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कम खर्च में अपना वीडियो चैनल कैसे प्रारंभ करें: जीआईजेएन गाइड

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एक वीडियो किट बैग। इमेज: निकोलिया अपोस्टोलू

(जीआईजेएन ने कम संसाधनों में वीडियो पत्रकारिता के लिए यह नई मार्गदर्शिका तैयार की है। ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म कॉन्फ्रेंस 21 के चौथे दिन इसे जारी किया गया। इसमें कर्मचारियों की बहाली और वीडियो शूटिंग की योजना बनाने से लेकर बेहतर फोटोग्राफी की अच्छी जानकारी उपलब्ध है। कुछ केस स्टडीज में यह भी बताया गया है कि छोटे मीडिया संगठनों ने किस तरह वीडियो पत्रकारिता में सफलता हासिल की।)

एक दशक से अधिक समय पहले मैं स्नातक की पढ़ाई पूरी कर रही थी। उन दिनों वीडियोग्राफी करना एक बड़ी बात थी। दुनिया भर के समाचार संगठनों में वीडियो स्टोरीज के लिए फ्रीलांसरों और पूर्णकालिक लोगों की बहाली हो रही थी। मेरे पास एक प्रोड्यूसर के रूप में काम का अनुभव पहले से ही था। इसलिए मैंने अपना कैमरा खरीदकर एक स्वतंत्र वीडियो पत्रकार के रूप में काम करना शुरू कर दिया। फिर मुझे दर्जनों लोगों के साथ बड़ी टीमों में काम करने का भी अनुभव मिला। इस तरह अकेले अपने दम पर निर्माण, फिल्मांकन और संपादन करना हो या बड़ी टीम के साथ काम करना, दोनों किस्म के अनुभवों के आधार पर मैं कुछ उपयोगी सलाह देना चाहती हूं।

हाल के वर्षों में खासकर संयुक्त राज्य अमेरिका के मीडिया संगठनों के बीच प्रिंट के बदले वीडियो पर जोर से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा होती रही है। कुछ मीडिया संगठनों ने प्रिंट के स्टाफ को बदलकर वीडियो पर जोर देना शुरू किया। उनका फोकस भी सोशल मीडिया केंद्रित सामग्री के उत्पादन तक सीमित हो गया।

इसके लिए ही कई संस्थानों ने महंगी टीमें बना ली। लेकिन उन्होंने राजस्व और स्थिरता की चुनौतियों के बारे में नहीं सोचा। परिणामस्वरूप, कुछ ही वर्षों बाद, लाखों व्यूज और सब्सक्राइबर वाली कई वीडियो टीमों को भी असफलता का शिकार होना पड़ा। जैसे एनबीसी की लेफ्ट फील्ड   और सीएनएन की ग्रेट बिग स्टोरी बंद हो गई।

Image: Unsplash

अब वीडियो को लेकर उस तरह का हौव्वा समाप्त हो गया है। लेकिन वीडियो पत्रकारिता ने खबरें देने के शानदार प्रारूप के बतौर अपनी जगह बना ली है। आप अपने उपलब्ध बजट के अनुरूप वीडियो पत्रकारिता का उपयोग कर सकते हैं। यूट्यूब तथा विभिन्न वेबसाइटों ने विजुअल पत्रकारों को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचने का शानदार अवसर दिया है। इसके कारण उनका प्रभाव बढ़ गया है। इन वीडियो खबरों से मीडिया संगठनों को आय का नया स्रोत भी मिला है।

छोटे मीडिया संगठनों और गैर-लाभकारी खोजी संस्थाओं के लिए यह अच्छा अवसर है। उनके पास यदि अपनी वीडियो इकाई हो, तो किसी प्रसारण नेटवर्क से जुड़कर काम के दरवाजे खुल सकते हैं। ऐसे नेटवर्क के पास प्रिंट मीडिया की तुलना में अक्सर बड़ा बजट होता है। यह व्यावसायिक आय का एक अच्छा स्रोत हो सकता है। ऐसे किसी नेटवर्क के लिए प्रतिदिन के आधार पर या विशेष परियोजनाओं पर काम पर करने का अवसर मिलता है।यदि आपके पास विभिन्न विषयों पर अभिलेखीय (आर्काइवल) फुटेज हों, तो उनकी बिक्री से भी आमदनी हो सकती है।

यह गाइड छोटे खोजी पत्रकारिता संगठनों की मदद के लिए बनाई गयी है। मामूली बजट और कम स्टाफ के जरिए आप वीडियो पत्रकारिता कर सकते हैं। हमने इसे तीन खंडों में बांटा है:

वीडियो पत्रकारिता के 21 कदम

बेहतर शॉट्स के लिए टिप्स

केस स्टडीज

वीडियो पत्रकारिता के 21 कदम

शुरू से ही इतना बड़ा लक्ष्य न बनाएं कि आपको ऑस्कर एवार्ड जीतना है। अपनी वीडियो स्टोरी को नेटफ्लिक्स से वितरण लायक बनाने की भी चिंता न करें। यदि आपकी टीम छोटी और अनुभवहीन है तो कोई बात नहीं। शुरू में आपसे गलतियाँ होंगी और इसी तरह से आप सीखेंगे। प्रिंट मीडिया के पत्रकार भी इसी तरह सीखते हैं। इसलिए आपके लिए यहां प्रस्तुत हैं वीडियो पत्रकारिता शुरू करने के 21 कदम:

