुल्क-आधारित‘ सेवा है, लेकिन कुछ सेवाएं निशुल्क हैं।
ट्विटर एनालिटिक्स: ट्विटर अपनी स्वयं की एनालिटिक्स सेवाएं प्रदान करता है, लेकिन केवल एक महीने की अवधि के लिए यह सुविधा मिलती है। यह निशुल्क है।
फेसबुक एनालिटिक्स: जब आप कोई पेज चलाते हैं तो फेसबुक अपना एनालिटिक्स टूल प्रदान करता है। यह निशुल्क है।
गूगल एनालिटिक्स: इसमें आपको विश्लेषण और बेहतर समझ हासिल करने के लिए एक विस्तृत श्रृंखला मिलती है। ( Google Analytics for Beginners को आजमाकर देखें।) यह निशुल्क है।
चार्टबीट: यह भी एक रीयल-टाइम एनालिटिक्स टूल है। यह दर्शकों से जुड़ाव को बेहतर बनाने, संपादकीय निर्णयों को सूचित करने और पाठकों की संख्या बढ़ाने में मदद करता है। यह ‘शुल्क-आधारित‘ सेवा है।
बजसुमो: यह एक ऑनलाइन टूल है जो यह पता लगाने की सुविधा देता है कि किसी वेबसाइट पर कौन सी सामग्री लोकप्रिय है। यह ‘शुल्क-आधारित‘ सेवा है, लेकिन कुछ सेवाएं निशुल्क हैं।
ऐसे उपकरण आपको अपनी साइट के मीट्रिक को मापने के विभिन्न तरीके प्रदान करते हैं। आप यह पता लगा सकते हैं कि ट्वीट्स में पहुंच कितनी है, आपके पाठक दुनिया के किन क्षेत्रों के लोग हैं। आप यह भी देख सकते हैं कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कौन-सी सामग्री लोकप्रिय हुई है।
ऐसे उपकरण आपके पाठकों की संख्या बता सकते हैं। अब यह आपके ऊपर निर्भर है कि इन आंकड़ों को किस तरह समझें। आप गहराई से सोचें कि आपके संगठन के व्यापक लक्ष्यों में ये आंकड़े किस तरह फिट होते हैं। यदि आप देखते हैं कि एक देश से बड़ी संख्या में लोग किसी एक विषय पर आपकी सामग्री ज्यादा देख रहे हैं, तो यह उस क्षेत्र में लोगों की बढ़ती रुचि का संकेत है। आप अपनी सामग्री को उस दिशा को निर्देशित कर सकते हैं। यदि आपके पास विशिष्ट और सीमित दर्शक हैं, तो 1000 ईमेल ग्राहकों तक पहुंचने लायक टूल का उपयोग करना बेहतर होगा।
आपकी भूमिका के आधार पर ऐसे फेसबुक समूहों में शामिल होना उपयोगी होगा, जिनमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में नए विकास पर चर्चा होती है। जैसे, यह सोशल मीडिया ग्रुप उपयोगी है।
याद रखने लायक कुछ बातें
यहाँ मेरे तीन और सुझाव हैं:
- अपनी सामग्री प्रकाशित होने के बाद अपने सोशल मीडिया संपादक के पास जाकर उसके प्रमोशन का अनुरोध न करें। यदि आप अधिकतक पाठकों तक पहुंचना चाहते हैं, तो स्टोरी प्रकाशित होने से पहले ही सोशल मीडिया टीम से बात करके उन्हें समुचित रणनीति बनाने के अवसर दें। उनके पास पाठकों की संख्या को एक झटके में बढ़ाने का कोई जादुई तरीका नहीं है। उन्हें अपने प्लेटफॉर्म पर प्रचार को बढ़ावा देने और साझा करने के तरीकों के बारे में रणनीतिक रूप से सोचने के लिए समय चाहिए।
- आप अपनी सोशल मीडिया अथवा ऑडिएंस टीम से यह भी न पूछें कि क्या वे कुछ वायरल कर सकते हैं। किसी कंटेंट का ‘वायरल‘ होना अप्रत्याशित होता है। इसमें ऐसा कुछ नहीं है जो आप किसी पर दबाव डालकर करा सकते हैं। निश्चित रूप से, वायरल होने लायक सामग्री के लक्षण होते हैं जो इसे अधिक साझा करने योग्य और आकर्षक बनाते हैं। लेकिन यह उम्मीद न करें कि आपके चाहने भर से कुछ ऐसा हो जाएगा।
- किसी लेख के साथ आप कैसा टेक्स्ट शेयर कर रहे हैं, उसके लिए क्या हेडलाइंस और थंबनेल इमेज का उपयोग कर रहे हैं, ऐसी चीजें काफी मायने रखती हैं। यदि आप अपने ट्विटर फीड पर विभिन्न सामग्री को स्क्रॉल कर रहे हैं, तो क्या चीज आपको आकर्षित करती है? कौन-सा शीर्षक अक्षर-सीमा से ज्यादा होने के कारण फिट नहीं बैठता है? ऐसी कई चीजों के बारे में विचार करना जरूरी है। संक्षेप में, आप यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि लोग स्क्रॉल करते वक्त आपके कंटेंट को छोड़कर आगे न बढ़ जाएं, बल्कि ठहरकर उसे पढ़ें।
अन्य उपयोगी संसाधन
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रॉसलिन वॉरेन (Rossalyn Warren) जीआईजेएन की डिजिटल आउटरीच निदेशक रहीं हैं। वह लंदन में रहने वाली पत्रकार हैं, जो गार्जियन, सीएनएन और बीबीसी सहित अन्य संगठनों को अपने फीचर और खोजी रिपोर्ट देती हैं। वह पहले बजफीड न्यूज की वरिष्ठ समाचार रिपोर्टर थीं।