1. छोटी शुरुआत करें

यदि आपके पास शुरू में अनुभवी स्टाफ की कमी है, तो अपनी टेक्स्ट स्टोरीज में फोटो और वीडियो जोड़कर उसके संबंध में दृष्टिगत रूप से (विजुअली) सोचना शुरू करें। इसके अलावा, स्टोरी की पिचिंग या मार्केटिंग के चरण से ही मल्टीमीडिया तत्वों पर भी जोर दें। प्रिंट मीडिया के बहुत सारे पत्रकारों को अपनी जांच पूरी करने के बाद किसी फोटो या वीडियो की जरूरत है। लेकिन अक्सर उस वक्त इसका मिलना असंभव होता है। टेक्स्ट के बीच में या बैकग्राउंड में जोड़ी गई कुछ तस्वीरें या छोटी क्लिप से अच्छी शुरुआत होती है। एक और तरीका है। आपने प्रिंट मीडिया के लिए जो स्टोरी बनाई हो, उसके मुख्य पात्र का एक साक्षात्कार लेकर देखें। प्रारंभ में वीडियो पत्रकारिता का यह आसान तरीका है।

यदि आपके पास बजट है, तो अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित करें। अब हमारे स्मार्ट फोन में उच्च गुणवत्ता वाले कैमरे आ चुके हैं। आपकी टीम में पहले से ही ऐसे लोग होंगे जो वीडियो फिल्म बनाने और फोटो खींचने का काम अच्छी तरह करना जानते होंगे। उन्हें थोड़ा प्रशिक्षण देकर अभ्यास कराने और मार्गदर्शन की आवश्यकता है।

आपके वीडियो प्रोजेक्ट को क्राउडसोर्सिंग करने का विकल्प भी है। ऑस्कर-नामांकित स्विस संपादक और निर्देशक सबाइन क्रायेनबुहल  ने अपने कुछ वृत्तचित्रों में फंडिंग के लिए क्राउडसोर्सिंग का उपयोग किया है। वह कहती हैं- “अपनी किसी परियोजना का फोकस निर्धारित करने के बाद आपको समुचित रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। अब सोशल मीडिया का महत्व काफी बढ़ गया है। यदि आप बड़ी संख्या में अपने फाॅलोअर्स का निर्माण कर लें, तो किसी अभियान में धनसंग्रह में मदद मिल सकती है। आपके कंटेंट के प्रसार और वितरण में भी मदद मिलेगी। लोग ऐसी चीजों में शामिल होने और मदद के लिए उत्साहित रहते हैं। इसके लिए आपके पास अपना वेबसाइट होना भी जरूरी नहीं है। अपने फेसबुक पेज या इंस्टाग्राम अकाउंट से यह काम आसानी से हो सकता है।“

सबाइन क्रायेनबुहल कहती हैं: “क्राउडसोर्सिंग की सफलता में समय लगता है। इसलिए शुरू से ही पूरे अभियान की योजना बनाकर उसमें सभी अपडेट और विवरण शामिल करना चाहिए। उभरते फिल्म निर्माताओं को सभी प्रकार के अतिरिक्त खर्च को ध्यान में रखना चाहिए। क्राउडसोर्सिंग के जरिए कितनी राशि प्राप्त करने का लक्ष्य रखना है, यह आकलन भी करना चाहिए।“

वह कहती हैं “पूरी फिल्म का खर्च एक बार में मांगने के बजाय आप किसी एक काम के नाम पर आर्थिक सहयोग की मांग कर सकते हैं। जैसे, संगीत संबंधी कार्य में लगने वाली राशि की जानकारी देकर सहयोग की अपील करें। इससे लोगों को लगता है कि उन्होंने एक खास उद्देश्य के लिए योगदान दिया है। इससे उन्हें उस एक काम के प्रति अपनापन का एहसास होगा। इससे लोगों को फ़िल्म का एक हिस्सा होने जैसी सुखद अनुभूति होगी।“

2. अपनी वीडियो रणनीति बनाएं

आपके सामने किस तरह के अवसर मौजूद हैं, यह जानने के लिए अपना शोध करें। इसे शुरू करने से पहले कुछ बातों पर ध्यान देना चाहिए:

  • क्या आपके क्षेत्र में अन्य टीमें मामूली बजट पर वीडियो बनाने का काम कर रही हैं? यदि हां, तो वे किस तरह पैसा कमा रही हैं? आपके दर्शक कहां हैं? ऑनलाइन या ऑफलाइन? उनका दायरा कितना बड़ा है? इन चीजों पर विचार करें। स्थानीय भाषा के वीडियो का अंग्रेजी में अनुवाद करके उसे आप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला सकते हैं। इससे आपको अधिक आय भी हो सकती है।
  • अपने वीडियो उत्पादन के लिए धन की व्यवस्था कैसे करेंगे? शुरुआत में आप रिपोर्टिंग अनुदान  के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसमें आप फ्रीलांसरों की सेवा लेने के व्यय का भी उल्लेख कर सकते हैं। आप वृतचित्र अनुदान के लिए भी आवेदन कर सकते हैं।
  • पता लगाएं कि क्या कोई व्यावसायिक संगठन आपके वीडियो खरीदने के लिए इच्छुक हैं? किसी स्थानीय टीवी शो, अंतर्राष्ट्रीय वृत्तचित्र और समाचार कार्यक्रम के लिए आप अपने वीडियो दे सकते हैं। बड़े मीडिया संगठनों के साथ वीडियो फुटेज देने संबंधी अनुबंध करके भी अपने काम के लिए फंड ले सकते हैं।
  • अपनी वीडियो स्टोरी आप खुद वितरित करना चाहते हैं, तो इसे कैसे पेश करेंगे? क्या इसे यूट्यूब या एमेजन प्राइम जैसे मुफ्त प्लेटफॉर्म के जरिए प्रसारित करेंगे? इनसे भुगतान पाने के लिए आपके लाखों दर्शक (व्यूअर) होना जरूरी है। यूट्यूब से पैसे आने के पहले आपके 1000 सबस्क्राइवर होना जरूरी है। साथ ही, 4000 घंटे तक आपके वीडियो को देखा गया हो। इसमें बेहद मामूली पैसे मिलते हैं। केवल प्रति तीन व्यू पर एक डॉलर मिलता है। आपको यह भी देखना होगा कि आपके क्षेत्र में अन्य कौन-सा वितरण नेटवर्क है? क्या आपके क्षेत्र के लोग इसे थिएटर में देखने के लिए भुगतान करेंगे? यदि आप स्व-प्रसारण करते हैं, तो क्या दर्शक इसे देखने के पैसे देंगे?

ऐसे प्रश्न आपको एक रणनीति बनाने में मदद करेंगे। आप यह तय कर सकेंगे कि वीडियो में कितना निवेश करना चाहिए। यह बात समझना भी संभव होगा कि आपको लंबी डॉक्यूमेंट्री बनानी चाहिए या छोटी। सभी सवालों का एक ही बार में उत्तर नहीं मिलेगा। लगातार रिसर्च और चर्चा से आपको इन चीजों की जानकारी मिलेगी।

वृत्तचित्रों का डिजिटल वितरण करना हो, तो ‘द फिल्म कोलैबोरेटिव‘ के संस्थापक ओरली रविद के सुझाव पढ़ें

3. स्टाफ रखें या फ्रीलांसर?

वीडियो प्रोडक्शन यूनिट में स्टाफ रखने के कई तरीके हैं। आप किसी पेशेवर वीडियो पत्रकार को रख सकते हैं। वह रिपोर्टिंग, निर्माण, फिल्मांकन, ऑडियो रिकॉर्डिंग और वीडियो संपादन जैसे सारे काम अकेले कर सकता है। यदि स्थायी स्टाफ नहीं रखना हो, तो किसी कुशल फ्रीलांसर की सेवा ले सकते हैं। यदि आपके संगठन में प्रिंट मीडिया के पत्रकार उपलब्ध हों, तो उन्हें प्रशिक्षण दे सकते हैं।

यदि आपका बड़ा बजट है, तो कई लोगों को काम पर रख सकते हैं। स्थायी तौर पर अथवा फ्रीलांसर के रूप में। प्रत्येक काम के लिए प्रशिक्षित व्यक्ति, जैसे एक निर्माता, एक कैमरापर्सन और एक वीडियो संपादक। फ्रीलांसरों के साथ काम करने का एक फायदा यह है कि वे आम तौर पर अपने उपकरण लाते हैं। इसलिए आपको गियर (वीडियोग्राफी उपकरण) खरीदने की आवश्यकता नहीं होगी। भले ही आपको इसका किराया देना पड़ सकता है।

4. वीडियोग्राफी उपकरण

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यदि आप अपना गियर खरीदना चाहें, तो इसका उपयोग करने वालों की सलाह जरूर लें। यदि आप किसी वीडियो पत्रकार की बहाली कर रहे हों, तो संगठन में उसके आने का इंतजार करें और उसकी सलाह पर ही वीडियो संबंधी उपकरणों की खरीदारी करें।

किसी बुनियादी सेटअप में एक कैमरा, शॉटगन और लैवलियर माइक्रोफोन, एक ट्राइपॉड और एक मोनोपॉड की आवश्यकता होगी। बैठकर (सीट-डाउन) इंटरव्यू के लिए ट्राइपॉड आवश्यक हैं। जब आपके पास ट्राइपॉड लगाने का समय नहीं होता है, या जहां ट्राइपॉड लगाना संभव न हो, वहां मोनोपॉड काफी उपयोगी होते हैं। जैसे, सड़क पर किसी विरोध प्रदर्शन या हंगामे की स्थिति में चलते हुए वीडियोग्राफी करनी हो, तो मोनोपॉड काफी काम आएगा। जब आप किसी कमरे के अंदर फिल्म कर रहे हों तो प्रकाश व्यवस्था के लिए छोटी एलईडी लाइट की भी जरूरत होगी।

आपके पास इन तीन प्रकार के कैमरों का विकल्प है:

  • कैमकोर्डर: इनमें लैंस में बहुत अच्छा बिल्ट-इन फोकस होता है। साथ ही, एनईडी फिल्टर्स और दो ऑडियो इनपुट होते हैं।
  • डीएसएलआर: फोटोग्राफी के इस कैमरे से आप वीडियोग्राफी और ऑडियो रिकॉर्डिंग भी कर सकते हैं। इसमें बेहतर सेंसर होता है। इसका आकार काफी कॉम्पैक्ट होने के कारण इसे कोट की जेब में भी रख सकते हैं। इसलिए कई पेशेवर लोग इसे काफी पसंद करते हैं। डीसीएलआर के साथ आपको कई लेंस और एनडी फिल्टर्स की जरूरत होगी। उदाहरण के लिए, धूप वाले दिन में वीडियोग्राफी के लिए। यदि आप एक साथ दो माइक्रोफोन से रिकॉर्ड करना चाहते हैं, तो एक छोटे ऑडियो मिक्सर की भी आवश्यकता होगी।
  • डिजिटल सिने कैमरा: इसे मुख्य रूप से वृत्तचित्रों के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें कैमकोर्डर और डीसीएलआर दोनों की विशेषता शामिल है। इसमें आप लेंस को इंटरचेंज कर सकते हैं। इसमें दो ऑडियो इनपुट भी हो सकते हैं।

अच्छी गुणवत्ता वाले वीडियो के लिए आपको बहुत अधिक खर्च करने की जरूरत नहीं है। यदि आपका बजट बहुत कम है, तो आप मोबाइल फोन से भी काम कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए हमारी मोजो गाइड देखें।

5. अपनी ‘स्टाइल गाइड‘ बनाएं

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अखबारों में अपनी लेखन शैली की एक ‘स्टाइल गाइड‘ होती है। उसी तरह वीडियो यूनिट के लिए भी एक स्टाइल गाइड बना लें। इससे आपके पूर्णकालिक स्टाफ और फ्रीलांसर, दोनों को मार्गदर्शन मिलेगा। इस गाइड से पता चलेगा कि आप अपने वीडियो में कैसी स्टाइल देखना चाहते हैं, उन्हें कैसे शूट करना हैं, किस प्रकार के ग्राफिक्स और फॉन्ट का उपयोग करना है, इत्यादि। इस गाइड के कारण आपका सारा काम आपके मनमुताबिक, आसानी से और जल्द होगा। आपके वीडियो संपादक को अनावश्यक चीजों में माथापच्ची नहीं करनी होगी।

6. अच्छा वीडियो बनने लायक स्टोरीज चुनें

आपको ऐसी स्टोरीज चुननी चाहिए, जिनकी अच्छी वीडियोग्राफी संभव हो। बैठकर (सिट-डाउन) साक्षात्कार में विविधता की कमी होती है। इसलिए इसे कम रोचक समझा जाता है। आप जिस स्टोरी पर काम कर रहे हैं, उसमें एक्शन ढूंढें और उसे फिल्माएं, तो ज्यादा अच्छे वीडियो बन सकते हैं।

7. एक स्क्रिप्ट बना लें, ‘नट ग्राफ‘ लिखें

प्रिंट पत्रकारिता में ‘नट ग्राफ‘ का उपयोग होता है। न्यूज स्टोरी के आरंभ में पत्रकार संक्षेप में बताता है कि उसकी जांच किस बारे में है। ऐसा करके पाठकों में दिलचस्पी पैदा की जाती है। आपकी वीडियो स्टोरी में भी एक स्पष्ट ‘नट ग्राफ‘ होना चाहिए। वीडियो शूटिंग के लिए फ़ील्ड में जाने से पहले कुछ तैयारी जरूरी है। पहले एक स्क्रिप्ट बना लें। साथ ही, एक ‘शॉट सूची‘ भी बनाएं, यानी शूटिंग के दौरान आवश्यक शॉट्स की लिस्ट। वीडियो शूटिंग पूरी होने के बाद आपको अपने साक्षात्कारों को ट्रांसक्रिप्ट करना होगा। आपको मिले सभी शॉट्स का दस्तावेजीकरण करना होगा। इसके बाद आप अंतिम स्क्रिप्ट के रूप में सारे कंटेंट को जोड़ेंगे। फिर इसे आपके द्वारा या किसी वीडियो एडिटर द्वारा संपादित किया जाएगा।

8. अपने उपकरणों का परीक्षण और अभ्यास करें

अपने वीडियो और ऑडियो उपकरणों की सेटिंग्स को अच्छी तरह समझ लें। अपने माइक्रोफोन की संवेदनशीलता भी जांच लें। क्षेत्र में जाने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आपके उपकरणों के साथ आपकी टीम अच्छी तरह से काम कर रही है। फिल्मांकन के दौरान आपका एड्रेनालाईन बढ़ सकता है। यदि आपका गियर (वीडियो उपकरण) नया है, तो आप यह भूल सकते हैं कि किसी सेटिंग को किस तरह एडजस्ट करना है। इसलिए इन चीजों की अच्छी तरह जांच करना और समझना जरूरी है।

9. प्रिंट और वीडियो पत्रकारों का अच्छा तालमेल जरूरी

कई बार प्रिंट और वीडियो पत्रकारों के बीच संबंध तनावपूर्ण होते हैं। इसका एक कारण यह भी है कि वीडियो पत्रकारों की तुलना में प्रिंट पत्रकार अक्सर उम्रदराज और कम तकनीक-प्रेमी होते हैं। लेकिन इन दोनों में अच्छा तालमेल हो, तो काफी अच्छी स्टोरीज निकलकर आती हैं। इसलिए जांच के शुरू में ही वीडियो टीम को शामिल कर लेना चाहिए। उन्हें उस मामले की बुनियादी चीजों का पता हो। यदि वे किसी परियोजना में देर से शामिल होंगे, तो वीडियोग्राफी में कई जरूरी साक्षात्कार और एक्शन छूट सकते हैं।

10. हमेशा रिकॉर्डिंग करें

जिस मेहमान का आप साक्षात्कार ले रहे हों, उनके सहज हाव-भाव की रिकॉर्डिंग आपके काम आ सकती है। आधिकारिक साक्षात्कार के दौरान मेहमान प्रायः गंभीर होते हैं। लेकिन साक्षात्कार से पहले और उसके बाद जब वे सहज होते है, तब उनके कुछ बेहतरीन एक्शन या हाव-भाव आपको मिल सकते हैं। इसलिए मेहमान जैसे ही कमरे में आए, उनकी सहमति लेकर रिकॉर्डिंग शुरू कर दें। फिर उनके बाहर निकलने के बाद ही रिकॉर्डिंग बंद करें।

11. गोपनीय कैमरा

छिपे हुए गोपनीय कैमरों का उपयोग विवादास्पद है। कभी-कभी यह खतरनाक भी होता है। इसलिए इनका उपयोग सावधानी से करना चाहिए। प्रोफेशनल मानक यह है कि अंडरकवर गोपनीय शूटिंग तभी करें, जब यह व्यापक जनहित का मामला हो तथा अन्य माध्यमों से जानकारी लेना मुश्किल हो। अमेरिका सहित विभिन्न देशों में गोपनीय कैमरों का उपयोग करना अवैध है। इसलिए ऐसा करने से पहले गोपनीय कैमरों के संबंध में उस देश के कानूनों को अच्छी तरह समझ लें।

12. डेटा और दस्तावेजों का उपयोग करना

जब आप किसी अच्छी या बड़ी स्टोरी पर काम कर रहे हों, तो अपने पास मौजूद फोटो और ऑडियो का सदुपयोग करें। इनके जरिए एक सम्मोहक मल्टीमीडिया पीस बना सकते हैं। लेकिन ऐसा करते समय सावधान रहें। कुछ पत्रकार अपने दस्तावेजों में गति नहीं जोड़ने की एक सामान्य गलती करते हैं। इससे वीडियो का प्रवाह बाधित होता है क्योंकि अन्य सब कुछ गतिमय है। इसलिए ऐसा गतिपूर्ण प्रभाव बनाने के लिए किसी दस्तावेज या स्टिल फोटो में स्लो पैन या जूम करने की तकनीक का उपयोग करें। इसे अमेरिकी वृत्तचित्रकार के नाम पर केन बन्र्स इफेक्ट  के रूप में जाना जाता है।

13. अभिलेखीय फुटेज का उपयोग करना

क्या आपके पास वीडियो शूटिंग के लिए बजट नहीं है? या अनुभव की कमी के कारण हिचक रहे हैं? ऐसा हो, तो आप कुछ निशुल्क चीजों के जरिए मल्टीमीडिया आइटम तैयार कर सकते हैं। जैसे पहले से उपलब्ध अभिलेखीय फुटेज, उपग्रह इमेजरी, स्क्रीनशॉट, दस्तावेज, ऑडियो साक्षात्कार इत्यादि। इनमें अधिकांश चीजें मुफ्त और ऑनलाइन मिल सकती हैं।

14. मेहमानों से पूर्ण वाक्यों में उत्तर लें

जिन मेहमानों का साक्षात्कार ले रहे हों, उनके उत्तर अधूरे न हों बल्कि पूर्ण वाक्य में हों। महज ‘हां‘ या ‘ना‘ में छोटे और अरुचिकर जवाब लेने से बचें। आपको ओपन एंडेड प्रश्न पूछने चाहिए, जैसे- ‘क्यों‘ या ‘कैसे‘। इससे मेहमान आपको पूरा जवाब देंगे। इस तरह मेहमान से पूरे वाक्यों में उत्तर लेना सुनिश्चित करें। यदि मेहमान से पूरा या स्पष्ट उत्तर नहीं मिलता है, तो आप उनसे अनुरोध कर सकते हैं कि कृप्या इस बात को और अधिक समझाकर बताइए।

15. लंबी परियोजनाओं से न डरें

शुरू में लंबी परियोजनाएं आपको कठिन लग सकती हैं। लेकिन इनसे डरने की जरूरत नहीं। एक संपादक ने एक बार मुझसे कहा था- कल्पना करें कि आप तीन अलग-अलग वीडियो फिल्मा रहे हैं। उन्हें बाद में एक साथ जोड़ दिया जाएगा। उदाहरण के लिए, यदि आप 45 मिनट की डॉक्यूमेंट्री बनाना चाहते हैं, तो कल्पना करें कि आप 15-15 मिनट की तीन वीडियो फिल्म बना रहे हैं।

16. ऑडियो रिकॉर्डर अच्छा हो

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आप वीडियो शूट कर रहे हैं, तो ऑडियो की क्वालिटी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। अधिकांश फोन और आंतरिक कैमरा माइक में ऑडियो की सुविधा है। लेकिन उनकी गुणवत्ता खराब होती है। उनके भरोसे रहने पर आपके वीडियो को गैर-पेशेवर समझा जा सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि अच्छी गुणवत्ता वाले ऑडियो रिकॉर्डर या माइक्रोफोन का उपयोग करें। अच्छे ब्रांड के ऐसे उत्पाद एक दशक से भी अधिक समय तक चलते हैं।

फिल्मांकन से पहले ऐसे ऑडियो की एक सूची बना लें, जिसे फील्ड में रिकॉर्ड करना है। इसे ‘नेचुरल साउंड‘ कहा जाता है। उदाहरण के लिए, यदि ट्रेन संबंधी स्टोरी हो, तो आपके पास ट्रेन की सीटी और छुकछुक का ऑडियो होना चाहिए।

 

17. लंबाई

यदि आप इंटरनेट के लिए उत्पादन कर रहे हैं, तो वीडियो शूटिंग को एक खास समय अवधि तक सीमित रहने की जरूरत नहीं। एक प्रोफेसर के अनुसार इसे तब तक जारी रखें, जब तक यह दिलचस्प हो। लेकिन अगर किसी ब्रॉडकास्टर के लिए प्रसारित करना हो, तो सामान्य टीवी स्लॉट की अवधि 25, 45, 60 और 75 मिनट है। ऐसे में आप उस अवधि को ध्यान में रखकर शूटिंग करें।

18. फिल्मांकन परमिट और सहमति

कुछ देशों में फिल्मांकन के लिए परमिट लेना जरूरी होता है। किसी व्यक्ति को फिल्माने से पहले उससे सहमति प्राप्त कर लें। ऐसा नहीं करने पर पूरे यूरोपीय संघ तथा अन्य विभिन्न देशों में गोपनीयता के उल्लंघन का मुकदमा हो सकता है। आप कैमरे पर सहमति प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि वकील एक हस्ताक्षरित कानूनी दस्तावेज पर सहमति लेने का सुझाव देते हैं।

19. संगीत

संगीत की चोरी नहीं करनी चाहिए। आप एक निर्माता हैं, इसलिए दूसरों के काम का भी सम्मान करें। यूट्यब और अन्य प्लेटफॉर्म पर ऐसे ट्रैक हैं जिनका निर्माता के नाम का उल्लेख करके उपयोग कर सकते हैं। पॉन्ड-5 जैसी वेबसाइटों से संगीत के उपयोग का अधिकार खरीद सकते हैं। क्रिएटिव कॉमन राइट्स के तहत यूट्यब पर संगीत उपलब्ध है। वीडियो के विवरण या अंत में कलाकार को श्रेय देते हुए इसका मुफ्त में उपयोग कर सकते हैं।

20. वीडियो संपादन

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प्रांरभ में आप वीडियो संपादन सॉफ्टवेयर पर ज्यादा खर्च न करें। जीआईजेएन बिजनेस टूल्स गाइड  में, हमने DaVinci Resolve वीडियो-संपादन सॉफ्टवेयर की अनुशंसा की है। इसमें वीडियो संपादन, रंगों में सुधार और दृश्य प्रभाव सॉफ्टवेयर की निःशुल्क सुविधा है। यदि आपके पास वीडियो संपादन का अनुभव नहीं, तो आसान तरीके से शुरू करें। जैसे- फ्री एंड ओपेनसोर्स वीडियो एडीटर Shotcut। वीडियो और ऑडियो संपादन के सॉफ्टवेयरों की जानकारी के लिए जीआईजेएन बिजनेस टूल्स गाइड का अध्याय छह देखें

 

21. अपनी सामग्री संग्रहित करें

स्टोरी पर काम के बाद अपने कच्चे फुटेज को नष्ट न करें। सब कुछ को सुरक्षित रखें। उसे दो अलग-अलग स्थानों में, दो हार्डड्राइव में संग्रहित करें। उनके फोल्डरों को ऐसा नाम दें, ताकि आसानी से समझ में आ सके। कोई उन्हें पांच या दस साल बाद भी देखें, तो फौरन समझ जाए। इस पर अधिक जानकारी के लिए हमारा लेख: व्हाई जर्नलिस्ट्स नीड ए आर्काइविंग सिस्टम  पढ़ें। साथ ही, अपने कुछ कच्चे फुटेज को स्टॉक एजेंसियों पर अपलोड कर सकते हैं। इस तरह, आप अपने संगठन के लिए आय का एक नया स्रोत भी बना सकते हैं।

अपने शॉट्स को कैसे बनाएं बेहतर?

मैं 15 वर्षों से टीवी और वेब के लिए वीडियो और वृत्तचित्र बना रही हूं। उन अनुभवों के आधार पर यहां कुछ सुझाव प्रस्तुत हैं। इसमें फिल्म निर्माता सह प्रोफेसर ड्यू लिन तू  और ट्रैविस फॉक्स से मिले सुझाव भी शामिल हैं। कोलंबिया विश्वविद्यालय में उनकी प्रशिक्षण कक्षा में मुझे यह सीखने का अवसर मिला था।

  • प्रत्येक शॉट को 10 सेकंड तक रोकें। किसी भी गतिविधि या एक्शन के खत्म होने तक शॉट लेते रहें, बीच में शॉट को न रोकें। जैसे, यदि कोई कार गुजर रही है, तो कार जब आपके फ्रेम से बाहर निकल जाए, तभी उसे काटें।
  • शूटिंग में वाइड, मीडियम और क्लोज शॉट्स – तीनों का ध्यान रखना होगा। लगभग 20 से 30 फीसदी ‘वाइड‘ शॉट होने चाहिए। वाइड शॉट को ‘इस्टेबिलिशिंग शॉट‘ भी कहा जाता है। इनके जरिए दर्शकों को यह दिखाया जाता है कि यह कहां का दृश्य है। यह कोई महानगर है या ग्रामीण क्षेत्र। यह किसी अमीर का घर है, या गरीब का। लगभग 40 से 50 फीसदी ‘मीडियम‘ शॉट्स होने चाहिए। शेष बचे शॉट्स ‘क्लोज-अप‘ होंगे। कॉफी बनाने जैसे किसी उबाऊ कार्य को भी आप अपने कैमरे से जूम इन करके दिलचस्प और प्रभावी बना सकते हैं। क्लोज-अप शॉट्स में आप किसी व्यक्ति का दिलचस्प विवरण दिखा सकते हैं। जैसे- टैटू, खुरदुरे हाथ, झुर्रियाँ, चेहरे का हावभाव। ऐसे शॉट्स से आप उस जगह की भी विस्तृत विवरण दिखा सकते हैं, जहां आप फिल्म कर रहे हैं। किसी फीचर टेक्स्ट स्टोरी में आप जो विवरण दिखाना चाहते हैं, उनके क्लोज-अप के बारे में पहले से विचार कर लेना अच्छा होगा।
  • विभिन्न कोणों से फिल्मांकन करें। यदि आप कॉफी बनाने की फिल्म बना रहे हैं, तो कॉफी बनाने का क्लोज-अप लीजिये। उसी वक्त दूसरे कोण से किसी व्यक्ति के ऊपर से कप में कॉफी डालने का एक और सुंदर शॉट भी लें। एक ही एक्शन के कई कोण से शॉट लेना काफी उपयोगी होता है।
  • अपने मेहमान से पूछने लायक सवालों को लिख लें। हालांकि साक्षात्कार लेते समय बातचीत के प्रवाह का पालन करें। संभव है कि उस दौरान कोई सवाल पहले या बाद में पूछना पड़े। साक्षात्कार समाप्त करने से पहले यह जांच लें कि कोई सवाल छूट न गया हो।
  • हमेशा अपने साथ अतिरिक्त बैटरी और चार्जर लेकर चलें।
  • ट्राइपॉड, मोनोपॉड, या जिम्बल पर शूटिंग करने से आपके शॉट अधिक पेशेवर दिखाई देते हैं।
  • ऑडियो की भी रिकॉर्डिंग सुनिश्चित करने के लिए शूटिंग करने वाले व्यक्ति को हमेशा हेडफोन पहनना चाहिए।
  • गियर सेट करने के दौरान मेहमान को सहज बनाने के लिए थोड़ी बात करते करें। इंटरव्यू के दौरान मेहमान से आंखों का संपर्क बनाए रखें।
  • अभ्यास, अभ्यास, अभ्यास।
  • अपने मेहमान को खिड़की के सामने न बिठाएं। ऐसा करने पर बाहर की रोशनी के कारण मेहमान के पीछे का हिस्सा अधिक चमकने लगेगा।
  • जब भी संभव हो, शूटिंग स्थल के पर्यावरण को नियंत्रित करें। शोरगुल, संगीत, एयर कंडीशनर, पंखे की आवाज आदि पृष्ठभूमि के सभी शोर को बंद कर दें।
  • अपने मेहमान की आंखों के समान स्तर पर अपना कैमरा सेट करें। उसी की समान ऊंचाई वाली कुर्सी पर बैठें। यदि आप किसी मेहमान के स्तर से ऊपर बैठे हैं, तो मेहमान ऊपर की ओर देख रहा होगा। यदि आप नीचे हैं, तो वह नीचे देखेगा। हालांकि किसी साक्षात्कार के दौरान मेहमान किस तरफ देखता है, इसका अलग-अलग तरीका हो सकता है। कुछ फिल्म निर्माता अपने साक्षात्कार के दौरान किसी दूसरी तरफ बैठकर सवाल पूछते हैं और मेहमान उन्हें देख रहा होता है। प्रोफाइल बनाने में इसका उपयोग होता है। कुछ फिल्मकार खुद को कैमरे के ठीक पीछे रखते हैं और उनके मेहमान सीधे कैमरे की ओर देखते हुए प्रतिक्रिया देते हैं।
  • मेहमान को स्क्रीन के एक तरफ फ्रेम करें, जहां से वह आपको विपरीत दिशा से देखे।

केस स्टडीज

छोटे मीडिया संगठनों के वीडियो और यूट्यूब चैनल आजकल काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। वीडियो पत्रकारिता के कुछ चर्चित उदाहरण यहां प्रस्तुत हैं:

Egypt Health Sector Fails AIDS Patients:  मिस्र में एड्स रोगियों को इलाज नहीं मिल पाने पर आधारित यह वीडियो स्टोरी काफी चर्चित हुई। इसमें बताया गया है कि किस तरह मिस्र के सरकारी अस्पतालों ने 22,000 एचआईवी, एड्स रोगियों को इलाज से वंचित कर दिया। यह स्टोरी पांच सीट-डाउन साक्षात्कारों पर आधारित है। इनमें से तीन लोगों की पहचान को उजागर नहीं किया गया। इसमें सार्वजनिक दस्तावेजों से मिले तथ्यों के साथ ही शहर की सड़कों से बी-रोल का भी उपयोग किया गया। यह स्टोरी अरब रिपोर्टर्स फ़ॉर इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म द्वारा की गई।

Hard Labour: The Unregulated Kenyan Surrogacy Industry:  केन्या में सरोगेसी गर्भ-उद्योग की अनियमितताओं पर यह वीडियो स्टोरी भी काफी चर्चित है। अफ्रीका अनसेंसर्ड की मदद से नैपानोई लेपापा  ने यह स्टोरी की। पत्रकारों की टीम ने केन्या के बड़े पैमाने पर अनियमित सरोगेट गर्भ-उद्योग के बीच 18 महीने रहकर जांच की। इसमें बताया गया कि केन्या में सरोगेसी पर समुचित कानून के अभाव में महिलाओं को किस तरह के शोषण का शिकार होना पड़ रहा है। इस दौरान मानव तस्करी की शिकार महिलाओं के ऑडियो साक्षात्कार भी लिए गए। तस्करी में शामिल लोगों के फोटो, केन्या के सामान्य फुटेज और सरकारी दस्तावेजों का उपयोग करके 25 मिनट की मल्टीमीडिया स्टोरी बनाई गई।

अफ्रीका अनसेंसर्ड द्वारा प्रस्तुत हार्ड लेबर का स्क्रीनशॉट

Bihus.info एक यूक्रेनी गैर-लाभकारी मीडिया संगठन है। यूट्यूब पर इसकी विभिन्न स्टोरीज काफी लोकप्रिय हैं। बिहुस के पास कैमरे की बहुत अच्छी प्रतिभा है, जो किसी जटिल कहानी को आसानी से समझा सकती है। इसकी स्टोरीज की पैकेजिंग इतनी आकर्षक होती हैं कि आपको देखते रहने के लिए अपनी स्क्रीन पर टिकाए रखती है। इसकी एक चर्चित स्टोरी में बताया गया है: यूक्रेन के करदाता किस तरह अमीरों के घरों का वित्तपोषण कर रहे हैं

इस समूह का सबसे लोकप्रिय वीडियो 1.6 मिलियन बार देखा गया। उसमें यूक्रेन के एक बड़े अमीर के साथ एक साधारण सिट-डाउन साक्षात्कार है। इसमें कोई फैंसी कैमरावर्क नहीं है। सिर्फ दो कैमरे और एक माइक्रोफोन के जरिए इसे फिल्माया गया।

Solas En La Avenida: अल सल्वाडोर की प्रमुख स्वतंत्र ऑनलाइन समाचार साइट  El Faro द्वारा प्रस्तुत ‘सोलास एन ला एवेनिडा‘ भी एक अच्छा प्रयोग है। यह वीडियो स्टोरी पुलिस और आसपास के एक गिरोह द्वारा यौनकर्मियों की प्रताड़ना पर आधारित है। यह ‘एल फारो‘ का सबसे लोकप्रिय वीडियो है, जिसे तीन वर्षों में बीस लाख से अधिक बार देखा गया है।

Black Trail:  शिपिंग उद्योग में प्रदूषण विनियमन की कमी पर यह वीडियो स्टोरी है। इसे सीमा पार सहयोगी जांच के जरिए बनाया गया। स्थानीय छोटे समूहों द्वारा विभिन्न देशों के पत्रकारों के सहयोग से बड़ी स्टोरी करने का यह एक अच्छा उदाहरण है। इसमें कोई सुव्यवस्थित कैमरा टीम नहीं थी बल्कि विभिन्न देशों के पत्रकारों ने परस्पर सहयोग किया। इस डॉक्यूमेंट्री में शामिल टीमों के नाम इस प्रकार हैं- एक्सप्रेसो और एसआईसी टीवी (पुर्तगाल), द ब्लैक सी (पूर्वी यूरोप), वीजी (नॉर्वे), स्विस पब्लिक टीवी आरटीएस। इस टीम में जीआईजेएन के दो सदस्य संस्थाएं भी शामिल थीं- फाइनेंस्ड अनकवर्ड (यूके) और रिपोर्टर्स यूनाइटेड (यूनान)।

Seafarers Exiled by Pandemic Face Peril:  फिलीपींस के मीडिया संगठन ‘रैपलर‘ ने एनीमेशन आधारित यह स्टोरी प्रस्तुत की। कोरोना महामारी के दौरान एक साल तक समुद्र में फंसे एक जहाज के संबंध में यह रिपोर्ट है। इसमें फिलिपिनो मछुआरों पर आए संकट और कुछ नाविकों की मौत का विवरण है। यह स्टोरी प्रत्यक्षदर्शियों के साथ फोन साक्षात्कार, जहाज में ली गई कुछ फोटो और विभिन्न दृश्यों के एनीमेशन का इस्तेमाल करके बनाई गई है। इस स्टोरी को एसओपीए अवार्ड्स 2021 में सराहना मिली।

फोटो: Rappler’s Seafarers Exiled by Pandemic Face Peril का स्क्रीनशॉट

Malaysiakini: यह मलेशिया की प्रमुख स्वतंत्र ऑनलाइन समाचार साइट है। यह संगठन जीआईजेएन का सदस्य भी है। कोई छोटा समूह किस तरह एक बड़े मीडिया संगठन के रूप में विकसित हो सकता है, इसका यह उत्कृष्ट उदाहरण है। यह 1990 के दशक में छोटे स्तर पर शुरू हुआ था। अब इसने KiniTV बनाया है, जो किसी पारंपरिक टीवी स्टेशन के समान एक यूट्यूब चैनल है। इस चैनल ने 1.6 मिलियन से अधिक ग्राहक बनाए हैं और 14 वर्षों में कुल 1.3 बिलियन बार देखा गया है।

अन्य संसाधन

फीचर एंड नैरेटिव स्टोरीटेलिंग फॉर मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट्स, ड्यू लिन्ह टू द्वारा प्रस्तुत यह गाइड पेशेवर पत्रकारों के लिए आवश्यक मल्टीमीडिया और डॉक्यूमेंट्री प्रोडक्शन तकनीकों पर केंद्रित है। इसमें वीडियो और ऑडियो उत्पादन विधियों की अच्छी जानकारी है। इसमें कहानी कहने की विभिन्न तकनीकों का गहराई से वर्णन मिलता है।

द सनडांस इंस्टीट्यूट  की ऑनलाइन कक्षाओं में वीडियो उत्पादन प्रक्रिया के विभिन्न पहलुओं की जानकारी मिलती है। इनमें से कुछ कोर्स मुफ्त हैं, जबकि अन्य का कुछ शुल्क लगता है।

पॉडकास्ट सीरीज फिल्म ट्रूपर  के तीन एपिसोड हैं। इनमें वृत्तचित्रों का निर्माण करके लाभ कमाने की जानकारी दी गई है।

अपनी वीडियो टीम स्थापित करने संबंधी किसी अन्य सलाह के लिए आप जीआइजेएन की हेल्पडेस्क टीम से संपर्क कर सकते हैं।

अतिरिक्त संसाधन

निकोलिया अपोस्टोलू जीआईजेएन रिसोर्स सेंटर की निदेशक हैं। विगत 15 वर्षों से वह बीबीसी, एसोसिएटेड प्रेस, एजे़ प्लस, द न्यूयॉर्क टाइम्स, द न्यू ह्यूमैनिटेरियन, पीबीएस, डॉयचे वेले और अल जजीरा सहित 100 से अधिक मीडिया संगठनों के लिए ग्रीस, साइप्रस और तुर्की से वृत्तचित्र लिखने और उनके निर्माण संबंधी कार्य कर रही हैं।

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